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अगस्त का महीना चल रहा था, अपनी पत्नी नताशा संग मैंने मेरे माता-पिता के पास जाने का कार्यक्रम बनाया। अगस्त के शुरुआती दिन हमारा यान दिल्ली के इंटरनेशनल एअरपोर्ट पर लैंड हुआ, जहाँ पर मेरे रिश्तेदार हमें लेने के लिए आए हुए थे। घर पहुँचने पर हमारा गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया, खास तौर पर गोरी चमड़ी वाली नताशा का..
हमने घर पर कुछ दिन आराम किया, और फिर घूमने के लिए मसूरी चल दिए। वहाँ हमने तीन दिन आराम किया, सुन्दर प्रकृति, ठंडा मौसम, आँखों को लुभाने वाले ऊँचे पर्वतों के सुन्दर दृश्य, झरने, पशु-पक्षी.. कहने का मतलब है कि खूब मजे किये, और फिर घर वापस आ गए।
घर पर मेरा बचपन का दोस्त राजू आया हुआ था, जो मेरी रशीयन बीवी के बारे में सुन कर मुझसे मिलने के लिए ही आया था। पहली नजर में तो मैं उसे पहचान भी नहीं पाया.. वो मुझसे 5 साल छोटा था लेकिन मेरे से भी लम्बा हो चुका था। मैं तो अपनी 182 सेमी की लम्बाई पर गर्व करता रहता था लेकिन राजू किसी भी हालत में 190 सेमी से कम नहीं था। न सिर्फ कद, वरन उसका व्यवहार भी काफी व्यस्क हो चुका था।
हम बड़ी गर्मजोशी के साथ एक दूसरे से गले मिले.. कितने साल, कितने युग!! नताशा के साथ उसका परिचय कराया, और फिर हम लोगों ने हमारे कमरे में ही अपनी बैठक जमा ली… इतना सब कुछ जो बतियाना था!
आधी रात हो गई बात करते-2.. आखिर अंत में मेरी माँ ने उसे कमरे से निकाल कर हमें सोने को कहना पड़ा।
अगली सुबह उठने के बाद हम लोगों ने दुबारा कमरे में महफ़िल जमा ली और लंच तक बातें चलती रही। मैंने बातों-2 में उससे किसी लड़की की उपस्थिति के विषय में पूछा तो उसने निराश होकर कहा कि हमारे देश में रशिया की तरह सेक्स फ्री नहीं है, और इस तरह की चीजें काफी मुश्किल से ही संभव हो पाती हैं!
फिर वो मुझसे ब्लू फिल्म्स क्सक्सक्स xxx Movie (Porn Film) के बारे में पूछने लगा तो मैंने उसे बताया कि मैं काफी फ़िल्में ले कर आया हूँ। मैंने उसे वादा किया कि जाने से पहले उसे सारी कैसेट्स देकर जाऊँगा, और मौका देखकर उसे अपने कमरे में भी चलाकर दिखा दूंगा। लंच के बाद मेरे माता-पिता और बहनों का किसी रिश्तेदार की शादी में किसी गाँव में जाने का प्रोग्राम था और राजू का वापस अपने घर। लेकिन राजू का अभी मेरे साथ रहने का मन था, लेकिन मेरे माता-पिता से कहते हुए भी डरता था। हम दोनों यारों ने प्लान बनाया कि मैं सभी को कार में बस अड्डे लेकर जाऊँगा, पहले राजू को उसकी बस में बैठा कर माँ-बाप को भी उनकी बस में बैठा कर चला जाऊंगा, और बाद में बस से उतर कर मेरा इंतजार कर रहे राजू को वापस घर ले चलूँगा।
ऐसा ही हुआ और हम दोनों आराम से वापस घर पहुँच गए।
घर पर जब हमने अपने बच्चों वाले खेल के विषय में नताशा को बताया, तो वो देर तक हंसती रही। राजू को पोर्न देखने कि इतनी इच्छा थी कि घर पहुँचते ही वो इस बारे में कहने लगा!
अब क्योंकि वीसीआर तो हमारे कमरे में ही था तो मैं उसे अपने कमरे में ही ले गया और टीवी चालू कर दिया। राजू मुझसे अपनी शंका प्रकट करने लगा कि कहीं भाभीजी न आ जाएँ कमरे में.. और तभी नताशा कमरे में आ गई, और टीवी पर पोर्न चलते देख कर खिलखिला कर हंसने लगी।
राजू डर गया लेकिन मैंने उसे आराम से समझा दिया कि यूरोपियन देशों में सेक्स को बुरा नहीं समझा जाता और सभी इससे अपना मनोरंजन करते हैं। शुरुआत में तो वो डरा-सहमा हुआ सा परदे की तरफ देखता लेकिन जब उसने नताशा की इसकी तरफ कोई दिलचस्पी नहीं देखी, तो थोड़ा आराम से चुदाई के दृश्य देखने लगा। अब वो भाभी के कमरे में आने पर नहीं हड़बड़ाता था बल्कि उसके सवाल ‘और कैसी लग रही हैं गोरी लड़कियां!?’ के जवाब में मुस्कुराने भी लगा था।
कुछ देर बाद मैंने नताशा को बाहर चलने का इशारा करके दरवाजे से बाहर निकल गया। कुछ देर में नताशा भी बाहर आ गई और हम दूसरे कमरे में घुस गए।
अन्दर जाते ही नताशा ने पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- मैंने अंदाजा लगा लिया है, तुम्हारे दोस्त का तुम्हारे से दुगना है!!! मेरी आँखें आश्चर्य से फ़ैल गई, मैंने पूछा’..कैसे? नताशा मुस्कुरा कर बोली- बस है अंदाजा! अब चल कर जल्दी से उसे मेरे मुंह में डलवा दो.. मैं मरी जा रही हूँ.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
नताशा की उत्तेजक बातें सुनकर मेरा लंड सनसना कर खड़ा हो गया, जिसे मेरी पत्नी ने अपने हाथों में महसूस करते हुए आगे पीछे हिलाने लगी। हम दोनों पति-पत्नी कामोत्तेजना में मदहोश हुए जा रहे थे और मेरी पत्नी जोर से लंड को भींचते हुए आगे पीछे कर रही थी। हम दोनों पति-पत्नी बहुत कामुक हैं और इस समय हम कामुकता के अधीन होकर एक जवान रिश्तेदार को अपनी हवस में शामिल करने पर उतारू थे! सारी प्लान तय करके पहले मैंने खुद राजू के पास जाने का निर्णय किया, वहाँ मैंने उसे फटी आँखों से चुदाई के दृश्य देखता पाया।
‘और क्या चल रहा है?’ मैंने कमरे में घुसते हुए राजू से पूछा। ‘यार यह तो वाकयी बड़ी शानदार कैसेट है!!.. कहाँ से मिली?’ राजू आश्चर्यचकित आँखों के साथ मुझसे पूछने लगा। ‘बस ऐसे ही.. अरे तेरा तो लंड भी टनाटन खड़ा है!!.. अभी झड़ा तो नहीं?’ ‘हाँ यार.. ऐसे सीन देख के तो किसी का भी खड़ा हो जाए.. अभी तक तो नहीं झड़ा वैसे, लेकिन जल्दी ही झाड़ दूंगा!’ ‘जरा दिखाना तो सही.. अपनी लुल्ली.. कुछ बड़ी हुई या अभी तक जरा सी ही है, जैसे बचपन में थी!.. अबे शर्मा मत.. मैं कोई गैर थोड़े ही हूँ!’ ‘वो बात नहीं है यार.. बस कही नताशा न आ जाए कहीं!’ ‘डर मत.. वो ऊपर छत पर गई हुई है.. दिखा अपना लंड यार!’
राजू ने पैंट की चैन खोल कर अपना हाथ अन्दर डाला और काफी प्रयत्न करते हुए मुश्किल के साथ अपना लंड बाहर निकाल लिया। यह मेरे लिए 440 वोल्ट के झटके से कम नहीं था! राजू का लंड भयानक मोटा और किसी भी हालत में 25 सेमी से कम लम्बा नहीं था और तोप की तरह सलामी देता हुआ छत की तरफ तना हुआ था! इसके आलावा उसका सुपारा किसी काऊबॉय के हैट जैसा विशाल, तीर के जैसा, और बड़ा माँसल-हृष्ट-पुष्ट प्रतीत हो रहा था। सच बताऊँ तो राजू का लंड देखकर मुझे चक्कर सा आ गया और मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरे बाद राजू का बच्चों जैसा लंड इतना भयानक बन चुका था!!! इसके अलावा जिस अंदाज़ से तन कर खड़ा हुआ वो छत को देखता हुआ झटके मार रहा था, उससे तो यही लगता था कि नताशा की चूत की तो आज खैर नहीं!!!
तभी अचानक दरवाजा खुला, और नताशा अन्दर आ गई.. राजू किंकर्तव्यविमूढ़ होकर कतयी बुत बन गया और अपने खुले सामान को भी नहीं ढक सका, जिसकी तरफ नताशा की निगाह पड़ी ही पड़ी!
‘वाओ!!! कितने तगड़े और ताकतवर लोग हमारे यहाँ आए हुए हैं! यकीं भी नहीं होता.. यह इंसान का लिंग है, या गधे का!!! इतना भयानक अवतार आज तक कभी नहीं देखा!!! नताशा की आँखें उसकी कटोरियों से उबली पड़ रही थी और उसने अपने दोनों हाथों से अपने सिर को भींच कर मुश्किल से खुद को चक्कर आने से बचाया।
तब कही जाकर राजू को होश आया और उसने जल्दी से अपने सामान के ऊपर चादर डाल ली। ‘तुम बेकार ही इस खजाने को छुपा रहे हो! तुम्हें तो गर्व के साथ अपने लंड को दुनिया के सामने लाना चाहिए.. अरे दुनिया को पता तो चलना चाहिए कि रोक्को स्फ्रेदी की टक्कर का लंड तैयार है!! अरे सच पूछो तो हमारा लंड तो उस इटालियन से भी तगड़ा है!!!’
इतनी सारी बातें हो चुकने के बाद कहीं जाकर मुझे होश आया कि इस अप्रत्याशित स्थिति में मेरा भी कुछ कहने का कर्तव्य बनता है, और मैंने राजू से कहा- अब यार राजू, छोड़ ये सब बेकार की इंडियन शर्मो हया और सुन काम की बात, तेरी भाभी जी तेरा मूसल लंड चूसना चाहती हैं.. अगर तू तैयार है तो चल दोनों भाई मिल कर इसे चोदते है!’ मैंने हिंदी में डायलोग मारा।
‘यार यकीं ही नहीं हो रहा.. तू सच तो कह रहा है ना? कही फंस न जाएँ!’ मारे डर के राजू अनाप-शनाप ही बोल पाया। ‘कैसे फंस जाएँगे.. किसको पता चलेगा! हम दोनों तो किसीको बताने से रहे, तू बताएगा?’ ‘क्या बात करते हो भैया.. मैं पागल हूँ क्या!’ राजू खीसें निपोरता हुआ कहने लगा।
‘फिर क्या है.. हो गया पक्का, ना तो हम किसी को बताने वाले, और न ही तू, फिर किसी को क्या सपना आएगा कि हम दोनों ने मिलकर इसकी ली है.. या तू खुद ही इच्छुक नहीं है रुसी चूत का?’ ‘क्या बात करते हो भाई साहब.. मुझे तो अभी तक यकीं नहीं हो रहा अपनी किस्मत पर!’ ‘तो अब यकीं कर ले, और फटाफट अपने 10 इन्ची लौड़े को अपनी भाभीजी के मुंह में पेल दे.. देख बेचारी रुआंसी हो चली है!’
और मैंने अपनी पत्नी से मुखातिब होते हुए रुसी भाषा में कहा- हाँ नताशा, सब ठीक है.. छुरे को पकड़ो और उसे अच्छी तरह से धार लगाना चालू कर दो.. कहने का मतलब है कि तुम्हें उसके साथ जो करना है, करो.. कहानी जारी रहेगी… [email protected]
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