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मैंने कमरे में आते ही झट से अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया.. अपना लौड़ा हाथ में लेकर मीना को याद करते हुए हिलाना शुरू ही किया था कि मेरे दरवाज़े पर मीना के बेटे ने आवाज़ दी। मैंने खुद को ठीक किया और दरवाज़ा खोला.. तो उसने बताया कि उसकी माँ मुझे बुला रही हैं।
मैं ठीक से मुठ भी नहीं मार पाया.. झट से उसके कमरे पर गया.. वहाँ पर उसकी नौकरानी और बच्चे टीवी देख रहे थे। मैंने मीना की तरफ देखा.. वो पूरी तरह से सजी हुई थी.. उसकी बाल बहुत ही कामुक तरीके से बंधे हुए थे.. और होंठ गुलाबी लिपस्टिक से चमक रहे थे। वो एक मिनी स्कर्ट और छोटी सी पारदर्शी शिफोन की शर्ट पहने थी.. जिसमें से उसकी गुलाबी रंग की पट्टीनुमा ब्रा साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उससे पूछा- क्या बात है? वो बोली- बोर हो गई हूँ.. इसलिए बुलाया है.. आओ बैठो! उसने मुझे अपने बगल में टीवी देखने बिठा लिया.. कुछ समय बाद उसके बच्चे सो गए और नौकरानी भी कमरे से चली गई। उस वक़्त हम दोनों ही रह गए थे.. उसे मिनी स्कर्ट में देख कर मेरा लौड़ा तो पहले से जगा हुआ था।
फिर मेरे अन्दर में चुदाई का जोश आया.. वो मुस्कुरा रही थी.. मैं उसके करीब हो गया और उसके होंठों को किस किया।
इस बार उसने कुछ नहीं कहा.. फिर क्या.. मैंने उसके होंठों को फिर चूमा।
इस बार उसने मुझे फिर धकेला और पहली तरह मुझे धमकी देने लगी.. मैं फिर से हताश सा हो गया और शरम के मारे अपने कमरे में जाने को उठा और कमरे से बाहर आया ही था कि इतने में वो भी उठ गई और मेरे पास आकर इस बार उसने मेरे होंठों को चूमा। फिर क्या था.. मैंने उसे खूब चूमा.. उसकी पूरी गुलाबी लिपस्टिक.. मेरे होंठों में समा गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने मुझे उसके कमरे में अन्दर चलने को कहा.. पर मैंने अपना लंबा प्यासा लौड़ा निकाला और उसे उसके घुटनों पर बिठाया और उसके चेहरे पर अपने लौड़े से खूब पीटा और फिर लौड़े को उसके मुँह में डाल दिया। मैं उसके मुँह की चुदाई करने लगा और वो भी बड़े चाव से मेरा लौड़ा चूसने लगी।
उप्स.. क्या खुबसूरत औरत मेरा लौड़ा चूस रही थी.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। अब मैंने ठान लिया था कि मैं इसकी बुर तो आज फाड़ ही दूँगा।
काफ़ी देर तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही.. फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसके मम्मों को खूब भींचा और दबाया।
मैंने उसकी शर्ट फाड़ दी.. अब वो स्कर्ट और ब्रा में थी। शर्ट फटने से वो मुझे बड़ी शिकायती नज़रों से देख रही थी.. पर अब क्या फायदा.. वो तो मेरे सामने नंगी हो चुकी थी, मैंने उसे उठाया और उसके कमरे में ले गया और उसके बिस्तर पर फेंक दिया।
सामने टेबल पर उसकी और पति का फोटो लगा था.. मैंने फोटो की तरफ देखकर उसके पति को देखते हुए कहा- देख.. तेरी बीवी को आज कैसे चोदता हूँ.. वो हंस दी.. मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसके दूधों को खूब दबाया और ब्रा को नीचे सरका दिया। उसके निपल्स बाहर निकल आए.. जिसे मैंने चूसा-चबाया.. काटा… मींजा.. खूब खेला.. उसके मम्मे.. जो मेरी हरकतों से बेहाल होकर लाल हो गए थे।
अब मैंने अपने लौड़े पर अपना थूक लगाया और उसे सीधे उसके मुँह में घुसा दिया। मैं पहली बार किसी मणिपुरी औरत को चोद रहा था.. वो कुछ नहीं बोल पा रही थी.. बस बकरी की तरह मिमिया रही थी। फिर मैंने उसकी गाण्ड को खूब थपड़ियाया.. और उसकी स्कर्ट खोल कर पैन्टी उतार दी। उसकी बुर को खूब चूसा और चाटा।
दूसरे कमरे में उसके बच्चे सो रहे थे.. उन्हें क्या मालूम कि उनकी माँ यहाँ बाजू के कमरे में चुदवा रही है।
फिर उसने मुझे चोदने को कहा.. मैंने अपना लौड़ा उसकी बुर में पेल दिया.. वो चिल्लाने लगी।
वो इतना जोर से चिल्लाई कि पड़ोस के दूसरे कमरे वाले भी उसकी चीख सुन चुके होंगे। मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं थी.. मुझे तो आज उसे चोदना ही था.. सो मैंने उसे खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार-मार के चोदा।
मैंने देखा उसकी आँखों से आँसू निकल रहे हैं.. मैं जरा ढीला पड़ा और उसने मुझे ढकेला और बाहर की तरफ भागी। मैं उसके पीछे भागा.. किसी तरह उसे बाहर वाले कामन रूम में पकड़ा और पूछा- क्या बात है? तो उसने कहा- तेरा लौड़ा बहुत बड़ा है.. इसे मैं सहन नहीं कर सकती हूँ.. वो रो पड़ी और मुझसे माफ़ करने की भीख माँगने लगी.. पर मैंने उसकी एक ना मानी और वहीं पर सोफा पड़ा था.. उसे वहाँ ले जाकर पटका.. और अपना लौड़ा उसकी बुर में जबरन घुसेड़ दिया।
अब मैंने उसे फिर से चोदना शुरू कर दिया.. वो मेरे नीचे बेबस पड़ी थी और मैं उसके ऊपर उसकी चुदाई का मजा ले रहा था।
मैं कैसे ऐसी खूबसूरत औरत को बिना चोदे छोड़ देता.. मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था.. उसकी आवाज़ भर गई और उसने मुझे रिक्वेस्ट की कि मैं उसे अन्दर कमरे में ले जाकर चोदूँ।
मैंने उसे लौड़ा लगाए हुए फिर से अन्दर कमरे में ले गया और इस बार बिस्तर पर चुदाई न करके.. उसके हाथ दीवार पर टिका कर उसकी चूत का मजा ले रहा था.. मैं उसकी चूत पीछे से डॉगी स्टाइल में मार रहा था। ुकुछ मिनट तक 50-60 धक्के खाने के बाद फिर उसने मुझे फिर धक्का दिया और एक पेटीकोट उठा कर अपने बेटे के कमरे की तरफ भागी। मैं उसके पीछे भागा.. पर इस बार वो अपने बेटे के कमरे में घुस गई और दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया।
मैंने भी हार ना मानी.. आज मुझे उसे खूब चोदना था.. सो मैंने दरवाज़ा ज़ोर-ज़ोर से खटखटाया.. मैंने उसके बेटे का नाम ले ले कर दरवाजे को ठोका.. जिससे वो हार मान गई और मजबूर होकर उसने दरवाज़ा खोल दिया.. क्योंकि इससे उसका बेटा जाग सकता था।
अब तक उसने पेटीकोट पहन लिया था.. मैंने उसका पेटीकोट नीचे सरका दिया और उसकी मम्मों को फिर चूसना शुरू किया। उसकी हाथों को अपने लौड़े पर रखा और वो भी उसे सहलाने लगी। मैं उसकी मम्मों की चुसाई कर ही रहा था कि उसका बेटा वहाँ निकल आया और हमें देख लिया। मैंने झट से उसकी माँ को छोड़ दिया.. पर वो छोटा था.. सो कुछ नहीं समझ पाया।
मीना के मम्मों पर मेरी लार चमक रही थी। उसने भी अपना पेटीकोट मम्मों के ऊपर नहीं ढका था।
उसके बेटे ने पूछा- मम्मी.. क्या कर रही हो? उसकी माँ ने उससे कह दिया- अंकल मेरी मालिश कर रहे हैं.. जैसे तेरे पापा करते हैं.. तुम जाओ और सो जाओ। उसका बेटा चला गया.. और सो गया।
इस बार मैं उसे गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गया.. वो बहुत मना कर रही थी। मैंने अन्दर से ताला लगा दिया और फिर उसे दबोचा.. उससे अपना लौड़ा चुसवाया और उसकी चूत फैला कर उसमें अपना लौड़ा गाड़ दिया। अंत में मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में ठूँस दिया और उसे ज़बरदस्ती अपना वीर्य निगलने को मजबूर कर दिया.. जब तक मेरा लौड़ा खलास नहीं हो गया.. तब तक मैंने उसके मुँह से अपना लण्ड नहीं निकाला और अपने लौड़े को उससे काफ़ी देर तक चुसवाया। मैं उसको रात भर चोदता रहा.. सुबह चुदाई के बाद वो चल भी नहीं पा रही थी.. क्योंकि मैंने उसकी बुर को चोद-चोद कर फाड़ दी थी।
उसके बाद तो अक्सर ही रात को अपार्टमेंट में हम दोनों की चुदाई की नशीली आवाजें गूँजने लगीं। इस चुदाई के बाद से अब वो वही करती है.. जो मैं उसे करने को कहता हूँ। अब वो मेरी रखैल बन गई है.. उसी रात मैंने उसकी एक कमजोर नस जान ली थी कि उसे सिर्फ़ उसकी पति ने ही नहीं चोदा है.. बल्कि उसे कई मर्दो ने चोदा है.. उसने यह भी बताया कि कॉलेज के दिन उसका एक झारखंडी ब्वॉय-फ्रेण्ड भी था.. जिसके साथ वो दो साल तक एक ही कमरे में रह कर खूब चुदाई कर चुकी थी।
उस दिन मीना को चोदने में.. मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी.. मैंने उसके जिस्म से चिपक-चिपक कर उसे खूब चोदा था.. मैंने उसकी पूरी तरह से झांट रहित बुर का हाल-बेहाल कर दिया था।
उसने यह भी बताया था कि मेरा लौड़ा उसके पति के लौड़े से दो गुना बड़ा है.. जिस पर वो मर मिटी है।
अब मैं सीधा उसके कमरे में घुस जाता हूँ और अपना लौड़ा निकाल कर उसके बिस्तर पर बैठ जाता हूँ.. और वो मेरे लौड़े को चूसना शुरू कर देती है। यह भी कह सकते हैं कि मैं अपना लौड़ा उसके मुँह से धोता हूँ।
एक बार तो मैंने उसे उसकी बेटी के सामने नंगा करके चोदा था.. पर उसकी बेटी सोई हुई थी। उसकी बेटी के सामने माँ को चोदते हुए मुझे बड़ा मज़ा आया। वो मना तो कर रही थी.. पर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर चोद लिया.. तभी माना।
जब मैंने उसकी गाण्ड मारी.. तब तो उसका रंग ही बदल गया था। मुझे अब उसकी गुलाबी गाण्ड मारने में बड़ा मज़ा आता है.. क्योंकि इसमे वो बेबस हो जाती है उसका कलर चेंज होते देख बरा मज़ा आता है।
मैंने अब तक उसकी 100 से ज्यादा बार गाण्ड मारी है। उस दिन के बाद तो मैं उसे उसके पति की गैर हाज़िरी में खूब चोदता रहता था। एक बार वो प्रेग्नेंट भी हुई थी.. पर किसी तरह से हमने उस प्राब्लम को सॉल्व कर दिया था।
मैंने और भी कई औरतों को चोदा है.. पर उससे अधिक खूबसूरत और हसीन औरत को मैंने अब तक नहीं चोदा है। ुअभी तक मुझे उस जैसी सेक्सी और बेहाल औरत नहीं मिली.. जो चुदते समय बकरी की तरह मिमियाती है.. पर अब मैं उससे दूर हो गया हूँ.. क्योंकि मेरा उधर से दाना-पानी उठ गया है.. और मैं हरिद्वार वापस आ गया हूँ.. पर मैं अब भी उसकी तस्वीर देख कर मुठ्ठ मारता हूँ।
यह मेरी उसके साथ बिताई हुई जिन्दगी की सच्ची दास्तान है.. मुझे ज़रूर ईमेल करें। [email protected]
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