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परी को देखा वो अपना पेटीकोट पहन कर बैठी थी, उसके गोल मम्मे सफ़ेद संगमरमर की तरह लग रहे थे और उसका पेट भी एकदम सफ़ेद रंग का तराशा हुआ संगमरमर लग रहा था।
मेरा लौड़ा जो तकरीबन बैठ चुका था, अब फिर से तन रहा था। मैंने झट से कपड़े उतार दिए और परी के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और जब वो पूरी तरह से नंगी हो गई तो उसको फिर ध्यान से देखा, उसकी काले बालों से ढकी चूत सफ़ेद पेट और जांघों के बीच चमक रही थी।
कम्मो ने परी को लाकर मेरे पास खड़ा कर दिया और मैं इस कुंवारी चूत को बड़ी हसरत भरी नज़र से देख रहा था। मैंने अपना मुंह उसकी चूत के काले बालों में डाल दिया और उसकी चूत की खुश्बू सूंघने लगा। उस दिन से पहले मैंने कभी कुंवारी चूत नहीं देखी थी तो मैं परी को पलंग पर लिटा कर उसकी चूत को अच्छी तरह देखने लगा।
फटी हुई चूत से कुंवारी चूत काफी भिन्न होती है यह मैंने उस दिन देखा। चूत में कोई भी खरोंच या दाग नहीं दिखा और पूरा खोलने पर उसका रंग एकदम गुलाबी दिखा जबकि फटी चूत थोड़ी लाली लिए होती है।
परी का एक हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था और दूसरे से वो मेरी छाती के निप्पल को मसल रही थी। लंड की सख्ती और भी बड़ रही थी और वो परी के हाथ में उछाल भर रहा था, वास्तव में वो जल्दी ही गृहप्रवेश करना चाहता था लेकिन मैंने उसको अभी तक काबू रखा था।
उधर कम्मो भी अपने कपड़े उतार चुकी थी और वो परी के मम्मों को चूसने में लगी थी। फिर उसने एक मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया और कहा- इसको खूब चूसो। मैं भी जैसे छोटा बच्चा दूध के लिए चूसता है वैसे ही परी के एक मम्मे को चूस रहा था। फिर मैं उसके दूसरे सफ़ेद मम्मे पर आ गया और उसको भी पहले की तरह खूब चूसा।
कम्मो परी की चूत को तैयार कर रही थी बड़े हमले के लिए… उसकी जीभ उसकी भग को चूस रही थी और परी की कमर एकदम ऊपर उठी हुई थी और हाथ कम्मो के मुंह और बालों के साथ लगे हुए थे और उसको चूत में डालने की कोशिश कर रही थी।
परी के मुख से हल्की से सिसकारी निकल रही थी और उसके चूत से पानी की अविरल धारा बह रही थी। तब कम्मो ने मुझको इशारा किया कि अपनी तोप का मुंह परी के चूत वाले किले के मुंह पर रख दूँ। मैंने ऐसा ही किया और एक हल्का सा धक्का लंड को मारा और उसको मुंह चूत के अंदर थोड़ा सा चल गया और धक्का मारा तो अंदर कुछ रुकावट लगी।
लंड को फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक हल्का धक्का मारा वो फिर वही रुकावट वाली जगह पर जा कर रुक गया। तब कम्मो उठी और पोंड्स क्रीम ले आई और उसको मेरे लंड और चूत पर बहुत सारा मल दिया और बोली- धक्का मारो ज़ोर का, छोटे मालिक।
मैंने उसके कहे मुताबिक़ एक काफी ज़ोर का धक्का मारा लंड का और कुछ फटने की आवाज़ के साथ ही मेरा लंड पूरा परी की चूत में चला गया। उधर कम्मो ने परी के मुंह में एक रुमाल डाल रखा था ताकि उसके मुंह से आवाज़ बाहर न जाए। मैं अपने लंड को परी की चूत में डाल कर थोड़ी देर आराम करने लगा। फिर मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और परी की चूत के गीलेपन के कारण लंड महाशय पूरी आज़ादी से अंदर बाहर होने लगे।
अब मैंने अपना मुंह परी के होटों से चिपका दिया और उसको बड़ी गहरी चूमाचाटी करने लगा, अपनी जीभ उसके मुंह में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, वो भी मेरे को पूरी गहराई से चूम रही थी। ऐसा लगा कि वो अपने चूत के दर्द को भूल कर अब चूत चुदाई का आनन्द ले रही थी। उधर कम्मो परी के मुंह को तौलिये से पौंछ रही थी क्यूंकि उस पर पसीने की बूँदें आ गई थी।
अब मैंने लंड की स्पीड तेज़ कर दी और काफी जल्दी से अंदर बाहर होने लगा और परी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। कम्मो ने मेरे चूतड़ों पर थपकी मारनी शुर कर दी और मैंने लंड की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी। तभी मुझको लगा कि परी का पानी छूटने वाला है और फिर मेरे धक्के गहरे और तेज़ हो गए और मैं फुल स्पीड पर जब आया तो परी का पानी छूट गया और मेरा भी फव्वारा चल पड़ा।
अब परी ने मुझको कस कर अपने से चिपका लिया, उसकी सांसें बड़ी तेज़ी से चल रही थी और उसका शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था। मैंने भी उसको पूरी ताकत से भींच रखा था। जब वो थोड़ी सी संयत हुई तो मैंने उसको छोड़ दिया, उसकी आँखें बंद थी और उसके चेहरे पर एक बहुत प्यारी से मुस्कान थी जो यह जता रही थी कि वो पूरी तरह से आन्नदित हो गई थी।
कम्मो बहुत व्यस्त थी, वो परी के मुंह और शरीर को गीले तौलिये से ठंडा करने की कोशिश कर रही थी। जब मैं परी के ऊपर से उठा और पलंग पर लेटा तो वो आ गई और मेरे शरीर को और लंड को तौलिये से साफ़ कर रही थी, मेरे लौड़े पर अभी भी परी की चूत के खून के दाग लगे थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैं और परी कुछ देर के लिए सो गए। जब आधे घंटे बाद उठे तो कम्मो हमारे लिए स्पेशल दूध के गिलास लेकर खड़ी थी। दूध का पहला घूँट ही पिया तो एकदम आनन्द आ गया।
मैंने पूछा- क्या डाला है इसमें? बहुत ही स्वादिष्ट है और एकदम ठंडा है। कम्मो बोली- तुम दोनों ने बहुत ही मेहनत की थी तो थकान कम करने के लिए है।
परी बोली- वाह कम्मो आंटी, आप तो कमाल की चीज़ हो। आपने मेरी बड़ी मदद की वरना बड़ा मुश्किल होता मेरे लिए! कम्मो ने पूछा- तुमको आनन्द आया या नहीं? परी बोली- बहुत मज़ा आया कम्मो आंटी। यह कह कर परी ने मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया और उसके साथ खेलने लगी, कम्मो ने परी से पूछा- क्या एक बार और चुदवाने की इच्छा है तुम्हारी?
परी ने फ़ौरन हाँ में सर हिला दिया और वो मेरी तरफ देखने लगी। मैंने भी उसकी चूत पर हाथ रखा और उंगली डाल कर चेक किया कि वो गीली हुई या नहीं। उस वक्त वो फिर से काफी गीली हो चुकी थी, कम्मो ने क्रीम की शीशी से क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगानी शुरू कर दी और थोड़ी सी मेरे लंड पर भी लगा दी।
फिर उसने परी को मेरे लंड पर बैठने के लिए कहा और अपने हाथ से मेरा लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर कहा कि वो ऊपर से ज़ोर लगाये। परी ने ऐसा ही किया और लंड एक ही झटके में चूत के अंदर हो गया, तब वो धीरे धीरे लंड के ऊपर नीचे होने लगी।
मैं उसके गोल और सॉलिड मम्मों के साथ खेलता रहा और उसकी चूचियों को गोल गोल घुमाता रहा। परी ऊपर से मुझको चोद रही थी और मैं नीचे लेटे हुए आनन्द ले रहा था। उसकी गोल गोल जांघों जो एकदम सफ़ेद संगमरमर की तरह थी, बहुत ही आकर्षक लग रही थी। परी को चुदाई का बहुत आनन्द आ रहा था और वो कभी धीरे से या फिर तेज़ी पकड़ कर चुदाई का आनन्द ले रही थी।
एक बार फिर परी का चुदाई के दौरान पानी छूटा और वो कांपते शरीर के साथ मेरे ऊपर ही पसर गई। मेरा लंड अभी भी परी की चूत में ही था। यह चुदाई का कार्यक्रम काफी देर चलता रहा। कम्मो ने मुझको इशारा किया कि बस अब और नहीं। तब मैंने परी को हिलाया और वो उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।
कम्मो उसको बाथरूम में ले गई और वो मुंह हाथ धो कर जब लौटी तो आते ही उसने मेरे लबों पर किसिंग करना शुरू कर दिया और फिर एक ज़ोरदार प्यार की जप्फी मुझ को मारी और मेरा थैंक्स करके घर जाने के लिए चलने लगी। मैंने कम्मो को कहा कि वो उसको उसकी कोठी तक छोड़ आये। परी ने कहा कि वो दोबारा आना चाहती है तो मैंने कहा कि फ़ोन कर लेना और कम्मो से या मुझसे प्रोग्राम तय कर लेना।
उन दोनों के जाने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया। थोड़ी देर बाद कम्मो लौट आई और सीधे मेरे पास ही आ गई, आते ही पूछा उसने- कैसी लगी परी आपको?
मैंने कहा- बहुत अच्छी… लेकिन आप दोनों के साथ मज़ा ही कुछ और है, खासतौर पर तुम्हारे सामने कोई भी लड़की या औरत नहीं टिक सकती। तुम्हारा सेक्स का स्टाइल और चुदाई के दौरान और बाद में अपने पार्टनर का ख्याल रखना शायद दूसरे औरतों या लड़कियों के बस में नहीं।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, कल कोई और भी लड़की थी आप लोगों के साथ? मैं बोला- हाँ थी तो सही, शायद उसका नाम जस्सी है, क्यों पूछ रही हो? कम्मो बोली- वो शायद परी की खास सहेली है क्यूंकि उसने दो बार कहा लो जस्सी का भी सोमू कल्याण कर दे तो उसको बड़ा मज़ा आएगा। मैं बोला- उसने भी वही किया था जो परी ने किया था सिनेमा हाल में! कम्मो बोली- दोनों ही काफी गरम स्वाभाव की हैं शायद। परी ने इशारा फेंका है कि अगर सोमू चाहे तो जस्सी को भी चोद सकता है, वो भी परी की तरह अभी कुंवारी है।
मैं बोला- तुम क्या कहती हो कम्मो? कम्मो बोली- मेरा सोचना यह है कि अभी तो ये दोनों बहनें बीमार चल रहीं हैं तो कोई आये या जाये इनको फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब ये ठीक हो गई तो काफी मुश्किल कर देंगी दूसरी लड़कियों का आपके पास आना! मैं बोला- ठीक कह रही हो कम्मो, तो तुम जस्सी के लिए मेरी तरफ से हाँ कर देती न! कम्मो बोली- मैंने कह तो दिया है कि छोटे मालिक तैयार हो जाएंगे अगर आप कहें तो उससे पक्का कर लें।
मैं बोला- लेकिन हाँ करने से पहले यह भी तो सोचना पड़ेगा कि वो कब आ सकती है? मैं नहीं चाहता इन दो बहनों के सामने वो आये! ऐसा करो तुम परी को कहो कि कल वो कालेज के समय घर से निकले और जस्सी को लेकर सीधी हमारी कोठी में आ जाए। तब तक ये बहनें भी कालेज जा चुकी होंगी। क्यों यह प्लान कैसा रहेगा? कम्मो बोली- तब तो आपको भी कालेज से छुट्टी लेनी पड़ेगी। मैं बोला- नहीं, कल हमारे कालेज में इलेक्शन हैं, मैं बाद में चला जाऊंगा। कम्मो बोली- ठीक है, मैं उस से अभी बात करती हूँ और कहूँगी कि दोनों साथ ही आयें।
मैं फिर अपने पलंग पर लेट गया और सोचने लगा कि एक और कुंवारी चूत के साथ मिलन होने जा रहा है।
थोड़ी देर बाद कम्मो आई और बोली- छोटे मालिक वो दोनों कल 10 बजे यहाँ पहुँच जाएंगी। मैंने कम्मो को इशारा किया कि वो मेरे पास आये और जैसे ही वो आई मैंने उसको कस कर अपने सीने से लगा लिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसके होटों पर, जल्दी से अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी गीली चूत पर हाथ फेरा और चूत के बाल हल्के से खींचे। उसने भी मुझको चूमा और फिर वो चली गई। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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