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चाची और उषा के जाने के बाद हम तीनों फिर एक साथ हो गये यानि कम्मो और पारो फिर मेरे कमरे की हर रात को शोभा बढ़ाने लगी। सबसे पहले दोनों ने चाची और उषा की कहानी सुननी चाही। जैसे कैसी थी दोनों? उनके मम्मे कैसे थे और चूत कैसी थी? मैंने भी खूब मज़े ले ले कर उनको बताई सारी बातें।
चाची की और उषा की सफाचट चूत से वे बड़ी हैरान थी, कहने लगी- यह कैसे हो सकता है? मैंने उनको बताया- चाची बता रही थी कि वो दोनों दाड़ी बनाने वाला रेजर और चाचा के शेविंग करने वाले साबुन से एक दूसरी की चूत की सफाई करती हैं। बिल्कुल साफ़ कर देती हैं चूत और बगलों के बाल, उन दोनों की चूत बहुत ही मुलायम और चमकदार लग रही थी।
दोनों बहुत ही हैरान हो रहीं थी, कम्मो बोली- ऐसा करने से उन का पति नाराज़ नहीं होता क्योंकि ऐसा तो सिर्फ रंडियाँ ही करती हैं। घरेलू औरत ऐसा करे ना तो उस का पति उसको घर से निकाल दे!
मैं बोला- अच्छा, पर ऐसा क्यों है? बाल सफा करने से क्या बिगड़ जाता है औरत का? कम्मो बोली- रंडियाँ इसलिए साफ़ करती हैं बालों को ताकि कोई ग्राहक उनको बीमारी न दे जाए! और फिर ग्राहक के जाने के बाद वो अच्छी तरह चूत को साफ़ कर लेती हैं ताकि जितना भी वीर्य ग्राहक का अंदर छूटा होता है वो सब बहार निकल जाता है और उनके गर्भवती होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
मैं बोला- फिर तो तुम को भी ऐसा ही करना चाहिए न? कम्मो बोली- छोटे मालिक हमारे चोदनहार तो सिर्फ आप ही हैं और आप किसी बाहर वाली औरत के पास तो जाते नहीं तो हमें काहे का फ़िक्र? ‘लेकिन बच्चा ठहरने की सम्भावना तो होती है न?’
‘अरे बच्चे की बात से याद आया कि आप का कब हो रहा है?’ ‘मेरा कब क्या हो रहा है?’ ‘वही, जिसकी बात हम कर रही हैं?’ ‘बच्चा? मेरे कैसे हो सकता है?’ ‘वाह, आप भूल गए क्या? इतने खेतों में बीज डाला है आपने?’ ‘अरे कौन से खेत? कब बीज डाला मैंने?’ ‘हा हा… भूल गए क्या ? पहला खेत तो मेरा था जिसमें आपने हल चलाया और फिर चम्पा, फिर बिन्दू, फुलवा और फिर निर्मला और ना जाने और किनका खेत आपने जोता?
मैं बड़े ज़ोर से हंस दिया और बोला- अरे तुम चूत वाले खेतों की बात कर रही हो! वो भी मुस्कराते हुए बोली- हाँ वही तो! मैंने पारो की तरफ देखा और पूछा- पारो, तुम बताओ कि क्या तुम्हारी चूत खेत की तरह है और मेरा लंड हल की तरह? वो भी हँसते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, अगर देखा जाए तो चूत एक धरती का टुकड़ा है जिस पर पुरुष अपने लंड का हल चलाता है और एक निश्चत समय के बाद उसमें फसल उग आती है जो धरती के पेट से निकलने के बाद एक प्यारे बच्चे का रूप ले लेती है।
कोठी का मुख्यद्वार बंद करके हम तीनों मेरे कमरे में बातें कर रहे थे, आज कोई मेहमान नहीं था तो हम आजाद थे। मैंने कहा- ऐसा करो, कम्मो और पारो हम तीनो नंगे हो जाते हैं, फिर बात करेंगे। ठीक है न?
हम तीनों जल्दी ही निर्वस्त्र हो गए और पलंग पर लेट गए। मैं बीच में और मेरी दाईं तरफ कम्मो और बाएं तरफ पारो। कम्मो ने मेरे लौड़े पर हाथ रखा और वो टन से खड़ा हो गया। सबसे पहले कम्मो ने मेरे लंड को पकड़ा और मैं अपना दायाँ हाथ उस की बालों भरी चूत में फेरने लगा और दूसरा पारो की चूत में डाल कर उसकी गीली चूत में भगनासा को हल्के हल्के दबाने लगा।
फिर मैंने कहा- अच्छा पारो, आज तुम सुनाओ अपनी कहानी। कैसे शादी की पहली रात में तुम चुदी थी? वो पहले थोड़ी शरमाई और फिर बोली- छोटे मालिक, आप यकीन नहीं मानोगे, शादी से पहले मैंने लंड देखा ही नहीं था. कुत्ता कुत्ती को करते हुए देखा ज़रूर था लेकिन इसका मतलब तब मैं नहीं जानती थी।
कम्मो बोली- अच्छा? ऐसा कैसे हो सकता है? किसी छोटे लड़के को तो देखा होगा तुमने और उसके छोटे लंड को भी देखा होगा न?
पारो बोली- हाँ वो देखा था लेकि लड़के के लंड और किसी मर्द के लंड में बहुत अंतर होता है कम्मो। और जब मेरे पति ने सुहागरात को अपना खड़े लंड को निकाला तो मैं एकदम डर गई और फिर उसने मुझको लिटा दिया और मेरी साड़ी ऊपर करके टांगों के बीच बैठ कर लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगा। लेकिन मेरी चूत बहुत टाइट थी तो उसकी हर कोशिश नाकामयाब हो रही थी, लंड अंदर जा ही नहीं रहा था।
फिर वो थक कर लेट गया और सो गया। अगली रात फिर उसने कोशिश की लेकिन फिर उसको कोई सफलता नहीं मिली। इस तरह दो रात कोशिश करने के बाद वो जब कुछ नहीं कर सका तो वो काफी शर्मिंदा हो गया मेरे सामने। लेकिन मुझको तो कुछ मालूम ही नहीं था। फिर ना जाने किसने उसको कोई तरीका समझाया और अगली रात वो तेल की शीशी ले कर आया और ढेर सा तेल मेरी चूत पर मल कर उसने फिर कोशिश की और वो इस बार चूत में लंड डालने में सफल हो गया। हालांकि मुझको बेहद दर्द हुआ। और फिर मेरा पति रोज़ रात को मुझको चोद देता था लेकिन मुझको कोई आनन्द नहीं आता था।
मैं और कम्मो एक साथ बोल उठे- फिर क्या हुआ? पारो थोड़ी देर चुप रही और फिर मुस्कराते हुए बोली- मेरे पति का एक छोटा भाई भी था जो मेरे चारों तरफ बड़े प्यार से घूमता रहता। वो बहुत ही शरारती था और हर वक्त कोशिश करता था कि मेरे शरीर के किसी अंग को छू ले। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन एक दिन उसने मेरे मम्मों पर हाथ रख दिया तो मैंने उसकी ध्यान से देखा और पाया कि वो 19-20 साल का जवान लड़का है, दिखने में भी ठीक ही लग रहा था तो मैंने उसको धीरे धीरे छूट देनी शुरू कर दी।
एक दिन मेरा पति बाहर गया हुआ था और सास भी किसी काम से घर पर नहीं थी, मैं और मेरा देवर किशन ही घर में था, मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गई, तभी मुझको लगा कि कोई मेरे कमरे में कोई आया है। मैंने ध्यान से देखा, वो किशन ही आया था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उसने आते ही मुझको बाँहों में भर लिया और ताबड़तोड़ चूमना शुरू कर दिया। मैंने उसको रोका- कोई आ जाएगा, जाओ यहाँ से! पर वो नहीं माना और मेरे को चूमते हुए उसने मेरे मम्मे भी दबाने शुरू कर दिए जिससे मुझको बड़ा आनन्द आना शुरू हो गया।
जब उसने देखा कि मैं उसको ज्यादा रोक टोक नहीं रही तो उसने मेरी धोती ऊपर उठा दी और अपना मोटा खड़ा लंड मेरी चूत में डालने लगा। मैं चिल्ला उठी- यह क्या कर रहा है रे किशना?
उसने सब अनसुनी कर दी और अपने लंड से चूत में धक्के मारने लगा। मैं बोली- बस कर किशना, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी। यह सुन कर किशना ने मेरा मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया और ज़ोर से धक्के जारी रखे।
अब मुझ को मज़ा आने लगा था, मेरा बोलना बंद हो गया और मैं चुदाई का जीवन में पहली बार आनन्द लेने लगी। थोड़ी देर बाद मुझको ऐसा लगा कि मेरी चूत में कुछ खलबली हो रही है और फिर मेरी चूत अंदर ही अंदर खुलने और बंद होना शुरू हो गई और फिर मुझको लगा कि मेरी चूत से कुछ पानी की माफिक निकला और मेरे बिस्तर पर फैल गया है।
कुछ देर बाद किशना का एक गर्म फव्वारा छूटा और मेरी चूत में फैल गया और मैं आनन्द विभोर हो गई। इस पहली चुदाई के बाद हर मौके पर हम दोनों चोदना नहीं छोड़ते थे। आज तक समझ नहीं आया कि हम चुदाई करते हुए कभी पकड़े नहीं गए। ईश्वर का लाख शुक्र है कि वह हमको बचाते रहे हर घड़ी में!
मैं बोला- तुमको कभी बच्चा नहीं ठहरा पारो? पारो बोली- नहीं, कभी नहीं, न अपने मर्दवा से और न ही देवर से… मालूम नहीं ऐसा क्यों हुआ?
यह कहानी सुनते हुए मेरा लंड तो खड़ा ही था लेकिन उधर कम्मो की हालत भी ठीक नहीं थी। मैंने फ़ौरन दोनों को घोड़ी बनाया और ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, पहले कम्मो को और फिर पारो को! कुछ धक्के एक चूत में मार कर मैं अपना लंड दूसरी में डाल देता था। इस तरह दोनों को जल्दी ही चोद चोद कर पूर्ण चरमसीमा पर पहुंचा दिया। दोनों ही थक कर लेट गई और मैं उन दोनों के बीच में था।
फिर रात भर हम तीनों चुदाई में मग्न रहे। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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