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अन्तर्वासना के सभी पाठकों मेरा प्रणाम.. मेरा नाम सन्नी है। वैसे तो हम लोग हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हैं.. पर अभी हमारा परिवार पंजाब के लुधियाना शहर में रहता है।
मैं इस साईट का पिछले चार सालों से नियमित पाठक हूँ और इस साईट की शायद मैंने सारी कहानियाँ पढ़ी हैं।
अन्तर्वासना पर मेरी यह पहली कहानी है। छ: साल पहले की बात है.. इस घटना में जिस लड़की का उल्लेख हुआ है उसकी अब शादी हो चुकी है और यह कहानी मैं अब इसलिय़े लिख रहा हूँ क्योंकि इस बार मैं जब घर गया तो वो मुझे मिली और उसकी शादी के दो सालों के बाद उसके अंदाज़ को देख कर ये लग रहा था जैसे उसकी आँखें आज भी कह रही थीं कि कब चोदोगे मुझे..!
बस अब उसकी याद आती है और उसी याद ने मुझे इस कहानी को लिखने पर मजबूर कर दिया, उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
जब मैं अपनी स्नातक की परीक्षा के प्रथम वर्ष के पेपर देने के बाद वापस घर गया तो मेरी एक मौसी की लड़की घर पर थी.. जिसके पेपर होने थे और उसका सेण्टर मेरा कालेज था। उसके घर वालों ने उसे मेरे साथ भेज दिया.. क्योंकि वहाँ मेरा कमरा था। वो चूंकि रिश्ते में मेरी बहन लगती थी इसलिए किसी को उसे मेरे साथ भेजने में कोई आपत्ति नहीं थी।
हम दोनों 11 बजे घर से चल पड़े और शाम को 3 बजे हम कमरे पर पहुँच गए थे।
हम दोनों में ‘खेल-संबध’ तो पहले से ही थे.. मैं पिछले पांच सालों से उसे सहलाता और दबाता आ रहा था। हम दोनों साइकिल पर चलते वक्त.. घर में… और जानवरों को चराते हुए ऊपर से मजा लेते रहते थे। उसका फिगर बड़ा मस्त था.. गोरा गोल साफ़ चेहरा.. बड़ी-बड़ी आँखें, उसके जिस्म का साइज़ 32-28-32 का था। वो अभी नई-नई जवान हुई थी।
एक दिन जब मेरी बड़ी बहन ने उसकी मम्मी से मेरे सामने कहा- ये तो जवान हो गई है.. इसकी शादी कर दो.. उसी समय उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को देख कर मैं समझ गया था कि इसकी चूचियों को देख कर दीदी ऐसा कह रही हैं। मैं सोच रहा था कि इनको इतनी बड़ी तो मैंने ही मसल-मसल कर और चूस-चूस कर किया है।
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो भी मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। उसकी आँखें शायद कह रही थीं ‘देख लिए अपने कारनामे..!’
आज पहली बार वो रात को मेरे साथ घर से दूर अकेली थी। खाना खाने के बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए..
कमरे की लाइट बंद थी.. मैंने धीरे से अपने हाथ से उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया, उसने मेरा हाथ हटा दिया। कुछ देर बाद मैंने फिर वही किया और इस जैसे ही उसने मेरा हाथ हटाने की कोशिश की.. मैं उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसके ऊपर चढ़ गया।
उसने मुझे हटाने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसके कन्धों को जोर से पकड़ रखा था और मैंने उसके गले और गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। मैं पागलों की तरह उसे चूमता रहा.. वो मुझे हटाने की कोशिश करती रही.. मगर हम दोनों में ये सब काफी समय से हो रहा था.. इसलिए मैं जानता था कि आज चाहे वो कुछ भी बोले.. पर आज इसकी बुर को पेल कर ही रहूँगा।
मैं उसे चूमता रहा.. सहलाता रहा.. दस मिनट के बाद वो बोली- अच्छा ठीक है.. आराम से करो.. दर्द हो रहा है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
बस फिर क्या था.. मैं उसके ऊपर से हट गया और बगल में लेट कर मैंने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी कमीज उतार दी और उसने कमीज के अन्दर काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, मैंने उसे भी उतार दिया। अब उसके बड़े-बड़े चूचे मेरे सामने थे।
चाँद की रोशनी खिड़की से अन्दर आ रही थी, चाँद की रोशनी में उसका बदन संगमरमर की तरह चमक रहा था। मैंने उसकी चूचियों को चूसना चालू कर दिया। दो मिनट बाद ही उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके हाथ मेरे बालों में चलने लगे। उसके चूचे बड़े थे.. फिर भी मैं उन्हें पूरा अपने मुँह में भर लेने की कोशिश कर रहा था। जितना मैं उन्हें ज्यादा अन्दर लेता.. वो उतनी ही जोर से वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसके मुँह से ‘इसस्स्स स्स्स्स.. आ… आआह..’ की आवाजें आ रही थीं। मैं उसकी मादक सीत्कारें सुन कर और जोर से उन आमों को चूसने की कोशिश करता।
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी और उस के साथ चिपक कर उसको बेतहाशा चूमने लगा। उसके हाथ मेरी पीठ पर चल रहे थे.. मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया।
‘उफ्फ फ्फ..’ वो एक गाँव की लड़की थी और उसने अन्दर कुछ भी नहीं पहना हुआ था। उसकी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। मैंने एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। उसकी चूत की ऐसी रगड़ाई.. मैं पहले भी कई बार कर चुका था। मैंने हाथ बाहर निकाल कर उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार दिया।
अब वो एकदम नंगी मेरे सामने पड़ी थी। मैंने अपना लोअर उतार दिया और उसकी चूत के आस-पास चूमने लगा। वो मचलने लगी और मुझे अपने ऊपर आने को कहने लगी.. मेरे हर चुम्बन पर उसके मुँह से ‘आह’ निकल जाती। अचानक चुदासी होकर उसने उठ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
मैंने उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए और उन्हें चूसने लगा। मेरा लंड उसकी टाँगों के बीच उसकी चूत से रगड़ रहा था और उसकी चूत की गर्मी का एहसास हो रहा था। वो अपने हाथों से मेरे अंडरवियर को उतारने की कोशिश करने लगी और मैंने उससे जरा हट कर अपनी चड्डी को भी उतार दिया।
अब मैंने झुक कर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया। उसमें एक अजीब सी महक थी और मैंने साँस रोक कर उसकी बालों से भरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को एक हाथ से खोल कर उसमें अपनी जीभ घुसा दी और उसे जीभ से चोदने लगा। उसकी चूत से नमकीन पानी निकल रहा था और मैं अपनी जीभ अन्दर तक डालने की कोशिश कर रहा था।
वो अपना हाथ मेरे सर पर रख कर दबाने लगी और अपनी गांड ऊपर उठाने लगी, उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मदहोश कर रही थीं।
मैंने उसकी चूत को पूरा अपने मुँह में ले लिया.. उधर वो सिसकती और मचलती रही.. इधर मैं उसकी गांड के नीचे हाथ लगा कर अपनी जीभ और अन्दर करने की कोशिश करता रहा। उसकी चूत ताजे मक्खन की तरह चिकनी हो चुकी थी।
उससे ये सब सहन नहीं हो रहा था और वो मुझे अपने ऊपर आने को कहने लगी।
मैं उठ कर उसकी चूचियों को चूसने लगा और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो सिसक पड़ी और मैंने उसकी चूत में उंगली अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बाहर निकाल दिया।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मेरा लंड भी पानी छोड़ रहा था और मैं कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था। उसकी हालत भी खराब थी.. मैंने उससे आँखों में पूछा और उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सैट किया, मैंने हल्का सा दबाव बनाया और धीरे-धीरे दबाव बढ़ता गया। उसने भी नीचे से थोड़ा सा धक्का लगाया और मैंने ऊपर से जोर से दबा दिया। लंड का अगला हिस्सा उसकी चूत में घुस गया।
वो दर्द से कराह उठी और मुझे अपनी बाँहों में कस लिया। उसकी चूत ने लंड को जकड़ लिया.. चूत एकदम अंगार की तरह तप रही थी।
मैंने रुक-रुक कर आधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उतने ही लौड़े से उसे चोदने लगा। फिर चूत में लण्ड की शंटिंग करते वक्त एक जोर का शॉट मार दिया और लगभग पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो चीख पड़ी.. पर मैं उसे चोदता रहा.. और कुछ देर बाद वो भी मुझे कस कर अपनी कमर चलाने लगी। आठ-दस तगड़े शॉट्स के बाद ही वो शांत हो गई। उसकी चूत से माल की गर्मी से लंड अन्दर रखना मुश्किल हो रहा था। मैंने भी अपनी स्पीड तेज़ कर दी और लंड पूरा जड़ तक उसकी चूत में पेल दिया।
उसकी चूत की गर्मी और बच्चेदानी की रगड़ से मेरा लंड भी चूत में रो पड़ा और मैंने अपना वीर्य उसकी चूत की गहराई में छोड़ दिया।
दस मिनट के बाद हम अलग हुए वाशरूम में जा कर एक-दूसरे को साफ़ किया। उसकी चूत दुःख रही थी.. उसे साफ़ करते-करते ही मैंने उसे फिर से गरम करना चालू कर दिया।
उसने मेरा लंड हाथ में लेकर उसकी मुठ मारना शुरू कर दिया और फिर मुँह में लेकर लौड़े को चूसने लगी। मैंने उसकी गर्दन को पकड़ कर पूरा लंड डालना चाहा.. पर आधा लंड जाते ही उस की साँस घुटने लगती। मैंने लंड बाहर निकाल दिया.. उसने फिर से लण्ड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
मैं उसकी लण्ड चुसाई के मजे लेता रहा.. लण्ड को जितना वो ज्यादा अन्दर ले जाती.. उतना ही ज्यादा जोश चढ़ जाता। कुछ ही मिनट लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने उसे खड़ा किया और खड़े-खड़े ही उसकी चूत पर लंड रख कर जोर से धक्का मार दिया। इस बार पहले ही धक्के में आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो कसमसा उठी और मैंने देर ना करते हुए अगले दो शॉट्स में ही पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे तेज़-तेज़ शॉट्स से उसके मुँह से ‘आआहह.. आआआहह..’ की ही आवाजें आ रही थीं।
कुछ देर उस तरह चोदने के बाद मैं उसे अन्दर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और वो मेरे पास आकर मेरे लंड को पकड़ कर उस पर बैठ गई।
वो पूरा लंड अन्दर नहीं ले रही थी.. तो मैं उसे पकड़ कर खड़ा हो गया और उसको टांगें मेरी कमर के पीछे कसने को कहा.. उसने वैसा ही किया। फिर मैंने जोर के एक धक्के में ही लंड को अन्दर डाल दिया। वो आँखें बंद करके मेरे होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगी।
मैं इस तरह उसे ज्यादा देर तक नहीं चोद पाया और उसे बिस्तर पर घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड पेल दिया।
अब मैं उसके कन्धों को पकड़ कर उसकी चूत चोदने लगा.. मेरे हर धक्के पर वो ‘आआहह.. आआआहह..’ कर रही थी और मेरा लंड उस की बच्चेदानी से रगड़ रहा था। हर गहरे शॉट पर वो दर्द से तड़फ उठती और मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा कर वापस आता।
अब वो थक कर बिस्तर पर लेट गई और बोली- ऐसे नहीं.. बहुत दर्द हो रहा है.. तुम ऊपर से चोद लो। मैंने उसे बिस्तर के किनारे पर लिटा कर उसकी दोनों टाँगों को पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया। दस मिनट तक चोदने के बाद वो फिर बोली- भाई, मैं झड़ने वाली हूँ.. मैंने धक्के और तेज़ कर दिए और दोनों साथ ही झड़ गए।
रात का एक बज रहा था और सुबह उस का पेपर भी था। लंड को चूत में रख कर दोनों लिपट कर सो गए।
यह मेरा पहला मौका था.. जब मैंने किसी लड़की को चोदा था। उसके बाद हम बारह दिन साथ रहे और मैंने उसकी सहेली सपना को भी उसके साथ चोदा। वो अगली बार.. अगली कहानी लिखूँगा.. आप मुझे जरूर बताइए.. कि कहानी रसीली है या नहीं.. [email protected]
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