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नमस्ते.. मैं अंगरेज एक बार फिर आप की सेवा में हाजिर हूँ। जैसा कि आप जानते हैं.. मैं पंजाब का एक जाट हूँ। मुझे हिंदी कम आती है। मैं 6 फुट 1 इंच लम्बाई का अच्छा ख़ासा गबरू जवान हूँ। मेरा 6 इंच का जवान मोटा लण्ड है। मैं थोड़ा पतला हूँ.. पर मेरा लंड काफी मोटा है। मेरे लौड़े का टोपा तो इतना मोटा है.. कि हर औरत के आँसू निकले हैं। लंड इतना सख्त है कि जैसे लोहे की रॉड हो। मेरे लंड ने हर चुदाई की कहानी ऐसी लिखी है कि चुदने वाली की चूत काँप जाए।
बात तीन महीने पहले की है। मेरे घर वाले सब लोग कुछ दिनों के लिए बाहर गए हुए थे। खाना-पीना चाची के जिम्मे बोल दिया गया था। मेरी चाची एक मस्त माल हैं। उनके मम्मे बहुत बड़े हैं। वो उस समय तीस साल की थीं। चाचा ट्रक चलाते थे.. सो वो घर में अपने नौ साल के बेटे के साथ रहती थीं।
रोज की तरह आज भी मैं खाना खाने उनके घर गया। हम लोग खाना खा कर उठे तो लड़का नदी में नहाने की जिद करने लगा। आज गरमी भी बहुत थी। चाची मना कर रही थीं.. वो रोने लगा। चाची ने मुझसे कहा- जा इसे नहला लाओ.. पर ध्यान रखना।
मैं उसके साथ चला गया, वो एक तरफ बच्चों के साथ नहाने लगा। अचानक उसका पैर फिसल गया.. और वो गहरे पानी में बहने लगा।
मैं उसको बचाने के चक्कर में पानी में कूद गया। पानी कम होने की वजह से मैं पत्थर से टकरा गया। मुझे चोट लग गई.. पर उसे बचा लिया।
मेरे कपड़े फट गए थे। मेरे कंधे से लेकर जांघ तक लंबी खरोंच भी आ गई थी। वो खरोंच मेरे लण्ड के पास से गुजर रही थी। हम घर गए। मेरी ऐसी हालत देख कर चाची चौंक गईं, जब उन्हें पता चला तो वो बच्चे को डांटने लगीं। मैंने कहा- छोड़ो भी चाची.. चाची बोलीं- तुम गीले कपड़े उतारो.. मैं तब तक दवा लाती हूँ।
मैंने कपड़े उतार दिए.. सिर्फ अंडरवियर में रह गया था। वो दवा लेकर आईं और मजाक करते हुए बोलीं- इसे भी उतार देते। हम दोनों हँसने लगे।
वो बोलीं- चल बिस्तर पर लेट जा। मेरा अंडरवियर गीला होने के कारण मेरा लौड़ा साफ दिख रहा था, उनकी नजर मेरे मोटे लण्ड से हट नहीं रही थी।
दवा लगा कर बोलीं- तुम्हारे अन्दर भी चोट आई है ना.. मैंने कहा- हाँ.. वो बोलीं- तो दिखाओ न.. इतना कह कर वो अश्लील भाव से हँसने लगीं।
फिर बोली- तुम्हारी अंडरवियर भी गीली हो गई है.. मैंने कुछ नहीं कहा। वो अन्दर गईं और अपनी कच्छी ले आईं.. बोलीं- लो ये पहन लो।
वो बाहर चली गईं तो मैं चड्डी बदलने लगा था.. उसी वक्त वो एकदम से फिर से अन्दर आ गईं। अब मैं उनके सामने नंगा खड़ा था, मेरा लण्ड देख कर वो कामुकता से हँसने लगीं।
फिर मेरे नजदीक आकर खरोंच देख कर हँस कर बोलीं- तुम तो बहुत बाल-बाल बचे.. मैंने जल्दी से कच्छी पहनी और झट से बोला- देख कर तो आतीं चाची..। उनकी कच्छी बहुत छोटी थी। मेरा लवड़ा उसमें फूला हुआ दिख रहा था.. बगल से झांटें निकल रही थीं।
अब चाची दवा लगाने लगीं, उनका हाथ मेरे लण्ड से छू रहा था, मेरा लंड उनके स्पर्श से खड़ा हो गया। कुछ इस तरह से उन्होंने दवा लगाईं कि लौड़ा कच्छी से बाहर आ गया। चाची बोली- इतना बड़ा कर लिया है.. इसे अन्दर करो.. फिर खुद ही मेरे लण्ड को पकड़ कर चड्डी के अन्दर कर दिया।
उनका हाथ लगने से ही लंड और आतंक फैलाने लगा और फिर से बाहर आ गया अब लौड़ा बेकाबू हो गया था। लंड की सख्ती देख कर चाची बोलीं- ये जिसके भी अन्दर जाएगा.. उसे मार ही देगा। तुम पूरे जवान हो गए हो.. शादी कर लो।
जब इतनी खुली बात चाची ने बोली तो मैं भी बेशर्म हो गया। मेरा लण्ड कच्छी में टिक ही नहीं रहा था.. तो मैं बोला- चाची इसका एक ही इलाज है। मैं उनके सामने ही मुठ्ठ मारने लगा।
चाची ने मुठ्ठ मारते हुए देखा तो उन्होंने भी बोल दिया- मैं मदद करूँ। मैंने ‘हाँ’ कहा.. तो वो खुल कर बोलीं- एक शर्त पर मुठ्ठ मारूँगी.. तुम्हें मेरी चूत चूसनी होगी.. ये मेरा एक सपना था.. पर तेरे चाचा को ये पसंद नहीं है। मैंने कहा- ठीक है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
चाची ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में ले लिया। चाची बड़ी मस्त होकर लण्ड चूस रही थीं.. दस मिनट बाद मेरा माल निकला जिससे चाची का सारा मुँह भर गया। माल इतना सारा निकला था कि चाची हैरान रह गईं।
फिर चाची मेरे टट्टे पकड़ कर बोलीं- यहाँ कोई माल बनाने की फैक्ट्री लगी है क्या? मैं मस्ती से मुस्कुराने लगा। फिर वो मेरा लंड पकड़ कर बाथरूम ले गईं। बाथरूम में चाची ने अपने भी कपड़े उतार दिए। अब मेरे सामने उनकी नंगी साफ चूत थी.. मैं बैठ गया और उनकी फूली हुई चूत को चूसने लगा।
चाची ने शावर चालू कर दिया, मैंने चूत का दाना चूस-चूस कर सारा रस निकाल दिया। चाची बोलीं- आह.. अब डाल दो जा लौड़ा.. उह..फाड़ दो चूत.. मैंने चाची को घोड़ी बनाया, लंड पर साबुन लगाया, फिर चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
चाची बोली- ज्यादा मत तड़फाओ मेरी जान.. डाल दो ना अन्दर.. बना दो मेरी चूत को भोसड़ा। मैंने ‘फचाक’ से धक्का मारा.. पूरा लंड चिकनाहट के कारण सटाक से चूत के अन्दर घुसता चला गया। चाची तड़फने लगी- ओह्ह.. बाबाजी.. मार डाला रे.. लंड है कि लोहे की रॉड.. तेरा टोपा मेरी बच्चेदानी को फाड़ रहा है रे.. वास्तव में चाची की चूत बहुत कसी हुई थी.. लौड़ा चूत पर कहर बरपा रहा था।
मेरा सुपारा आंवले जितना बड़ा होने के कारण चूत में फंस सा रहा था.. जिससे मुझे भी दर्द हो रहा था.. पर चुदाई में मजा आ रहा था। दस मिनट बाद चाची की चूत ने लंड को और अधिक कस लिया, चाची सिसकारने लगीं, मेरा टोपा भी फूलने लगा, हम झड़ने वाले थे। मैंने उनकी चूची मसकी और इशारा किया तो चाची ने कहा- अन्दर ही आने दो।
अब हमारी आँखें बंद हो गई थीं, एक आनन्द की लहर दौड़ उठी, हम दोनों एक साथ ही झड़ उठे। चाची की बच्चेदानी मेरे माल से भर गई थी। फिर चूत ने लंड को आजाद किया, लंड बाहर आया.. तो चाची ने उसे चूमा और कहा- वाह मेरे शेर.. तुम असली मर्द हो।
फिर हम दोनों नहा कर सो गए, रात को दो बार फिर चुदाई की। चाची की चूत सूज गई थी.. पर वे मेरे लंड की दीवानी हो गई थीं।
दोस्तो.. चाची की चूत चुदाई की मेरी यह सच्ची कहानी थी.. आप सभी को कैसी लगी.. बताइएगा जरूर। [email protected]
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