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दोस्तो, मैं विकी केपर अन्तर्वासना का पुजारी या यूँ कहो तो पाठक आपके सामने एक नई और सच्ची सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ। मैं काफ़ी सालो से अन्तर्वासना की लगभग सभी कहानियों को पढ़ता आया हूँ जिनमें से मुझे कुछ सच्ची और कुछ बकवास लगी। इन्हें पढ़कर आज मुझे लगा कि मुझे भी अपने जीवन के उन हसीन पलों को आप सब से बांटना चाहिए जो मैं इतने सालों से मन में दबा कर बैठा था।
मैं दिल्ली का रहने वाला 22 साल का नौजवान, ज़्यादा सुंदर नहीं पर इतना भी बुरा नहीं कि लड़कियों का ध्यान ना जाए मुझ पर, और ज़्यादा खूबसूरत भी नहीं कि केटरीना जैसा माल टिका सकूँ। मैं गेहुँए रंग का, 7 इंच लंबे लंड का मालिक हूँ।
बात है तीन साल पहले की, गर्मियों के दिन थे तो पढ़ने के लिए अपनी छत पर चला जाया करता था। हमारे पास में एक घर था जिसमें एक लड़का, दो लड़कियाँ रहती थी अपने पापा और मम्मी के साथ, दोनों काफ़ी मस्त और सेक्सी लगती थी, बड़ी बहन का नाम रिया और छोटी का दिव्या था। बड़ी का एक बॉय फ़्रेंड था तो उस पर मैं ज़्यादा ध्यान नहीं देता था पर छोटी वाली अभी 18 की हुई थी और अप्सरा सी लगने लग गई थी मुझे। बस मन करता था कि देखते ही उसका आँखों से चुदाई कर दूँ… थी ही वो कुछ ऐसी… 32′ 28′ 30′ का बदन था उसका!
गली के सारे लोंडे उस पर फिदा थे और वो किसी और पर जो आपको आगे पता लगेगा। हर किसी ने भरसक प्रयास कर लिए थे उसे पाने के, पर चाहत भी तो एक चीज़ होती है जो हर किसी से एक ही समय पर नहीं की जा सकती। मैं उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता था शुरू में क्यूँकि औरों का जो ध्यान लगा रहता था उस पर !
एक दिन मैं अपनी छत पर घूम रहा था हाथ में किताब लिए, वो भी छत पर आ गई, हाय हेलो हुई, फिर मैं पढ़ाई में ध्यान देने लगा पर वो मुझे पढ़ने ना देकर बार बार कोई ना कोई टॉपिक छेड़ देती। इस तरह कई हफ़्तों तक ऐसा ही रहा, मुझे भी तब तक वो अच्छी लगने लग गई थी। मैं बताना ही भूल गया कि वो भी 12वीं में पढ़ती थी मेरी तरह, तेज़ दिमाग़ वाली चालाक लड़की थी।
मेरे हाफ़ ईयर्ली एग्जाम करीब आ गये और मैं पढ़ने में व्यस्त हो गया। कुछ दिन तो ठीक ठाक पढ़ाई मन से हो रही थी पर एक दिन अचानक वो अपनी मम्मी के साथ मेरे घर आ गई। मैं डर गया, मैंने सोचा कि मैंने तो इससे कभी भी कोई ग़लत बात नहीं की फिर अचानक यह क्या हो गया।
मन को तब सुकून पहुँचा जब उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- विकी बेटा, ज़रा दिव्या को मेथ्स समझा देना, उसे समझ नहीं आ रहा है कुछ। तो मैंने कहा- ठीक है, बता दूँगा। और वो उसे छोड़कर चली गई, कहा- शाम होने से पहले घर आ जाना! दिव्या ने भी कहा- ठीक है, आ जाऊँगी। फिर हम दोनो मेरे कमरे में पढ़ते रहे।
मम्मा घर के कामों में लगी रहती थी और पापा ऑफीस जाते हैं, तो मुझे डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था। ऐसा ही सोचा मैंने पर मुझे क्या पता था मेरी पड़ोसन ही मुझे नहीं छोड़ेगी। दिव्या बहुत बातें बनाती थी और इधर उधर की बातें करती थी।
दो तीन दिन ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन मैंने कहा- तुम इतना क्यूँ बोलती हो? उसने कहा- क्यूँ? मेरा बोलना अच्छा नहीं लगता क्या आपको? मैंने बोला- ऐसी बात नहीं, पर पढ़ना भी तो है। उसने कहा- मैं पढ़ने के लिए नहीं आती, तुमसे बात करने के लिए आती हूँ। तो मैंने कहा- वो तो हम छत पर भी कर सकते थे, मेरे घर पे आने की क्या जरूरत है?
उसने एकदम से कहा- आई लव यू !
मैं शॉक्ड हो गया और कहा- यह क्या कह रही हो? तो उसने कहा- क्यूँ, मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें? मैंने कहा- नहीं, ऐसा नहीं है, अच्छी लगती हो!
तो फिर उसने एकदम से मुझे मेरे होंठों पर क़िस कर दिया और बोली- अब कैसी लगी मैं? मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि लंगूर को अंगूर मिल जाएगा, पर उस समय यकीन हो गया था कि अब मुझे क्या करना है। मैंने कहा- मम्मा हैं घर पर, आ जाएँगी। तो उसने कहा- आंटी को मैंने बाज़ार भेज दिया है, 2 घंटे बाद आएँगी।
और यह सुनते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और कहा- आई लव यू तू मेरी जान! उसने कहा- पहले क्यूँ नहीं बताया? मैंने कहा- हिम्मत ही नहीं हुई! दिव्या- पता है, तुम्हें मैं बचपन से अब तक प्यार करती हुई आई हूँ। मैंने कहा- इतना प्यार क्यूँ करती हो? दिव्या- बस तुम मुझे क्यूट लगते हो इसलिए!
और इतना कहते ही वो मुझे फिर से चूमने लगी। मै भी मदहोश होकर उसे किस करने लगा और ज़ोर से जकड़ लिया जिससे उसके 32 इंच के बूब्स मेरी 38 इंच की छाती से रगड़ने लगे। मैं उसके बूब्स को ज़ोर से दबाने लगा तो वो सीसी करने लगी और सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी, फ़िर उसकी शर्ट निकाल कर कभी उसके दायें स्तन को चूसता तो कभी बायें !
उसने कहा- कितने प्यासे हो जो इतना पीते हो? दूध तो है नहीं इनमें… तो क्या स्वाद लग रहा है? मैंने कहा- यही तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ बनाई है भगवान ने जिसका रस पीने को मिल जाए तो इंसान को जन्नत नसीब हो जाए! उसने कहा- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा! और मेरे सिर को अपने वक्ष के अंदर गाड़ने लगी, उसे भी मज़ा आ रहा था।
फिर उसने कहा- मुझे आज जी भर के प्यार करने दो!
और मेरी टीशर्ट निकाल दी और छाती पर, गले पर और गालों पर किस करने लगी। वैसे तो हमेशा ही लड़के ही लड़की को उत्तेजित करते हैं पर उस दिन तो दिव्या ने ही मेरे अंदर आग लगा दी और मुझे अपना लोवर उतारने पर मजबूर कर दिया। अब वो मेरे उपर आ गई और मेरे लंड को अण्डरवीयर के ऊपर से ही पकड़ कर रगड़ने लगी और कहने लगी- यह बाहर से इतना मजेदार है तो अंदर से कितना खूबसूरत होगा!
और कहते ही लंड निकाल कर चूसने लग गई। मैं तो मानो सातवें आसमान पर पहुंच गया और साथ ही साथ उसके बूब्स को मसल रहा था और किस भी कर रहा था उसके नंगे शरीर पर जो ना जाने कब मेरी आँखों के सामने सिर्फ़ काले रंग की जालीदार लायेंज़री में थी।
मैंने देर ना करते हुए उसके इन बचे हुए कपड़ों को भी निकाल दिया और उसकी अंदरूनी सुंदरता को देखने लगा। उसके अंगों से एक बड़ी ही मादक और लुभावनी खूशबू आ रही थी जिसने मुझे उसकी चूत का स्वाद चखने पर मजबूर कर दिया और जल्द ही हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये।
5 मिनट चूसने के बाद वो झड़ गई और उसकी चूत तरबतर हो गई थी। उसके पानी का स्वाद चखा जो नमकीन सा था। वो तो मेरा लंड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। मैं अपना माल गिरा चुका था उसके मुख में, फिर भी वो पागलों की तरह चूसे जा रही थी। मेरा लंड बैठ गया था पर उसके अंदर की वासना शांत नहीं हुई थी।
थोड़ी देर में ही मेरा फिर से खड़ा हो गया और फिर मेरे लण्ड की दिव्य दृष्टि दिव्या की छोटी सी चूत पर पड़ी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। वो बार बार कह रही थी- मुझे नीचे खुजली हो रही है बहुत तेज़!
मैं अपने सुपारे को उसकी चूत के मुहाने पर ले जा कर रगड़ने लगा तो वो सिसकारियाँ लेने लगी, ‘उफ आआहह हम्म आाहह’ की आवाज़ें निकालने लगी। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया और जैसे ही लंड अंदर जाने लगा, उसकी चीख निकल गई और वो कहने लगी- निकालो… दर्द हो रहा है।
मैंने उसे कहा- थोड़ा सा दर्द होगा और खून भी निकलेगा… तो वो कहने लगी- तेल ले आओ और मेरी चूत में लगा कर जोर लगाओ।
मैंने ऐसा ही किया और जल्दी से तेल लगाया, वो अपने बूब्स को मसल रही थी और कह रही थी- आज मुझमें समा जाओ, मैं बस तुम्हारी हूँ और तुम्हारी रहना चाहती हूँ। मुझे कली से फूल बना दो और वर्जिनिटी ब्रेक कर दो।
उसके बाद मैंने और ज़ोर लगाया, इस बार लंड आधा ही अंदर गया था कि फिर वो रोने लगी और चीखने लगी। मैंने उसके होंठों पे चुम्बन करना शुरु कर दिया और साथ ही लंड को भी अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा। थोड़ा सा खून निकलने के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और कमर हिला कर मेरी कमर को जकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी और ‘अयाह… अया आआहह… उहह उहह… ऑश… येस कम ओन बेबी…’ कहने लगी।
मैं भी उसका साथ देने लगा और जोर मारने लगा। करीब 25 मिनट तक यह कार्यक्रम चला और उस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी। मैं भी निकालने वाला था तो उससे कहा- कहाँ झाड़ूँ? उसने कहा- मुझे भी तुम्हारे वीर्य का स्वाद चखना है।
और मैंने सारा माल उसके गले में उतार दिया।
2 घंटे बीट चुके थे, इसी बीच घर की बेल बजी, मैं डर गया, मैंने जल्दी से कपड़े पहने और दिव्या को बाथरूम में भेजा।
जैसे ही गेट खोला तो जान में जान आई, बाहर कौरीयर वाला आया हुआ था, फिर कौरीयर लिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गया। दिव्या नंगी खड़ी थी वहाँ, उसे चूत में दर्द हो रहा था, पहली बार उसने चुदवाया और वो भी इतनी देर… उससे चला नहीं जा रहा था तो उसे डर लगने लगा कि वो क्या कहेगी अपनी मम्मी को!
मैं उसे घर तक छोड़ कर आया। उसके बाद भी कई बार हमने चुदाई की पर उसने अब अपना घर शिफ्ट कर लिया है किसी दूसरे शहर में चली गई और इस तन्हा दिल और लंड को अकेला छोड़ गई… आज भी वो मुझे बहुत याद आती है। आशा करता हूँ कि कभी फिर किसी मोड़ पे उससे मुलाकात होगी… कैसी लगी मेरी पहली चुदाई… बताने के लिए मुझे मेल करें… इंतज़ार रहेगा मुझे आप सबके जवाबों का! [email protected]
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