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Most Popular Stories Published in July 2015 प्रिय अन्तर्वासना पाठको जुलाई महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
बात बहुत पुरानी है पर आज आप लोगों के साथ बांटने का मन किया, इसलिये बता रहा हूँ।
हमारा पारिवारिक काम धोबी का था, हम लोग एक छोटे से गाँव में रहते थे और वहाँ गाँव में धोबियों का एक ही घर है इसलिए हम लोगों को ही गाँव के सारे कपड़े साफ करने को मिलते थे। मेरे परिवार में मैं, मेरी एक बहन और माँ-पिताजी है। गाँव के माहौल में लड़कियों की कम उमर में शादीयाँ हो जाती है। इसलिये जैसे ही मेरी बहन की रजस्वला हुई, उसकी शादी कर दी गई और वो पड़ोस के गाँव में चली गई।
पिछले एक साल से घर में अब मैं, मेरी माँ और बापू के अलावा कोई नहीं बचा था। मेरी उमर मेरी बहन से एक साल कम ही थी, गाँव के स्कूल में ही पढ़ाई-लिखाई चल रही थी। हमारा एक छोटा सा खेत भी था, जिस पर पिताजी काम करते थे और मैंने और माँ ने कपड़े धोने का काम संभाल रखा था।
कुल मिला कर हम बहुत सुखी-संपन्न थे और किसी चीज की दिक्कत नहीं थी। मेरे से पहले कपड़े धोने में, माँ का हाथ मेरी बहन बटाती थी। मगर अब मैं यह काम करता था हम दोनों माँ-बेटे हफ्ते में दो बार नदी पर जाते थे और धुलाई करते थे। फिर घर आकर उन कपड़ों की ईस्त्री करके उन्हें गाँव में वापस लौटा कर फिर से पुराने गन्दे कपड़े इकट्ठे कर लेते थे। हर बुधवार और शनिवार को सुबह 9 बजे के समय मैं और माँ एक छोटे से गधे पर, पुराने कपड़े लाद कर नदी की और निकल पड़ते।
हम गाँव के पास बहने वाली नदी में कपड़े ना धोकर गाँव से थोड़ा दूर जाकर सुनसान जगह पर कपड़े धोते थे क्योंकि गाँव के पास वाली नदी पर साफ पानी भी नहीं मिलता था और डिस्टर्बन्स भी बहुत होता था।
अब मैं जरा अपनी माँ के बारे में बता दूँ। वो 34-35 साल की एक बहुत सुंदर गोरी-चिट्टी औरत है, ज्यादा लंबी तो नहीं परंतु उसकी लंबाई 5’3″ है और मेरी 5’7″ की है।
माँ देखने में बहुत सुंदर है, धोबियों में वैसे भी गोरा रंग और सुंदर होना कोई नई बात नहीं है। माँ के सुंदर होने के कारण गाँव के लोगों की नजर भी उसके ऊपर रहती होगी, ऐसा मैं समझता हूँ। और शायद इसी कारण से वो कपड़े धोने के लिये सुनसान जगह पर जाना ज्यादा पसंद करती थी।
सबसे आकर्षक उसके मोटे-मोटे चूतड़ और नारियल के जैसे स्तन थे जो ऐसे लगते थे जैसे ब्लाउज़ को फाड़ कर निकल जाएंगे और भाले की तरह से नुकीले थे। उसके चूतड़ भी कम सेक्सी नहीं थे। जब वो चलती थी तो ऐसे मटकते थे कि देखने वाले उसकी हिलती गांड को देख कर हिल जाते थे।
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यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है।
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो। यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ। ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था।
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था। और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया। मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी। ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं। उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
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आज जो मैं कुछ लिखने जा रहा हूँ, वो एक खत है, कामुक खत!
असल में पूर्व में मेरे लिखे गए ज्ञानवर्धक, सेक्स सलाह और सेक्स समस्याओं से सम्बंधित पाठक पाठिकाओं के मेल आते रहते हैं और मैं उन्हें जवाब देता रहता हूँ, इसी वजह से मुझे कुछ नए मित्र भी मिले हैं।
और मेरी कहानियों में अधिकतर में मेरा केंद्र बिंदु में खुद की पत्नी ही होती है इसलिए इस रूचि के लोग मेरे मित्र हैं। ऐसे ही एक सज्जन से मेरा लम्बे समय से संपर्क है, हम अक्सर अपनी अपनी पत्नियों को लेकर सेक्सी बातें शेयर करते हैं। वो मेरी एक खास कहानी ‘मेरी बीवी के बदन की एक बानगी’ और ‘बड़े बेदर्द बालमा’ से खासे प्रभावित हैं, उनकी पत्नी भी मेरी सभी कहानियाँ पढ़ चुकी है और सेक्स में बहुत ही सहयोगी है, बिंदास भी है। वो मुझसे उनकी पत्नी के बारे में कुछ न कुछ सेक्सी कहने को लिखने को बोलते रहते थे।
तब मैंने कहा- बिना देखे कुछ ख़ास नहीं लिख पाऊँगा और जो लिखूंगा वो काल्पनिक होगा, तुम्हें मज़ा भी नहीं आएगा, तुम यदि अपनी पत्नी के फ़ोटो मुझे दिखाओ तो मैं कुछ बताऊँ या लिखूँ।
वो तैयार हो गया लेकिन साथ ही वादा लिया कि मैं कलात्मक और कामुक लिखूँगा। तो फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे एक मेल किया, उसमें स्मार्ट मोबाइल से लिए अपनी पत्नी के कुछ बहुत ही कामुक चित्रों की एक पूरी शृंखला मुझे मेल की और मैंने उन्हें उस मेल का जो जवाब दिया वो में ज्यों का त्यों यहाँ कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ
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मेरा नाम नाज़नीन है, आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ की कैसे मुझे मेरे जीवन का पहला लण्ड मिला और कैसे उसने मुझे पहली बार चोदा। यह घटना घटी तब मैं बीस साल की थी, शादी नहीं हुई थी।
अपने बारे में बता दूँ, पाँच फ़ीट चार इंच लम्बाई के साथ मेरा वजन है करीब 56 किलो, यानि कि मैं पतली लड़कियों में से तो नहीं हूँ, मेरा बदन भरा हुआ, मेरा रंग गोरा, बाल और आँखें काली हैं, चेहरा गोल है, ऊपर वाला होंठ जरा सा आगे उठा हुआ है और नीचे वाला मोटा है। मेरी सहेलियाँ कहती हैं कि मेरे होंठ बहुत चूमनीय हैं। मेरे बदन में मेरा सबसे ज्यादा आकर्षक अंग है मेरे स्तन, जो मुझे देखता है उसकी नजर सबसे पहले मेरे स्तनों पर जम जाती है। 38 इन्च के मेरे उरोज एकदम गोल हैं, जरा भी झुके हुए नहीं हैं, मेरे स्तनाग्र छोटे हैं और बहुत संवेदनशील हैं। मेरा पेट दबा हुआ है लेकिन नितम्ब भारी और पीछे को उभरे हुए हैं। मेरे हाथ पाँव चिकने और नाजुक हैं। अब रह गई मेरी चूत की बात… मेर चूत के बारे में मैं अभी नहीं बताऊँगी।
हुआ क्या कि मुझे अमदाबाद में MBA में प्रवेश मिला लेकिन रहने के लिये गर्ल होस्टल में तुरंत जगह ना मिल पाई। मुझे एक सेमेस्टर के लिये अपनी मौसेरी बहन फ़रज़ाना के घर रहना पड़ा। मैं आभारी हूँ अपनी बहन की जिसने मुझे आश्रय दिया और जिसकी वजह से मैंने अपने पहले orgasm का मज़ा लिया!
मैं फ़रज़ाना आपा के साथ रहने चली आई। उसके शौहर यानि मेरे जीजू डॉक्टर आदिल अमदाबाद में अपनी क्लिनिक चलाते थे। वो आपा की फूफी के लड़के ही थे। आपा भी एक कम्पनी में जॉब करती थी।
आपा और जीजू सेक्स के बारे में एकदम खुले विचारों के थे। आपा ने खुद मुझे कहा था कि कैसे आदिल के एक दोस्त सचिन को लण्ड खड़ा ना हो पाने की कुछ बिमारी थी और इलाज के जरिये कैसे आपा ने सचिन से चुदावाया था। अपने शौहर के सिवाये ग़ैर मर्द का वो पहला लण्ड था जो आपा ने लिया था। उसके बाद आपा ने अपने बॉस पर तरस खाकर उससे भी चुदवा लिया था।
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मेरा नाम कुसुम है, मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहती हूँ, परिवार में मेरे पति एक बेटा, अवि 8 साल का और बेटी अंकिता 13 साल की है। बात करीब 2 साल पहले की है मगर मैं आपको कुछ और पीछे ले जाना चाहती हूँ। दरअसल मैं गाँव में पली बढ़ी, दसवीं के बाद मैं एक छोटे शहर में आ गई, वहाँ की आबो हवा ने मेरी नई नई चढ़ती जवानी को और भी महका दिया। मेरा पहला बॉय-फ्रेंड मेरे कॉलेज का सहपाठी बना। मगर हम दोनों के बीच कुछ ज़्यादा नहीं हुआ क्योंकि हम दोनों सच्चे प्यार करने वाले थे, हमें था कि शादी के बाद सब कुछ करेंगे। तो एक दो चुम्बन और थोड़ा बहुत बोबे दबाने के मेरे बॉय-फ्रेंड ने मेरे साथ और कुछ नहीं किया।
कॉलेज खत्म हुआ तो घर वालों ने शादी कर दी। मैं बहुत रोई, मगर मेरे रोने की किसे परवाह थी। शादी होने पर मैं अपने पति के साथ दिल्ली उनके घर आ गई और मेरी शादीशुदा ज़िंदगी की गाड़ी चल पड़ी, बच्चे भी हो गए।
विशेष बात यह है कि मेरे पति सेक्स के बहुत दीवाने हैं, उनके दिमाग में हर वक़्त सेक्स ही सेक्स भरा रहता है। आज शादी के 15 साल बाद भी वो ऐसे भूखों की तरह मुझ पर टूटते हैं और ऐसे भूखे भेड़िये की तरह मुझे नोचते हैं जैसे कभी कोई औरत ही न देखी हो।
बेशक मुझे पता है कि मेरे अलावा भी उनकी और भी सहेलियाँ हैं, जिनसे उनके ताल्लुक़ात हैं, मगर मैंने देख कर भी इन बातों को अनदेखा कर रखा है क्योंकि मैं जानती हूँ कि मैं अकेली उनकी सेक्स की आग को शांत नहीं कर सकती। मुझे यह भी पता है कि इसी के चलते इन्होंने मेरी छोटी बहन को भी नहीं बख्शा, उससे भी ये अपने नाजायज संबंध रखते हैं, मगर अब जब इन्होंने उससे कर ही लिया तो मेरे हाये तौबा मचाने से क्या होगा।
खैर छोड़ो, एक दिन इन्होंने मुझे बताया कि इन्होंने एक क्लब जॉइन किया है और बहुत बढ़िया क्लब है, सब दोस्त लोग अपनी अपनी बीवियों के साथ वहाँ आते है, खाते है पीते हैं, और एंजॉय करते हैं। मैंने इस बात पर कोई खास गौर नहीं की।
मगर उसके बाद अक्सर बातों बातों में ये उस क्लब की तारीफ करते, उसमें आने वाले शादीशुदा जोड़ों की, उनके बिंदासपन की बहुत तारीफ करते। मुझे ऐसे लगता कि जैसे ये खुद हैं, एक नंबर के लुच्चे, वैसे ही इनका क्लब होगा, तो मैं कोई खास रुचि न दिखाती।
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