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अन्तर्वासना के सभी पाठको का हार्दिक अभिनंदन! मैं अन्तर्वासना का बहुत समय से पढ़ रहा हूँ, अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ मुझे बहुत आकर्षित करती हैं इसलिए मैं भी अपनी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है। यह बात दो साल पहले की है जब मैं अपने घर से दूर कॉलेज में रहता था। दीपावली के छुट्टी के कारण मुझे अपने घर पर आना था तो मैंने पहले से ही अपने ट्रेन की टिकट बुक करा चुका था। वो दिन धीरे धीरे नजदीक आ रहा था।
अपने मामा से अक्सर मेरी बात होती रहती है तो उसी दिन सुबह मुझे पता चला कि उनकी बेटी भी जाने को कह रही है तो मैंने भी उनसे कहा- मेरी सीट कन्फर्म है, वो मेरे साथ चली आएगी। मेरी बहन (मामा की लड़की) का नाम नेहा है, वो भी मेरी ही उम्र की है।
मैंने उनसे एक वेटिंग टिकट लेने को कह दिया। वो मान गए और कहा कि शाम को स्टेशन पर मिलेंगे। मैंने हाँ कहा।
जब मैं स्टेशन पर शाम को पहुँचा तो देखा कि मामा-मामी और उनकी बेटी तीनों लोग मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। मैं उनसे मिला और बातें की क्योंकि अभी ट्रेन में टाइम था। हम दोनों ने ट्रेन में अपना सामान रखा, मेरी सीट ऊपर थी इसलिए हम दोनों को कोई दिक्कत नहीं हुई। शाम को जब ट्रेन चलने लगी तो मामा मामी जाने लगे, हमने उन्हें जाने को कहा और अपनी सीट पर आकर बैठ गए।
हम दोनों ने बातें करनी शुरु की। मैं थोड़ा फ्लर्टी टाइप का हूँ, वो समझ गई। फिर उसने अपने बैग में से खाना निकला और हम दोनों ने खाना खाया क्योंकि मामी ने मुझे खाना लाने को मना किया था। खाना खाने के बाद हम दोनों अपने अपने मोबाइल के साथ बिजी हो गए।
इसी तरह करते रात के 10 बज चुके थे, तब मैंने उसे सोने को कहा तो वो बोली- तुम कैसे सोओगे? मैंने कहा- यहीं पर हम दोनों सोते हैं, तुम अपना सर उधर करना और मैं इधर! वो मान गई।
मैंने उससे पूछा- कुछ ओढ़ने को लाई हो? तो उसने ना कहा। मैंने अपने बैग से एक बेडशीट निकाल कर उसे दी। उसने कहा- तुम क्या करोगे? मैंने कहा- इसी में काम चला लूंगा।
फिर हम सोने लगे। कुछ देर बाद मुझे किसी ने जगाने की कोशिश की तो मैंने देखा कि नेहा मुझे बुला रही है। मैं- क्या हुआ? तो उसने टी टी के तरफ इशारा किया।
मैंने टिकट निकाला और उसे दिखाया और वो वहाँ से चला गया और हम भी सोने लगे, मैंने भी उस बेडशीट को ओढ़ लिया।
एक बजे के आस-पास मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी, मैंने ध्यान से देखा तो चादर के नीचे कुछ ऊपर नीचे हो रहा है। मैंने अपना हाथ डाला तो मैं आश्चर्य-चकित रह गया, नेहा ने अपने हाथ को अपनी सलवार के अंदर डाल रखा था और उसको हिला रही थी। मैंने सोने का नाटक किया पर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया।
वो उठ कर बैठ गई और मैं भी उठ गया। उसने मुझसे कहा- क्या कर रहे थे तुम? मैं- क्या कर रहा था? सो रहा था! वो- तुमने कुछ किया! मैं- नहीं तो?
वो शरमा गई और कुछ नहीं बोली। और हम फिर सोने लगे। कुछ देर बाद मेरे लण्ड पर कुछ स्पर्श हुआ तो मैं जगा और उससे पूछा तो वो कुछ नहीं बोली। फिर मैं उससे बात करता रहा क्योंकि अब नींद नहीं आ रही थी। हम दोनों ने बहुत सारी बातें की, बातों बातों में उसका पैर मेरे पैर को रगड़ रहा था और उसके मुख से कुछ आवाजें आ रही थी।
बातों बातों में हम बॉय फ़्रेन्ड गर्ल फ़्रेन्ड तक चले गए। उसने उस बात में बहुत इंटरेस्ट लिया फिर वो टॉयलेट चली गई, वापस आई तो कुछ बदली बदली लग रही थी।
हम दोनों की बातें सेक्स तक पहुँच गई तो उसने मुझे अपने पास बुलाया और कुछ दिखाने लगी अपने मोबाइल पर… मैं भी उससे एकदम सट कर बैठ कर देख रहा था, तभी मेरा हाथ उसके बूब्स पर पड़ गया पर वो कुछ नहीं बोली।
वो अपने फोटो दिखने लगी, क्या मस्त फ़ोटो थे… मेरा तो खड़ा होने लगा, उसे पता चल गया। उसने कहा- यहाँ कुछ है क्या? और बेडशीट के अंदर से ही उसे पकड़ लिया, कहने लगी- यह सब मेरे फ़ोटो देख कर ही हुआ है ना? और उसे दबाने लगी।
मैंने उसे छोड़ने को कहा तो वो नहीं मानी, उसने मेरे लिप्स पर किस किया और मुझे दूसरे हाथ से पकड़ लिया। अँधेरे के कारण हमें कोई देख नही सकता था, मैंने इधर उधर देखा तो सब सो रहे थे।
वो मेरे ऊपर लेट गई और मुझे चूमने लगी और एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़े हुए थी। मैंने भी अपना भोलापन छोड़ कर उसके दोनों बूब्स को पकड़ लिया और दबाने लगा कमीज के ऊपर से ही। उसके बूब्स का साइज़ 32 रहा होगा।
मैंने उससे पूछा- तुम्हें ये सब किसने सिखाया? तो उसने बताया- कॉलेज के दोस्तों ने और कुछ ब्लू फ़िल्म देखने से सीख गई।
मैंने उसे फिर से किस किया और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत के पास ले गया, वो पूरी गीली हो रही थी।
मैंने पूछा- यह क्या हुआ? तो उसने कहा- तुम्हारे लण्ड के लिए ऐसा हुआ है। मैं दंग रह गया यह सुनकर। मैंने उससे कहा- चलो बाथरूम में चलते हैं। तो वो पहले तो मना करने लगी, फिर मान गई और हम दोनों चले गए, पहले वो गई, फिर कुछ देर बाद मैं भी चल गया।
मैंने जाते ही उसे पकड़ लिया और उसे अपनी गोदी में उठा लिया। वहाँ भी हमने चूमाचाटी की और मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया जिससे वो नीचे गिर गई और दूसरे हाथ से उसकी चूची को दबाता रहा, उसका भी हाथ मेरे लण्ड को हिला रहा था।
हम दोनों अलग हुए और उसने मेरे पैंट के बटन को खोल दिया और मेरे चड्डी को नीचे किया और मेरा खड़ा लण्ड उसके सामने आ गया, वो उसे देखते रही।
पहले तो उसने उसे छुआ नहीं, फिर मेरे कहने पर उसने उसको पकड़ा और हिलाने लगी। मैं भी उसकी चूची को सूट के ऊपर से ही दबा रहा था। मैंने उसको खड़ा किया और उसकी पैंटी को नीचे किया टो उसकी चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी। मैंने बिना समय गंवाए उसकी चूत पर अपना मुख रख दिया और चूसने लगा, उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आने लगी।
फिर मैं थक कर उठ गया और उसे किस किया, फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किये और बाहर आ गए अपनी सीट पर।
इस बार दोनों एक ही तरफ सर रख कर सोने लगे तो उसने मुझसे बहुत बातें की और मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए बोली तो मैंने उसे बोल दिया- दीपावली के बाद मैं कुछ अच्छा प्लान बनाऊँगा जिससे मैं तुम्हें आराम से चोद सकूँ। वो मान गई और मेरे लन्ड को अपने हाथ से ही पकड़े रही और मैं भी अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल कर सो गया।
सुबह जब मैं उठा तो देखा कि वो जग चुकी है और मेरे बगल में ही बैठी हुई है। वो मुझे देख कर हँसी और मैं भी… उसने चाय मंगाई हम दोनों के लिए! अभी भी हमें अपने घर पहुँचने में दो घण्टे बाकी थे। हम दोनों आपस में बातें करते रहे, फिर घर आ गया और हम अपने घर आ गये।
तो दोस्तो, कैसी लगी यह रेलगाड़ी में हमारी अधूरी चुदाई? बताइयेगा जरूर। इस कहानी के अगले भाग में ‘कैसे मैंने उसे चोदा’ जल्द ही आपके सामने प्रस्तुत होगा। धन्यवाद। [email protected]
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