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मम्मी के मुख से अचानक कुछ सीत्कार सी निकली और मम्मी बोली- अंकित के पापा, मैं बस होने ही वाली हूँ! मम्मी के पूरे शरीर में सिहरन सी उत्पन हो गई और वो तो जैसे छटपटाने सी लगी थी।
अचानक मम्मी ने पापा के होंठों को इतना जोर से चूसा कि मुझे लगा कि उनमें तो खून ही निकल आएगा, मम्मी ने उन्हें इतना जोर से अपनी बाहों में भींचा कि उनकी कलाइयों में पहनी चूड़ियाँ ही चटक गई और मुझे लगा कि मेरी मम्मी आनन्द के परम शिखर पर पहुँच गई हैं, वो कितनी देर प्रकृति से लड़ती, मम्मी का रति रस अंततः छूट ही गया।
पापा बोले- मेरा भी छुटने वाला है! और बस दो ही धक्के और लगाये थे कि उनका काम रस मम्मी की लाडो को भिगोता चला गया। मम्मी की मुनिया ने अब शायद संकुचन करना शुरू कर दिया था जैसे इस अमृत (पापा के वीर्य और अपने द्वारा छोड़ा गया रति रस) की हर बूँद को ही सोख लेगी। अचानक मम्मी की सारी देह हल्की हो उठी और उनके पैर धड़ाम से नीचे गिर पड़े। पापा ने भी 3-4 अंतिम धक्के लगाए और फिर मम्मी को कस कर अपनी बाहों में भर कर मम्मी के ऊपर ही लेट गए।
मम्मी की लाडो ने पापा के मुन्ने को कस कर अंदर भींच लिया। पापा और मम्मी बिना कुछ कहे कोई 5-7 मिनट इसी तरह पड़े रहे।
अब पापा का लंड फिसल कर बाहर आ गया मम्मी की लाडो से, और फिर पापा मम्मी के ऊपर से हट गए। मुझे लगा कि मम्मी की लाडो से कुछ पानी सा रिस रहा था।
मम्मी भी उठने वाली थी तभी पापा ने उन्हें रोका, पापा बोले- सुरभि, रुको न अभी ! पता नहीं अब वो क्या चाहते थे। उन्होंने तकिये के नीचे से एक सफ़ेद रंग का कपड़ा सा निकाला। ओह… यह तो कोई रुमाल सा लग रहा था, उन्होंने उस सफ़ेद रुमाल को प्रेम रस में भीगी मम्मी की लाडो की दरार पर लगा दिया। लगता था पूरा रुमाल ही लाडो से निकलते प्रेम रस के अमृत मिश्रण से भीग गया था।
मम्मी तो जैसे उस समय कुछ महसूस करने की स्थिति में ही नहीं थी। दूसरी सुहागरात के इस साक्ष्य को उन्होंने अपने होंठों से लगा कर चूम लिया- सुरभि, तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया! मम्मी हंस कर बोली- सुहागरात को पूरी तरह फील कर रहे हो आज अंकित के पापा! पापा बोले- क्यों न करूँ जी! रोज़ रोज़ थोड़ी न मनाई जाती है सुहागरात! पापा मम्मी के बगल जा कर लेट गए।
कुछ मिनट बाद पापा बोले- सुरभि, आओ बाथरूम में साथ साथ ही चलते हैं! उन्होंने कुछ शरारती अंदाज़ में मम्मी की ओर देखते हुए कहा।
मम्मी बोली- धत्! पहले तुम हो आओ, मैं बाद में जाऊँगी। पापा बोले- चलो न, मज़ा आएगा! मम्मी बोली- बहुत मज़ा कर चुके हो आज! अब बस! पापा एकदम निर्वस्त्र ही बाथरूम में चले गए।
अब मम्मी बिस्तर पर उठ बैठी, मम्मी ने अपनी लाडो की ओर देखा, उसकी पंखुड़ियाँ थोड़ी मोटी मोटी और सूजी हुई सी लग रही थी। मम्मी ने उसी सफेद रुमाल से लाडो और पंखुड़ियों को एक बार फिर साफ़ किया जिससे पापा ने पहले मम्मी की मुनिया को साफ़ किया था। अब शायद मम्मी को अपने कपड़ों का ध्यान आया, जैसे ही मम्मी उन्हें उठाने को हुई पापा बाथरूम का दरवाजा खोल कर कमरे में आ गये थे। मम्मी तो एकदम शरमा सी गई और पास में पड़े तकिये से अपने पूरी तरह से निर्वस्त्र शरीर के मुख्य कोमलांग अपने उरोज़ों को ढक लिया। मम्मी और पापा की शादी को हुए उस समय लगभग 20 साल हो चुके थे फिर भी मम्मी की शर्म को देख कर मुझे हँसी आ रही थी। पापा मम्मी के पास आ गये और फिर उनकी गोद में अपना सर रख कर लेट गये, मम्मी बोली- हटो न जी बाथरूम जाने दो। पापा बोले- अभी बाथरूम जा कर क्या करोगी, अब सीधे सुबह ही जाना। मम्मी बोली- मैं समझ रही हूँ, तुम्हारे दिमाग में जो कुछ चल रहा है। अब भला मम्मी बाथरूम कैसे जा पाती।
पापा मम्मी से बोले- सुरभि ! ‘हुं…?’ ‘तुम बहुत खूबसूरत हो… मेरी सोच से भी अधिक !’ पापा मम्मी की गोद में लेटे थे… पापा मम्मी को और मम्मी पापा को अपलक देख रहे थे। मेरी जान! आज तुमने मुझे खुश कर दिया ! इतना कह कर उन्होंने अपनी बाहें मम्मी के गले में डाल दी।
उन्होंने मम्मी के सर को थोड़ा सा नीचे करने की कोशिश की तो मम्मी ने अपना सर थोड़ा सा नीचे कर दिया। पापा ने फिर मम्मी होंठों को एक बार फिर से चूम लिया। मम्मी खुले बाल उनके चहरे पर आ गिरे।
उन दोनों के बीच तकिया दीवार सा बना था। उन्होंने झट से उसे खींचा और पलंग से नीचे फेंक दिया, मम्मी के अनावृत वक्ष पापा के मुँह से जा लगे। पापा ने मम्मी के एक उरोज को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगे। मम्मी ने पापा का मुख अपनी चूचियों से हटाया और बोली- ऐ जी हटो भी अब! बहुत मस्ती कर ली तुमने आज… अब बस करो, मुझे नींद आ रही है।
मम्मी के चेहरे से लग रहा था कि वो आज बहुत खुश है पर उनका भी मन अभी भरा नहीं था चुदाई से और अभी और मज़े लूटना चाहती है और केवल ऐसे ही न नुकर कर रही थी क्योंकि शायद वो चाहती थी कि आज हर बार पहल पापा ही करें। पापा बोले- जान, अभी कहाँ सोने दूँगा, अभी तो सारी रात बाकी है। मम्मी बोली- आज पूरा थका दिया है तुमने, अब बस करो न! मम्मी से सब बनावटी मन से कह रही थी, उनकी मुस्कराहट ये सब बया कर रही थी।
पापा बोले- अभी तो मैं कर रहा था सब कुछ! कुछ तुम भी करो या ऐसे ही थक गई। और इतना बोलकर पापा मम्मी के चूचियों से चिपक गए।
अब मेरा ध्यान पापा के पैरों की ओर गया। पापा मम्मी ऐसे ही बिल्कुल नंगे बिस्तर पर बैठे थे, अब मुझे उनका पापा का ‘वो’ नज़र आया। अब तो वो केवल 3-4 इंच का ही रह गया था… बिल्कुल सिकुड़ा हुआ सा जैसे कोई शरारती बच्चा खूब ऊधम मचाने के बाद अबोध (मासूम) बना चुपचाप सो जाता है। कहानी जारी रहेगी… मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें, मुझे ढेर सारे मेल्स करें। [email protected]
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