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हेलो दोस्तो, मैं मन्नु शर्मा एक बार फिर अपना नया अनुभव आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ जो अभी 2 महीने पहले का है और आप सभी पाठकों से क्षमा प्रार्थी भी हूँ क्योंकि ऑफिस के व्यस्त कार्यक्रम के कारण बहुत दिनों के बाद कहानी लिख रहा हूँ।
मैंने अभी तक जितनी भी कहानियाँ लिखी, आप सबको पसंद आई, उन्हीं कहानियों को पढ़कर एक महिला ने मुझे मेल भेजा। मेल द्वारा आपस में बातचीत से पता लगा कि उनका नाम मिताली है और वो पुणे से है और मुझसे मिलना चाहती है।
मैंने उनसे मिलने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया- मेरे उनके पति व्यापार के सिलसिले में अक्सर घर से बाहर रहते हैं और मैं घर में अकेली बोर होती हूँ। आपकी कहानियाँ पढ़ी तो लगा कि आप मेरी समस्या दूर कर सकते हैं। मुझे सेक्स करने का बड़ा शौक है, मैं तड़पती हूँ इसके लिए। क्या आप एक दो दिन का टाइम दे सकते हैं मुझे?
मैं बोला- सोच कर बताऊँगा क्योंकि आजकल ऑफिस में ढेर सारा काम पेंडिंग पड़ा है। वो बोली- ठीक है।
करीब एक हफ्ते बाद मैंने उनको मेल किया उनसे मिलने के लिए। जवाब में उन्होंने मुझे पुणे का पता, जहाँ वो रहती है और अपना मोबाइल नम्बर भी दिया ताकि पता खोजने में कोई दिक्कत न हो। अगले ही दिन मैंने कोटा से मुंबई की ट्रेन पकड़ी और मुंबई होते हुए पुणे पहुँचा। वहाँ से मैंने मिताली को कॉल किया कि मैं पुणे पहुँच चूका हूँ। करीब एक घंटे बाद बताये हुए पते पर पहुँचा तो मैंने देखा कि एक 34-35 वर्षीया एक महिला पहले से ही बाहर दरवाजे पर खड़ी है। मैं समझ गया कि वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी। मैंने उन्हें गौर से देखा तो वो देखने में बहुत ही आकर्षक लग रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी। दोस्तो, वो इतनी सुन्दर थी कि मैं सब कुछ भूल कर उन्हें देख रहा था। दोस्तो, क्या बताऊँ… भरा पूरा गदराया बदन 36-34-38 साइज़ के बड़े बड़े मम्मे जिन्हें देखकर दिल कर रहा था कि अभी के अभी यहीं इन्हें मसल दूँ।
तभी मेरे कानों में किसी की आवाज़ पड़ी- यही खड़े रहोगे या अन्दर भी चलोगे। मैं मुस्कुराते हुए उनके साथ घर के अन्दर चला गया।
घर तो उनका शानदार था लेकिन मुझे तो अपने काम से मतलब था। उन्होंने मुझे बिठाया और चाय बनाने को बोल कर अन्दर किचन में चली गई। मैं लम्बे सफ़र से बहुत थक चुका था। थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आई और हम दोनों ने चाय पी।
फिर मैंने उनसे सवाल किया कि अन्तर्वासना साईट पर बहुत सारे लेखक थे फिर आपने मुझे ही क्यों चुना? तो बोली- मैंने आपकी सारी स्टोरीज पढ़ी, मुझे उन सबमें सच्चाई नज़र आई और आपने ही तो लिखा था कि वो सब आपके निजी अनुभव हैं। तो मैंने सिर्फ आपको ही चुना क्योंकि मैं खुद भी अच्छे घर से ताल्लुक रखती हूँ और मुझे भी समाज से डर लगता है। इसलिए मैं भी ऐसे व्यक्ति को खोज रही थी कि मेरी इच्छा भी पूरी हो जाये और किसी को पता भी न चले।
मैं बोला- घर में और कौन कौन है? वो बोली- मेरे पति तो टूर पर हैं और नौकरों को मैंने दो दिन छुट्टी दे दी। बाकी सारा परिवार मुंबई रहता है। मैं बोला- ठीक है मिताली जी!
फिर मैंने कहा कि मैं थक चूका हूँ, मैं पहले नहाऊँगा। वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और कहा- ये रहा बाथरूम और आज हम दोनों साथ नहायेंगे। मैं चेंज करके आती हूँ। यह कह कर वो चली गई।
मैंने भी अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में अन्दर जाकर शावर चालू कर दिया। ठन्डे पानी के कारन कुछ ही देर में मेरी सारी थकान उतर गई। थोड़ी देर बाद मिताली आई, उन्होंने पारदर्शी गाउन पहन रखा था जिसमें से मुझे उनके बड़े बड़े चूचे दिखाई दे रहे थे क्योंकि उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था। उनको देखते ही मेरा तो दिमाग खराब हो गया और वो मुझे नहाते देख बाहर से ही मुस्कुरा रही थी तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर अन्दर खींच लिया और उन्हें अपने सीने से चिपकाते हुए उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें बेतहाशा चूसने और चूमने लगा।
वो भी मेरा बराबर का साथ दे रही थी। हम दोनों ने एक दूसरे के अधरों को ऐसे चूस रहे थे कि जैसे बरसों के प्यासे हों। फिर मैंने उनकी गाउन को उनके शरीर से अलग कर दिया, अब वो पूरी तरह से नंगी थी। फिर मैंने उनके एक चूचे को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा तथा दूसरे को मैं मसलने लगा। वो अपने मुख से मादक आवाज़ें स्सीई… स्सीई.. आह्ह्ह… आःह… ऊम्म्ह्ह… ऊम्म्ह्ह.. आःह.. आःह… चूसो चूसो मेरे राजा… आह.. आह्ह… मसल डालो इनको कर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने दूसरे को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा तथा दूसरे को मसलने लगा। ऊपर से शावर का पानी और मस्ती दिए जा रहा था। तब मैंने उनका मुँह आगे की ओर किया और उनको अपने सीने चिपकाते हुए उनके दोनों चूचों को अपने हाथों से मसलने लगा तथा उनके गले में चुम्बन करने लगा। मैं अपनी पूरी ताकत से उनके बोबों को मसल दबा रहा था तो वो उह्ह..उह्ह.. ऊह्ह…आह्ह… आह्ह…आह्ह.. और जोर से… और जोर से.. आह्ह… क्या मन्नू कहा थे इतने दिन से… आज मेरी प्यास बुझा दो आह्ह..आह्ह.. ऐसा बोल रही थी।
फिर मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी कमर तक आया और उनकी चूत को छुआ तो तो ठन्डे पानी में नहाते हुए भी वो गर्म थी। मैंने उनकी चूत को अपने हाथों से सहलाया और उनको दीवार के सहारे खड़ा कर उनके एक पैर को अपने कंधे पर रखा। फिर जैसे ही मेरे होंठों ने उनकी चूत को छुआ तो वो तड़प उठी ‘स्सीई… स्सीईइ… स्ससीई… मन्नू… हय्य.. हय्य…
मैंने अपनी जुबान से उनकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं चाटने के साथ साथ उनकी चूत को अपने मुँह में भर कर चूस भी रहा था। उनकी चूत का वो नमकीन स्वाद मुझे लगातार मदहोश कर रहा था। फिर भी मैं अपने काम में मगन था और उसे अब मैं चूसने चाटने के साथ अपनी जुबान से चोद भी रहा था।
वो अपनी चूत को मेरे मुख पर जोर जोर से घिसने लगी थी, शायद उनका पानी छुटने वाला था लेकिन मैं भी चूसता रहा। वो सी..सी.. सी..आह्ह.. आह्ह.. करते हुए मेरे मुँह में ही झड़ गई।
मैं उठा तो मैंने उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखे, लेकिन अभी तो असली काम बाकी था चुदाई का। हम नहा कर बाहर आये तो उन्होंने मेरा लंड देखा तो देखती ही रह गई, वो नीचे बैठी और उसे सहलाया, फिर हौले से अपने मुँह में लिया और चूसने लली। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कि कोई लोलिलोप हो। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरे मुँह से आह्ह्ह… आःह… आह्ह… चूसो मेरी जान… आःह… आवाज़ आ रही थी। वो भी बड़े मस्त तरीके से लंड को चूस रही थी जैसे कि कोई पेशेवर रांड हो…
थोड़ी ही देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और उनके मुँह को पकडकर उनके मुँह में जोर जोर से ठोके देते हुए अपना सारा माल उनके मुँह में निकाल दिया और वो बड़े मज़े के साथ मेरे लंड का सारा पानी गटक गई लेकिन फिर भी उन्होंने उसे चूसना बन्द नहीं किया। मैं भी उनके चूचों को मसलता रहा।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आकर एक दूसरे के अंगो को चूसने लगे। थोड़ी ही देर में मिताली बोली- मन्नू, अपना लंड मेरी चूत में डाल भी दो… अब सहन नहीं हो रहा। मैंने तुरंत उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा और लंड को चूत के मुहाने पर ले जाकर एक धक्का दिया, लंड एक ही झटके में उनकी चूत की दरारों को चीरता हुआ चूत की गहराइयों में उतरता चला गया। बहुत दिनों के बाद चुदने के कारण उनके मुँह से चीख निकल गई लेकिन मैंने ध्यान न देते हुए उनकी चूत को चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद उनको भी मज़ा आने लगा, वो मेरे हर धक्के का जवाब अपनी कमर उचका कर दे रही थी, कह रही थी- चोदो… चोदो… ऊह्ह्ह… ऊह्ह… मेरे राजा और चोदो.. आज मेरी चूत को फाड़ दो… ऊह्ह… ऊह्ह्ह… आह्ह… आ… आःह..
क्या कमाल की लग रही थी जब वो चुद रही थी… जब मैं उनकी चुदाई कर रहा था तो साथ में चूचों की बिटनियों को भी मसल रहा था जिसके कारण वो अपने मुँह से तरह तरह की सिसकारियाँ निकाल रही थी।
कुछ देर के बाद उन्होंने अपनी कमर उचकाने कि स्पीड तेज कर दी और आईई… आईई… आःह…आःह.. सस्सी… सस्सी… आईईइ.. मैं गईईई… करते हुए झड़ गई लेकिन मेरी चुदाई बराबर चलती रही… फिर मैंने उनको कुतिया बनने को बोला तो वो झट से कुतिया बनते हुए बोली- आज यह मिताली तेरे लंड की गुलाम है मन्नू… तू चोद इसे, आज इसकी सारी गर्मी निकाल दे…
मैंने भी देर न करते हुए पीछे से एक ही झटके में चूत में लंड को उतार दिया और फुल स्पीड चोदने लगा, साथ में उनके चूचों को भी मसलने लगा। थोड़े ही धक्कों की चुदाई में वो फिर से गर्म हो गई और हर धक्के का जवाब अपनी कमर को पीछे की और करके दे रही थी। मैं उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उन्हें चोद रहा था और वो आह्ह… आःह… आह्ह्ह… आःह्ह… आह्ह.. करके चुद रही थी।
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद वो बोली- मेरा पानी छूटने वाला है! और मैं बोला- मेरा भी! तो वो बोली- अन्दर ही छोड़ दो! लगभग 20-25 धक्कों के बाद हम एक साथ झड़ गये और एक दूसरे से चिपक कर आहें भर रहे थे। जब हम नार्मल हुए तो हमने साथ में खाना खाया चूँकि पूरे घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था तो हम नंगे ही थे। मैं पूरे दो दिन वहाँ रहा और मिताली की खूब चुदाई की।
जब मैं वापस आ रहा था तो उन्होंने मेरे आने जाने का पेमंट किया और उपर से काफ़ी रूपए और दिए और बोली- एक बार फिर मैं जल्दी आपको वापस बुलाऊँगी। मैंने कहा- ठीक है, आप जब बुलाओगी बंदा हाज़िर हो जाएगा…
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