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यह कोई कहानी नहीं है बल्कि मेरे जीवन का हिस्सा है. इसे मैंने बिल्कुल वैसा ही लिखा है जैसे बीता है! इसमें केवल प्रेम है, विशुद्ध प्रेम! ये मोहब्बत है ज़ारा की!
खट-खट, खट-खट, दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं उनींदा सा उठा, दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी!
झट से मैंने पूछा कि कौन सी उंगली से दरवाजा खटखटाया था? तो उसने अपनी पहली उंगली सामने कर दी.
मैं उसे पकड़ कर फूंक मारने लगा तो उसने अपना हाथ छुड़ाया और अंदर आकर अपना सामान रखने लगी.
मैं तब तक बिस्तर पर आ बैठा था वो भी मेरे बिल्कुल सामने कुर्सी डाल कर बैठ गयी! भयंकर गुस्से में, खा जाने वाली निगाहों से मुझे देखते हुए!
हां! रात को शराब पी थी … लेकिन नशे में इतना बड़ा कौनसा कांड कर दिया कि ये हैदराबाद से दिल्ली आ पहुंची?
ये सोचकर मैं अंदर तक सिहर गया! पता नहीं कहां कहां से पसीना छूटने लगा! बचा-खुचा हैंगओवर भी दुम दबाकर भाग निकला मुझे अकेले छोड़ उस शेरनी के आगे! जो अब मेरा क्या हाल करने वाली थी मुझे नहीं पता!
उसने कुछ कहने के लिए जैसे ही मुंह खोला तो मैंने पहले ही कह दिया कि सॉरी यार गलती हो गयी और अब फूटा परमाणु बम से भी घातक ज़ारा बम! ज़ारा- नहीं गलती और आप? आप तो कभी गलती करते ही नहीं! आप तो सिर्फ मीठी-मीठी बातें करते हो! अरे गलती तो मुझसे हुई है और वो भी बहुत बड़ी कि आप से दिल लगा बैठी!
उसकी जली-कटी सुनकर मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया और मैंने भी कह दिया- क्यों लगाया था मुझसे दिल? मैंने तो मना किया था और आज भी कर रहा हूं!
मैंने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि ज़ारा लगी रोने … और मैं भी पत्थर दिल मुंह फेर लिया!
वो रोते-रोते उठी मेरा चेहरा लिया अपने हाथों में और मेरी आंखों में देखकर कहने लगी- ये जो आपने अभी कहा वो दिल से कहा है? ईमान से कहा है? मैं- जितने दिल और ईमान से तुमने कहा!
अब बैठ गयी मेरे पास भर लिया बांहों में और लगी चूमने! चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं छोड़ा जहां चूमा ना हो!
मैं- मुझे ये तो बताओ कि तुम तो अगले हफ्ते आने वाली थी आज क्यों आयी हो? ज़ारा- पहले आप मेरे एक सवाल का जवाब दें! मैं- पूछो!
ज़ारा- मैंने सुना है कि शराब पीने के बाद कोई झूठ नहीं बोलता! क्या ये सच है? मैं- हां बिल्कुल सच है!
मेरे इतना कहते ही उसने मुझे फिर से बांहों में भर लिया! ज़ारा- पता है आपने कल क्या किया? मैं- यार … अब जो भी किया मैं तो पहले ही सॉरी बोल चुका हूं!
ज़ारा- आपने कल रात शराब पीकर मेरे पास फोन किया और मुझे यहां बुलाने के लिए पता है क्या कहा? मैं- मैंने तुम्हें बुलाया था? और क्या कहा? ज़ारा- जान! मैं- हां बताओ क्या कहा?
ज़ारा- जान! जान कहा मुझे पहली बार आपने! इसलिए मुझे आना पड़ा! मैं- हैं? तो ये कौनसी बड़ी बात हो गई? ज़ारा- आपके लिए तो कुछ भी बड़ा नहीं लेकिन कोई मेरे दिल से पूछे? मैं तो हमेशा तरसती रही हूं आपके प्यार के लिये!
मैं- मैं तुम्हें प्यार करता हूं या नहीं? ये बिस्तर इस बात का गवाह है! ज़ारा- आप हैं ना पत्थर थे, पत्थर हो और पत्थर ही रहोगे! ये क्या हाल बना रखा है? ग्यारह बज चुके हैं अभी तक नहाये भी नहीं! हायल्ला! मैं क्यों गयी थी आपको अकेले छोड़कर! चलो उठो और नहा लो, मैं तब तक चाय बनाती हूं!
वो चली किचन में और मैं बाथरूम में नहाने!
दोस्तो, यह कोई कहानी नहीं है बल्कि मेरे जीवन का हिस्सा है. इसे मैं बिल्कुल वैसा ही लिखना चाहता था जैसे ये बीता है! इसमें केवल प्रेम है, विशुद्ध प्रेम! ये मोहब्बत है ज़ारा की! इतनी टूटकर मोहब्बत की उसने! शायद कोई नहीं कर सकता!
खैर, अब मैं नहा चुका था और ज़ारा आई चाय और ऑमलेट लेकर और लगी अपने हाथ से खिलाने मुझे! नाश्ते के बाद वो बर्तन रखकर वापस आई!
अब देखा उसे गौर से! नीले रंग का हाफ स्लीव कुर्ता, सफेद चुस्त पाजामी, कूल्हों से नीचे तक के बाल, काली आंखें, गोरा रंग! देखता ही रह गया!
हर बार यही होता है! उसके हुस्न के जाल में उलझ कर रह जाता हूं फिर उसी से रास्ता पूछना पड़ता है बाहर निकलने का!
वो है ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी उलझ जाये!
बैठी मेरे पास और बांहों में भर कर लगी किस करने! चूमते-चूमते ही मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मैंने भी उसके कपड़े उतार दिये लेकिन पैंटी छोड़ दी!
ज़ारा- ये पैंटी क्यों छोड़ दी जान? मैं- इसे तुम खुद उतारना! ज़ारा- अच्छा! ये बात है तो ज़ारा का वादा है कि पैंटी आप ही निकालोगे … मैं नहीं! मैं- चलो देखते हैं कौन जीतता है?
इतना कहकर मैं चूमने लगा उसके बूब्स को! बड़ी-बड़ी चूचियां और उनके गुलाबी निप्पल! ज़ारा सीत्कार उठी- आह! जान जोर से, एक हफ्ते से तड़प रही हूं! जोर से दबाओ आह … आह … मैं- मैं भी तो तड़प रहा था तुम्हारी आह सुनने के लिए!
ज़ारा- आह! सी … मेरी चूत मचल रही है! मैं- मेरा भी लंड मचल रहा है!
अब वो हुयी पीछे और मेरा लंड पकड़कर मुंह में भर लिया और लगी चूसने! अपनी जीभ से लंड की मालिश सी करने लगी!
ज़ारा को अचानक जैसे कुछ याद आया और वो उठकर 69 की पोजीशन में आ गयी और मेरा लंड पकड़कर बोली- आपने कहा था ना कि पैंटी तुम खुद उतारना! मैं- हां! ज़ारा- अब देखते हैं पैंटी कौन उतारेगा! और फिर से गपागप लंड चूसने लगी!
बताओ ऐसी जिद कौन करता है? लेकिन ये करती है! अब उसकी जिद के सामने मैंने घुटने टेक दिये! उतार दी पैंटी!
उसने मेरे लंड को हल्का सा काटकर अपनी जीत की घोषणा की तो मैं मुस्कुरा कर रह गया!
अब उसकी चूत और गांड मेरी आंखों के सामने थी मैंने मुंह में भर ली उसकी गुलाबी चूत और उसकी गांड के भूरे छेद पर अंगूठा फिराने लगा! ज़ारा- आह! हां जान खा जाओ मेरी चूत को इसने तड़पा रखा है मुझे! मैं- तुम भी इस लंड को खा जाओ ये भी तुम्हें ही याद कर रहा था!
मेरे इतना कहते ही ज़ारा ने पूरा लंड मुंह में ले लिया और लगी चूसने! इधर मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने लंड को छोड़ा और उठकर लंड पर अपनी चूत टिका दी. मैंने नीचे से धक्का मारना चाहा तो रोक दिया- क्या बात? आपको बड़ी जल्दी है! मैं- इतनी हसीन चूत अगर लंड पर टिकी हो तो किसे जल्दी नहीं होगी? ज़ारा- अच्छा ये बात है? मैं- हां यही बात है!
जैसे ही मैंने कहा ज़ारा एकदम लंड पर बैठ गयी और तभी चीखकर खड़ी हो गई! ज़ारा- ये बड़ा हो गया है क्या? मैं- क्यों क्या हुआ? ज़ारा- दर्द हुआ!
मैं- अरे कुछ नहीं है. चलो तुम नीचे आओ मैं ऊपर से करता हूं!
ज़ारा- नहीं, आज तो मैं ही चोदूंगी. एक हफ्ते बाद मिले हो आप! और ये कहकर फिर से अपनी चूत में लंड घुसा लिया और होने लगी ऊपर-नीचे- आह … जान, आह आह!
थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद ज़ारा उठी और घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से लंड घुसाया! ज़ारा- आह! जान जल्दी-जल्दी करो चोद दो मुझे बुरी तरह आह … आह …
थोड़ी देर बाद मैंने उसे नीचे किया और खुद ऊपर आ गया. अब ज़ारा ने मेरा लंड पकड़कर चूत पर लगाया और मैंने एकदम झटका मारा सीधा पूरा का पूरा अंदर!
ज़ारा- आह! जानू चोद दो फाड़ दो मेरी चूत को! और मेरी कमर पर पैर लपेट लिये.
कुछ देर ताबड़तोड़ चुदकर ज़ारा बोली- आह! जान मैं आ रही हूं और तेज करो और तेज ऊं … आ … ह! और हम दोनों साथ में झड़ गये!
ज़ारा मुझसे लिपट गई और किस करने लगी फिर मैंने उसे नैपकिन दिये तो उसने पहले मेरा लंड पोंछा फिर अपनी चूत और नंगी ही मेरे पास लेट गई. मैं- मजा आया? उसने शरमा कर मुंह फेर लिया.
मैंने उसका चेहरा अपनी ओर किया- बताओ! मजा आया? ज़ारा- जान! आपके साथ हमेशा ही मजा आता है! मैं- तो फिर चाय पिला दो!
ज़ारा- पता है इस शहर में रहकर मुझे दो लतें लगी हैं! मैं- कौन सी? ज़ारा- पहले आप और दूसरी चाय!
ये कहते-कहते वो उठी और कुछ ढूंढने लगी!
ज़ारा- मेरी ब्रा-पेंटी कहां है? मैं- ब्रा पेंटी! लेकिन क्यों? ज़ारा- मुझे चाय बनाने जाना है! मैं- ज़ारा तुम्हें इस बंद मकान में कौन देखेगा मेरे अलावा? ज़ारा- ओह सॉरी हैदराबाद!
मैं- अब चाय तो बना लो! और वो नंगी ही किचन में चली गई!
जो ज़ारा को एक नजर भी देख ले वो दीवाना तो हो ही जाता है!
आशिक का कौल निभाने या अपनी आंखों को गरमाने मैं भी जा पहुंचा रसोई में … जहां वो नंगी ही चाय बना रही थी! मैं उसके नंगे कूल्हों पर हाथ फिराने लगा और बीच में जब कूल्हों के बीच उंगली घुसायी तो ज़ारा उचक पड़ी!
शरारती सी मुस्कान फैल गई उसके सुर्ख होठों पर- क्यों जनाब क्या इरादा है? लेकिन मैं उसके होठों और मुस्कान में फंसा क्या कह पाता?
मैं- तेरे हुस्न को देखा, तेरी आंखों में डूबा, कौन बचायेगा ईन सागर की लहरों से!
ज़ारा- जनाब शायराना मूड में हैं! मैं- कोई आदमी शायराना मूड में कब होता है? ज़ारा- हटो चाय बन गई है, मैं डालकर लाती हूं तब बात करेंगे इस शायराना मूड पर!
दोस्तो, मेरा जीवन उसके साथ इतना हसीन और रोमांचक रहा है कि कभी-कभी मैं खुद यकीन नहीं कर पाता कि ये सब सच है या सपना!
शायद वक्त उसकी सभी यादों को मिटा दे लेकिन एक चीज कभी नहीं मिट सकती! जब हम दोनों बिछोह की कगार पर खड़े थे और अंदर से किर्च-किर्च हुआ लेकिन बाहर से मजबूत दिखने का नाटक करते हुये मैं ज़ारा को लगातार तीन दिनों तक समझा रहा था कि जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है! मैं तुम्हारी जिंदगी का एक पड़ाव था! अब वक्त इस पड़ाव से आगे बढ़ने का है. और उस वक्त उसकी आंखों में जो मोटे-मोटे आंसू आते थे शायद वक्त भी उन्हें भुला ना पाये!
आप लोग भी सोच रहे होंगे कि मैं कहां ये प्यार-मोहब्बत की बातें ले बैठा? तो दोस्तो, एक बात गांठ बांध लो कि जहां प्यार है वहीं संभोग होता है! बिना प्यार या तो वेश्यावृति होती है या फिर बलlत्कार! खैर, मूल बात पर चलते हैं!
वो एक ट्रे में चाय लेकर आई. मैंने उसके हाथ से ट्रे लेकर एक कप उसे दिया और दूसरा खुद लेकर ट्रे रख दी!
ज़ारा- क्यों जनाब! शेर खत्म हो गये या बाकी हैं मुझ नाचीज के लिए? मैं- हां ज़ारा, शेर खत्म हो गये. और मैं एक अहम मसले पर तुमसे बात करना चाहता हूं! ज़ारा- यही कि ज़ारा मुझे छोड़ कर चली क्यों नहीं जातीं, यही ना? मैं- ज़ारा मेरी बात तो …
दोस्तो, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें! मेरी मेल आई डी है- [email protected] आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
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