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हेलो दोस्तो, कैसे है आप सब! मेरा नाम शिव है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मुझे इसकी सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी। आज मैं अपने ऑफ़िस की नेहा की कहानी सुनने जा रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ आप सब को पसंद आएगी।
बात आज से दो साल पहले की है जब मैं दिल्ली में रहता था, तब मेरे ऑफ़िस में एक लड़की थी, उसने कुछ दिन पहले ही ज़ॉइन किया था और उसकी सीट मेरी सीट के बगल में थी, उसका नाम नेहा था। वो बहुत ही सेक्सी दिखती थी, हमारे ऑफ़िस के कई लड़के उस पर लाइन मारते थे, हम मार्केटिंग में थे तो सुबह ही ऑफ़िस से निकल जाते थे और जब वापस आते थे तब तक वो जा चुकी होती थी, सिर्फ़ सुबह ही थोड़ी देर के लिए मुलाकात होती थी।
एक हफ़्ता ही हुआ था कि मेरा एक्सीडेंट हो गया तो अब मैं ऑफ़िस जाता था और पूरे दिन अपनी सीट पर बैठ कर काम करता था। अब नेहा से मेरी बात होने लगी और हमारी दोस्ती हो गई, हमने अपने नंबर एक्सचेंज किए और फिर मोबाइल से भी बात होने लगी।
धीरे धीरे हम करीब आ गये, मैंने उसे मूवी चलने के लिए बोला तो वो मान गई, रविवार को हम लोग मूवी देखने गये, मूवी के दौरान मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया तो उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगा।
मैं उसके चेहरे की तरफ़ देख रहा था, उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी। फिर मैंने उसके सर को अपनी तरफ़ कर लिया और वो अपना सर मेरे कंधे में रख कर मेरे ऊपर आ गई मैंने साइड से हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रख लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया तो अब वो आधी मेरे ऊपर आ चुकी थी।
मैंने उसकी बाजू सहलाते हुए एक हाथ से उसकी चूची के ऊपर से धीरे धीरे सहलाने लगा, उसे अच्छा लग रहा था और वो आँखें बंद किए हुए चुपचाप बैठी थी। मैंने उसके माथे पे चुम्बन किया तो उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ़ देखा और धीरे से मुस्करा दी, अब मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी चूची के ऊपर ले जाकर मस्त दबाने लगा और वो सीईईईई… की आवाज़ निकालने लगी।
फिर मैंने उसके चेहरे को ऊपर कर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और चूमने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं किस करते हुए उसकी चूची दबा रहा था। दोस्तो पूछो मत क्या जन्नत का मजा आ रहा था… पूरी मूवी हम लोग एक दूसरे को किस करते रहे और मैं उसकी चूची दबाता रहा।
मूवी ख़त्म हुई, हम लोग बाहर आए, वो मुझसे नज़र नहीं मिला पा रही थी। फिर हमने लंच किया और उससे अपने रूम में चलने के लिए बोला तो वो बोली- आज लेट हो जाएँगे, फिर किसी दिन चलते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है, कल तुम घर से आ जाना, मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगा, फिर मेरे रूम में चलेंगे। फिर हम दोनों पूरा दिन साथ में बिताएँगे। तो उसने कहा- ठीक है।
मैं सुबह साढ़े नौ पर उसके घर के पास पहुँच गया, उसको फोन किया तो बोली- दो मिनट में आ रही हूँ।
फिर मैं उसको बाइक पर लेकर अपने रूम में आ गया। अंदर आते ही मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया, हम दोनों दस मिनट तक एक दूसरे से चिपके खड़े रहे।
वो बैठी तो मैंने उसे पानी पिलाया और उसकी गोद में सर रख कर लेट गया, वो मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने उसको अपने ऊपर लिटा लिया और किस करने लगा, उसे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने मस्त जींस और शर्ट पहना हुआ था। अब मैं उसके ऊपर आ गया और मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो उसकी चूत को ऊपर से किस कर रहा था।
फिर मैंने उसे बिठाया और उसका टॉप उतारने लगा तो उसने हाथ ऊपर कर दिए। उसने लाल रंग की ब्रा पहनी थी, गोरे बदन पर लाल ब्रा कमाल लग रही थी। मैंने भी अपनी टी शर्ट उतार दी और उसको अपने से चिपका लिया और हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा खोल दी। अब वो सिर्फ़ जींस में थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने उसे लिटा दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली। मैं उसको ऊपर से लेकर नीचे तक किस करने लगा और उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, उसका पूरा बदन अकड़ने लगा और जींस के ऊपर से ही मैं अपना मुँह लगा कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी।
फिर मैंने उसके जींस की बटन खोल दी और जींस तोड़ा सा नीचे खींच तो उसने अपने चूतड़ उठा दिए, मैंने जींस अलग कर दी, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी, मेरे से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, मैंने भी अपनी पैंट उतार दी, अब हम दोनो सिर्फ़ अंडरवीयर में थे।
मैं उसके ऊपर लेट गया, उसकी चूची मेरे सीने में गड़ी जा रही थी, हम एक दूसरे को बुरी तरह से चूम रहे थे जैसे एक दूसरे के अंदर ही घुस जाएँगे। फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी… क्या मस्त ऊपर को उठी हुई थी उसकी चूत… पूरी तरह से साफ… शायद उसने सुबह ही अपनी चूत के बाल साफ किए होंगे।
मैंने हाथ लगाया तो उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी, चूत से पानी बह रहा था। मैंने दोनों उंगलियो से उसकी चूत खोली और अपनी जीभ लगा दी। उसकी सीईईई ईईईई… सस्स्स स्स्स्सरर… निकल गई, वो मेरे बाल कस कर पकड़े हुए थे और मैं मस्त उसकी चूत में अपनी जीभ घुमा घुमा कर उसे चाट रहा था।
दस मिनट तक मैंने उसकी चूत चाटी, वो दो बार झड़ चुकी थी। अब वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे अंडरवीयर उतार कर अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी और मुझे ऊपर से किस करते हुए मेरे लंड पर भी किस करने लगी और बड़े प्यार से मेरा लंड अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए जन्नत का मजा ले रहा था। पांच मिनट तक चूसने के बाद मैंने उसे हटाया और उसको नीचे लिटा कर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा, वो पूरी तरह से पागल हो चुकी थी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी, बोली- प्लीज़ जल्दी करो… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा… अपना लंड मेरी चूत में डाल कर इसकी आग बुझा दो। मैं भी बिना देर किए हुए लंड को उसकी चूत की गहराई में उतारने लगा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था और वो दर्द से तड़पने लगी तो मैं उसकी चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर में वो नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी, मैंने भी धीरे धीरे धक्के लगाते हुए पूरा लंड उसकी चूत के अंदर डाल दिया।
अब वो कहने लगी- शिव आज फाड़ दो मेरी चूत को… अब रुकना मत! पूरी जिंदगी मेरी चूत से अपना लंड बाहर मत निकलना, रात दिन मुझे बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर ही रखना है… और जोर से चोदो मुझे!
पूरे कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूंजने लगी, आधे घंटे चली चुदाई में वो तीन बार झड़ी, फिर भी मेरा साथ देती रही। अब मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने कहा- मेरा भी निकलने वाला है, बाहर निकालूँ क्या? तो वो बोली- नहीं अंदर ही करो! और मैं तेज़ी से झटके मारते हुए झड़ने लगा, वो पूरी तरह से मुझसे चिपकी हुई थी और मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया, थोड़ी देर में मैं उसके बगल में लेट गया।
15 मिनट तक हम लोग लेटे रहे, उसके बाद फिर दूसरा दौर चला चुदाई का… उस दिन मैंने उसकी चार बार चुदाई की, पूरे दिन हम नंगे रहे और मस्त चुदाई करते रहे।
दोस्तो कैसी लगी मेरी चुदाई की कहानी… इसके बाद भी नेहा के साथ एक रात चुदाई की है, वो बाद में लिखूंगा। sex.in[email protected]
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