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प्रिय पाठको, आपको मेरा प्रणाम! आप सभी आजकल किसी ना किसी के साथ सम्भोग का आनन्द ले ही रहे होंगे। सम्भोग हर प्राणी को शारीरिक सुख प्राप्त कराता है।
आपको सम्भोग करने के साथ सम्भोग कथाएँ पढ़ने में भी आनन्द आता ही होगा ही। मैं भी आपकी तरह ही सम्भोग कहानियाँ पढ़ता हूँ। उसी के साथ मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी कुछ सेक्स कहानी साझा करूँ.. इसलिए यहाँ मैं अपने पहले सम्भोग की कथा लिख रहा हूँ।
मेरा नाम राज है, अब मैं अपने सम्भोग कहानी को सुनाने जा रहा हूँ। मैं जब 19 साल का था.. तब मैंने अपने जीवन का पहला सेक्स किया था।
मैं गाँव में ही पढ़ता था.. मेरे हम उम्र के कई दोस्त सेक्स पर चर्चा करते थे मुझे कुछ तो उन्हीं से सीखने को मिला था.. जैसे लण्ड को हथेली में पकड़ कर मुठ्ठ मारना आदि.. गाँव में तो ज्यादातर औरतें और लड़कियाँ बाहर ही कहीं झाड़ियों की आड़ में ही शौच के लिए जाती हैं और हम भी ऐसी ही जगह पर छुपकर उनकी गाण्ड और चूत देखने कोशिश में लगे रहते थे।
अब मुझे भी इसकी आदत सी हो गई थी। एक दिन मैं रविवार के छुट्टी के दिन अपने खेत पर गया था। जब मैं वहाँ पहुँचा.. तो मुझे गन्ने के खेत में जाकर गन्ना खाने को दिल किया और मैं गन्ने के खेत में घुसने लगा।
उसी समय मुझे वैशाली.. जो मेरे पड़ोस में रहती थी.. वो उसी तरफ आती हुई दिखी। मैं उसे देखने लगा.. लेकिन उसने मुझे देखा नहीं था.. तो मैंने सोचा देखने के अलावा आज कुछ करना भी है.. किसी भी तरह वैशाली की चूत मारना ही है। तो मैंने प्लान बनाया और उधर ही छुप गया।
वैशाली दिखने में सांवली जरूर थी.. लेकिन उसका रूप ऐसा था कि पहली बार में ही किसी को भी भा जाए। उसके घरवालों ने उसे चौथी क्लास तक पढ़ा कर ही उसका स्कूल छुड़ा दिया था। उस समय उसकी उम्र 18 साल थी। उसके बड़े-बड़े मम्मे.. चलते समय ऊपर-नीचे को जोर से हिलते थे।
मैं उसे देखकर झाड़ियों में छुपकर बैठा गया और उसे देखने लगा। वो आई और इधर-उधर देख कर उसने ये तय किया कि उधर कोई नहीं है। फिर वो दूसरी झाड़ी में जाकर खड़ी हुई और अपना लहंगा खोल कर उसे एक तरफ रख दिया।
अब ऊपर सिर्फ चोली और नीचे सिर्फ लाल रंग की चड्डी पहने हुई थी।
उसे इस अवस्था में देख कर मेरा लण्ड ऊपर-नीचे झटके देने लगा.. तो मैंने भी अपना लण्ड पैन्ट की जिप खोलकर बाहर निकाल लिया और आगे होने वाली घटना को ध्यान से देखने लगा।
अब वैशाली ने अपनी चड्डी भी निकाल दी.. मुझसे दूर से ही उसकी झांटों से ढकी चूत नजर आई.. तो मेरा लण्ड फ़ड़फड़ाने लगा। मुझसे रहा नहीं गया.. अब मैंने और आँखें फाड़ कर देखने लगा कि वैशाली आगे क्या करने वाली है।
मैं इतना अधिक बहक चुका था कि अभी वो कुछ करती.. ये देखने से पहले ही मैं दबे पाँव से उसके नजदीक गया और पीछे से उसे पकड़ लिया।
जैसे ही मैंने उसे पकड़ा तो वो मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.. वो चिल्लाने ही वाली थी.. तो मैंने उसके मुँह पर हाथ रखकर चुप कराया। फिर मैंने कहा- मैं राजा हूँ.. तुम घबराओ मत। तो मुझे देख कर वह कुछ शांत हुई, मैंने उसे कुछ ढीला छोड़ा।
तो वो बोली- तुम यहाँ क्या करने आए हो? मैंने कहा- तुम नंगी होकर क्या कर रही हो। वैशाली शर्माते हुए बोली- मैं यहाँ मेरी झांटें साफ़ करने आई थी। मैं- मैं कर दूँ.. तुम्हारी झांटें साफ़?
वैशाली- मुझे शर्म आ रही है.. मैं अपने आप निकालूँगी.. तुम यहाँ से चले जाओ। मैं- नहीं.. अब तो तुम्हारी झांटें साफ़ करके और तुम्हारी चूत में अपना लण्ड डालकर ही जाऊँगा। वैशाली इठला कर बोली- मुझसे जबरदस्ती करोगे.. तो मैं करने नहीं दूँगी। मैं- हाँ.. अगर प्यार से नहीं करने दोगी तो?
वैशाली- ठीक है.. मैं मान जाऊँगी.. पर एक शर्त पर कि तुम किसी को यह बात नहीं बताओगे। मैं- ठीक है.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा.. वैशाली मान गई.. तो मेरी मन की मुराद पूरी हो गई।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया और उसे लेटने को कहा.. तो वह तुरन्त लेट गई। उसकी चूत सचमुच झांटों से ढकी हुई थी। मैंने हँस कर पूछा- तुम्हारी चूत तो झांटों में गुम हुई पड़ी है यार.. उसने कहा- मेरे राजा.. तुम झांटें साफ़ करो तो.. मेरी चूत तुम्हारे सामने अपने आप आ जाएगी।
तो मैंने उससे रेजर लिया और चूत की शेव करने लगा। शेविंग पूरी होने पर उसकी मस्त चूत सामने आई.. तो मैं उसे गौर से देखने लगा। उसने कहा- राजा पहले कभी छेद देखा नहीं क्या? मैंने कहा- देखा है.. लेकिन दूर से छुप के थोड़ा बहुत देखा है.. लेकिन आज मेरे सामने पूरी चूत दिखाई दे रही है।
वो चूत पर कामुकता से हाथ फेरने लगी। मैंने कहा- वैशाली तुम्हारी चूत में मैं अपना लण्ड डालना चाहता हूँ। उसका मन भी था पर वो मौन रही।
फिर मैं अपने सारे कपड़े निकाल कर नंगा हुआ.. तो वो मेरे लण्ड को देख कर बोली- लगता है.. तुमने आज तक किसी लड़की की चूत में अपना लण्ड डाला नहीं है।
मैंने कहा- हाँ जान.. मैंने कहा तो है कि मैं पहले कभी चूत नहीं देखी है.. आज पहली बार तुम्हारी चूत मारने जा रहा हूँ। फिर मैंने अपने लण्ड को हाथ से सहलाया और उसके ऊपर पोजीशन बना कर लेट गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उसने खुद मेरा लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर चूत में डलवाने लगी.. मैं भी जोश में तो था ही.. तो मैं उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से दूसरा चूचा दबाने लगा।
जैसे ही मेरा लौड़ा चूत में गया.. तो उसने भी जोश में आकर अपने दोनों पाँव से मुझे जकड़ लिया और अपने मुँह से मादक सीत्कार निकालने लगी, वो ‘आह्ह ह्ह..’ की आवाज करने लगी।
मैं धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा.. तो उसने कहा- राजा अब जोर-जोर से धक्के लगाओ। मैंने भी धक्के की गति बढ़ाई और यह दौर कुछ देर तक चला। यह मेरा पहला सम्भोग होने के कारण जल्दी में मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में ही निकाल दिया। झड़ने के बाद शांत होकर हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे।
उसके बाद उठे और उसने अपनी चूत साफ़ कर ली, हम दोनों ने कपड़े पहन लिए। मैंने उसे बाँहों में लेकर कुछ समय तक किस करता रहा और अलग हो गए। वो फिर मिलने को कहकर चली गई.. मैं उसे तब तक देखता रहा.. जब तक वो मेरी नजरों के सामने से दूर नहीं हो गई।
मुझे अपने आप पर घृणा भी हो रही थी और अच्छा भी लग रहा था। क्योंकि मैंने पहली बार सम्भोग किया था।
इसके बाद जल्दी ही मैं अपनी अगली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. आप जल्दी ही उस कहानी का रस भी ले सकेंगे। तब तक अपने लण्ड और चूत का ख्याल रखें और मुझे ईमेल लिखना न भूलें। [email protected]
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