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कम्मो के साथ मेरा जीवन कुछ महीने ठीक चला, वो बहुत ही कामातुर थी और अक्सर ही चुदाई के बारे में सोचती रहती थी. क्यूंकि वो सेक्स की भूखी थी और चूत चुदाई के बारे में उसका ज्ञान बहुत अधिक था तो उससे मैंने बहुत कुछ सीखना था, वो एक किस्म से मेरी इंस्ट्रक्टर बन गई थी।
मैं अक्सर सोचता था कि कैसे मैं कम्मो को रात भर अपने कमरे में सुलाऊँ? कोई तरीका समझ नहीं आ रहा था!
उन्हीं दिनों दूर के रिश्ते में मेरे चाचे की लड़की की शादी का न्योता आया, मम्मी और पापा को तो जाना ही था लेकिन मुझको भी साथ जाने के लिए कहने लगे। मैंने स्कूल में परीक्षा का बहाना बनाया और कहा कि मैं नहीं जा सकूँगा। पापा मेरी पढ़ने की लगन देख कर बहुत खुश हुए। यह फैसला हुआ कि एक हफ्ते के लिये वो दोनों जायेंगे और मैं यहाँ ही रहूँगा। मेरे साथ मेरे कमरे में कौन रहेगा, इसका फैसला नहीं हो रहा था। बहुत सोचने के बाद मम्मी ने ही यह फैसला किया कि कम्मो को ही मेरे कमरे में सोना पड़ेगा क्यूंकि वही ही सब नौकरानियों में सुलझी हुई और शांत स्वभाव की थी। यह जान कर मेरा दिल खुश तो हुआ लेकिन मैंने यह जताया कि यह मुझ पर ज़बरदस्ती है क्यूंकि मैं अब काफी बड़ा हो गया था और अपनी देखभाल खुद कर सकता था। मम्मी के सामने मेरी एक भी नहीं चली और आखिर हार कर मैंने भी हाँ कर दी।
मम्मी और पापा दिन को चले गए थे और कम्मो सबकी हैड बन कर काम खत्म करवा रही थी। वह कुछ समय के लिए मेरे पास आई थी और रात को मज़ा करने की बात करके चली गई थी। रात को काम खत्म करवा कर कम्मो ने सब नौकरों को हवेली के बाहर कर दिया सिर्फ खाना बनाने वाली एक बूढ़ी हवेली में रह गई। चौकीदार सब नीचे गेट के बाहर रहते थे तो कोई रुकावट नहीं थी।
रात कोई 10 बजे कम्मो आई, हम दोनों ने खूब जोरदार चूमा चाटी और आलिंगन किया। फिर मैंने कम्मो को सारे कपड़े उतारने के लिए कहा। उसने पहली धोती उतारी और फिर ब्लाउज को उतारा और सबसे आखिर में उसने पतला सफ़ेद पेटीकोट उतार दिया। मैंने भी सब कपड़े उतार दिए, कम्मो ने देखा कि मेरा लंड तो एकदम खड़ा है, उसने उसको हाथ में लिया और आगे की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी।
मेरा लंड अब पूरी तरह से तैयार था, कम्मो ने मुझको रोका और बोली- ज़रा मज़ा तो ले लेने दो ना! और फिर उसने मेरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। मुझको लगा कि लंड और भी बड़ा हो गया है, मुझको बेहद मज़ा आने लगा, तब उसने मेरा हाथ चूत पर रख दिया जो अब तक कॅाफ़ी गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली को चूत पर के छोटे से दाने को हल्के से रगड़ने के लिए कहा।
मैंने वैसे ही किया और तभी कम्मो के चूतड़ आगे पीछे होने लगे, कम्मो बोली- लड़कियों को इस दाने पर हाथ से रगड़ने पर बहुत मज़ा आता है।
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और कम्मो की फैली हुई टांगों के बीच में लंड का निशाना बनाने लगा लेकिन मेरी बार बार कोशिश करने पर लंड अंदर नहीं जा रहा था, वो बाहर ही इधर उधर फिसल रहा था। कम्मो ने तब हँसते हुए अपने हाथ से लंड को चूत के मुंह पर रखा और मैं जोर से एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया। मैं जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा लेकिन कम्मो ने रोक दिया और कहा कि धीरे धीरे धक्के लगाऊं। मैंने अब धीरे से लंड को अंदर पूरा का पूरा डाल दिया फिर धीरे से पूरा निकाल कर फिर पूरा धीरे से अंदर डाल दिया। धीरे धीरे मैंने लंड की स्पीड पर कंट्रोल करना सीख लिया और मैं बड़े ध्यान से कम्मो को देख रहा था, जैसे ही वह कमर से ठुमका लगाती, मेरी स्पीड तेज़ हो जाती या धीरे हो जाती।
इस तरह हम रात भर यौन क्रीड़ा में व्यस्त रहे। कम्मो कम से कम 10 बार झड़ी होगी और मेरा एक बार भी वीर्य नहीं निकला और सुबह होने के समय आखरी जंग तक मेरा लंड खड़ा रहा।
यह देख कर कम्मो बड़ी हैरान थी कि ऐसा हो नहीं सकता लेकिन फिर वह कहने लगी कि शायद मैं अभी पूरी तरह जवान नहीं हुआ, इसी कारण मेरा वीर्य पतन नहीं हुआ। यह सोच कर वह बहुत खुश हुई कि चलो चुदाई के बाद कोई बच्चे होने का खतरा नहीं होगा।कम्मो ने कहा कि वह गाँव से एक ख़ास तेल लाएगी जिसको लगाने के बाद मेरा लंड बड़ा होना शुरू हो जाएगा। मैंने भी उससे पक्का वायदा लिया और उसको दस रूपए इनाम दिया।
अगले दिन वायदे के मुताबिक़ वह एक बहुत ही बदबूदार तेल लेकर आई और बोली कि आज नहाते हुए मुझ को लगाना पड़ेगा। मैंने कहा- मुझको लगाना नहीं आता तुम ही आ कर लगा देना।
उसने कहा कि वह काम खत्म करके आएगी और तेल लगा देगी। और वह 12 बजे के करीब आई और मुझको गुसलखाने में ले गई, वहाँ मैंने सारे कपड़े उतार दिये और कम्मो को देख कर फिर मेरा लंड खड़ा हो गया। वह खड़े लंड पर तेल लगाती रही और मैं उसके मम्मों के साथ खेलता रहा।
तेल लगा बैठी तो बोली- अब आप नहा लीजिए! लेकिन मैं अड़ा रहा कि वो खुद मुझ को नहलाये। और फिर उस ने मुझ को नहलाना शुरू किया पर मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और वह मुझको नंगी होकर नहलाने लगी। बाथरूम में हम दोनों नंगे थे, वो मुझ को नहला रही थी और मैं उसको… बड़ा आनन्द आ रहा था। मैंने उसको कहा कि वो मुझको रोज़ तेल मलेगी और इसी तरह नहलाएगी और बदले में मैं उसको दस रूपया इनाम दिया करूंगा। वह मान गई।
यह सिलसिला चलता रहा और उस रात मैंने कम्मो को जम कर चोदा। कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आपका लंड तो थोड़ा और मोटा और लम्बा हो गया लगता है, अगर यह तेल 7 दिन लगाऊं तो यह ज़रूर 5-6 इंच का हो जायेगा। वह बोली कि उसका पति भी यह तेल लगाता था और उसका लंड भी काफी मोटा और लम्बा हो गया था।
फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या? मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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