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बस काफी तेज रफ्तार से जयपुर की तरफ जा रही थी, उसकी खिड़कियाँ पूरी तरह से बंद थीं, शीशे ऐसे कि बाहर वाले भीतर का कोई नजारा नहीं देख सकते थे। इस टूर में मैं अपने पति रवि के साथ उनके कुछ दोस्तों के कहने पर शामिल हुई थी, तीन दिन का था यह टूर… रवि की इच्छा पर ही मैंने अपनी सहेली जया और उसके पति को भी शामिल किया था। मुझे पता था कि रवि की निगाहें जया पर हैं लेकिन सैक्स टूर की बात सुनकर ही मैं काफी रोमांचित थी।
हमें जयपुर के पास किसी होटल में रुकना था। अचानक बस में रवि को दो दोस्तों की पत्नियाँ कुसुम और रीता अपने पति से लड़ने लगीं और दोनों ने जगह बदल ली थी। उसी समय रवि के दोस्त देव ने कहा कि होटल के भीतर हम कोई सामान लेकर नहीं जाएंगे। तीन दिन के टूर में हमें कपड़े भी होटल से ही पहनने को मिलेंगे इसलिये सभी लोग अभी से होटल से मिले कपड़े पहन लें। कपड़े क्या थे छोटे से नेकर और छोटा सा टॉप।
मुझे अजीब से लगा.. लेकिन बस में ही कपड़े बदले गये। उन कपड़ों में मुझे देखकर रवि की आँखों में नशीली चमक दिख रही थी। रवि को भी एक छोटा सा अंडरवियर पहनने को मिला था। छोटे कपड़े पहने जया की फिगर देखकर रवि का लंड खड़ा होने लगा था।
तभी मेरी निगाह कुसुम और रीता पर पड़ी, दोनों ने अपनी सीटें बदल लीं थीं और एक दूसरे के पति के साथ चुम्बन कर रहीं थीं। मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी, मैंने उत्तेजना में रवि का लंड पकड़ा तो वो बोले- जया से सीट बदल लो… लेकिन मैं तैयार नहीं हुई।
खैर होटल पहुँचे तो हमें रहने के लिये एक बड़ा सा हॉल दिया गया था। सब कुछ मस्त… लेकिन सोने के लिये खाली फोल्डिंग पड़े थे जिन पर चादर भी नहीं थी। देखकर कुछ अजीब सा लगा लेकिन हम घूमने निकल गये।
रात को लौट कर खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये। लाइट बंद कर दी गई थी और हम नींद के आगोश में खो गये।
थोड़ी देर बाद चर.. चर की आवाज से आंख खुली तो पता चला कि कुछ लोगों ने चुदाई शुरू कर दी थी। फोल्डिंग होने की वजह से आवाज बहुत तेज आ रही थी।
मैंने रवि को उठाया। आसपास हो रही चुदाई की आवाजें तेज हो गई थीं, एक अजीब सा नशा हम दोनों पर चढ़ गया था। देखते ही देखते हम भी नंगे हो गये और रवि ने मेरी चूचियों को पीना शुरू कर दिया।
अचानक बगल से आवाज आई- ..और तेज चोदो..
हमारी मस्ती का ठिकाना नहीं थी, मैं भी जोर से चिल्लाई- …रवि मेरी चूत में लंड डालो.. फिर क्या था, सभी बिस्तरों से चुदाई की आह..ऊह आवाज निकलने लगी।
इसी दौरान किसी ने लाईट जला दी। सब चौकें…लेकिन शरीर छुपाने को तो बिस्तर पर चादर भी नहीं थी। कोई चोद रहा था तो कोई चूत पीने में लगा था। जया तो अपने पति से गांड मरवा रही थी..
क्या मस्त नजारा था।
कुसुम और रीता अपने पतियों को बदले हुईं थीं। कुसुम की चूत से पानी बह रहा था, उसने हंसते हुए कहा- लाइट मैंने जलाई थीं। साथ ही बोली- चलो लाइट बंद करते हैं सब अपनी चुदाई का काम पूरा करो।
अगले दिन हम फिर घूमने निकले। शाम को लौट कर खाना खाया। पहली रात की मस्ती दिमाग से निकली नहीं थी।
इसी बीच कुसुम और रीता ने कहा- कल सब चुदाई करते रहे लेकिन कोई किसी को देख नहीं पाया। इसलिये आज रात सब बारी बारी से चुदाई करेंगे और बाकी लोग उन्हें देखेंगे।
इतना सुनते ही मेरी धड़कनें तेज हो गईं। रवि मेरे कान में फुसफुसाये- ..जया की चूत देखने को मिलेगी? मैंने कहा- चिंता मत करो, इस बार तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगी। मौका मिला तो तुम भी जया को चोद लेना।
इतनी देर में एक फोल्डिंग को बीच में डाल दिया गया और सब लोग उसके आसपास बैठ गये। शुरूआत कुसुम ने ही की। बिस्तर पर पहुंचते ही कुसुम और उसका पति 69 की स्थिति में आ गये। कुसुम ने अपने पति का पूरा लंड मुंह में भर लिया था। उसका पति भी कम नहीं था। फच..फच की आवाज से पूरा हॉल गूंजने लगा। रवि ने अचानक मुझे बाहों में भर लिया और किस करने लगे। रवि का लंड काफी गरम हो रहा था, मैंने किसी तरह अपने को छुड़ाया और कहा- अभी मैदान पर भी करतब दिखाने हैं। थोड़ी देर में कुसुम की चूत ने पानी छोड़ दिया, उसके पति का शरीर भी ढीला पड़ गया था।
रवि और मैंने ब्लू फिल्म बहुत देखीं हैं लेकिन सामने होती चुदाई देखने का यह पहला मौका था। एक एक करके जया का भी नंबर आया तो उसके पति ने जया की गांड ही मारी।
मेरी गांड अभी कुंवारी थी।
रवि बोले- हम भी जया की तरह कर सकते हैं। मैंने मना किया तो बोले- दूसरे लोगों से मदद मांग लेंगे।
जब हमारा नंबर आया तो रवि ने साफ कर दिया- मैंने कभी भी रेनू की गांड नहीं मारी है लेकिन आज जया को देखकर मैं भी रेनू की गांड मारना चाहता हूँ, रेनू थोड़ा घबरा रही है इसलिये आप लोग हमारी मदद करें।
यह सुनते ही कुसुम तुरंत आगे आई और बोली- मदद कर दूंगी लेकिन कीमत लूंगी। रवि ने तुरंत हां कह दी। कुसुम ने मुझे समझाया और कहा- सिर्फ सेक्स के बारे में सोचो। उसने मेरी गांड पर एक तेल लगाया और वही तेल रवि के लंड पर भी लगा दिया।
इसके बाद रवि ने मेरी गांड में जैसे ही लंड डाला मैं दर्द से चीखने लगी। यह देखकर कुसुम ने देव को बुलाया और मेरे नीचे लिटा दिया। इससे मेर चूत में देव का लंड आ गया, देव ने मुझे झटके देने शुरू किये और धीरे धीरे मुझे नशा चढ़ने लगा।
इसी बीच उसने रवि को इशारा किया और रवि ने मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया। चुदाई के नशे में मुझे पता नहीं चला कि कब रवि का लंड मेरी गांड में पूरा घुस गया। अब मेरा तो यह हाल था कि गांड ऊपर उठाऊं तो रवि का लंड घुसता था और चूत नीचे की तरफ ले जाती तो देव का लंड भीतर घुस जाता था। सैंडविच वाली इस चुदाई में मेरी मस्ती का ठिकाना नहीं था, तेज होतीं सांसें.. तेज होते झटके.. और तेज होती आवाजों के बीच मैं, रवि और देव तीनों ही झड़ गये।
एक एक करके सभी जोड़ों ने मस्त अंदाज में चुदाई की, इसके बाद सभी थक कर सो गये। अभी तीसरी रात बाकी थी।
तीसरे दिन सभी देर से सोकर उठे लेकिन नाश्ते की मेज पर साफ था कि लोगों को रात का इंतजार था।
रात में क्या होना था किसी को साफ नहीं था। आज दिन के समय घूमने में भी मन हीं लगा, सभी लोग जल्दी ही होटल लौट आये और शाम से ही रात का इंतजार करने लगे। रात में कुसुम ने बताया कि कल सभी ने एक दूसरे को देख लिया है इसलिये आज पार्टनर बदले जाएँगे और महिलाएँ ही तय करेंगी कि उसका पार्टनर कौन होगा। इसके बाद सब अपने अपने बिस्तर पर जाकर चुदाई करेंगे।
इतना सुनते ही मैं जया की तरफ भागी.. मुझे रवि से किया गया अपना कल का वादा याद था.. जया को एक कोने में ले गई और उससे कहा- तू रवि को चुन ले। उसने भी शर्त रखी कि वापस लौटने के बाद मैं उसके साथ चुदाई का खेल खेलने घर पर आऊँगी। मैंने भी हाँ कर दी। मैंने आज रात के लिये देव को चुना… कल रात की चुदाई मुझे याद थी।
वादे के मुताबिक जया ने रवि को चुना लेकिन एक मुश्किल यह थी कि कुसुम भी रवि को चुन रही थी तो मैंने रास्ता निकाला और उससे कहा- रवि से चुदाई का इंतजाम कर दूंगी। लेकिन प्लीज, आज जया को चुद जाने दे। कुसुम राजी गई।
मैंने रवि की तरफ हाथ हिलाया और उस इशारे को रवि भी पूरी तरह से समझ गये।
हम सब एक घेरे में बैठे थे, रवि और जया चूमाचाटी कर रहे थे। जया कह रही थी कि उसकी चूत पिछले छः महीने से नहीं मारी गई है जबकि रवि उसकी गांड मारना चाहते थे। देव भी मेरी गांड ही मारना चाहते थे।
कुसुम का कहना था कि उसे तीनों छेदों के लिये तीन लोग चाहिये।
हमारी पूरी रात इसी तरह चुदाई में निकल गई। रात को कब कौन सोया किसी को पता नहीं था। सुबह होटल के स्टॉफ ने हमें फोन करके जगाया और बस के तैयार होने की जानकारी दी।
सभी लोग जल्दी जल्दी तैयार हुए और बस में सवार होकर घर के लिये रवाना हो गये। अपने कमेन्ट्स जरूर लिखें ! [email protected]
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