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दोस्तो, एक बार फिर आप सबके सामने आपका प्यारा शरद एक नई कहानी के साथ हाजिर है। लेकिन इस बार कहानी में जरा सी कल्पना भी है। इस कल्पना के बिना यह कहानी अधूरी रहती, तो तैयार हो जाइए इस नई कहानी को पढ़ने के लिये।
दोस्तो, जिस कालोनी में मैं रहता हूँ, उस कालोनी में मेरे सामने खाली पड़े अर्पाट्मेन्ट में रात करीब 10 बजे एक ट्रक रूका। जिसमें घरेलू सामान लदा हुआ था। पीछे एक लाल रंग की कार थी जिससे कुल चार लोग उतरे। एक पतली दुबली करीब 38 वर्षीय महिला, एक लगभग 42 साल का आदमी, एक किशोरवय लड़का जो उनके घर का नौकर होगा और एक निहायत खूबसूरत लड़की जिसकी उम्र शायद 18-19 की होगी। उस लड़की को निहायत खूबसूरत इसलिये कह रहा हूँ कि उस अँधेरे में भी उसका बदन चमक रहा था क्योंकि उसने हाफ टाप और नेकर पहन रखा था।
दोनों लेडीज फ्लैट का दरवाजा खोल कर अन्दर चली गई जबकि वो लड़का और माननीय महोदय रूक कर अपनी देख-रेख में सब सामान फ्लैट के अन्दर रखवा रहे थे। रात के करीब साढ़े ग्यारह या बारह के करीब उनका सब समान फ्लैट के अन्दर था। इस दरम्यान मैंने कई बार उनसे मिलने की सोची, पर एक संकोच के कारण मैं उन तक नहीं पहुँच पाया। और मुझे लगता है कि जो पैकर्स और मूवर्स वाले थे रात में ही उनका सामान सेट कर चुके थे।
थोड़ी देर बाद ठीक मेरे कमरे की खिड़की के सामने वाली खिड़की खुली तो उसमें वही लड़की प्रकट हुई, क्या खूबसूरत थी। उसने अपने हिसाब से अपनी खिड़की के पर्दे को खिसकाया। लेकिन शायद वो मेरे अँधेरे पड़े कमरे को देखकर यह सोची होगी कि हमारे घर में सभी सो गये होंगे, इसलिये वो थोड़ी सी लापरवाह हो गई, लेकिन उसकी इस लापरवाही से मुझे फायदा हो गया क्योंकि मैंने उसके खूबसूरत बदन को नंगा होता देख लिया।
बिल्कुल दूध जैसा गोरा जिस्म था उसका!
साफ ज्यादा तो कुछ नहीं दिखाई पड़ा, लेकिन मैंने उसे अपने पूरे कपड़े उतारते हुए देख लिया था। इतना ही कह सकता हूँ कि उसके चूतड़ उठे हुए थे।
उसने पूरे कपड़े उतारने के बाद लोशन लेकर अपने पूरे जिस्म पर लगाया और नाईटी पहन कर लेट गई।
उसके इस रूप को देखकर मुझे पूरी रात नींद नहीं आई, मेरी आँखों के सामने उसका नंगा बदन घूम रहा था, करवट बदलते-बदलते हुए मैंने सारी रात काटी।
सुबह उठते ही मैंने खिड़की पर नजर डाली तो, पर्दा ने खिड़की को पूरी तरह से ढक रखा था। मेरे दिमाग में किसी तरह से उस हसीन लड़की को एक बार देखने की ख्वाहिश उमड़ रही थी, मैं सुबह-सुबह उसके घर में पहुँच गया, घंटी बजाई तो एक लड़के ने दरवाजा खोला, मैंने उसे अपना परिचय दिया तो उसने अंदर जाकर बताया, मुझे फौरन ही अन्दर बुला लिया गया।
सभी से परिचय का आदान-प्रदान हो रहा था। उनके घर में कुल तीन लोग थे चौथा लड़का उनका घरेलू नौकर था। जिसका नाम बब्लू था। घर के मालिक का नाम चन्द्रशेखर, जो सामान्य डील-डौल के मालिक थे, उनकी पत्नी जिनका नाम रेखा था वो भी काफी खूबसूरत थी, बाब कट बाल थे, अनुमानित फिगर 32-30-34 रहा होगा क्योंकि उनकी चूतड़ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही उभरा हुआ था लेकिन उनके कपड़े पहनने के अंदाज ने यह बता दिया कि वो भी कम सेक्सी लोग नहीं है।
हम लोग बात कर ही रहे थे तभी वो खूबसूरत सी लड़की नीचे आई, मैं उसको टकटकी लगाये देखता ही रहा। क्या फिगर था 30-26-32 बिल्कुल कमसिन काया। मुझे लगता है अभी किसी भँवरे की नजर उस पर पड़ी नहीं थी।
खैर! उसकी बड़ी-बड़ी आँखें जिनमें उसने काजल लगा रखा था, बहुत ही प्यारे लग रही थी। उस समय उसने हाफ कट की नीले रंग वाली टी-शर्ट पहन रखी थी और नीचे हाफ सफेद नेकर। मेरी नजर उसकी टांगों पर से हट ही नहीं रही थी। क्या चिकनी टांग थी, एक भी रोयाँ नहीं थे। मैं उसे टकटकी लगा कर देख ही रहा था तो उसने मुस्कुराकर अपने हाथ को मेरे तरफ बढ़ाते हुए बोली- हैलो, मैं सिन्धवी! ‘मैं शरद…’
क्या जादू था उसकी आवाज में, बिल्कुल घुंघुरू की तरह। उसकी आवाज और हाथ मिलाने से मैं अपने काबू के बाहर होता जा रहा था फिर भी मैं अपने होश को काबू करते हुए मैंने उसे अपना परिचय दिया।
थोड़ी देर वहाँ रूकने के बाद मैं अपने घर पर आ गया। अब हर हालत में मैं उसे अपने बाँहो में देखना चाहता था इसलिये मौके बेमौके मैं उससे बात करने के लिये बहाने ढूंढने लगा। लेकिन कहते हैं न कि जब किसी चीज को चाह लो तो मिल ही जाती है। हुआ यूँ कि बरसात का महीना था और बारिश हर दूसरे या तीसरे दिन हो जाती थी। मेरे घर में कोई नहीं था और मैं आराम से बरसात का मजा लेकर ब्लू पिक्चर लगा कर देखते हुए अपनी यादों को अपनी डायरी में सजों रहा था।
करीब 7-8 बजे शाम को सामने घर में अचानक रोशनी आनी बंद हो गई। लेकिन यह वक्त तो उनके सोने का तो नहीं था कि अचानक मेरे घर का दरवाजा खटकने लगा। मैंने बाह्रर देखा तो बब्लू खड़ा था, बोला- मेरे यहाँ लाइट नहीं आ रही है, क्या आप देख सकते हैं?
चूँकि मैं सिन्धवी से मिलने का कोई बहाना छोड़ना नहीं चाहता था इसलिये मैं बब्लू से साथ उसके घर चला गया। टार्च लेकर मैं देखने लगा तो फ़्यूज उड़ा हुआ था जिसको मैंने ठीक कर दिया। मुझे यह लगा कि मेरे द्वारा उनकी इस परेशानी को दूर किये जाने से सभी प्रभावित थे। विशेष रूप से सिन्धवी जिसने मुस्कुराते हुए मुझसे हाथ मिलाया और थैंक्स कहा। इस तरह से मेरी और सिन्धवी की मुलाकात बढ़ने लगी। मुझे उसका साथ और उसे मेरा साथ पसंद आने लगा था। धीरे-धीरे मेरा उसका जिस्म एक दूसरे से स्पर्श होने लगा था।
तभी एक दिन उसके साथ दुखद घटना हो गई, उसकी दादी जो कि गाँव में रहती थी, भूलोक को त्याग कर आकाश लोक में चली गई थी। सभी लोग को गाँव जाना था पर सिन्धवी के समेस्टर के पेपर होने के कारण वो जाने में असमर्थ थी। तो तय यह हुआ कि बब्लू और वो रूकेंगे और सिन्धवी के मम्मी-पापा गाँव जायेंगे। जाते-जाते उन्होंने मुझे भी ध्यान रखने के लिये कह दिया और चले गये।
मुझे भी लगा कि इससे अच्छा मौका और नहीं मिल सकता क्योंकि दो दिन बाद उसके मम्मी-पापा वापस आ जाते। मैंने भी न चूकते हुए सिन्धवी से कहा- सिन्धवी, अभी तक मैंने तुमको आधा देखा है, क्या मैं पूरा देख सकता हूँ? सिन्धवी- मतलब? मैं- मतलब साफ है जिस तरह के तुम कपड़े पहनती हो, उससे आधा से ज्यादा तुम्हारा जिस्म नुमाइश हो जाता है। तो कपड़े और कम कर लो तो मुझे तुम्हारा पूरा जिस्म दिख जायेगा।
सिन्धवी- गुस्से में अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखते हुए- हम्म, इसका मतलब तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो? मैं- हाँ! सिन्धवी- लेकिन मेरे मम्मी-पापा तो मेरा ख्याल रखने के लिये बोल कर गये थे और तुम उनके जाते ही मेरे साथ ये बातें करने लगे? और क्या मालूम अगर मैंने मना किया तो तुम मेरा दैहिक शोषण भी कर सकते हो।
मैं- ऐसी बात नहीं है, तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं। लेकिन इन दिनों तुम्हारे प्रति मेरा बढ़ते आकर्षण से मुझे अपने पर काबू नहीं रहा था। और मुझे लगा कि तुम भी मेरे लिये सॉफ्ट कार्नर रखती हो इसलिये बस, I am very Sorry!
मैंने उसे सॉरी बोला और चलने लगा। तभी वो मुस्कुराई और मेरा हाथ पकड़ कर होंठो को गोल करके सीटी बजाने लगी- क्यों डर गये? मैं- तुमने तो मेरी… सिन्धवी- क्या? मेरी! मैं- कुछ नहीं। सिन्धवी- कुछ तो था, जो तुम बोलते बोलते रूक गये। कुछ गाली निकल रही थी तुम्हारे मुँह से ना? मैं- नही-नहीं कुछ नहीं। सिन्धवी- अब समझ में आया, डर के मारे नहीं बोल रहे हो। कहीं मैं बुरा नहीं मान जाऊँ। अच्छा! मैं बुरा नहीं मानूँगी। मैं- कुछ नहीं, मैं तो इतना ही कह रहा था कि तुम्हारी बातों से मेरी गाण्ड फट रही थी, कहीं तुम अपनी मम्मी को न बता दो। सिन्धवी- गाण्ड…
कह कर जोर-जोर से हँसने लगी, फिर उसने एक स्लो म्यूजिक लगाया और मेरा हाथ पकड़ कर मेरे साथ डांस करने लगी। मैं उसके साथ शराफत से साथ डांस करने लगा, उसके कोमल और पतली बाँहों ने मेरे कमर को घेर लिया और मेरी बाँहों ने उसकी कमर को घेर लिया। लेकिन हाँ, जब उसके चूचे मेरे से रगड़ खा रहे थे तो मेरे बदन में सिरहन दौड़ रही थी।
अब वो मेरे से चिपक कर डांस कर रही थी। फिर सिन्धवी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसको पूर्ण नग्न देखना चाहता हूँ, मैंने हाँ में सर हिलाया। डांस करते-करते उसने मुझे धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया और बड़ी ही अदा से वो अपने जिस्म से एक-एक करके कपड़े उतारने लगी। उसकी आँखों में एक अजीब सी शरारत और हवस नजर आ रही थी।
उसने अपने जिस्म से मात्र चार कपड़े उतारने में 15-20 मिनट लगा दिया फिर अचानक उसने बब्लू को आवाज लगाई- बब्लू तुरन्त ही आ गया लेकिन यह क्या???
बब्लू तो बिल्कुल नंगा था, उसका 8 इंची लंड़ लोहे की राड की तरह बिल्कुल तना हुआ था। मैं भौंचक्का होकर कभी सिन्धवी को देखता तो कभी बब्लू को। मेरी नजर में एक प्रश्न था सिन्धवी के लिये लेकिन मेरे मुँह से कुछ निकल नहीं रहा था।
सिन्धवी- इतना मत सोचो! इसने आज तक मुझे चोदा नहीं है। मैं- समझा नहीं? सिन्धवी- इसने मेरी गाण्ड चाटी, बुर को चाटा मेरी चूचियों से खूब खेलता है। कहने का मतलब मेरे जिस्म के हर हिस्से को इसने चाटा है, लेकिन अपने लण्ड से मेरी बुर को रौंदा नहीं है। मैं- सिन्धवी, मैं यह नहीं मान पा रहा हूँ कि ये सब कुछ तुम्हारे साथ करता है लेकिन तुमको ये चोदा नहीं और तुम इससे चुदे बिना रह ली।
सिन्धवी- तुम मुझे बिना कपड़े के देखना चाहते थे, वो तुमने देख लिया अब तुम लाइव सेक्स मूवी देखो। बस शर्त इतनी सी है कि जितनी देर तुम मुझे और बब्लू को काम-क्रीड़ा करते देखो, केवल चुपचाप बैठ कर देखोगे, न तो मुझे टच करोगे और न ही अपने लण्ड या जिस्म के किसी हिस्से को। मैं- यह मुझसे नहीं होगा। मैं इतना बर्दाश्त नहीं कर सकता! सिन्धवी- तुम बर्दाश्त तो कर लो उसके बाद तुम्हें मैं जन्नत की सैर कराऊँगी।
कहकर उसने अपने होंठो को गोल किया अपनी एक उँगली होंठों पर ले गई और मेरे तरफ फ्लाइंग किस किया। फिर उसने बब्लू को इशारा किया, बब्लू तुरन्त ही अपने घुटनों और हाथों के बल बैठ कर एक कुत्ते की मानिन्द अपने जीभ को लहराते हुए सिन्धवी की तरफ बढ़ने लगा और सिन्धवी के पास पहुँच कर उसके दोनों पैरो को चाटने लगा। जिस तरह किसी कुत्ते को पुचकारा जाता है उसी तरह सिन्धवी बब्लू को पुचकार रही थी।
बब्लू उसके पैरों को चाटते-चाटते सिन्धवी के जांघों को चाटने लगा और उसके बाद उसकी चूत को। बीच-बीच में बब्लू भौं-भौं की आवाज निकालता और सिन्धवी उसको पुचकारती। करीब चार से पाँच मिनट अपनी चूत को चटवाने के बाद सिन्धवी बब्लू के पीछे आई और उसके चूतड़ों पर कस-कस कर चार-पाँच चपत लगा दी। बब्लू के मुँह से कुत्ते की तरह ऊँऊँऊँ… की तरह आवाज आई। उन दोनों का लाइव सेक्स देखने से मेरी हालत खराब हो रही थी और मेरा हाथ मेरे लण्ड की तरफ बढ़ने को बेताब था लेकिन वादे के अनुसार मैं उसी तरह बैठ कर उन दोनों की कामक्रीड़ा देख रहा था।
बब्लू के चूतड़ों पर चपत लगाने के बाद सिन्धवी हल्की सी झुकी और अपने गांड को हल्का से अपने दोनों हाथो से फैला दिया और बब्लू को पुचकारने लगी, बब्लू तुरन्त ही अपनी जीभ लपलापाते हुए उसकी गांड को चाटने लगा और उसकी गांड में उँगली अन्दर तक पेलता और मजे से आइसक्रीम समझ कर अपनी उँगली को चाट रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मुझे दो बातें बड़ी अजीब सी लगी, एक वो लड़की जिसको मैं समझ बहुत सीधी समझ रहा था वो मुझे इस समय बहुत बड़ी रंडी नजर आ रही थी और कह रही थी कि वो आज तक चुदी नहीं और दूसरी कि जो लड़की अपनी बुर में उँगली नहीं डालने दे रही थी वही लड़की मजे से अपनी गांड में उँगली करवा रही थी।
खैर थोड़ी देर बाद सिन्धवी सीधी खड़ी हुई और पलंग पर जा कर लेट गई वो इस तरह से पलंग पर लेटी थी कि उसके कमर के ऊपर का हिस्सा पलंग पर था और कमर के नीचे का हिस्सा पलंग के नीचे था उसके बाद बब्लू खड़ा हुआ और सिन्धवी के दोनों पैरों के बीच खड़ा हो गया और अपने 8 इंची लौड़े से मूठ मारने लगा। करीब दो मिनट बाद उसके लंड़ से फव्वारे सा वीर्य छूट कर सिन्धवी के पूरे जिस्म पर गिर गया। उसके बाद बब्लू ने फिर कुत्ते जैसी पोजिशन ली, और लपलपाती हुई जीभ से उसने सिन्धवी के पूरे बदन को चाटा और साफ कर दिया, इस बीच वो मुझ पर भी नजर रखी हुए थी कि मैं कहीं अपने जिस्म से छेड़छाड़ तो नहीं कर रहा हूँ।
फिर वो उठी और बाथरूम में जा कर नहाने लगी और बब्लू भी नीचे चला गया लेकिन बब्लू ने मेरी तरफ देखा भी नहीं। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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