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अभी तक आपने पढ़ा..
राधे ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया.. मीरा- आह उईई.. मज़ा आ गया.. अब स्पीड से मेरी चूत को चोदो आह्ह.. उह.. जल्दी करो आह्ह.. राधे- उफ़.. साला लौड़ा कितना फँसा हुआ था.. तेरी गाण्ड में.. आह्ह.. अब आराम मिला.. उहह ले मेरी जान.. उहह संभाल उफ़.. तेरी चूत.. क्या मस्त गीली हो रही है.. आह्ह.. ले ले..
मीरा पहले ही झड़ने के करीब थी। राधे के लौड़े ने चूत का माहौल और गर्म कर दिया। दो ही मिनट में वो कामरस छोड़ने लगी.. मीरा- आह फास्ट.. आह फास्ट.. मैं गई आह.. उह… आह आह..
राधे ने स्पीड से लौड़े को बाहर निकाला और अबकी बार एक ही झटके में पूरा गाण्ड की गहराई में घुसा दिया.. मीरा- आआआ आआआ.. मर गई रे.. आह्ह.. जालिम.. चूत से निकाल कर सीधा ही घुसा दिया.. उफ़.. आह्ह..
राधे अब स्पीड से गाण्ड मारने लगा था। उसका लौड़ा भी अब तनकर फटने को तैयार हो गया था.. किसी भी पल माल की मूसलाधार बारिश हो सकती थी। पांच मिनट की गाण्ड ठुकाई के बाद राधे के लौड़े ने मीरा की गाण्ड को पानी-पानी कर दिया। अब राधे ने लौड़ा गाण्ड से बाहर निकाल लिया और गाण्ड के छेद को देखने लगा।
अब आगे..
मीरा सीधी होकर लेटना चाहती थी.. मगर राधे ने उसकी जाँघें पकड़ रखी थीं। मीरा- उफ़.. राधे अब क्या है.. हटो ना.. आह्ह.. मुझे लेटने दो ना.. राधे- जान तेरी गाण्ड को देख रहा हूँ.. कैसे बन्द हो रही है और खुल रही है.. क्या मस्त नजारा है.. मीरा- बस बस.. अब हटो भी.. तुम्हें तो मज़ा आ रहा है.. मेरी गाण्ड की क्या हालत है.. मैं ही जानती हूँ।
मीरा सीधी होकर लेट गई.. उसको अभी भी ये महसूस हो रहा था.. जैसे उसकी गाण्ड में लौड़ा फँसा हुआ हो..
वो दोनों काफ़ी देर तक बातें करते रहे.. उसके बाद राधे ने एक बार और मीरा की गाण्ड मारी और इस बार उसका पानी बहुत देर से निकला.. राधे बीच-बीच में मीरा की चूत भी मारता रहा.. कभी लौड़ा गाण्ड में घुसता.. तो कभी चूत में जाता.. इस तरह उसने मीरा को 2 बार और ठंडा किया और आख़िर में खुद मीरा की चूत में पानी छोड़ कर ठंडा हो गया।
अब दोनों थक कर चूर हो गए थे और कब सो गए.. पता भी नहीं चला..
सुबह 5 बजे मीरा की आँख खुल गई.. उस वक़्त वो राधे से चिपकी हुई थी और राधे का लौड़ा तन कर खड़ा हुआ था। मीरा- आह्ह.. रात को इतनी चुदाई की है.. लेकिन अभी भी अकड़ा हुआ है.. इसने तो उफ़..मेरी गाण्ड का हाल बिगाड़ दिया। मीरा बड़बड़ाती हुई बाथरूम चली गई और 10 मिनट बाद फ्रेश होकर वापिस आई.. तब भी राधे का लौड़ा खड़ा था और उसको सलामी दे रहा था।
मीरा- ओह्ह.. मेरे राधे आई लव यू.. तुम कितने अच्छे हो और तुम्हारा लंड तो कमाल का है.. कभी थकता ही नहीं.. अभी भी कितना प्यारा लग रहा है.. ये मन करता है.. खा जाऊँ। इतना कहकर मीरा बिस्तर पर आ गई और लौड़े को सहलाने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! थोड़ी देर सहलाने के बाद मीरा ने लौड़े को मुँह में भर लिया और प्यार से चूसने लगी.. तभी राधे की आँख खुल गई.. मगर वो चुपचाप लेटा.. मीरा को देखता रहा। मीरा जड़ तक लौड़े को चूस रही थी और हाथ से ज़ोर-ज़ोर से उसको हिला रही थी। राधे को बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मीरा थक गई और लौड़े को मुँह से बाहर निकल लिया। मीरा- ओह्ह.. अब कैसे ठंडा करूँ तुम्हें.. तुम तो बहुत अकड़े हुए हो..
राधे- मेरी जान रात को चुदाई अधूरी रह गई थी क्या.. जो इतनी सुबह लौड़े को तैयार कर दिया.. राधे की आवाज़ सुनकर मीरा चौंक गई और शर्मा भी गई।
मीरा- अरे तुम उठ गए.. मैं समझी.. सोए हो.. और मैंने इसे तैयार नहीं किया ये शैतान खुद ही खड़ा-खड़ा.. मुझे बुला रहा था.. तो मैंने सोचा इसको ठंडा कर देती हूँ.. मगर ये झड़े तब ना..
राधे- मेरी जान इसका पॉवर तुम अच्छी तरह जानती हो.. फिर भी ऐसा कह रही हो.. अब इसको ठंडा करना ही है.. तो बन जाओ घोड़ी.. अभी तुम्हारी गाण्ड में घुसा कर ठंडा कर दूँगा.. मीरा- कोई जरूरत नहीं है.. मुझे इसको ठंडा करने की.. जाओ फ्रेश हो जाओ.. मैं चाय बना लाती हूँ.. आज जल्दी उठ गए है.. तो थोड़ी देर में पढ़ाई करूँगी.. पहले रोज सुबह पढ़ाई करती थी.. अब कितने दिनों से पढ़ाई नहीं की..
राधे- अरे जान ये तो ज़ुल्म है.. मेरे लौड़े को चूस कर खड़ा कर दिया.. अब चुदाई के समय पढ़ाई की बात कर रही हो.. मैं नहीं मानने वाला.. इसको ठंडा करो उसको बाद कुछ भी करो.. मीरा- नहीं नहीं.. जाओ नहीं करती.. क्या कर लोगे तुम?
राधे- अगर प्यार से नहीं मानी.. तो ज़बरदस्ती करना मुझे आता है.. मीरा- मेरे साथ ज़बरदस्ती करोगे.. इतनी हिम्मत है तुम्हारे अन्दर.. आओ करके दिखाओ?
मीरा उठकर भागने ही वाली थी कि राधे ने उसके पैर पकड़ लिए और उसको बिस्तर पर पटक दिया। मीरा छटपटाने लगी.. मगर राधे उस पर टूट पड़ा.. उसके होंठ चूसने लगा और पैरों से उसके पैर दबा दिए.. लौड़ा ठीक चूत के सामने था.. राधे ने लौड़े को एडजस्ट किया और ‘घप’ से लौड़ा चूत में घुस गया.. राधे अब मीरा के मम्मों को चूसने लगा था और स्पीड से झटके मारने लगा था।
मीरा- आह आईईइ.. तुम बहुत गंदे हो आओह्ह.. छोड़ो मुझे.. आह्ह.. नहीं ओह्ह.. आह्ह..
मीरा गाण्ड हिला-हिला कर चुदने लगी और बस झूट-मूट का नाटक करने लगी कि छोड़ो.. मुझे नहीं चुदना.. मगर इतना कड़क लौड़ा.. वो भी सुबह-सुबह.. चूत में घुसा हो.. शायद ही कोई पत्नी होगी.. जो चुदाई से इनकार करे.. क्योंकि इतनी सुबह चुदाई का मज़ा दुगुना हो जाता है..
राधे का लौड़ा ‘घपा-घप’ अन्दर-बाहर होने लगा और मीरा भी पूरे मजे लेकर चुदने लगी।
करीब 15 मिनट के घमासान युद्ध के बाद दोनों ढेर हो गए.. ये पता नहीं चला कि कौन किस पर भारी पड़ा.. मगर अंत तो दोनों का एक ही हुआ.. दोनों ठंडे पड़ गए।
कुछ देर दोनों एक-दूसरे की बाँहों में रहे.. उसके बाद मीरा के कहने पर राधे फ्रेश होने चला गया। मीरा ने चाय बनाई और दोनों एक साथ बैठ कर चाय पीने लगे।
मीरा- राधे.. कल शायद पापा आ जाएँगे तब हम खुल कर मज़ा नहीं ले पाएँगे। राधे- कुछ ना कुछ कर लेंगे हम.. मगर एक बात समझ में नहीं आई.. पापा को गए आज 4 दिन हो गए.. ऐसा क्या काम करने गए हैं पापा.. और कहाँ गए हैं?
मीरा- जब भी पापा का फ़ोन आता है.. तुमसे ज़्यादा बात करते हैं.. तुम खुद उनसे क्यों नहीं पूछ लेते.. आख़िर तुम उनकी बड़ी बेटी और दामाद हो.. हा हा हा हा.. राधे- मजाक मत कर यार.. बता ना.. पापा का फ़ोन आता है.. तब मैं घबरा जाता हूँ.. उनसे ठीक से बात कहाँ हो पाती है.. इसी लिए तो फ़ोन को तुम्हें पकड़ा देता हूँ।
मीरा- अरे मेरे आशिक.. वहाँ पापा पैसे लाने के लिए जाते हैं.. उनका अपना काम्प्लेक्स है.. जो पापा ने किसी दोस्त को चलाने दिया है.. हर महीने वहाँ जाते हैं और कुछ दिन वहाँ रुक कर आते हैं.. कई बार मैं भी उनके साथ वहाँ गई हूँ।
राधे- ओह्ह.. ये बात है.. तभी सोचूँ.. पापा क्या करने गए होंगे..
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है। [email protected]
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