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हाय दोस्तो, कैसे हैं आप सब.. शिव राज का आप सभी हसीन चूत वालियों को मेरा प्यार भरा चुम्मा.. और खड़े लण्ड वालों को जापानी तेल.. मैं अपनी दूसरी कहानी आप सब लोगों के लिए लेकर आया हूँ जो आज से दो साल पहले की है।
एक दिन मैंने अपने ऑफिस में बैठकर एक नई नेटवर्किंग साईट पर अपनी प्रोफाइल बनाई और इधर-उधर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने लगा। कुछ ही देर में एक भाभी ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.. तो मैं उनसे चैट करने लगा। कुछ देर तक इधर-उधर की बातें हुई।
उनका नाम नीलू था, वो 33 साल की थी.. उसके दो बच्चे थे और वो दिल्ली में अकेली रहती थी। उसके हसबैंड कोलकता में रहते थे। फिर मैंने उनको अपना नंबर दिया। दो दिन बाद उनका कॉल आया और हमारी बातें शुरू हो गईं। उन्होंने बताया- उन्हें ‘वाइल्ड सेक्स’ बहुत पसंद है.. उनके पति का लंड बहुत छोटा है.. और चुदे हुए बहुत दिन हो गए हैं। इस तरह की बातचीत से हम दोनों बहुत खुल कर एक-दूसरे से अपनी चुदास साझा करने लगे थे।
एक बार मैं उनके ऑफिस गया.. उनसे मिला.. हाय.. क्या मस्त माल लग रही थी वो.. गुलाबी सूट में.. थोड़ी देर उससे बात करने के बाद मैं चला गया.. उनको मैं बहुत पसंद आया। रात को बात करते हुए उन्होंने मेरे लण्ड का साइज़ पूछा.. तो मैंने उन्हें बताया- मेरा 7.5 इंच का है। तो वो बोली- मेरे पति का तो 5 इंच का ही है.. तुमसे चुदवाने में मजा आएगा..
यह कह कर वो हँसने लगी.. तो मैंने भी कहा- बोलो तो अभी आ जाऊँ तुम्हारे घर.. रात भर तुम्हें चोद-चोद कर मस्त मजा दूँगा। तो वो बोली- आज फ़ोन से चोद लो.. कल मैं मिलूँगी.. तब जम कर चोदना। फिर हमने फ़ोन सेक्स किया और अगले दिन 11 बजे मिलने का फाइनल हुआ।
मैं उनको लेने बाराखम्भा मेट्रो स्टेशन पहुँच गया। वो सजधज कर आई.. तो मैं देखता ही रह गया। जींस और टॉप में वो एकदम मस्त माल लग रही थी। उसको देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. फिर मैंने बाइक पर बिठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। रास्ते में वो बोली- कॉन्डोम है या नहीं.. वरना इधर से ही ले लो..
मैंने दस कंडोम वाला बड़ा पैक खरीद लिया और उसे लेकर अपने कमरे पर पहुँच गया। जैसे ही मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया.. तो देखा कि वो काफी डरी हुई लग रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोली- अजीब सा लग रहा है.. कहीं तुम मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करोगे? मैंने कहा- तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है.. ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है.. तो चलो मैं तुम्हें वापस छोड़ देता हूँ.. यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया।
मैंने कस कर नीलू को अपनी बांहों में जकड़ लिया.. वो मेरे से 5 साल बड़ी थी फिर भी लग नहीं रही थी कि वो दो बच्चों की माँ है। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा। मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ को टच करने लगा.. तो वो भी जोश में आ गई और कस कर चुम्बन करने लगी। दस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए चुम्बन करते रहे।
वो थोड़ा सा नार्मल हुई और पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी। मैंने उसका टॉप निकाल दिया। वो अन्दर लाल रंग की ब्रा में क्या मस्त आइटम लग रही थी।
मैं उसे बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उसकी चूची दबाने लगा और चुम्बन करने लगा। वो बस ‘इस्स्स्स्स्स्स.. आआईईई..’ की आवाज निकालती रही। मैं उसको किस करता हुआ जींस के ऊपर से अपना मुँह उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. तो वो मेरा सर कस कर चूत में दबाने लगी।
मैंने जींस का बटन खोल दिया.. तो उसने अपनी गाण्ड उठा दी.. जिससे मैंने जींस नीचे खिसका दी.. तथा उसी के साथ उसकी पैन्टी भी उतर गई। अब वो मेरे सामने अपनी आँखें बंद किए हुए बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। मैंने थोड़ी टाँगें फैलाईं.. और अपने हाथ से चूत का जायजा लेने लगा। उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी.. शायद आज ही अपनी झांटें साफ़ की होगीं.. चूत पूरी तरह से रस से भरी हुई थी।
मैंने चूत रस पीने के लिए अपनी जीभ जैसे ही चूत से लगाई.. वो मुझे पकड़ने लगी। मैंने उसका हाथ हटा कर चूत को फैला कर चाटने लगा.. उसकी सिसकारी निकल गई। आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
जब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. तब उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर हवा में उठा दीं.. वो मादक सिसकारियां ले रही थी, उसकी आंखें बंद थीं.. मानो वो जन्नत की सैर कर रही हो। मैं दस मिनट तक उसकी चूत का रस पीता रहा।
फिर वो बोली- शिव.. अब मत तड़पाओ जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डाल कर इसको फाड़ दो.. अब सहन नहीं हो रहा.. मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है जानेमन.. तो वो उठ कर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब मैं अंडरवियर में था.. जिसमें मेरा लंड तम्बू की तरह तना हुआ था। उसने चड्डी नीचे खिसकाई और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
मैं खड़ा था.. वो बैठी थी और मेरे लंड से खेल रही थी। उसने मेरे लंड पर एक चुम्बन किया और चाटते हुए लौड़े को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी। ओह्ह.. आह.. क्या मस्त चूस रही थी। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था। वो मेरा लंड चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी। तो मैंने उसे लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गया।
अब मैं नीचे लेटा था और वो मेरे ऊपर अपनी चूत मेरे मुँह में रख कर मेरा लंड चूसने लगी।
मैं भी उसकी चूत में पूरी जीभ अन्दर डालकर चोदने लगा.. तभी मुझे ऐसा लगा कि उसने ‘सुसू’ कर दी हो.. वो झड़ने लगी थी.. मैंने भी बुर चुसाई चालू रखी।
अब वो बिलुकल शांत हो गई.. पर उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर नहीं निकाला। मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और पूछा- कैसा लगा? तो वो बिना कुछ बोले मुझे चुम्बन करने लगी।
फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए, मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोली- आज चुदाई का सच्चा सुख मिल रहा है मुझे.. मैंने कहा- अभी सुख किधर मिला है.. और मेरा क्या होगा.. मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है? तो वो बोली- आ जाओ.. डाल दो न.. इसे मेरी चूत में.. और जम कर चोदो मुझे..
मैंने लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर घुस गया था। वो बोली- ओह्ह.. मेरे राजा.. जरा आराम से चोदो.. मैं तुम्हारी ही हूँ.. मैंने चुदाई की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा दी। उसकी कमर नीचे से लगातार लौड़े की थापों की संगत दे रही थी.. उसकी मस्त नारंगियाँ मेरे होंठों में दबी थीं।
धकापेल चुदाई हुई वो शायद इस चुदाई में झड़ चुकी थी उसके रस की गर्मी पाकर अब मेरा भी निकलने ही वाला था। मैंने कहा- कंडोम पहनना तो भूल ही गया.. क्या कंडोम लगा लूँ?
वो बोली- मत पहनो.. मेरा ऑपरेशन हो चुका है.. तुम कितना भी चोदो मुझे.. और अपना माल मेरी चूत के अन्दर ही डालना.. कन्डोम तो बीमारी से बचने के लिए कह रही थी। मैंने बीस मिनट तक जम कर आसन बदल-बदल कर उसकी चूत की चुदाई की फिर मैं उसके अन्दर ही झड़ गया। वो भी झड़ गई.. हम दोनों इस चुदाई से थक चुके थे.. सो थोड़ी देर आराम करने लगे।
मुझे नींद आने लगी.. मगर नीलू की आँखों में नींद नहीं थी.. वो मेरा लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.. जिससे मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। दस मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही। क्या जबरदस्त तरीके से चूसती थी.. मेरा दावा है कि वो अपनी जुबान से अस्सी साल के बुड्डे का भी लण्ड खड़ा कर सकती है।
फिर हमारी चुदाई का दूसरा दौर चला। अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर था और मस्त उछल-उछल कर वो मुझे चोद रही थी। आधा घंटे तक चली चुदाई में वो फिर से दो बार झड़ी..
वो बहुत खुश लग रही थी.. उसने मुझे इस चुदाई के लिए ‘थैंक्स’ कहा और एक हजार रूपये भी दिए.. तो मैंने मना कर दिया। वो बोली- मेरी तरफ से गिफ्ट है.. प्लीज मना मत करो.. इसे ले लो। उनका नाम नीलू था। फिर मैंने उसे मेट्रो स्टेशन छोड़ दिया।
तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी कहानी.. मुझे जरूर बताइएगा। [email protected]
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