This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
दोस्तो, इससे पहले की मेरी कहानी ‘नौकरानी को उसके यार से चुदवाने में मदद‘ में मैंने रेखा को एक रूसी (रशियन) के यहाँ काम पर लगाने का जिक्र किया था। यह कहानी करीब 25 साल पहले की घटनाओं पर आधारित है, इस कहानी में मैं रेखा के बताये अनुसार उसके और रूसी के बीच अंतरंग सम्बन्ध कैसे बने और दोनों के बीच क्या क्या हुआ, विस्तार से बताऊँगा। कहानी में सुविधा के लिये हम उस रूसी पुरुष का नाम मिखाईल रख लेते हैं।
बतरा के जाने के 3-4 दिन बाद रेखा ने मिखाईल के यहाँ काम करना शुरू किया, उसके यहाँ काम करने के बाद वह मेरे यहाँ आती थी और ‘वहाँ क्या हुआ’ मुझे बताती थी।
पहले दिन और आगे क्या हुआ वो दिलचस्प कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ:
मिखाईल के यहाँ पहले दिन जाकर रेखा दूसरे दिन जब रेखा मेरे घर आई तो उसके चेहरे पर विस्मय भरी मुस्कान मुझे साफ दिख रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ? उसने मुझे पूरी बात बताई, वह बोली- आज मैं आपके रूसी दोस्त मिखाईल के यहाँ गई थी। दरवाजे की बेल बजा कर मैं इंतजार कर रही थी कि अन्दर से एक नौजवान ने दरवाजा खोला, वह शॉर्ट्स और बनियान पहना था, मुझे देखते से ही बोला ‘रेखा? नमस्ते!’ मैंने भी नमस्ते कहा। उसने मुझे कहा- कम इन ! और सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए कहा- प्लीज सिट-डाउन!
मैं बैठने में हिचक रही थी तो उसने फिर कहा- सिट-सिट! फिर उसने फोन उठाकर किसी से बात की और बैठ गया।
थोड़ी देर में एक गोरी लड़की अन्दर आई, उसने मिखाईल को रशियन में कुछ कहा और मुझे नमस्ते बोली। वह मेरे पास सोफे में बैठ गई और मुझे हिंदी में बोली कि मिखाईल को कुछ शब्द छोड़ कर हिंदी और अंग्रेजी नहीं आती। मिखाईल क्या चाहता है, मैं तुम्हें हिंदी में बताऊँगी। मैंने सिर हिला दिया।
अब मिखाईल ने लड़की से कुछ कहा, फिर लड़की ने मुझे बताया कि मुझे रोज सुबह सात बजे आना है, पूरे घर की साफ़सफ़ाई करनी है और चाय नाश्ता बनाना है। साहब नाश्ता करके आठ बजे प्लांट चले जाएँ तो मैं जा सकती हूँ। इसके अलावा इतवार को 11 बजे आना है और रोज किचन का सारा काम और घर की डस्टिंग करनी है। इन कामों के 2500 रुपये मिलेंगे। नाश्ते में ब्रेड, बटर, आमलेट और चाय बनाना है। उन्होंने पूछा- क्या तुम्हें आमलेट बनाना आता है? मैंने कहा- हाँ! उसने कहा- मिखाईल साहब तुमको नाश्ता बनाना बता देंगे।
फिर लड़की ने पूछा- क्या तुम्हें मंजूर है या कोई सवाल? मैंने कहा- मुझे मंजूर है। उसने कहा- तुम आज से काम पर लग जाओ, मैं अब जाती हूँ। इतना कह कर वह चली गई.
मिखाईल मुझे किचन में ले गया, उसने चाय बनाने रख दी और मुझे अंडे देकर आमलेट बनाने के लिए बोला। मैंने आमलेट बना कर टोस्ट पर मक्खन और जैम लगाकर नाश्ता टेबल पर रख दिया। और झाड़ू-पोछा भी कर दिया, तब तक मिखाईल नहा कर तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर आ गया। उसने दो कप में बिना दूध की चाय डाली और एक कप मेरी ओर खिसका कर बोला- यू टेक! मेरे न कहने पर बोला- मिल्क और शुगर ले लो, आई नो मिल्क!
नाश्ते के बाद मैंने बर्तन धो दिए और जब जाने के लिए निकली तो उसने ‘थैंक यू…’ और ‘बाय’ कहा, मैं भी बाय कह कर निकल आई। रेखा ने बताया कि उसके पूरे घर में एयर कंडिशनर लगे हैं, सब दरवाजे और खिड़कियाँ हमेशा बंद रहते हैं, ठन्डे घर में बहुत अच्छा लगता है, सेंट की खुशबू भी आती रहती है। उसने बताया मिखाईल उसे ढाई हजार रुपये महीना और नाश्ता देगा। यह तो यहाँ पांच-छह घर में काम करने के बराबर है। और वह अचरज से बोली- वो लोग काम वाली की इतनी इज्ज़त करते हैं।
मैंने कहा- उनके देश में काम और काम करने वालों की बहुत इज्जत की जाती है। वे घर में काम करने वालों को अपने घर का सदस्य समझते हैं और उनके साथ कोई भेद-भाव नहीं करते, हर बात पर थैंक यू कहते हैं। रेखा ने मुझे धन्यवाद दिया और कहा आपने मुझे बहुत अच्छा घर दिला दिया।
8-10 दिन मिखाईल के यहाँ काम करने के बाद रेखा मुझे बताया कि अब वह और मिखाईल दोनों अपनी टूटी फूटी हिंदी और अंगरेजी में बात कर लेते हैं। अगर रुसी को कभी कुछ कहना हो तो वह एक छोटी सी किताब में देखकर हिंदी में अपनी बात कह लेता है।
वह करीब 6 फुट ऊँचा है, उसका पूरा शरीर गोरा टमाटर जैसा लाल और गठीला है, उसके बाल बादामी हैं। उसको देखते ही मैं मदहोश सी हो जाती हूँ, सोचती हूँ ‘काश वो मुझसे लिपट जाये और प्यार करे!’ इस डर के मारे कि वह मुझसे नाराज होकर निकाल न दे, मैं उससे दूर रहती हूँ।
नाश्ते में वह उबला आलू, अंडा, आमलेट, ब्रेड आदि दूध, चाय, फलों के जूस के साथ लेता है। उसकी खाने की मेज पर फल रखे रहते हैं, जब भी वह फल खाता है, मुझे देना नहीं भूलता! मैं बहुत खुश हूँ।
इस तरह करीब एक महीने बाद दिन रेखा बहुत शरमाई सी और खुश नज़र आ रही थी। उसने आते से मुझसे कहा- आपसे बहुत जरूरी बात करनी है। मैंने कहा- क्या? रेखा बोली- आज मिखाईल ने मेरे से पूछा क्या मैं और तुम सेक्स करेंगे? उसने कहा कि यदि तुम्हारी मर्जी हो तो कल इतवार है तुम जल्दी 9 बजे आ जाना, अगर तुम 9 बजे आई तो मैं हाँ समझूँगा और अगर इतवार के समय यानि 11 बजे आओगी तो मैं ना समझूँगा, तुम पर कोई जबरदस्ती नहीं!
रेखा मुझसे बोली- आपसे पूछे बगैर मैं हाँ नहीं कहूँगी। उसने मुझसे यह भी कहा कि मिखाईल ने आज तक मुझे न तो बुरी नजर से देखा और न ही मुझे छुआ, फिर उसने आज ऐसे क्यों पूछा?
मैंने रेखा को समझाया- देख, वह एक विदेशी है. इसमें कोई शक नहीं कि वह एक भला मानुष है। मगर उसे मालूम है कि किसी पराई स्त्री को छूना या उसे बुरी नजर से देखना एक अपराध है और स्त्री की मर्जी के खिलाफ उससे सेक्स करना शोषण होता है। अगर वह ऐसा कुछ करता है तो उस स्त्री के द्वारा शिकायत करने पर उसे यहाँ और उसके देश में भी सजा हो सकती है। जहाँ तक उसके साथ चुदाई का सवाल है, तेरी मर्जी!
तब रेखा बोली- मैं तो मन ही मन में उससे चुदाई के लिए आतुर हूँ! मैंने कहा- तो फिर कल 9 बजे बेहिचक जा, अगर वो तुझसे फिर पूछे तो साफ-साफ हाँ कह देना! रेखा मुझे ‘थैंक यू’ बोल कर चली गई।
आगे का हाल रेखा के अपने शब्दों में :
शनिवार को मैं आपसे बात करके घर गई तो मैं रविवार को क्या और कैसे होगा, इसके प्रति बहुत उत्साहित और उत्तेजित थी, मेरे मन में मिखाईल के लंड के प्रति एक अजीब सी कसक थी, मैंने कभी इतने गोरे आदमी का लंड नहीं देखा था, मुझे रात भर ठीक से नींद नहीं आई। सुबह 9 बजे जब मैं मिखाईल के घर जा रही थी तब उतावलेपन से मेरे शरीर में अजब सी सुकबुकाहट हो रही थी, मुझे पसीना आ रहा था, हाथ पैर ठन्डे हो रहे थे।
उसके घर पहुँचने के बाद मैं बेल बजाकर दरवाजे पर बेचैनी के साथ खड़ी थी, जब मिखाईल ने दरवाजा खोलकर मुझे देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह जोर से बोल उठा ‘रेखा!’ उसने मुझे अन्दर लेकर दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी बाँहों में उठाकर चूमना चालू किया। वह बार बार ‘थैंक यू… थैंक यू…’ कहता रहा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ!
वह मुझे उठा कर बेडरूम में ले गया और कुर्सी पर बैठा दिया, वह बोला- तुम बहुत अच्छी हो! फिर उसने बाथरूम की तरफ इशारा करके कहा- अब तुम नहा कर फ्रेश हो जाओ, बाथरुम में मैंने टावेल रख दिया है उसे ओढ़ कर तुम बाहर आ जाना! तब तक मैं नाश्ता बनाता हूँ। उसने तो मेरे मन की बात कह दी, मैं पसीने में तर थी और नहाना चाहती थी।
मिखाईल किचन में चला गया और मैंने अपने सब कपड़े उतार कर बाथरूम के बाहर बेडरूम में रख दिए और नंगी बाथरूम में दाखिल हो गई। नहाने के बाद मैंने तौलिया अपने बदन पर लपेट लिया, तौलिया बहुत बड़ा था, मैं ऊपर से नीचे तक ढक गई। साबुन और शम्पू की सुगंध से मेरा शरीर महक रहा था, मेरे बाल खुले थे।
जैसे ही मैं बाहर बेडरूम में दाखिल हुई, सामने कुर्सी पर मिखाईल बैठा था, उसने मुझे दूसरी कुर्सी पर बैठने को कहा। हम दोनों आमने सामने बैठे थे, बीच में एक छोटी सी गोल मेज थी जिस पर मिखाईल ने ब्रेड, बटर और दो गिलास में गरम दूध में चाकलेट डाल कर रखा था।
मुझे खुले बालों और तौलिये में लिपटे हुए देख कर मिखाईल से नहीं रहा गया और उसने अलग अलग पोज में मेरी फोटो खींची। इसके बाद हम दोनों ने नाश्ता किया।
अब मैं देख रही थी कि मिखाईल के लंड का उभार उसकी शॉर्ट्स से दिखने लगा था, मैं उसका लंड देखने के लिए उतावली हो रही थी। वह उठकर मेरी कुर्सी के पीछे खड़ा हो गया और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स तौलिये के बाहर करके उन्हें मसलना चालू किया। मेरे मुख से ‘आह!’ निकल गई। वह मेरे सिर कान, गर्दन, गले और ओंठों को चूमता रहा, बीच बीच में वह मेरे दोनों मम्मों को चूसता… मेरे पूरे शरीर में सनसनी फ़ैल रही थी।
करीब दस मिनट यह चलता रहा, फिर वह सामने आया और उसने मेरा पूरा टावेल निकाल कर दूसरी कुर्सी पर रख दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी थी, मिखाईल मेरे सामने खड़ा था, मैंने भी जोश में आकर उसकी शार्ट निकाल डाली।
उसका लंड फुफकारता हुआ बाहर निकला और मुझे सलामी देने लगा, उसके झांट के बाल भी बादामी थे। मिखाईल का लंड देख कर मेरे मुहं से ‘उई मा…’ निकल गया, उसका लंड एकदम गाजर जैसा लाल, मूली जैसा मोटा और बहुत लम्बा था। मुझे यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उसका टमाटर जैसा टोपा हमेशा खुला ही रहता है। कौतुहल वश मैंने रुसी का लंड मुठ्ठी में पकड़ कर हिलाना चालू किया। लंड स्प्रिंग जैसा लपलपा रहा था।
जब मैंने मेरे दोनों हाथों से लंड पकड़ा तो आधा लंड ही मेरे हाथ में था बाकी बाहर निकला था। मैंने दोनों हाथों से लंड को खूब मसला, उसकी मुठ मारी। फिर मैं उसके दोनों अंड हाथ से मसलने लगी, एक एक करके मैं कभी अंड को दबाकर ऊपर अंडकोष से बाहर धकेलती और फिर ऊपर से दबा कर वापस अंडकोष में ले आती, तो कभी उन्हें चूसती।
इस बीच मैं लंड और अण्डों को सब तरफ से कौतुहल से देखती रही, मुझे तो स्वर्ग के आनंद जैसे लग रहा था और लंड को छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा था। उधर मिखाईल मेरे बूब्स को चूसे जा रहा था।
अब मैंने उसका लंड मेरे मुँह में डाल कर चूसना चालू किया। उसके लंड में से पानी जैसा मगर चिकना और नमकीन पदार्थ निकल रहा था, उसे मैं चाटती जा रही थी। मिखाईल ‘अच्छा बहुत अच्छा बहुत.. अच्छा…’ बोले जा रहा था।
करीब बीस मिनट बाद मिखाईल ने मुझे उठा के पलंग पर लिटा दिया, मेरे दोनों पैर फैला कर उसने मेरी चूत को चाटना चालू किया। मैंने उसका सर अपनी चूत की ओर खींचा और अपने नितंब उठा दिए जिससे उसकी जीभ मेरी चूत में अन्दर घुस सके। जब वह चूत को जीभ से चाट रहा था, मेरे दाने पर मैं उसकी गरम सांसें महसूस कर रही थी, मेरी चूत से भी वही नमकीन पानी निकल रहा था, मिखाईल उसे चाट रहा था।
वह बीच बीच में मेरी चूत के दोनों ओठों को अपने दोनों हाथों से खोल कर ध्यान से देखता और ‘अच्छी.. अच्छी…’ कहता। मिखाईल मेरी चूत और दाने को तब तक चूसता रहा जब तक मैं सिसकारियाँ भर कर झड़ नहीं गई।
अब उसने लंड को चूत के अन्दर डालना चालू किया, करीब आधा लंड अन्दर जाने पर उसने लंड को आगे पीछे धकेलना चालू किया।चूँकि मेरी चूत और उसके लंड से नमकीन पानी रिस रहा था, जब उसने जोर लगा कर पूरा लंड अन्दर किया मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई, थोड़ी सरसराहट की अनुभूति हुई, सिर्फ जब कभी झटके से लंड का टोपा मेरे अन्दर बच्चेदानी के द्वार के ऊपर लगता था तो मुझे थोडी सी चुभन महसूस होती थी, क्योंकि उसका लंड बहुत बड़ा था।
मगर अब मैं चित लेट गई और उसने मेरे ऊपर औंधे लेट कर पूरे लंड को चूत में डाल कर बिना ज्यादा हरकत के अन्दर रख छोड़ा। उसका लंड चूत की गहराइयों में समा जाने से मुझे बहुत उत्तेजना महसूस होने लगी, मैं सोच रही थी काश मर्द और औरत के चाहने पर इंसानों का लंड भी कुत्तों की तरह चूत में लॉक हो सकता तो और मजा आता।
करीब 20 मिनट लंड को चूत में बिना ज्यादा हरकत रखने के बाद मिखाईल ने लंड को पिस्टन जैसा चलाना शुरू किया। जैसे जैसे उसने स्पीड बढ़ाई, मैं भी उसके धक्कों को अपने चूतड़ उठा कर साथ देने लगी। मेरी चूत की पकड़ उसके मोटे लंड पर बतरा के लंड से भी अच्छी थी।
वो जब लंड को बाहर की ओर खींचता, मैं और जोर अपने चूत को संकुचित कर उसके लंड पर पकड़ बनाये रखती। मोटाई की वजह से जब वो चूत में लंड धकेलता, अन्दर की सारी हवा निकल जाती, अन्दर हवा नहीं होने से जब मिखाईल लंड को बाहर की तरफ़ खींचकर अन्दर धकेलता तो चूत उसे जोर से खींच लेती। वैसे ही जैसे अगर आप छोटे गिलास को मुँह पर रख कर हवा खींचे तो गिलास मुँह से चिपक जाता है और ओठों को खींचता है।
इस तरह हम दोनों 15-20 मिनट चुदाई करते रहे और झड़ गए। जब तक उसका लंड सिकुड़ नहीं गया तब तक मिखाईल ने लंड चूत के अन्दर ही रखा और मेरे ओंठों को चूमता रहा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000