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मम्मी बोली- सुनो ..!! मैं फिर से होने वाली हूँ… अब कर ही रहे हो तो 5-6 झटके थोड़ी जोर से मार दो… या फिर ऐसा करते हैं कि बाथरूम में चलते हैं… वहाँ आराम से करना खड़े होकर! यहाँ तुम्हें मज़ा भी कम आ रहा है, जगह जो कम है। इतना कह कर वो जोर से खिलखिलाई।
पापा बोले- आज तुम भी मजे ले रही हो खूब ! किसी दिन अकेली हो तो तुम्हें नानी याद दिला दूंगा। तुम्हारा अंग अंग न तोड़ दूं तो कहना! मम्मी बोली- चलूँ क्या बाथरूम ! पापा बोले…!!! नहीं बस मेरा भी निकलने वाला है…..यहीं रुको !!!
मम्मी धीरे से बोली- बिस्तर के नीचे की तरफ एक टॉवल पड़ी है, उसी को ले लो और देखो अंदर मत करना, मुझे बहुत डर लगता है प्रेग्नेंट होने से।
पापा- यार एक मिनट रुको ! और फिर ऐसा लगा कि वो दोनों अलग हुए।
पापा- तुम्हारी कच्छी कहाँ गई? मम्मी- क्या करोगे कच्छी? टावल ले लो। पापा- दो तो सही! मम्मी- क्यों कच्छी में क्यों करोगे? पापा- कहाँ है कच्छी यार? मम्मी- मुझे नहीं पता… तुमने ही उतारी थी! पापा- हाँ मिल गई… चलो सीधी लेट जाओ !
और मॉम शायद कमर के बल लेट गई। पापा फिर बोले- ला यार, चूची ही चूस लूँ थोड़ी तुम्हारी !
और फिर मुझे छोटी-छोटी चुस चुस की आवाजें आने लगी।
मम्मी- सारा मोशन तोड़ दिया कच्छी के चक्कर में ! पापा- सिर्फ 20 झटकों में अपना और तुम्हारा दोनों का निकलवा दूंगा… और फिर चैन से सो जाना… बस एक बात मान लो ! मम्मी- क्या? पापा- मेरे ऊपर आ जाओ मैं नीचे से करता हूँ तुम्हें.. मम्मी- यार क्या कर रहे हो तुम… स्टाइल बदल बदल के करना जरूरी है अभी, बस ऐसे ही कर लो ! जब अकेले में करना जो कहोगे वो कर दूँगी… लेकिन अभी नहीं।
‘अकेले में कब करोगी, रोज तो ये अंकित रहता है बगल में!’
मम्मी उन्हें शांत कराती हई बोली- अबकी बार जब करेंगे तो अकेले ही करेगें, अंकित को दूसरे कमरे में लिटा देंगे या हम ही चले जाएँगे बगल वाले कमरे में।
पापा ने शायद मॉम की चूची मुँह में ली और फिर से मम्मी को चोदना शुरू कर दिया। मम्मी- अह्ह अम्म… अहह ! अह !
और शायद 20-25 धक्कों के बाद पापा ने कहा- सविता, कितनी देर लगेगी तुमको? मम्मी- बस.. बस… अहह… बस… 2-3 जोर से… अह्हह्म्म… गई… गई… ऊऊओ… ह्ह्ह्हह… गई… गई मैं… और उनका जिस्म पूरा अकड़ गया।
मैं तब तो नहीं समझा था कि मम्मी का सारा शरीर क्यों अकड़ा था, पर जब कुछ बड़ा हुआ तो मैंने जाना। मम्मी झड़ चुकी थी पर पापा अब भी धक्के लगाये जा रहे थे।
पापा- मेरी जान, मेरा भी आने वाला है… अह्ह्ह… मम्म… मम्मी जल्दी से हिली और अपने हाथ पापा के लंड को बाहर निकालने के लिये बढ़ाये और बोली- कच्छी में.. कच्छी में… मेरे अन्दर नहीं !
पाप बोले अंदर ही कर लेने दो न ऐसे करते करते बीच में निकालने से वह मज़ा नहीं आता जो अंदर झड़ने में आता है, मुनिया भी कस के जकड़ लेती है पप्पू को। मम्मी बोली- नहीं!!!
पर पापा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, उन्होंने मम्मी के हाथों को अपने हाथ की गिरफ्त में ले लिए और मम्मी के हाथों को बिस्तर पर फैला दिया। उन दोनों की हथेलियाँ आपस में जुड़ी हुई थी और दोनों लोगो की उंगलियाँ आपस में लॉक थी।
पापा ने 3-4 तेज़ झटके मारे जिससे बिस्तर तेज़ी से हिलने लगा औए एक तेज़ हलचल हुई… मम्मी चीखी- अरे निकालो अंकित के पापा ! पर पापा ने उनके मुँह पर अपने होंठ सटा दिए जिससे मम्मी की आवाज न निकल पाये। शायद पापा ने सारा वीर्य मम्मी की चूत में ही निकाल दिया और उनकी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दिया।
मम्मी की आँखों में आंसू थे, वो रोने लगी और बोली- तुम कभी भी मेरी बात नहीं मानते, तुम्हें जो करना रहता है वही करते हो।
पापा ने उनके आंसू पोछे और उनके चेहरे पर एक चुम्बन जड़ दिया। मम्मी उन्हें पीछे धकेलते हुए बोली- हटो, कभी भी बात नहीं मानते हो तुम! अगर इस बार बच्चा ठहरा तो बताऊँगी तुम्हें ! पापा बोले- यार आई पिल्स ले लेना।
पापा उन्हें मनाते हुए बोले- अरे मेरी जान, अगर मैं करते करते बीच में निकालता तो क्या मज़ा आता इतनी देर सेक्स करने का ! तुम भी तड़पती रहती और मैं भी तड़पता रहता, बाथरूम जा कर फिर मुठ मारनी पड़ती। देखो तुम्हारी मुनिया ने मेरे मेरे मुन्ने को इतनी तेज जकड़ लिया कि उसने अपना सारा माल एक जगह तुम्हारी मुनिया में ही उड़ेल दिया, वेस्ट नहीं की एक भी बूँद।
पापा बोले- अच्छा, सच बाताओ मज़ा आया या नहीं?
मम्मी अब मुस्कुराई और हाँ में सिर हिला दिया और बोली- अब हटोगे ऊपर से? पापा बोले- रुको, अब तुम्हारी कच्छी का काम आ गया। मम्मी- अब क्या होगा कच्छी का?
पापा मम्मी के ऊपर से उठे और मम्मी की कच्छी से उनकी योनि पोंछने लगे।
अब वो दोनों उठकर बैठ गए, वो दोनों पूरे नंगे थे और पापा फिर बाथरूम चले गए, मम्मी भी उठी और अपनी ब्रा, ब्लाउज, पेटीकोट पहना, साड़ी और पैंटी अभी भी बिस्तर पे थी।
मम्मी ने कच्छी नहीं पहनी थी, शायद वो अपनी मुनिया में भरे वीर्य को साफ़ करना चाहती थी। वैसे मम्मी रोज़ रात में सोने से पहले साड़ी उतार देती थी, वो कहती थी कि बहुत गर्मी लगती है। पर आज मुझे मालूम चला कि वो ऐसा क्यों करती थी। उन्हें केवल मौसम वाली गर्मी ही नहीं लगती थी बल्कि ज़िस्म की गर्मी भी लगती थी और वह इसी बहाने जिस्म की गर्मी भी शांत करती थी।
दो मिनट बाद जब पापा बाथरूम से बाहर आये तो उनके शरीर पर बनियान और जाँघिया थी।
अब मम्मी भी अंदर गई और जब वापस आयीं तो उन्होंने पापा से कहा- मैंने अपनी वेजाइना पानी से खूब धो ली है, अब तो प्रेग्नेंट नहीं होंऊँगीं न ! पापा बोले- रिस्क मत लो, कल मैं आई पिल्स ला दूंगा, ले लेना। यार… सारा का सारा तुम्हारी मुनिया पी गई… आज जो बचा कूचा था वो इस पैंटी ने सोख लिया। पापा बोले- मैंने तुम्हारी मुनिया को चूमा चूसा उसका रस पिया अब तुम भी मेरे पप्पू को चूसो।
मम्मी- धत्त…!!! शरारती कहीं के… ये दो तीन बार तुम्हें क्या ओरल सेक्स का शौक चररा गया है। पापा बोले- चूस लो न !
मम्मी ने पापा के गाल खींचे और मुस्कुरा कर बोली- जान, अब अगली बार जब करेंगे तो जो कहोगे जैसे कहोगे वैसे कर दूँगी। पापा झट से बोले- सुहागरात को! मम्मी बोली- हा हा… इस बार सुहागरात की तरह करेंगे।
मम्मी बोली- अच्छा मेरी पैंटी दे दो, पहन लूँ।
पापा बोले- मैं इस पैंटी को अपने तकिये के नीचे रख कर सोऊँगा, रात को नींद अच्छी आएगी ! और फिर पापा मम्मी हँसने लगे और फिर मम्मी, पापा के सीने से लगकर लेट गई और बोली- अंकित के पापा मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। पापा बोले- तुम में मेरी जान बसती है।
कुछ देर बात करते करते वो दोनों एक दूसरे से चिपट कर सो गए। मुझे उनकी चुदाई देख इतनी खुशी हुई जितनी पहले कभी नहीं हुई।
उस दिन के बाद से मैंने उन्हें चुदाई करते हुए कई बार देखा और मुझे उनकी चुदाई देखने की आदत सी पड़ गई, अगर मैं उन्हें किसी दिन सेक्स करते नहीं देखता था तो मुझे नींद नहीं आती थी। पापा मम्मी ने अपनी सुहागरात कैसे मनाई जैसा कि वो कह रहे थे वो अगली कहानी में ! मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे जरूर बतायें। मुझे मेल करें [email protected] पर!
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