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अब तक आपने पढ़ा..
हैलो दोस्तो.. क्या हुआ कहानी में बड़े खोए हुए हो.. मुझे याद ही नहीं करते.. कि मैं कहाँ हूँ। अब मुनिया को क्या पता था कि पुनीत 200 रुपये में उसकी इज़्ज़त का सौदा कर रहा है। बेचारी उसकी बातों में आ गई। आगे का हाल आप खुद ही देख लीजिए।
मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. जो माँ को दिए.. वही बहुत हैं आप कुछ दिन ही तो यहाँ रहोगे। पुनीत- नहीं मुनिया.. ये तेरा हक़ है.. तू बस अच्छे से मालिश करना और जैसा मैं कहूँ.. वैसा करती रहना.. फिर देख मैं तुझे हमेशा के लिए अपने पास काम पर रख लूँगा। तू दिन के 500 रुपये तक कमा लेगी। चल अब थोड़ा ऊपर दबा.. वहाँ दर्द ज़्यादा हो रहा है।
अब आगे..
मुनिया ख़ुशी-ख़ुशी उसकी जाँघें दबाने लगी.. अब उसके हाथ लंड से कुछ इंच की दूरी पर थे.. और लंड अपने पूरे शवाब पर खड़ा हुआ मुनिया की चढ़ती जवानी को सलामी दे रहा था। पुनीत- उफ्फ.. मुनिया थोड़ा और ऊपर दबा ना.. आह्ह.. वहाँ ज़्यादा दर्द है..
अब मुनिया की समझ के बाहर था कि इसके ऊपर कहाँ दबाऊँ.. क्योंकि जाँघ के बाद तो लौड़ा था और उसके बाद पेट.. मुनिया- बाबूजी आप हाथ से बताओ ना.. मुझे समझ नहीं आ रहा.. कहाँ दर्द है? पुनीत ने मुनिया का हाथ पकड़ा और लौड़े पर रख दिया- उफ्फ.. यहाँ ज़्यादा दर्द है.. यहाँ दबा.. आराम से सहला..
गर्म लौड़े पर हाथ रखते ही मुनिया के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया.. उसने झट से हाथ हटा लिया। मुनिया- यह क्या कर रहे हो बाबूजी.. यहाँ कोई दबाता है क्या?
पुनीत- अरे इसमें क्या है मुनिया.. जब दर्द यहाँ है.. तो यहीं बताऊँगा ना.. अब देख तू मना करेगी.. तो मैं नाराज़ हो जाऊँगा और अभी तो बस शुरूआत है.. बाद में तो बिना कपड़ों के भी तुझे इसकी मालिश करनी होगी। मुनिया- छी: छी: कैसी बात करते हो आप बाबूजी.. ऐसा कभी होता है क्या..? मुझे तो शर्म आ रही है..
पुनीत- अरे पगली शहर में लड़की और लड़का बिना कपड़ों के होते हैं और मालिश भी ऐसे ही होती है.. तू यहाँ आ.. मैं तुझे दिखाता हूँ। पुनीत बैठ गया और अपने मोबाइल में एक वीडियो चालू करके मुनिया को फ़ोन दे दिया।
उस वीडियो में एक लड़की एकदम नंगी खड़ी एक आदमी की मालिश कर रही थी जो एकदम नंगा था। पहले तो मुनिया को अजीब सा लगा.. मगर उस वीडियो को देखने के लिए पुनीत ने ज़ोर दिया तो बेचारी गौर से देखने लगी।
धीरे-धीरे वो लड़की उसके लौड़े को सहलाने लगी और मुँह से चूसने लगी। पूरा लौड़ा मुँह में लेकर मज़े लेने लगी और जब तक उसका पानी ना निकल गया वो लौड़े को चूसती रही।
ये सब देख कर मुनिया के जिस्म में कुछ अजीब सा होने लगा। उसकी चूत अपने आप रिसने लगी.. अब उसको भले ही इस सबका पता ना हो.. मगर ये निगोड़ी जवानी जो है न.. सब समझ जाती है और चूत और लंड तो बहुत जल्दी ये सब समझ जाते हैं।
वीडियो ख़त्म होने के बाद मुनिया पता नहीं किस दुनिया में खो गई थी। जब पुनीत ने उसको हाथ लगाया.. तो वो नींद से जागी.. पुनीत- अरे क्या हुआ.. कहाँ खो गई..? मुनिया- वो वो.. बाबूजी.. ये सब मैंने पहले कभी नहीं देखा.. मुझे नहीं पता था कि मालिश ऐसे भी होती है।
पुनीत- अब तो मेरी बात का विश्वास हो गया ना.. ले चल.. अब ये मैं बाहर निकाल देता हूँ। अब जल्दी से उस लड़की की तरह मालिश कर दे। पुनीत ने एक झटके से अपना निक्कर निकाल दिया.. उसका 7″ का लौड़ा कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो गया। मुनिया एकदम से ये देख कर शर्मा गई और उसने अपना मुँह घुमा लिया।
अरे दोस्तो.. फिर आप तो यहीं अटक गए.. अभी तो बहुत किरदार बाकी हैं इतनी जल्दी मुनिया का मज़ा लेना चाहते हो क्या..? चलो एक खास जगह ले चलती हूँ.. जहाँ आपके टेस्ट के हिसाब से ही कुछ खास होने वाला है।
रात के करीब 10.30 बज रहे होंगे दिल्ली के घर में दो लड़के और एक लड़की बैठे बियर पी रहे थे। अब ये कौन हैं इनके बारे मैं ज़्यादा नहीं बताऊँगी.. बस आप इनके नाम जान लीजिए।
विवेक.. इसकी उम्र 25 साल है.. दूसरा सुनील, यह करीब 22 साल का है.. और लड़की कोमल.. इसकी उम्र 21 साल है।
चलो अब सीन देख लेते हैं।
विवेक- अरे ला ना.. साले सारी बोतल अकेला पिएगा क्या? सुनील- अबे साले.. अब बियर ही पीता रहेगा या कोमल के मम्मों का रस भी पिएगा.. देख कैसे साली के निप्पल तने हुए हैं। कोमल- अबे चुप वे भड़वे साले हरामी.. तेरे पास बियर लाने के पैसे नहीं थे.. तो मुझे बोल देता.. मैं दे देती.. सारा मूड खराब कर दिया तूने.. विवेक- साला 2 बोतल ही लाया झन्डू कहीं का.. ले पी.. मर साले..
सुनील- अरे मेरे को क्या पता था.. तुम इतनी बड़ी बेवड़ी हो.. नहीं तो और ले आता.. चल अब बियर ख़त्म हो गई.. अब तेरे चूचे ही चूस कर मज़ा ले लेंगे। विवेक- हाँ मेरी जान.. तेरी बहुत तारीफ सुनी है कि तू अँग्रेज़ी मेम की तरह लौड़ा चूसती है.. और खूब मज़ा देती है..।
कोमल- अबे लुच्चों.. मैं पैसे के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चल अब टाइम खोटी मत कर.. निकालो कपड़े और दिखाओ अपने लौड़े.. कैसे हैं?
दोस्तो, कोमल की बातों से आप समझ ही गए होंगे कि यह एक कॉल गर्ल है और ये दोनों दिल्ली के छटे हुए बदमाश हैं। अब आगे मजा देखो..
दोनों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. इनके लौड़े तने हुए थे.. जो करीब 6″ के आस-पास के थे.. जिसे देख कर कोमल को हँसी आ गई और वो ज़ोर से हँसने लगी। वो दोनों कोमल की ओर देखने लगे। कोमल- सालों.. ये लौड़े लेकर मेरे पास आए हो क्या.. मैंने बहुत लंबे-लंबे लौड़े चूस कर फेंक दिए.. समझे? विवेक- अबे चुप साली रंडी.. नाटक मत कर.. चल निकाल कपड़े.. आज तेरे को बताते हैं कि लौड़े की लंबाई से कुछ नहीं होता.. उसमें पॉवर भी होना चाहिए।
कोमल ने अपने कपड़े अदा के साथ निकाल दिए.. वो एक खूबसूर्त जिस्म की मलिका थी। उसकी गोल चूचियां जो 34″ की थीं.. पतली लचकदार कमर और बाहर को निकली हुई 36″ की गाण्ड.. किसी को भी पागल बना सकती थी। विवेक- अरे वाह रानी.. तेरा जिस्म तो बड़ा मस्त है.. आज तो तेरी चुदाई करने में मज़ा आ जाएगा। सुनील- साली की गाण्ड देख कर मेरा तो लौड़ा झटके खाने लगा है यार.. कोमल- अबे सालों अब बातें ही करोगे क्या.. आ जाओ.. टूट पड़ो कोमल रानी की तिजोरी खुली हुई है.. लूट लो पूरा खजाना..
दोनों भूखे कुत्तों की तरह कोमल की तरफ़ बढ़े और उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और विवेक उसके होंठों और मम्मों को चूसने लगा और सुनील उसकी चूत को चाटने में लग गया। कोमल- आह्ह.. चूसो.. मेरे आशिकों.. आह्ह.. मज़ा आ गया उफ्फ.. आज कई दिनों बाद दो लंड एक साथ मिलेंगे.. आह्ह.. आज तो मेरी चूत को मज़ा आ जाएगा।
कुछ देर कोमल को चूसने के बाद दोनों सीधे लेट गए और कोमल को लौड़े चूसने के लिए कहा। कोमल बड़े प्यार से दोनों के लंड बारी-बारी से चूसने लगी। विवेक- आह्ह.. चूस मेरी जान.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. जैसा सुना था.. उससे भी ज़्यादा मज़ा दे रही है तू.. आह्ह.. सुनील- उफ्फ.. आह्ह.. मेरी तो आँखें मज़े में खुल ही नहीं रहीं हैं यार.. आह्ह.. उफ्फ.. बड़ा मज़ा आ रहा है।
कोमल बड़े प्यार से बारी-बारी से दोनों के लंड चूसती रही और जब दोनों के बर्दास्त के बाहर हो गया तो विवेक ने कोमल को अपने लौड़े पर बैठने को कहा और सुनील पीछे से गाण्ड मारने को तैयार हो गया।
कोमल अब लौड़े पर बैठ गई और विवेक के ऊपर लेट गई.. पीछे से सुनील ने लौड़ा गाण्ड में पेल दिया। कोमल- आह्ह.. आह्ह.. अब शुरू हो जाओ दोनों और अपना कमाल दिखाओ आह्ह.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दोनों स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगे.. कोमल दोनों तरफ़ से चुद रही थी और कमरे में बस सिसकारियाँ और ‘आहहें’ और ‘कराहें’ गूंजने लगीं। करीब 15 मिनट तक ये चुदाई चलती रही। आख़िर सुनील के लौड़े ने गाण्ड में लावा उगल दिया और वो एक तरफ लेट गया। हाँ विवेक अब भी धकापेल लगा हुआ था।
कोमल- आह आह.. इसस्स.. एक तो गया.. आह्ह.. अब तेरी बारी है हीरो.. आह्ह.. जल्दी कर.. उफ़फ्फ़ आह्ह..
विवेक ने जल्दी से पोज़ चेंज किया और अब वो ऊपर आ गया और स्पीड से कोमल को चोदने लगा। करीब 5 मिनट बाद उसकी नसें फूलने लगीं और उसने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया। उसका सारा माल कोमल के पेट पर गिर गया। वो हाँफता हुआ कोमल के पास लेट गया।
सुनील- अरे वाह.. कोमल तेरी गाण्ड तो सच में तेरे नाम की तरह कोमल थी.. मज़ा आ गया। अब तेरी चूत की सवारी करूँगा.. तो पता लगेगा कि वो कैसी है। कोमल- अरे चोद लेना राजा.. आज की रात मैंने तुम दोनों के नाम कर दी.. जैसे चाहो मेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लेते रहना। विवेक- कोमल तू बड़ी बिंदास है यार.. खूब मज़ा देती है।
विवेक की बात का कोमल कुछ जवाब देती.. इसके पहले विवेक का फ़ोन बजने लगा और स्क्रीन पर नम्बर देख कर विवेक थोड़ा घबरा गया।
विवेक- ओए.. चुप चुप.. कोई कुछ मत बोलना.. मेरे बॉस का फ़ोन है। विवेक- हैलो बॉस कैसे हो आप? बॉस- कहाँ हो तुम दोनों? विवेक- ज..ज़ि..जी यहीं हैं घर पे.. बॉस- सालों दारू पीकर पड़े हो.. मैंने तुमको पैसे किस लिए दिए थे? विवेक- नहीं नहीं बॉस.. आपका काम कर दिया हमने.. उसको ले आए..
बॉस- गुड.. अच्छा सुनो.. मैं नहीं आ पाऊँगा.. मैंने जो बताया था.. उसको समझा देना और कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. समझे? विवेक- ना ना बॉस.. आपका काम जल्दी हो जाएगा.. उस साली रंडी को आपके सामने नंगा खड़ा करने की ज़िम्मेदारी हमारी है.. बस कुछ दिन सब्र करो आप.. बस ये गेम फिट बैठ जाए.. तो वो रंडी आपकी होगी और इसको भी मैं समझा दूँगा.. आप बेफिकर रहो।
आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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