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लड़का- नहीं भाई साहब, मुझे इनके हवाले मत करो. आप ही चाहे दो के बजाय चार मार लो! उसकी बात सुनकर मेरी हंसी छूट गई और ज़ारा भी खिलखिला पड़ी! मैंने हंसते-हंसते ही खींच के दो डंडे मारे उस लड़के के पिछवाड़े पर! लड़का बिलबिला गया. फिर उसे खड़ा कर उसके कपड़े दिये और भगा दिया.
ये सब देखकर ज़ारा जोर-जोर से हंसती हुयी बिस्तर पर बैठ गयी!
मैं उसके पास बैठा तो उसने मुझे एक नजर देख कर मुंह फेर लिया! मैं- अभी भी नाराज हो मुझसे? ज़ारा- हूं! मैं- सॉरी यार! ज़ारा- आपने मुझ पर शक किया! मैं- इसकी वजह तो जान लो! ज़ारा- बताओ? मैं- दो वजहें हैं!
ज़ारा- पहली? मैं- तुम्हारी सेक्स के लिए भूख देखकर! ज़ारा- ये तो नेचुरल है! कभी-कभी हो जाता है!
मैं- और दूसरी! तुमने लंड चूसना कहां से सीखा? ज़ारा- हैदराबाद में मेरी एक सहेली ने मुझे पॉर्न फिल्म दिखायी थी उससे! मैं- सॉरी यार! बहुत बड़ी गलती हो गयी! मुझे पहले तुमसे बात करनी चाहिये थी! ज़ारा- तो?
मैं- मुझे माफ कर दो! ज़ारा- कर दिया! मैं- मान जाओ! ज़ारा- मान गयी!
और मेरी तरफ मुंह करके मेरे होंठों पर चूम लिया! मैं एकदम से खड़ा हो गया- तुम्हारी भी हद है यार ज़ारा! तुम इतनी जल्दी कैसे मान जाती हो? ज़ारा- क्योंकि मैं आपसे कभी रूठती ही नहीं!
मैं- ज़ारा! ज़ारा! तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता! ज़ारा- लेकिन मेरा दिल टूटा हुआ है! मैं- अब वो कैसे जुड़ेगा ये भी तुम ही बता दो! क्योंकि तुम्हारे दिमाग को समझना मेरे लिये मुश्किल हो गया है! इतनी कॉम्प्लिकेटिड हो के आयी हो हैदराबाद से!
ज़ारा हंसने लगी और बोली- बता दूंगी तो जोड़ दोगे ना? मैं- हां बताओ कैसे? ज़ारा- ग्लू से! मैं- यार हद हो गयी! ग्लू से टूटा दिल जुड़ेगा? ज़ारा- अरे जुड़ता है! मैं- और कहां मिलेगा वो ग्लू? ज़ारा- यहां! और मेरे लंड पर हाथ फिराने लगी!
मैं- तुम्हारे दिमाग में चुदाई के अलावा कुछ नहीं आता? ज़ारा- पता नहीं जान क्या हो गया है? आपको देखते ही गीली होने लगती हूं! मैं- लेकिन मुझे खाना खाना है! ज़ारा- आपने अभी तक खाना नहीं खाया? मैं- सुबह तुमने ही खिलाया था!
ज़ारा- लंच भी नहीं किया? मैं- नहीं! ज़ारा- क्यों? मैं- तुम्हारे हाथ से खाने की आदत जो है! ज़ारा- मतलब आप दोपहर से ही भूखे बैठे हो? मैं- हां!
ज़ारा- याल्ला … कितनी बड़ी गलती हो गयी! मैं- कैसी गलती? ज़ारा- जान! आप सारा दिन भूखे बैठे रहे और मैं ठूंस-ठूंस कर खाती रही! इससे भी बड़ी गलती हो सकती है कोई? मैं- तुमने कोई गलती नहीं की! मुझे सबक सिखाना जरूरी था!
ज़ारा- लेकिन जान आप भूखे … मैं- अब सब छोड़ो और खाना गर्म करके लाओ मुझे भूख लगी है वो किचन में गयी तो मैं भी उसके पीछे-पीछे चल दिया और उसे पीछे से पकड़ लिया! मैं- सुनो! एक काम करें? ज़ारा- क्या? मैं- यहीं पर जिंदगी ठहरी थी यहीं से शुरू करते हैं! ज़ारा- कैसे? मैं- किचन सेक्स!
ज़ारा- नहीं, पहले मैं आपको खाना खिलाऊंगी! मैं- पहले मैं तुम्हें अपना जूस पिलाऊंगा! ज़ारा- मुझे कोई जूस नहीं पीना! आपको खाना खिलाना है! यह कहकर उसने गैस बंद किया और खाना डालने लगी तो मैं उससे अलग हो गया!
मैं- ज़ारा मुझे, तुम्हें अभी चोदना है! ज़ारा- नहीं पहले खाना! वो खाना लेकर कमरे में आयी और अपने हाथ से मुझे खिलाने लगी!
खिलाते-खिलाते अचानक उसकी हंसी छूट गई! मैं- क्या हुआ? ज़ारा- उस लड़के वाली बात याद आ गयी!
मैं भी उसके साथ हंसने लगा! हंस तो रहा था लेकिन अंदर ही अंदर रो रहा था अपनी किस्मत पर! वाह ऊपर वाले … तेरे भी खेल न्यारे हैं! क्या गजब का खेल खेला है तूने हम दोनों के साथ! साथ में हैं लेकिन एक साथ नहीं हो सकते! मिले हैं लेकिन मिल नहीं सकते! एक दूसरे से प्यार करते हैं, जताते हैं! लेकिन किसी को बता नहीं सकते!
और सबसे बड़ी बात! ये कैसी बेमेल जोड़ी बनायी है तूने? कहां ज़ारा जिसके हुस्न को देखकर परियां भी शरमा जायें और कहां मैं! तेरी कारीगरी तू ही जाने!
खाना खा लिया! इस सब में रात का एक बज गया था! ज़ारा- चलो अब सोते हैं! मैं- लेकिन चुदाई? ज़ारा- आपको सुबह ऑफिस जाना है! मैं- लेकिन मैंने तो छुट्टी ले ली! ज़ारा- कब? मैं- सुबह जब तुमने बोला था!
यह सुनकर वो चहक उठी और मुझसे लिपट गयी और मेरे कपड़े उतारने लगी.
तो मैं भी उसके कपड़े उतारने लगा कुछ ही पलों में हम दोनों ने एक दूसरे को नंगा कर लिया! अब वो मुझे किस करने लगी और किस करते-करते हम दोनों बिस्तर पर गिर गये!
मैंने उसकी चूचियां चूसनी शुरू कीं तो ज़ारा तड़प उठी और नीचे हाथ ले जा कर मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी.
उसका इरादा भांपकर मैंने उसे ऊपर किया तो वो तुरंत 69 के पोजीशन में आ गयी और लंड चूसने लगी. मैं भी उसकी गुलाबी चूत को चाटने-चूसने लगा.
कुछ ही देर चूसा था कि ज़ारा ‘आह जान … मैं आ रही … हूं …’ इतना कहते-कहते वो झड़ गयी और मेरे पूरे चेहरे पर उसका पानी फैल गया. वो उठी और मेरे चेहरे से अपना पानी साफ किया.
मैं- अरे तुम इतनी जल्दी कैसे झड़ गयीं? ज़ारा- जान मैं काफी देर से गीली जो थी! मैं- अब इसका क्या करूं? ज़ारा- जान चूत ही तो झड़ी है गांड बाकी है मेरी!
मैं- लेकिन गांड में तुम्हें दर्द होगा! ज़ारा- देखिये जनाब, आज से ये घर मेरी सल्तनत है और यहां जो मैं कहूंगी वही होगा! हुकुम की तामील हो! कहकर हंस पड़ी और मेरा लंड चूसने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- सुनो, घोड़ी बन जाओ! ज़ारा- मल्लिका कौन है? मैं- तुम! ज़ारा- तो चोदेगा कौन? मैं- तुम! ज़ारा- तो आप लेटे रहो मैं ऊपर आती हूं! मैं- जैसी आपकी मर्जी मल्लिका-ए-मकान!
उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड पर टिका लिया.
मैं- अरे ऐसे ही रहोगी या डालोगी भी? ज़ारा- डर लग रहा है! मैं- मल्लिका होकर डरती हो?
ज़ारा- इस गांड पर सिर्फ आपके लंड की चलेगी! किसी मल्लिका की नहीं! ये सुनकर मेरी हंसी छूट गयी!
मैं- अरे कुछ नहीं होगा डालो अंदर धीरे-धीरे! ज़ारा- हां कोशिश करती हूं! मिमियाते हुये बोली और धीरे-धीरे लंड पर बैठती चली गयी! पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया!
जब उसके कूल्हे मेरी जांघों पर पूरी तरह से टिक गये तो उसने पीछे हाथ करके लंड को टटोला लेकिन वो तो पूरा उसकी गांड में घुसा हुआ था! ज़ारा- पूरा अंदर चला गया? मैं- हां पूरा का पूरा! ज़ारा- और मुझे दर्द भी नहीं हुआ! मैं- क्योंकि तुम्हारी गांड अब खुल गयी है! ज़ारा- मतलब अब कभी मुझे दर्द नहीं होगा? मैं- नहीं!
ज़ारा- वाओ! अब से रोज गांड चुदवाउंगी! बहुत ज्यादा खुश हो गयी वो और लगी लंड पर उछल-कूद करने!
मैं उसकी चुचियों को दबाने और चूसने लगा! अब मैंने उसे पीछे की तरफ घूमने को कहा तो वो बिना लंड निकाले पीछे की तरफ घूम गयी और अपने हाथ बिस्तर पर टिका लिये! इस तरह बिना लंड निकाले घोड़ी बन गयी!
अब मैंने शुरू की ताबड़तोड़ चुदायी. ज़ारा हर झटके पर आह भरने लगी. ज़ारा- आह … जान … आह आह! मैं- अपना चेहरा इधर करो मैं आ रहा हूं!
उसने अपना चेहरा मेरी और किया तो मैं उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर किस करने लगा और धक्के तेज कर दिये. कुछ ही पलों में मैं उसकी गांड में झड़ गया.
वो लेट गयी और मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया. कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे. लंड खुद-ब-खुद मुर्झाकर बाहर आ गया!
ज़ारा- जान उठो! मैं- ना ऐसे ही लेटी रहो! ज़ारा- लेकिन मुझे उठना पड़ेगा! मैं- क्यों? ज़ारा- मेरी गांड में गुदगुदी हो रही है मुझे इसे धोना है!
अब मैं उसके ऊपर से उठकर साइड में लेट गया. उसने नैपकिन उठाकर अपनी गांड साफ की फिर मेरा लंड भी साफ किया और बाथरूम में जाकर अपनी गांड धोकर मेरे पास आ लेटी! हमने एक-दूसरे को आगोश में भर लिया और ऐसे ही सो गये.
सुबह उठा तो देखा दस बज गये थे! ज़ारा अभी भी सोयी हुयी थी तो मैं उसे उठाने लगा- ज़ारा … उठो! ज़ारा- मुझे नींद आ रही है! मैं- उठो! दस बज गये हैं! ज़ारा- जान मुझे सोना है! मैं- उठो! मुझे चाय पीनी है! ज़ारा- आप मेरा दूध पी लो! मैं- तुम्हारी चूचियों में दूध नहीं है! उठो अब!
वो उठी और बिस्तर से उतरकर अंगड़ाई ली. ऐसी मद भरी अंगड़ाई जो मुर्दे को भी उठा दे! मेरा लंड खड़ा हो गया! उसे देखकर वो मुस्कुराने लगी!
मैं- क्या हुआ? ज़ारा- साहब सलामी दे रहे हैं! मैं- इसे तो सलामी देनी ही पड़ेगी! तुम इस घर की मल्लिका जो ठहरीं!
ज़ारा- तो इन दो प्यार करने वालों को मिला देते हैं! अपनी चूत पर उंगली रख कर बोली और बिस्तर पर चढ़ने लगी. तो मैंने उसे रोका- नहीं … पहले चाय! ज़ारा- क्या जान? चलो चूस लेती हूं! मैं- नहीं! ज़ारा- चुम्मी तो पक्का लूंगी!
इतना कहकर उसने मेरे लंड को चूमा और मटकती हुई भाग गयी किचन में!
तभी अचानक मेरा ध्यान उसके पैर में बंधे काले धागे पर पड़ा! थोड़ी देर में वो चाय लेकर आयी लेकिन कपों में नहीं एक बड़े कॉफी मग में! मैं- इसमें क्यों लायी हो? ज़ारा- एक में ही पियेंगे!
और मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरी गोद में बैठ गई उसकी चूचियां मेरी छाती को और मेरा लंड उसकी चूत को छू रहा था! उसने एक घूंट मुझे पिलाया और एक खुद पीया.
इस तरह चार-पांच घूंट पीने के बाद मग मुझे पकड़ाते हुये बोली- जरा इसे पकड़ना! मैं- क्या हुआ? ज़ारा- ये चुभ रहा है!
मैंने मग लिया और उसने थोड़ा सा उचक कर लंड को अपनी चूत में घुसा लिया! ज़ारा- हां अब ठीक है! मुझसे मग ले लिया और हम फिर चाय पीने लगे!
मैं- मतलब तुम्हें चुदने के सब पैंतरे पता हैं! ज़ारा- दिमाग लगाना पड़ता है! आप ऐसे ही नहीं चोद देते! मैं- सही जा रही हो!
ज़ारा- आप ऐसे खाली क्यों बैठे हो? ज़ारा- तो मैं क्या करूं? लंड तो तुमने खुद ही डाल लिया! ज़ारा- क्यों मेरी चूचियां नहीं हैं क्या? और मेरे हाथ पकड़कर चूचियों पर रख लिये.
मैं उसकी चूचियां सहलाने लगा तो उसने भी मेरे निप्पलस को सहलाना शुरु कर दिया! अब हुआ मुझ पर चुदाई का भूत सवार … उसके हाथ से मग लेकर पास की मेज पर रखा और उसकी चूचियां चूसनी शुरू कर दीं! ज़ारा आहें भरने लगी!
मैं एक हाथ से उसकी क्लिट और दूसरे से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा. जब उससे से रहा नहीं गया तो वो ऊपर-नीचे होने लगी! ज़ारा- आह … जान … जान चोद दो मुझे!
दोस्तो, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें! मेरी मेल आई डी है- [email protected] आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
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