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हैलो दोस्तो, रूपेश का प्यार भरा नमस्कार! मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं आज आप सभी को अपनी आपबीती सुना रहा हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मेरी साली हमारे साथ रहने आई थी, उसका नाम चांदनी है, नाम बदला हुआ लिख रहा हूँ ताकि गोपनीयता बनी रहे। उसकी उम्र 20 साल की है व फिगर 30-30-32 का है वो ऐसी खूबसूरत माल लगती कि किसी का भी ईमान ख़राब हो जाए।
हमारे घर पर बहुत सारे मेहमान आए हुए थे.. दिसम्बर का महीना था.. सर्दी काफी पर रही थी। शाम को हम सबने खाना खाया और सोने चले गए.. मैं और मेरी पत्नी भी अपनी कमरे में आ गए। इतने में चांदनी भी हमारे कमरे में आ गई और वो अपनी बहन से बोली- दीदी मैं कहा पर सोऊँ? तो मेरी पत्नी बोली- यहीं पर सो जा..
वो हम लोगों के साथ सो गई.. मेरी रात को नींद खुली.. तो मैं चांदनी को देखकर कामुक हो उठा और मेरा मन ख़राब हो गया.. क्योंकि उसकी स्कर्ट ऊपर उठी हुई थी और उसकी काली पैन्टी दिखाई दे रही थी। मैं उसको 5 मिनट तक देखता रहा फिर मैं उसके बगल में जाकर लेट गया।
मेरी पत्नी मेरे बगल में सोई हुई थी इसलिए उसके साथ कुछ भी करने में डर लग रहा था.. लेकिन क्या करें.. मेरे दिमाग में तो वासना के कीड़े काट रहे थे। फिर मैं हिम्मत करके उसकी जाँघों को सहलाना शुरू किया.. तो उसने कोई रिस्पोंस नहीं दिया।
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों की तरफ अपनी हाथ को ले गया और उसके टॉप के ऊपर से ही उसके दूधों को सहलाने लगा। फिर भी वो कुछ ना बोली.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं उसकी चूची को जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तक वो जग चुकी थी और मेरे से चिपक गई थी.. इतने में मेरी पत्नी उठ गई.. तो मैं आख बंद कर के सोने का नाटक करने लगा।
मेरी पत्नी बाथरूम गई और आकर सो गई। मैं कुछ देर लेटा रहा फिर उसके बाद मैं उठा और चांदनी की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। अब तक वो गरम हो चुकी थी और उसने मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। मुझे समझ आ गया था कि ये भी चुदासी हो उठी है.. तो मैंने अपना लोअर नीचे सरका दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। फिर उसने अपनी सर मेरे पैर के तरफ कर लिया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। करीब दस मिनट तक लौड़ा चुसवाने के बाद मैंने अपने आपको उससे अलग किया। अब मैंने उसकी चड्डी उतार दी और उसकी चूत में धीरे-धीरे ऊँगली डालने लगा.. ताकि जब मैं उसकी चूत में लंड डालूँ.. तो वो चिल्लाए न..
पहले मैंने उसकी चिकनी चूत में एक ऊँगली डाली.. फिर दो घुसेड़ दीं। जब दोनों ऊँगलियां आसानी से चूत में घुसड़ेने लगा.. तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसके चूत पर रख कर धीरे-धीरे चूत में घुसाने लगा।
फिर मैंने एक हल्का सा झटका मारा.. तो मेरा लंड आधा उसके चूत में घुस गया और वो जोर से चिल्लाने को होती.. इससे पहले मैंने एक हाथ से उसका मुँह दबा दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोर से झटका मारा और पूरा लंड अन्दर पेल दिया। अब वो जोर से चिल्लाई.. पर मैंने उसका मुँह एक हाथ से दबा रखा था.. इसलिए गूँ गूँ करके ही रह गई। फिर मैं थोड़ी देर बाद खुद को धीरे-धीरे उसके ऊपर-नीचे करने लगा।
अब चांदनी को भी मजा आने लगा और वो भी अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगी। मैं अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी चूत में ही सारा माल छोड़ दिया।
मैं झड़ने के बाद उसके बगल में लेट गया.. और इतने में ही मेरी पत्नी भी उठ गई। मैं सांस रोके लेटा रहा.. मैंने चादर अपने और चांदनी के ऊपर खींच ली।
पत्नी नींद में थी उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.. और वो फिर सो गई।
उसके बाद चांदनी तो मेरे लौड़े के लिए मानो नया नसीब बन कर आ गई थी.. कुछ देर बाद वो फिर से मेरी बाँहों में आ गई और उस रात के बाद मैंने चांदनी को घुमाने के बहाने बाहर ले जाकर कई बार चोदा। आज भी चांदनी मेरे लौड़े की दीवानी है।
दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है.. आपको कैसी लगी.. आप मेल जरूर कीजिएगा। [email protected]
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