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पापा बोले- आज हमारी दूसरी सुहागरात है, जो कुछ हमने अपनी पहली सुहागरात में नहीं किया वो सब करेंगे आज ! मम्मी बोली- अंकित के पापा, आओ न अब ! कह तो रही हूँ जो कहोगे, कर दूँगी। पापा बोले- देखो जी, वादा कर के मुकर मत जाना। मम्मी बोली- हाँ बाबा, अब आओ भी!
पापा अब फिर से मम्मी के ऊपर आ गए। पापा के ऊपर आते ही मम्मी ने अपनी बाँहों का फंदा बनाकर पापा के गले में डाल दिया और बाँहों में जकड़ लिया, फिर धीरे से मुस्कुराते हुए बोली- अभी बहुत नाटक दिखा रहे थे, अब तुम्हें मज़ा चखाऊँगी।
मम्मी ने पापा के होंठों पर एक ज़ोरदार चुम्बन जड़ दिया। पापा ने मम्मी से कहा- सुरभि, थोड़ा रुको! पापा ने अपने हाथ तकिये के नीचे बढ़ाये और मैनफोर्स कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकाला और अब पापा मम्मी के शरीर से नीचे की ओर आए और घुटनों के बल बिस्तर पर खडे होकर कंडोम को बे मन से अपने बेहद टाइट लिंग (लंड) पर चढ़ाने लगे।
मम्मी बोली- अब यह क्या कर रहे हो? पापा बोले- अरे कंडोम लगा रहा हूँ। तुम प्रेग्नेंट न हो इसलिए! मम्मी बोली- तुम भी न… उस दिन की बात को दिल से लगा कर बैठे हो। मम्मी बोली- तुम उस रात बोल रहे थे न कि अंकित का एक और भाई या बहन ला देते हैं। मुझे अंकित की बहन चाहिए, लाकर दो। पापा बोले- सच सुरभि, तुम्हें भी चाहिए अंकित की बहन! पापा की ख़ुशी का मानो ठिकाना ही नहीं रहा।
मम्मी बोली- अंकित के पापा, याद है जब हमारी शादी हुई थी तो आपने मेरे साथ 5 दिन बिना कोई प्रिकॉशन लिए लगातार किया था और फिर मैं मायके चली गई थी पग फेरे के लिए और 3 महीने बाद वापस आई थी और वहीं मुझे पता चला कि अंकित मेरे पेट में आ गया था, पूरी तरह से सेक्स लाइफ एन्जॉय भी नहीं करने दी आपने। तब मुझे पिल्स वगैरह की भी इतनी जानकारी भी नहीं थी। अबकी बार तो मैं प्रेग्नेंसी के दौरान भी करुँगी। पिछली बार तो माँ ने (मेरी मम्मी की माँ या अंकित की नानी) मना कर दिया था, कहा था कि पहली बार माँ बनने जा रही है, थोड़ी सावधानी बरतना और इस दौरान जमाई जी से जरा दूरी बनाये रखना। समझ रही है न मेरी बात, मुझे कोई गड़बड़ नहीं चाहिए।
मम्मी की बातें सुन कर पापा बोले- ये सब क्या बातें लेकर बैठ गई तुम! देखो सुरभि, आज यह रात इन सब बातों को करने की नहीं हैं। आज हम अपनी दूसरी सुहागरात मना रहे हैं, आज केवल इसी के बारे में सोचो कि इसे यादगार कैसे बनाएँ, मुझे भी पिता बनना है पर मैँ आज रात इन सब बातों को नहीं सोच रहा हूँ, मेरा ध्यान केवल इस बात पर है कि आज की रात को यादगार कैसे बनाया जाए। मैँ जानता हूँ कि अभी हम दोनों बुड्ढे नहीं हुए जा रहे हैं, तुम जब चाहोगी, तुम्हें माँ बना दूंगा और फिर हम सेक्स तो कर रहे हैं, क्या पता पहली बार में ही तुम प्रेगनेंट हो जाओ। अब इन बातों को मत सोचों और मेरा साथ दो।
पापा की बात सुनकर मम्मी कुछ मस्ती के मूड में आ गई और मस्ती भरे अंदाज़ में बोली- अरे मेरे राजा, अब देर न कर, जल्दी से मेरे ऊपर चढ़ जा। इतना बोलकर वो खिलखिला कर हँसने लगी और पापा से बोली- इसी तरह बोलते हैं न देसी ब्लू फ़िल्म में। पापा बोले- हाँ बिल्कुल इसी तरह बोलते हैं सुरभि। और दोनों हँसने लगे।
मम्मी की बातों को सुनकर मैं अचम्भे में पड़ गया कि हमेशा इतनी सभ्य और शालीनता से रहने वाली मेरी मम्मी आज फ़ूहड़ भाषा का इस्तेमाल कर रही थी पर शायद मज़े और उत्तेजना की लिए।
पापा अब एक बार फिर मम्मी के ऊपर चढ़ गए और उन दोनों के नंगे जिस्म आपस में चिपक गए। पापा ने अपने मुन्ने को मम्मी की लाडो के दरवाजे पर (चीरे) पर रख दिया।
मेरे आश्चर्य का तब ठिकाना ना रहा जब मैंने देखा कि पापा अपने मुन्ने को मम्मी की लाडो में डालने के बजाए उसे उस पर रगड़ा जिससे मम्मी के मुँह से एक सिसकी सी निकल गई और उनका पूरा शरीर उत्तेजना और रोमांच के कारण काम्प गया। मुझे नहीं पता कि वो यह सब अपने लिंग को सेट करने के लिए कर रहे थे या फिर एक दूसरे को उत्तेजित करने के लिए, पर मम्मी इससे जरूर उत्तेजित हो रही थी।
करीब 10-15 सेकंड ऐसा करने के बाद पापा अचानक रुके और अपने एक हाथ से मम्मी की कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने खूटे रूपी मुन्ने को मम्मी की गुफा रूपी लाडो पर लगा दिया, फिर पापा ने अपने हाथ मम्मी के कंधों पर टिकाये और फिर एक जोरदार धक्का मारा, पापा का मुन्ना मुम्मी की गुफा में प्रवेश कर गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
धक्का इतना तेज़ था कि मम्मी के मुख से शायद अनायास ही ये शब्द निकल ही गये- आउच ! यह कैसे कर रहे हो इतनी तेज़? जरा धीरे धीरे करो आराम से। मम्मी बोली- तुम्हें तो जहाँ थोड़ी छूट दे दी जाए, बिल्कुल जानवरों की तरह करने लगते हो सेक्स! पापा ने मम्मी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उस एक तेज़ धक्के के बाद हल्के हल्के धक्के लगाने लगे और फिर उन्होंने मम्मी को अपनी बाँहों जकड़ लिया और अपने होंठों से मम्मी के होंठों को ढक लिया और फिर उन्हें अपने मुँह में भर कर लगातार चूसने लगे। मम्मी के हाथ भी पापा की पीठ पर अब बिना रुके चले जा रहे थे।
अब एक तरफ तो पापा धीरे धीरे धक्के लगा रहे थे और उनके दोनों हाथ अब कभी मम्मी के अमृत कलशों पर, कभी कमर पर, कभी पीठ पर चल रहे थे और उनके होंठ मम्मी के होंठों से चिपके हुए थे, कभी पापा के होंठ मम्मी के गालों पर फिसल जाते तो कभी गर्दन पर और कभी गर्दन के पीछे वाले भाग पर, कभी कानों पर आ जाते तो कभी कंधों पर तो कभी मम्मी की छाती पर आकर लगातार अपना काम किये जा रहे थे, जिससे पूरे कमरे में पुच पुच की आवाज आ रही थी। मम्मी भी पापा का पूरा साथ दे रही थी।
कहानी अभी जारी है। मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें। [email protected]
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