This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
दोस्तो, वैसे तो मेरी कहानी के शीर्षक ने ही आपको बता दिया है कि कहानी किस विषय से संबन्धित है पर यह एक सच्ची बात है जो पिछले महीने ही मेरे साथ घटित हुई है। मैं आपके मनोरंजन के लिए इसमें थोड़े मसाले डाल के पेश करूंगा, तो अपनी अपनी चड्डी में हाथ डालो और कहानी पढ़ कर मज़े लो।
मेरा नाम विनय कपूर है और दिल्ली में रहता हूँ। उम्र 52 साल, पत्नी 49 साल, बेटी 24 साल की है, अभी 6 महीने पहले ही उसकी शादी हुई है। बेटी की शादी में ही मुझे मेरी समधन बहुत भा गई। करीब 45 साल की, गोरी चिट्टी, और खूब भरवां बदन। सच कहता हूँ उसको देख के दिल में ख्याल आया कि अगर इसको चोदने को मिल जाए तो ज़िंदगी का मज़ा आ जाए।
मैंने यह भी नोटिस किया कि वो भी बड़े ध्यान से मुझे देखती, मेरी हर बात में इंटरेस्ट दिखाती। उसका नाम सुमन चोपड़ा है, एक हाई स्कूल में वाइस प्रिन्सिपल है। पढ़ी लिखी, और खुद को बहुत अच्छी तरह से संभाल के रखा है उसने।
खैर मैं तो बेटी वाला था सो अपने दिल को काबू में ही करके रखा। शादी ठीक ठाक हो गई, मगर उसके बाद जब भी हमारी मुलाक़ात होती वो हर बार मेरे साथ कुछ ज़्यादा ही फ्री होने की कोशिश करती।
और ऐसे ही हम धीरे धीरे एक दूसरे के काफी करीब आते चले गए, मन ही मन मैं उसे चाहने लगा था मगर हमारा रिश्ता ही ऐसा था कि हम छुप कर भी ऐसा कोई संबंध नहीं बना सकते थे क्योंकि अगर इस बात की किसी को भनक भी लग जाती तो इसका सीधा असर मेरी बेटी के वैवाहिक जीवन पर पड़ता।
पिछले महीने वो हमारे घर आई, वो अकेली ही आई थी। संयोग से उस दिन मेरी बीवी भी किसी काम से अपने मायके गई थी। तो हम घर में बिल्कुल अकेले थे। उसके आने से मैं अचंभित तो हुआ, पर खुश ज़्यादा हुआ।
मैंने उसे अंदर बिठाया, मरून साड़ी में वो बहुत जंच रही थी, सोफ़े पर बैठी तो ऐसी बेतकल्लुफ़ी से जैसे अधलेटी सी हो और ऐसे बैठने से उसकी साड़ी का आँचल नीचे गिर गया और उसके विशाल गोरे स्तन जैसे उसका ब्लाउज़ फाड़ के बाहर आने को बेताब थे, करीब दो ढाई इंच का उसका क्लीवेज भी दिख रहा था।
दो ग्लासों में मैं शीतल पेय लाया और एक ग्लास उसे पकड़ा कर उसके सामने बैठ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे मगर मेरा ध्यान बार बार उसके उन्नत वक्षस्थल पर जा रहा था और वो भी अच्छी तरह जानती थी कि मेरा ध्यान कहाँ था और वो जैसे इस बात का मज़ा ले रही थी कि मैं उसके हुस्न की मन ही मन प्रसंशा कर रहा हूँ।
बातें करते करते वो बोली- क्या आपके घर आने वालों को सिर्फ कोल्ड ड्रिंक्स ही मिलती है? मैंने कहा- आप हुक्म करें, क्या लेना पसंद करेंगी, घर में सब कुछ है। ‘अच्छा, क्या घर में वोड्का या कोई और ड्रिंक है?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- बिल्कुल है। कहकर मैं उठा और बार से वोड्का की बोतल, दो गिलास और खाने का समान ले आया। पहला पेग तो उसने ऐसे पिया जैसे बहुत प्यासी हो, फ़िर 2-3 पेग पीकर बोली- आप इतनी दूर क्यों बैठे हैं, इधर आइए, मेरे पास!
मैं थोड़ा सकपकाया, और बोला- जी मैं ठीक हूँ। मैंने थोड़ा डरते हुये कहा।
‘पर मैं ठीक नहीं हूँ…’ यह कह कर वो सीधी हो कर बैठी जैसे अपने साइड में मुझे बैठाने की जगह बना रही हो, हिलने से उसका रुमाल नीचे गिर गया जिसे उठाने के लिए वो आगे को झुकी, पर उसकी आँखें सिर्फ मेरे चेहरे पे गड़ी थी। जब वो झुकी तो उसके वक्षस्थल का एक बहुत ही खुला प्रदर्शन मेरी आँखों के सामने हुआ, जिसे मैंने अपनी आँखों से अपने मन में समा लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘क्या देख रहे हो कपूर साहब?’ उसने कहा तो मैंने अपनी आंखें उसके वक्ष से हटा ली और बोला- जी कुछ नहीं… तो वो बोली- आप शर्माते बहुत हो, अगर कुछ देखना है तो आराम से मेरे पास आकर बैठ कर देख लो, मुझे बुरा नहीं लगेगा। उसके इस ब्यान से मेरे तो अंदर उथल पुथल सी मच गई, मैं सोचने लगा कि आज यह क्या करने आई है, क्या मुझसे चुदने आई है।
मेरी तरफ से कोई खास रेस्पोन्स न देख कर वो उठी, और बिल्कुल मेरी बगल में आकर बैठ गई- देखो कपूर साहब, सच कहती हूँ, जिस दिन से आपको देखा है, न जाने क्यों, मैं आप पे मरी पड़ी हूँ, आज मौका है, मैं अपने दिल की करना चाहती हूँ, मैं जानती हूँ कि आप भी मुझे पसंद करते है, क्या आप मेरा साथ दोगे? मेरे तो जैसे हलक में ज़ुबान ही नहीं हो, बड़ी मुश्किल से मैंने कहा- जी मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ, हम तो लड़की वाले हैं।
वो तपाक से बोली- अरे माँ की चूत लड़की वालों की… यहाँ मैं क्या बात कर रही हूँ और आप क्या कह रहे हो? मुझे बड़ी हैरानी हुई उसके मुख से गाली सुन कर! वो बोली- देखो अगर दिल है तो बोलो नहीं तो रहने दो, मैं चली जाती हूँ।
अब दिल तो मेरा भी कर रहा था, मैंने कहा- देखिये आप जाइए मत, मगर मेरे लिए ये सब बड़ा अजीब है।
‘अरे मुझे औरत हो अजीब नहीं लग रहा, और आप मर्द हो कर शर्मा रहे हो, सच बताओ अगर मैं आपको खुल्ली ऑफर दूँ तो आप क्या करोगे, मान जाओगे या इंकार कर दोगे?’
‘देखो सुमन, तुम जैसी हसीन औरत को कोई बेवकूफ ही ठुकराएगा, मगर मुझे अपनी बच्ची की चिंता है, नहीं तो मैं तो कब से तुम्हें दिल ही दिल में चाहता हूँ।’ मैंने कहा।
‘तो क्यों न आज दो चाहने वालों के मन की मुराद पूरी हो जाए…’ यह कह कर उसने अपने ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिये और ब्लाउज़ उतार कर फेंक दिया, फिर खड़ी होकर साड़ी और पेटीकोट भी उतार दिया, अब वो मेरे सामने सिर्फ पिंक ब्रा पेंटी में खड़ी थी। अब तो मेरे लिए और भी मुश्किल हो रहा था, मैं खड़ा हुआ, और उठ कर उसे बाहों में भर लिया। बाहों में आते ही उसने मेरा सर नीचे को खींचा और अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये। फिर तो मैं उस पर टूट पड़ा और मैंने भी बिना किसी हिचकिचाहट के उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये तो उसने भी मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ के सहलाना शुरू कर दिया।
जब लंड थोड़ा सा तन गया तो वो बोली- विनय, अपना लंड बाहर निकालो मुझे चूसना है।
मैंने कहा- सुमन तुम तो बहुत ही खुल्ला बोलती हो, अगर बोलने में इतनी तेज़ हो तो थोड़ी तेज़ी अपने एक्शन में भी दिखाओ और खुद ही निकाल के चूस लो।
वो झट से नीचे बैठी, मेरी बेल्ट खोली, पैंट खोल के चड्डी के साथ ही नीचे उतार दी और मेरे लंड को हाथ में पकड़ के बोली- विनय, तुम पर उम्र ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया, नहीं तो आज तक जिस किसी के सामने भी मैंने अपने कपड़े उतारे हैं, उसका हमेशा तना हुआ लंड ही पैंट से बाहर निकला है।
मुझ थोड़ा ग्लानि महसूस हुई, मगर फिर भी मैंने संभाल कर कहा- अरे, यह तो रूठा पड़ा है, कहता है आंटी अपने प्यारे प्यारे होंठों में लेकर चूसे, मुझे प्यार करे तभी खड़ा होऊँगा।
वो हंसी और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, मैंने अपने बाकी के कपड़े भी उतार दिये, पूरी तरह से नंगा हो कर मैं सोफ़े पे बैठ गया और वो मेरे पावों में नीचे फर्श पर बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने उसका ब्रा पेंटी भी उतरवा दी, साली के बदन पे कहीं भी एक बाल तक नहीं था। सारे बदन को बड़ी अच्छी तरह से वेक्स करवाया हुआ था। एकदम गोरा, चिकना बदन, जैसे किसी स्वीट सिक्स्टीन की लड़की का हो। उसके चूसने से मेरा लंड भी तन कर लोहा हो गया।
जब वो मेरा लंड चूस चुकी तो मैंने उस से पूछा- सुमन क्या तुम मुझसे अपनी चूत चटवाना पसंद करोगी? ‘मुझे चूत चटवाना बहुत पसंद है विनय, मगर अब मैं चुदवाने के मूड में हूँ, पहले मुझे अच्छे से चोद दो, चटवाने का दूसरे ट्रिप में देखेंगे।’ वो मुस्कुरा कर बोली।
‘मतलब तुम मुझसे दो बार चुदोगी?’ मैंने थोड़ा हैरानी ज़ाहिर करते हुये पूछा। ‘क्यों, एक औरत को दो बार चोदने का दम नहीं है क्या?’ वो तपाक से बोली।
अब तो बात मर्दानगी पर आ गई थी, मैंने कहा- नहीं, दम तो बहुत है, जितनी बार कहोगी उतनी बार चोद दूँगा तुझे, मगर यह बता कि यह चुदने चोदने का प्रोग्राम कैसे बनाया तुमने? वो बोली- पहले लंड तो डाल… क्या सारी बातें पहले ही करनी हैं?
मैंने अपना लंड उसकी चूत पे रखा और अंदर डाल दिया और धीरे धीरे उसे चोदने लगा, उसने अपनी बाहों और टाँगों दोनों के घेरे में मुझे जकड़ लिया।
‘जानते हो विनय, मेरी बचपन से आदत रही है, जिस चीज़ को मैं पसंद करती हूँ, उसको हर हाल में हासिल कर लेती हूँ।’ मैंने पूछा- अच्छा, तो यह बताओ मुझ पर दिल कब और कैसे आया? ‘जिस दिन हम रिश्ता लेकर आपके घर आए थे, मैंने तुम्हें देख कर तभी सोच लिया था, रिश्ता हो या न हो मगर मैं तुम्हारा लंड ज़रूर लूँगी।’ उसने मेरे होंठों को चूम कर कहा।
मुझे उसकी बात सुन कर हंसी आ गई, उसने पूछा- हँसे क्यों? मैंने कहा- वैसे ही एक विचार मन में आ गया। वो बोली- बताओ न क्या? ‘बुरा तो नहीं मानोगी?’ मैंने पूछा। ‘बिल्कुल नहीं, बताओ?’ उसने कहा। ‘मेरे मन में वैसे ही खयाल आया कि अगर तुम्हारे बेटे ने मेरी बेटी को चोदा तो मैंने भी उसकी माँ चोद दी।’ मैंने उससे कहा।
सुन कर वो बड़ी खिलखिला कर हंसी- यह बात तुमने मेरे मतलब की की, जानते हो मुझे मर्दों की तरह गालियाँ निकालने में, मर्दों की तरह खुल्ला बोलने और मर्दों के साथ ही खुल्लम खुल्ला बोलने में बड़ा मज़ा आता है।
फिर तो मैंने भी कह दिया- तो यहाँ कौन सा तेरी गाँड में लाउडा घुसा है, जो माँ चुदवानी है यहाँ चुदवा ले। मेरी बात सुन कर वो बहुत खुश हुई- ले पहले मेरी जीभ चूस कुत्ते, फिर तुझे बताऊँगी कि मुझे कैसा चुदवाना अच्छा लगता है। मैंने उसकी जीभ अपने मुख में लेकर चूसी और उसके होंठों पे लगी सारी लिपस्टिक भी चाट गया।
नीचे से चुदाई भी चल रही थी, मगर मैंने स्पीड बढ़ा दी, वो भी मेरा पूरा साथ नीचे से अपनी कमर उचका उचका कर दे रही थी- चोद दे चोद दे, हरामी, अभी की माँ चोद दे। वो नीचे लेटी बोली।
‘हाँ अभिषेक से मेरा बदला लेना तो बनता है, मेरी फूल सी बच्ची को उसने बड़ी बदर्दी से रौंदा होगा।’ मैंने कहा।
‘जानते हो, उनकी सुहागरात पर मैंने तुम्हारी बेटी की हल्की हल्की चीखें अपने कमरे तक सुनी थी।’ वो बोली।
‘अच्छा, तो अब उसकी माँ की चीखें मैं उसके घर तक पहुँचाऊंगा।’ यह कह कर मैं उसे बड़ी बेदर्दी और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मगर वो भी बड़ी ढीठ थी, मेरी पूरी ताकत से हो रहे हर वार को वो बड़ी खुशी से सह रही थी। मगर वो ज़्यादा देर इस सब को नहीं सह सकी, और वो मुझसे और कस के लिपट गई, हम दोनों के बदन पे आया पसीना एक दूसरे में घुल गया। उसने अपनी लंबी सी जीभ बाहर निकली जिसे मैंने अपने मुख में ले लिया और उसके साथ ही मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।
उसने अपनी बाहों और टाँगों के घेरे खोल दिये और बिल्कुल चित्त हो कर लेट गई, मैं भी उसके ऊपर से उतरा और उसकी साइड में ही नीचे फर्श पे लुढ़क गया। करीब 5-7 मिनट हम वैसे ही लेटे रहे, फिर दोनों उठ कर बाथरूम गए, अपने आप को साफ किया।
‘विनय, एक एक पेग और हो जाए!’ उसने कहा। ‘हाँ, ज़रूर, और पेग के बाद मुझे एक कुतिया को चोदना है।’ मैंने उसे आँख मार कर कहा।
उसने मेरे लंड को पकड़ कर एक झटका दिया और बोली- मुझे भी आज तक सिर्फ मर्दों ने चोदा है, आज मैं भी किसी कुत्ते आदमी से चुदवाना चाहती हूँ।’ कह कर वो फिर से मुझसे चिपक गई। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000