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अभी तक आपने पढ़ा..
मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच गई थी.. कि अचानक मेरी नजर बगल वाले लड़के पर पड़ी.. जो मुझे घूर कर देख रहा था। मैंने घबरा कर ठीक से बैठने की कोशिश की.. तो एक बार फिर चूत रगड़ खा गई। मेरे मुँह से एक दबी सी ‘आह’ निकल गई। मैंने किसी तरह अपने आपको संभाला। फिर मैंने उस लड़के के हाथों से अपना हाथ वापस खींच लिया और बाथरूम जाने के लिए उठ गई।
बाथरूम में जाकर मैंने ठन्डे पानी से मुँह धोया.. पैन्टी उतार कर नीचे चूत के आस-पास थोड़ी सफाई की.. फिर टिश्यू पेपर से सब सुखाया.. चेहरा एक सा किया.. सर के बाल ठीक किए। मेरी पैन्टी गीली हो गई थी.. इसलिए मैंने तय किया कि अब इसको नहीं पहनूँगी और मैं बिना पैन्टी पहने ही बाथरूम से बाहर आ गई।
मैं चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गई। पता नहीं उस लड़के को कुछ समझ में आया या नहीं.. लेकिन उसने मुस्कुरा कर मुझे बैठने के लिए जगह दे दी। तब तक एयरहोस्टेस खाना ले आई थी और प्लेन में सब लोग खाना खाने लगे। अब आगे…
खाना खाने के बाद भी हमने कोई खास बातचीत नहीं की.. खाना ठीक ही था.. कुछ खास नहीं था.. लेकिन फ्लाइट में इससे अच्छा कुछ मिलने का सोचा भी नहीं जा सकता था। अब मैंने कम्बल ऊपर तक ओढ़ लिया और आँखें बंद कर लीं। मुझे थोड़ी सी नींद आ गई। थोड़ी देर बाद जब नींद टूटी.. तो मैंने महसूस किया कि मेरी स्कर्ट के ऊपर किसी का हाथ है।
मैंने हल्की सी आँख खोल कर देखा.. तो पड़ोस की सीट वाला लड़का आँखें बंद किए बैठा था। हाथ कम्बल के अन्दर से मेरे ऊपर था.. इसलिए यह तो साफ़ था कि वो ऐसा जानबूझ कर कर रहा था। उसके हाथ से मेरी सोयी हुई उत्तेजना फिर से जाग गई और मैंने मन ही मन सोचा कि देखते हैं.. क्या करता है। मैं चुपचाप खामोशी से आँख बंद करके पड़ी रही। वो मेरी रानों पर हाथ फेर रहा था। नीचे घुटनों से ले कर ऊपर रानों के ऊपरी हिस्से तक.. उसके हाथ मेरे जिस्म का जायजा ले रहा था.. ऐसा लग रहा था.. जैसे कि वो मेरे जिस्म के हर हिस्से का आकार जानने की कोशिश कर रहा हो।
मुझे मजा भी आ रहा था.. और कभी-कभी सिहरन सी भी हो रही थी.. खास कर तब.. जब उसकी उंगलियाँ जाँघों के अन्दर चूत की तरफ फिसल जाती थीं। थोड़ी देर तक ये सब चलता रहा.. फिर वो रुक गया.. उसके यूं रुक जाने से मुझे थोड़ा निराशा हुई.. उत्तेजना की वजह से मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। मेरे मम्मों में कुछ हलचल हो रही थी मेरे चूचुक थोड़े कड़े से हो उठे थे। हालांकि अभी भी उसने अपना हाथ हटाया नहीं था।
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वो रुक क्यों गया है.. फिर उसने धीरे-धीरे हाथ ऊपर की दिशा में चलाना शुरू किया.. लेकिन इस बार उसने अपने हाथ में मेरी स्कर्ट भी दबा ली थी.. स्कर्ट उसके हाथ के साथ ऊपर आ गई।
फिर उसने हाथ उठा कर मेरे घुटनों पर रख दिया। मेरा दिल ‘धक्’ से रह गया.. मैं उसके इरादे समझ गई थी।
इससे पहले कि मैं कुछ और सोचती.. उसने एक बार फिर हाथ से स्कर्ट को ऊपर की ओर सरका दिया। अब स्कर्ट मेरे घुटनों से ऊपर आ गई थी.. उसने अपना हाथ मेरे नंगे घुटनों पर रख दिया।
मेरा दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि मुझे उसकी आवाज सुनाई दे रही थी। मेरे रोंए एकदम से खड़े हो गए और मुझे पसीना आने लगा। मेरी चूत अन्दर से गीली हो रही थी। शायद मेरे जिस्म की उत्तेजना से होने वाली सिहरन उस लड़के को महसूस हो रही थी।
उसने हल्के से अपना हाथ मेरे घुटनों पर दबाया.. मैं हल्के से हिली। फिर मैंने ऐसे दिखाया कि जैसे मैं सो रही हूँ।
कुछ देर बाद उसने फिर अपना हाथ हिलाना शुरू किया। अब वो मेरी नंगी जाँघों पर अपना नरम-गरम हाथ फिरा रहा था। मेरी त्वचा काफी मुलायम और चिकनी है.. शायद उसको मेरी त्वचा पर हाथ फेरना अच्छा लग रहा था।
कुछ देर तक घुटनों के आस-पास अपना हाथ फेरने के बाद उसने हाथ को ऊपर की तरफ बढ़ाना चालू किया। उसका सख्त मर्दाना हाथ मेरी नाजुक जाँघों पर मचल रहा था। उसने धीरे से अपना हाथ.. मेरी स्कर्ट के अन्दर घुसेड़ दिया।
अब उसका हाथ मेरी रान के ऊपरी हिस्से पर था। मुझे अच्छी तरह से याद है कि एक बार मैंने एक लड़के को बस में गलती से छू जाने पर बुरी तरह डपट दिया था.. पर आज ये लड़का मेरी स्कर्ट में हाथ डाल रहा था और मैं बिल्कुल चुप थी।
शायद इसका कारण ये था कि आज मुझे लग रहा था कि ये तो एक अजनबी है और इससे जीवन में दोबारा कभी मिलना नहीं होगा.. इसलिए मैं भी इस पल का आनन्द उठाने का सोच रही थी।
अब उसने अपना हाथ मेरी जांघ के बगल में किया और ऊपर मेरी कमर तक ले गया। शायद वो उधर मेरी पैन्टी पहने होने का अंदाज कर रहा था.. पर मेरी नंगी कमर को छूकर शायद वो भी चौंक गया।
उसने मेरी तरफ देखा.. मैं अधखुली आँखों से उसके चेहरे के भावों को देख रही थी।
वो मेरी बंद आँखों को देख कर हल्का सा मुस्कुराया और फिर हाथों को अन्दर की तरफ ले जाने लगा।
अब मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी। उसने अपना हाथ काफी हौले से मेरे जिस्म पर रखा था.. इसलिए एक अजीब सा मदहोश कर देने जैसा अहसास हो रहा था। उसका हाथ मेरी जाँघों के बीच में पहुँच चुका था.. और वो मेरे नीचे वाले झांटों के बालों को छू रहा था। अब मेरा बुरा हाल था.. पहली बार कोई मर्दाना हाथ मेरे जिस्म के सबसे निजी हिस्से के बहुत करीब था।
जैसे ही उसने मेरी झाँटों में अपनी उंगलियाँ फिराईं.. मेरे मुँह से एक ‘आह’ निकल गई.. और मैंने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दीं। अब वो समझ गया था कि मैं जग रही हूँ और उसकी किसी भी हरकत का विरोध नहीं करूँगी.. और मैं भी जानती थी कि वो यह समझ गया है।
फिर भी मैंने सोने का नाटक जारी रखा। अब वो अपने हाथ को मेरे पैरों के बीच ऊपर-नीचे मस्ती से बेख़ौफ़ घुमा रहा था। आह.. क्या आनन्द था.. मैं जैसे हवा में उड़ रही थी।
उसकी उंगलियाँ अब मेरी चूत की दरार के ऊपर थीं। उसकी हथेली अब मेरे पेट के ठीक नीचे थी.. और बीच वाली ऊँगली बुर की फांक के ठीक ऊपर आ गई थी। उसकी बची हुई उंगलियां मेरे दोनों नीचे वाले होंठों को सहला रही थीं।
उसने अपनी बीच वाली उंगली को थोड़ा दबाया और अब वो चूत की फांकों के बीच में चली गई.. और मेरे भगनासे को छूने लगी।
अब मेरी उत्तेजना सीमा पर पहुँच गई थी.. मेरा रस अब तेजी से बहने लगा था.. उसकी उंगली अब मेरे रस से तर हो उठी थी और सटासट फिसल रही थी।
तभी उसने हाथ हिलाना बंद किया और उँगलियों से मेरी चूत को थपथपाने लगा। उफ्फ.. अब मैं अपने आपको रोक नहीं पा रही थी.. मैं हल्के से अपनी कमर हिलाने लगी। मेरी इस हरकत से उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.. एक थपकी के साथ ही मुझे बड़ी तेज का करंट सा लगा और ऐसा लगा जैसे मैं अकड़ सी गई हूँ। मैंने अपने पैर कस कर भींच लिए.. उसका हाथ मेरे पैरों के बीच में पिस सा गया। थोड़ी देर वैसे ही रहने के बाद मैंने पैरों को ढील दी।
उसने अपना हाथ मेरी जाँघों से बाहर खींचा.. मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। मैंने आँखें खोलीं.. उसकी ओर देख कर मुस्कुराई और फिर आँखें बंद कर लीं।
मेरा रस बह जाने के कारण मैं कुछ निढाल सी हो गई थी और मुझे लगता है कि इसी वजह से मुझे कुछ देर नींद सी आ गई थी। फिर जब मेरी नींद खुली.. तो मैंने बगल में देखा। वो लड़का आँख बंद करके सो रहा था।
मेरे मन में एक शरारत आई.. मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी थोड़ा मजा करूँ.. मैंने उसके कम्बल में हाथ डाल दिया.. फिर धीरे से हाथ को उसके पैरों के ऊपर रख दिया.. और धीरे-धीरे ऊपर ले जाने लगी।
जाँघों के ऊपर पहुँच कर मैंने अन्दर की तरफ बढ़ना शुरू किया। मैं उसके निजी अंग को उसकी जीन्स के ऊपर से महसूस करना चाहती थी। कुछ देर रुक कर मैंने उसके चेहरे को देखा.. मुझे लगा कि वो जग रहा है.. लेकिन आँखें बंद किए है।
फिर मैंने सोचा कि मुझे उससे क्या.. मुझे जो करना है.. वो मैं करूँगी.. मैंने उसकी टांगों के बीच में हाथ रख दिया। तभी मुझे एक झटका सा लगा.. यहाँ मेरे लिए एक चौंका देने वाला काम हो चुका था।
उसकी जींस की चैन खुली हुई थी और उसका लौड़ा पैन्ट से बाहर लहरा रहा था। मैंने फिर उसके चेहरे की ओर देखा.. वो हल्का सा मुस्कुराया.. मुझे भी हँसी आ गई।
फिर मैंने हिम्मत करके लण्ड को पकड़ लिया। अपने जीवन में पहली बार मैं किसी लौड़े को छू रही थी। ये मेरी कल्पना से कहीं ज्यादा मोटा और सख्त था। मैंने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया। उसका लण्ड थोड़ा गरम था और धीरे-धीरे फड़क रहा था।
मैंने अपने हाथ को लौड़े के ऊपर फेरते हुए उसके ऊपर ले जाना शुरू किया.. थोड़ा सा ऊपर जाने पर मुझे एक छल्ला जैसा महसूस हुआ। उसके ऊपर का हिस्सा काफी नर्म और चिपचिपा था। मैं लौड़े के सिरे तक जा पहुँची थी।
मैंने उसको थोड़ी देर अंगूठे से सहलाया और फिर हाथ नीचे ले जाने लगी।
मैंने उसको बहुत हल्के से पकड़ रखा था। शायद उसका तनाव बढ़ गया था। अब उसका लण्ड बार-बार झटके ले रहा था। वो भी थोड़ा उत्तेजनावश कसमसा रहा था। मैंने उसके नीच वाले झांट के बालों को सहलाया और नीचे जाने पर मुझे उसकी गोटियाँ मिल गईं। मैंने कुछ देर तक उन अंडकोषों को भी सहलाया। अब मैं हाथ को धीरे-धीरे ऊपर ले गई.. इस बार मैं हथेली से उसके लण्ड के नीचे वाले हिस्से को छू रही थी।
लौड़े के एकदम सिरे पर पहुँच कर मैंने फिर से उसके सुपारे को अंगूठे से सहलाना शुरू किया। अचानक उसका लण्ड बुरी तरह से अकड़ गया और झटके से कुछ पानी सा निकला। उसका गाढ़ा-गाढ़ा रस मेरे हाथ पर लग गया। मैंने जल्दी से हाथ निकाला और टिश्यू पेपर से पोंछ लिया।
फिर हम दोनों शांत हो गए.. और गहरी नींद में सो गए.. ये सफ़र अपने गंतव्य पर पहुँचने वाला था… प्लेन न्यूयॉर्क के पास पहुँच गया था। प्लेन के अन्दर की लाइट्स जल उठी थीं और एयर होस्टेस ने हम लोगों को इमीग्रेशन फॉर्म्स भरने के लिए दे दिए थे।
यह मेरे जीवन की सच्ची घटना थी.. पाठको, आपको ये कहानी कैसे लगी कृपया कमेंट्स करके जरूर बताएं। [email protected]
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