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चंचल दो रात हमारे साथ रही और फिर उसका पति लौट आया तो वो वापस चली गई। इन दो रातों को मैंने चंचल को और कम्मो को कई बार चोदा। 4-5 बार छूटने के बाद चंचल ने हथियार डाल दिए लेकिन कम्मो अभी तैयार थी चुदाई के लिए तो उसको मैंने कहा- मैं लेट जाता हूँ और जैसी तुम्हारी मर्ज़ी हो मुझको चोद लो।
मेरी एक तरफ़ कम्मो लेटी थी और दूसरी तरफ़ चंचल लेटी थी। कम्मो ने पहले मेरे लंड को चूसना शुरू किया और फिर उसने अपनी जीभ से मेरे शरीर के अंगों को चूमना शुरू किया। कुछ समय मेरे छोटे चुचूकों को चाटा और फिर बढ़ती हुई मेरे पेट को और नाभि में जीभ से चाटने लगी। कम्मो की चूमाचाटी से मेरा लंड पत्थर की भान्ति सख्त हो गया था लेकिन कम्मो की हिदायत के अनुसार मुझको चुपचाप लेटे रहना था तो मैं हवा में लहराते हुए अपने लंड को देखता रहा।
कुछ देर बाद कम्मो मेरी बगल में लेट गई और अपनी टांग को मेरे ऊपर डाल कर अपनी चूत का मुंह मेरे लंड के पास ले आई और फिर ऐसा निशाना लगाया कि लंड घुप्प से चूत के अंदर हो गया, मुझको कम्मो की चूत एक तपती हुई गुफा लग रही थी जिसमें शह्द जैसा गाढ़ा पदार्थ भरा पड़ा था। उसकी गर्मी इतनी तीव्र थी कि मेरा लंड दुहाई करने लगा। लेकिन तभी कम्मो की चूत ने मेरे लौड़े पर आगे पीछे होना शुरू कर दिया।
मैं अपने हाथ अपने सर की नीचे रख कर लेटा और कम्मो आँखें बंद करके तरह तरह की अवस्था में मुझको दबादब चोदने लगी। उस की घनी ज़ुल्फ़ें मेरी छाती पर फ़ैल रही थी और वो मेरे शरीर पर पूरी लेट कर कमर से चुदाई में मगन थी।
इस चुदाई के दौरान उसका कितनी बार छूटा मुझ को मालूम नहीं। फिर वो पूरी तरह से थक कर मेरी बगल में लेट गई। चंचल यह सारा तमाशा देख रही थी और अपनी भग को ऊँगली से मसल भी रही थी।
अब वो मैदान में फिर आ गई और मुझसे कहने लगी- छोटे मालिक, अब मुझको ऐसे चोदो कि मेरे बच्चा ठहर जाये। कम्मो ने पूछा- तेरी माहवारी कब हुई थी? चंचल ने उँगलियों पर गिन कर बताया- 15 दिन हो गए हैं। कम्मो ने फिर पूछा- कुछ दिनों से तुझको शरीर कुछ गरम लग रहा है क्या? चंचल बोली- हाँ, वो तो हर महीने माहवारी के 14-15 बाद गरम लगता है, ऐसा लगता है कि हल्का सा ताप चढ़ा है। कम्मो बोली- अच्छा मुझको अपनी नब्ज़ दिखा?
नब्ज़ देखने के बाद उसने एक ऊँगली से उसकी चूत का रस ऊँगली पर लगाया और उसको सूंघा। कम्मो बोली- अच्छा हुआ, तेरा मामला तो फिट है। तू आज छोटे मालिक से घोड़ी बन कर दो तीन बार अंदर छुटवा ले। तेरी किस्मत अच्छी हुई तो आज ही गर्भ ठहर जाएगा तुझको! छोटे मालिक आज आप सिर्फ चंचल को चोदो और उसकी चूत की गहराई में 2-3 बार पिचकारी छोड़ो। यह कह कर वो फिर कुछ सोचने लगी और बोली- मैं रसोई में जाकर तुम दोनों के लिए ख़ास दूध बना कर लाती हूँ जिससे यह काम पक्का हो जाएगा।
और वो जल्दी से उठी और नंगी ही रसोई में चली गई। दस मिन्ट बाद वो एक बड़ा गिलास दूध लेकर आई और मेज पर रख दिया। कम्मो बोली- चलो चंचल, पहले तुम यह दूध थोड़ा सा पियो और फिर छोटे मालिक को दे दो।
चंचल ने ऐसा ही किया और खुद थोड़ा सा पीकर गिलास मुझको दे दिया और मैंने भी थोड़ा सा दूध पिया और मेज पर गिलास रख दिया। ‘दूध बड़ा ही स्वादिष्ट था, मज़ा आ गया पीकर…’ मैंने कम्मो को कह दिया। वो बोली- यह दूध ख़ास तौर पर जब गर्भ धारण करने की इच्छा हो तो पिया जाता है। इसमें शरीर को काफी शक्ति प्राप्त हो जाती है। और यह आदमी और औरतों के लिए एक सा ही अच्छा होता है, अब तुम दोनों शुरू हो जाओ।
चंचल को मैंने हाथ लगाया तो उसका शरीर थोड़ा सा गरम लगा जैसे एक दो डिग्री बुखार हो। तब चंचल मेरे लंड को चूसने लगी और मैं ने ऊँगली से उसकी भग को मसलना शुरू कर दिया। जब चूत काफ़ी रसदार हो गई तो कम्मो ने उसकी चूत में ऊँगली डाल कर जांच की और फिर कहा- शुरू हो जाओ मेरे शेरो, आज मैदान जीत कर ही आना है।
चंचल जल्दी से घोड़ी बन गई और कम्मो बीच में बैठ कर मेरे लंड को चंचल की चूत के मुंह पर रख दिया और मेरे चूतडों पर ज़ोर से मुक्का मारा। लंड उचक कर चूत के अंदर चला गया और कम्मो का हाथ मेरे लौड़े के नीचे यह महसूस करने की कोशिश कर रहा था कि लंड पूरा अंदर गया या नहीं। इस काम के लिए वो चंचल के पेट के नीचे ऐसे लेट गई कि सर एक तरफ और टांगें दूसरी तरफ।
हाथों से उसने मेरे चूतड़ों को हल्के हल्के मारना शुरू किया जैसे घोड़े को तेज़ भागने के लिए चाबुक मारनी पड़ती है। हर बार उसके हाथ की मार से मेरी स्पीड भी तेज़ होने लगती। एक हाथ से वो चंचल की भग को भी छेड़ रही थी और उसके भी चूतड़ आगे पीछे मेरे धक्के के अनुरूप होने लगे थे। ऐसा लग रहा था कम्मो एक रिंग मास्टर की तरह हम दो शेरों को नचा रही हो।
जब चुदाई करते कोई 10 मिन्ट हो गए तो उसने चंचल की चूत पर ऊँगली तेज़ कर दी और फिर बड़ी ही सुहानी चीख मार कर चंचल का छूटना शुरू हो गया। तभी कम्मो ने नीचे लेटे हुई ही चिल्लाना शुरू कर दिया- छोटे मालिक, आप भी छूटा लो जल्दी से।
इतना सुनना था कि मैंने फुल स्पीड से धक्के मारने शुरू कर दिये और बहुत जल्दी ही लंड को पूरा चूत के अंदर डाल कर फव्वारा छोड़ दिया और उसके चूतड़ को कस के पकड़े रहा ताकि वीर्य का एक कतरा भी बाहर न गिरे।
उधर कम्मो ने नीचे से चंचल की चूत को ऊपर उठाये रखा और फिर एक तकिया उसकी चूत के नीचे रख कर आप नीचे से हट गई. ऐसा करने के बाद ही कम्मो चंचल के नीचे से हटी और मुझको कहा- आप चंचल की चूत से लंड निकाल लो।
हम सबने नोट किया कि वीर्य का एक कतरा भी बाहर नहीं गिरा। कम्मो ने चंचल को सीधा लेटने से पहले उसकी गांड के नीचे दो मोटे तकिये रख दिए ताकि उसकी कमर ऊपर को उठी रहे और वीर्य बाहर न गिर सके।
मैं बहुत हैरान था कि कम्मो को यह सब कैसे मालूम था। तब उस ने बताया कि जब वो विधवा हुई तो उसने सोचा कि वो एक अच्छी दाई बन सकती है जिससे अच्छी आमदन भी सकती है तो वो एक बूढ़ी दाई के साथ काम सीखने लगी। यह दूध और तकिये का और तारीख देख कर चोदना दाई से ही सीखा था।
कम्मो आगे बोली- यह छोटे मालिक जो इतनी ज्यादा चुदाई कर लेते हैं, उसका राज़ भी मैं जानती हूँ। मैं बोला- अच्छा बताओ, क्या राज़ है इसमें? कम्मो बोली- अभी नहीं, जब वक्त आएगा तो बता दूंगी सब कुछ आपको, चंचल तू जानती है कि छोटे मालिक कितनी औरतों को हरा कर चुके है यानि गर्भवती कर चुके हैं?
मैं बोला- कम्मो, नहीं बताना किसी को! वैसे कुछ गाँव से खबर आई क्या? कम्मो बोली- कौन सी खबर छोटे मालिक? ‘वही जो तू सुनना चाहती है। चंपा की और दूसरी औरतों की?’ ‘नहीं छोटे मालिक!’ ‘चलो फिर सो जाते हैं, काफी रात हो गई है।’ कम्मो बोली- छोटे मालिक, आपको सुबह को फिर चंचल को चोदना हो गा जैसा आज चोदा था। मैं हँसते हुए बोला- कम्मो, तू तो मुझको सरकारी साँड बना रही है। तू बाहर एक बोर्ड लगा दे कि ‘यहाँ औरतों को गर्भवती बनाया जाता है!’
हम सब बहुत हँसे और फिर हम तीनों एक दूसरे की बाँहों में सो गये।
सुबह उठ कर पहला काम वही किया, चंचल को फिर से चोदा कम्मो की देख रेख में। और इस चुदाई के बाद कम्मो बोली- चंचल आज चली जायेगी क्यूंकि इसका पति आज वापस आ जायेगा। और सुन चंचल आज रात को पति से दो बार ज़रूर चुदवाना नहीं तो सब गड़बड़ हो जाएगा।
उस दिन मैं कालेज जल्दी चला गया क्यूंकि कालेज की एक ख़ास मीटिंग थी। शाम को घर आया तो कम्मो ने हँसते हुए बताया- छोटे मालिक, बधाई हो चम्पा के घर लड़का हुआ है। मैं भी हँसते हुए बोला- तुझको बधाई हो! तेरी ही सहेली है न! कम्मो बोली- हाँ, वो तो है। उसके लड़के के जन्म से मैं बहुत खुश हूँ। आखिर उसकी तमन्ना पूरी हो गई। चम्पा आपको शुक्रिया कह रही थी। मैं बोला- मेरा शुक्रिया क्यों? उसके पति की मेहनत जो सफल हुई। कम्मो हंसने लगी और बोली- रहने दो छोटे मालिक, हम सब जानते हैं किस की मेहनत रंग लाई। पारो यह सब सुन रही थी लेकिन उसको समझ नहीं आ रहा था कि हम किस की बात कर रहे हैं। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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