सोनी मौसी की चूत चुदाई -8

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अब तक आपने पढ़ा…

मैं मौसी को होंठों पर चूमने लगा और बीच-बीच में लौड़े से लगातार उनकी मक्खन जैसी चूत को भी चोद रहा था।

ठीक उसी समय मैंने फिर पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का फिर लगा दिया। वो फिर से चिल्लाने लगीं- प्लीज़… प्लीज़.. बेटा.. मैं मर जाऊँगी.. हर्ष.. ओह हर्ष अपना लंड निकाल लो प्लीज़.. तुम्हारा लंड बड़ा भी है और मोटा भी है।

इस बार मैं चूत की जड़ तक पहुँच कर रुक गया और दो मिनट के बाद जब मौसी थोड़ी शांत हुईं.. तब मैंने अपना लंड बाहर निकल लिया और ढेर सारी क्रीम को अपने लंड और उनकी गाण्ड पर लगा दिया।

जब तक सोनी मौसी कुछ सोच समझ पातीं.. मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड पर रख कर एक जोरदार धक्का दे दिया।

अब आगे..

इससे मेरा एक इन्च लंड मेरी प्यारी मौसी की गाण्ड में घुस गया और वो फिर चिल्लाने लगीं- नहीं बेटा… प्लीज़ छोड़ दो मुझे.. मैं मर जाऊँगी.. मेरी गाण्ड फट गई रे.. आह.. ओह.. मैं मरी.. प्लीज़ तुम्हें मेरी कसम… छोड़ दे बेरहम।

इसी समय मैंने मौसी की चीखों का आनन्द लेते हुए एक बेजोड़ धक्का मारा.. जिससे मेरा लंड मौसी की गाण्ड में जड़ तक चला गया। उस समय वो ऐसे चीखीं जैसे उनकी जान ही निकल गई हो। ठीक उसी समय उनकी बुर ने पानी छोड़ दिया.. जो कि बहता हुआ गाण्ड तक आ गया.. जिससे चिकनाई और बढ़ गई।

इसका फायदा उठाते हुए मैंने जोरदार 5-6 धक्के मारे और अपना लंड गाण्ड से बाहर निकाल लिया।

फिर 8″ का एक मोटी गाजर में कंडोम पहना कर ताकि वो अन्दर टूट ना जाए.. एक करारे धक्के के साथ मौसी की गाण्ड में ठूंस दिया और अपने लंड पर पतला और लंबा गाजर को टेप से लपेट कर उनकी बुर पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा.. लेकिन ज्यादा मोटा हो जाने की वजह से लौड़ा अन्दर नहीं जा पा रहा था।

मौसी तो ऐसे चीख रही थीं.. जैसे उन पर किसी ने गर्म पानी डाल दिया हो और वो पहली बार चुद रही हों। लंड ज्यादा मोटा होने की वजह से मेरी प्यारी मौसी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। वो लगभग बेहोश हो चुकी थीं।

फिर मैं उसी तरह पड़ा रहा और मौसी के होंठों को चूसने लगा।

करीब पन्द्रह मिनट के बाद उन्हें होश आने लगा और मैं अपने लंड विद गाजर को उनकी चूत में धक्के लगाने लगा क्योंकि मैं किसी भी तरह लंड और गाजर को चूत की जड़ तक पहुँचाना चाहता था.. जो कि मेरे 6वें और जोरदार धक्के के साथ पूरा हो गया।

इसी के साथ मौसी भी बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आज मैं पक्का मर जाऊँगी.. मुझे छोड़ दो.. मेरी गाण्ड और बुर दोनों फाड़ दी तूने.. मादरचोद.. तूने अपनी माँ जैसी मौसी को धोखे से चोद दिया और अब लगातार चोद रहा है.. मुझे अपनी बीवी भी बना लिया तूने.. इस दर्दनाक चुदाई के लिए.. ओह.. छोड़ दे हरामी..

फिर भी मैंने धक्के मारना नहीं बंद किए। वो चिल्लाती रहीं और इस बीच वो ना जाने कितनी बार झड़ी.. इस महाचुदाई के बाद मैंने उसकी बुर में अपनी रस गिरा दिया। फिर करीब पन्द्रह मिनट तक उनकी चूत में अन्दर ही अपना लंड डाले पड़ा रहा।

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगा हुआ था.. तो मैंने मौसी के बाल पकड़ कर उन्हें बैठाया और उनके मुँह में लंड डाल कर उसके मुँह मे ही धीरे-धीरे पेशाब करने लगा.. जिसे वो पीना तो नहीं चाहती थीं लेकिन मैंने उसे जबरदस्ती पिलाया।

इसके बाद मैंने उन्हें दस दिनों तक इतनी बार चोदा.. भयंकर गाण्ड मारी.. उन्हें अपने लंड का पानी और पेशाब पिलाई.. मैंने भी उनकी चूत का पानी और पेशाब पिया।

मैंने ऐसा इतनी बार किया कि उनकी चूत और मेरे लंड में उफान मच गया। मैंने अपनी प्यारी मौसी को हर पोज़ में चोदा और कुछ नए पोज़ में भी चोदा। हम दोनों को इतना मज़ा आ रहा था कि क्या कहूँ।

हम लगातार चुदाई करके थक चुके थे। हमें पता ही नहीं चला कि कब दस दिन गुजर गए। फिर मौसा जी का फोन आया कि मैं कल आ रहा हूँ.. तो हमने अंतिम दिन खूब चुदाई की। मौसी का मेरी बीवी के रूप में आखिरी दिन था, मैंने कहा- मैं और दस दिन बाद यहाँ से अपने घर चला जाऊँगा। तो मौसी इस बात पर मुझे किस करने लगीं.. और मुझसे कहा- मेरी चूत तुम्हारे लंड के बिना कैसे रहेगी?

तो मैंने कहा- आपको क्या प्राब्लम है.. आपको तो मौसा जी का लंड मिल ही जाएगा.. दिक्कत तो मेरे लंड को होगी क्योंकि मेरे पास कोई दूसरी चूत नहीं है।

फिर हमें पता ही नहीं चला कि कब वो दिन बीत गया और अगले दिन मौसा जी और अनु आ गए।

फिर हमने खूब बातचीत की और फिर अनु थकी होने के कारण जल्द सो गई और मौसा जी ने मौसी को कमरे में बुलाया। वो मौसी को चोदना चाहते थे। तो मौसी ने कहा- अभी दिन है.. रात में चोद लेना.. मौसा ने कहा- नहीं.. मैं दस दिन का भूखा हूँ.. मैं तुम्हें अभी चोदूँगा.. तो मौसी ने कहा- ठीक है.. मैं हर्ष बेटा को देख कर आती हूँ। मौसा जी ने कहा- ठीक है.. मैं इंतजार कर रहा हूँ.. तुम जल्दी आओ मुझे आज ऑफिस भी जाना है।

तो मौसी बाहर आईं और मुझे सब बताया.. तो मैंने कहा- ठीक है जाओ और चुदवा लो.. मौसी ने कहा- लेकिन तुम घर में हो और ये कह कर उन्होंने मुझे डांटते हुए चिल्ला कर कहा- हर्ष जाओ और जाकर नहा लो अभी.. मैंने कहा- ठीक है.. जाता हूँ..

यह कह कर मौसी.. मौसा के कमरे में चली गईं और उन्होंने कहा- अब चोद लो.. हर्ष नहाने गया है और उसे नहाने में एक घंटा लगता है।

तो मौसा जी ने उनकी नाईटी उठा कर डायरेक्ट अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और सटासट चोदने लगे.. ना चुम्मा लिया.. ना चूची मसली.. न मौसी को तैयार किया.. बस उन्हें चोदते लगे और मौसी बिस्तर पर केवल मुर्दा सी पड़ी रहीं।

फिर मैं नहा कर निकला.. तब तक चुदाई हो चुकी थी और मौसा जी ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे। मैं तौलिया लपेटे हुआ था और ऊपर कुछ नहीं पहना था.. पांच मिनट के बाद मौसा जी ऑफिस चले गए तो मौसी ने दरवाजा बंद किया और अनु के कमरे की कुण्डी बाहर से लगा दी।

फिर अपने कमरे में आकर.. जहाँ मैं तैयार हो रहा था.. पीछे से आकर मेरा तौलिया खींच कर मुझे नंगा कर दिया और बोलीं- बेटा तेरे मौसा ने अपनी प्यास बुझा ली.. और मुझे प्यासा ही छोड़ गए.. तुम मेरी प्यास बुझा दो।

तब मैंने उन्हें नंगा किया और 69 की पोजीशन में आकर दोनों चूत और लंड चूसने लगे। दस मिनट के बाद दोनों तैयार थे.. फिर मैंने उनकी चुदाई स्टार्ट की.. बीच-बीच में लंड निकाल कर उनकी गाण्ड में भी डाल देता.. तो वो चीख पड़तीं।

इसी तरह मैं चुदाई करता रहा और आधा घंटे के बाद मैं और मौसी दोनों झड़ गए। फिर मुझे पेशाब लगने लगी.. तो मैं खड़ा होकर मौसी से बोला- मौसी मुझे पेशाब लगी है।

तो उन्होंने मुझे बड़े गुस्से और प्यार दोनों से देखा और फिर नीचे बैठ गईं और बोलीं- लाओ पिला दो.. क्योंकि इसके बिना तुम्हें चैन तो मिलेगा नहीं.. मैंने पहले उन्हें चुम्बन किया और बड़े प्यार से कहा- ऊऊऊओ.. मेरी प्यारी मौसी.. तुम कितनी अच्छी हो.. फिर मैं उनके मुँह में मूतने लगा और वो मेरा पेशाब पी गईं। उसके बाद वो उठ कर रसोई में नाश्ता बनाने चली गईं और मैं तैयार हो गया।

मैं भी रसोई में चला गया और उन्हें चुम्बन करने लगा.. कभी उनके गाल पर.. कभी गले पर.. पीठ पर.. चूतड़ पर.. पैर पर… हाथ पर.. तो वो बोलीं- इतना चोदने के बाद भी तुम्हारा मन नहीं भरा? मैंने कहा- नहीं..

मैंने उन्हें अपनी ओर घुमा कर दस मिनट तक होंठों पर चुम्बन किया और फिर उन्होंने मुझे धक्का देकर कहा- तुम कमरे में जाकर बैठो और मुझे काम करने दो। मैंने रसोई से निकल कर अनु के कमरे को खोला और उसे देखने लगा। आज मुझे लगा कि वो भी पूरी जवान हो चुकी है.. मुझे लगा कि उसे उसी समय चोद दूँ।

तभी मौसी ने वहाँ आकर मेरे कान पकड़ लिए और खींचते हुए कहा- क्या इरादा है? तब मैं वहाँ से बाहर आ गया और मौसी ने फिर पूछा- उधर क्या देख रहे थे? तो मैंने कहा- मौसी.. अनु को चोदने का मन कर रहा है।

मौसी ने कहा- साले.. अपनी मौसी को धोखे से चोदा और अब बहन को भी धोखा देना चाहते हो.. और वैसे भी अभी वो इस काम के लिए छोटी है। तो मैंने कहा- नहीं मौसी.. मैं अनु को पटा कर चोदूंगा और अब वो छोटी नहीं है.. मेरा लंड लेने के लिए.. उसका शरीर पूरी तरह से तैयार है। तो मौसी ने कहा- हर्ष तुम मुझे ही चोदो.. और अनु को छोड़ दो। तो मैंने कहा- प्लीज़ मौसी अनु को चोदने दो न.. मौसी ने कहा- लेकिन चोदोगे कैसे?

तो मैंने कहा- वो मुझ पर छोड़ दो.. मैं उसे लाइन पर ले लूँगा.. मैंने फिर एक बार मौसी को रसोई में ही चोदा।

इसके बाद मैं दस दिन वहाँ और रहा.. इस बीच जब अनु कहीं बाहर जाती या मैं और मौसी अकेले होते थे.. तब हम पूरी शिद्दत के साथ चुदाई करते थे।

दोस्तों इसके बाद मैंने अपनी मौसी को छोड़ दिया और अपनी मौसेरी बहन अनु को कैसे चोदा और उसे अपना दीवाना बनाया। ये फिर कभी किसी कहानी में बताऊँगा.. फिलहाल आप अभी मुठ्ठ मारिए और लड़कियां अपनी चूत में उंगली कीजिए। आप सभी के ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]

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