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हैलो दोस्तो, मेरा आप सबको नमस्कार.. मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.. मेरा नाम राहुल है और मैं श्री गंगानगर का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 28 साल है.. मैं अन्तर्वासना पर पहली बार कहानी पोस्ट कर रहा हूँ.. कहीं कोई गलती हो जाए तो माफ़ कीजिएगा।
बचपन से ही मुझे सेक्स की बहुत इच्छा रहती थी.. बचपन में मेरी एक फ्रेंड रजनी थी.. जिसकी अब शादी हो गई है। वैसे तो मैं रजनी से बहुत प्यार करता था.. मैंने उसके बारे में कभी गलत नज़रिए से नहीं सोचा.. मैं हमेशा उसे खुश करने की सोचता रहता था। उसके घर वाले भी हमारे अच्छे जान-पहचान वाले थे.. दोनों परिवारों में काफी घनिष्ठता थी.. जिसकी वजह से हम लोगों का एक-दूसरे के घर आना-जाना होता रहता था।
एक बार मेरे घर में एक प्रोग्राम था.. तो रजनी सुबह ही तैयार होकर मेरे घरवालों की मदद के लिए मेरे घर आ गई। पूरा दिन काम की वजह से वो काफी थक गई थी और उसके पैरों में दर्द होने लगा था। मेरे घर में किसी के भी सर में या पैरों में दर्द होता.. तो सब मुझसे ही दबवाते थे क्योंकि मुझे थोड़ा शरीर के पॉइंट की जानकारी है.. जिसकी वजह से सबको बहुत अच्छा और जल्द आराम मिलता है।
मम्मी ने मुझे रजनी के पैरों को मालिश करने के लिए कहा.. रजनी ने पीले रंग का सूट पहना हुआ था.. उसके सूट की पजामी बहुत टाइट थी। तो मैंने माँ से कहा- पजामी में तेल मालिश कैसे होगी?
तब माँ ने रजनी को अपना नाईट गाउन दिया.. पर रजनी ने शर्म के कारण माँ को मना कर दिया।
तब माँ ने ऊपर वाले कमरे में उससे गाउन पहनने को कहा और मुझसे कहा- जा तू वहीं चला जा.. उसके पाँव के पॉइंट्स दबाकर अच्छे से मालिश कर दे।
रजनी ऊपर के कमरे में चली गई.. वो वहाँ गाउन पहन कर बिस्तर पर सीधा लेट गई। दस मिनट के बाद मैं ऊपर गया.. तब तक माँ अपने काम में फिर से बिजी हो गई थीं।
मैंने ऊपर जाकर देखा रजनी बिस्तर पर लेटी हुई थी.. उसने गाउन पहन था। मैंने कमरे के गेट को धीरे से बंद किया और रजनी के पैरों के पास बैठ गया। अब मैं उसके पैरों के नीचे के पॉइंट्स दबाने लगा।
कुछ देर बाद मैंने उससे गाउन को घुटनों के ऊपर करने को कहा.. तो वो शर्माने लगी। मैंने उसे समझाया कि कुछ नहीं होगा.. तब कुछ देर बार उसने गाउन को ऊपर किया।
क्या सुंदर टाँगें थीं उसकी.. मेरा तो लंड खड़ा होने लगा था। फिर भी मैंने अपने ऊपर काबू रखते हुए उसकी मालिश जारी रखी। धीरे-धीरे मालिश करते हुए मैं अपने हाथ गाउन के अन्दर डाल कर उसके घुटनों के ऊपर तक ले जाने लगा। रजनी भी धीरे-धीरे गरम हो रही थी और मैं भी चुदास से भर उठा था। बस हम अपने पर काबू रखे हुए थे.. मैंने उससे उल्टा लेटने को कहा और हाथ फ़ैलाने को कहा।
रजनी ने उल्टा लेट कर हाथ फैला लिए, रजनी का गाउन.. जो कि घुटनों तक ऊपर आ चुका था.. उल्टा लेटने की वजह से थोड़ा और ऊपर उठ गया।
मैंने अपनी शर्ट उतारी ताकि वो तेल से ख़राब न हो.. अब अपने पैरों को मोड़ कर रजनी की कमर के ऊपर आ गया और उसके बाजुओं की मालिश करने लगा।
मेरा खड़ा लंड रजनी की कमर के साथ छू रहा था.. रजनी भी धीरे-धीरे पूरी गरम होने लगी। रजनी के गाउन की बैक में ज़िप लगी हुई थी.. जोकि उसकी पूरी पीठ बराबर लम्बी थी। उसकी गर्दन की मसाज करने के लिए मैंने उसकी ज़िप को खोलकर थोड़ा नीचे कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
रजनी ने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो बैक से मुझे साफ नजर आ रही थी। मैंने उसकी गरदन के पास मसाज करते हुए थोड़ी उसकी पीठ की मसाज भी करने लगा। मेरे हाथ अब रजनी की ब्रा तक जा रहे थे.. पर मुझे उसके ब्रा की पट्टी के कारण मसाज करने में दिक्कत हो रही थी.. ये शायद वो समझ चुकी थी।
इसलिए उसने अपने हाथ से अपनी ब्रा पीछे से खोल दी.. और इसी के साथ जिप भी नीचे तक सरक गई।
क्या खूबसूरत कमर थी उसकी.. उसकी कमर पर मसाज करते हुए मेरे हाथ उसके मम्मों के बगलों तक जा रहे थे। मम्मों के किनारे स्पर्श करने मात्र से चुदास भड़क उठी थी.. जिसकी वजह से हम दोनों अपने पर काबू नहीं रख सके। तभी रजनी एकाएक उठ कर मेरे गले से लग गई और मैं उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा।
जल्द ही मेरे होंठ रजनी के होंठों को छू रहे थे। उस वक्त हम लोग एक नशे में थे.. जिस तरह कोई आइसक्रीम का मजा ले रहा हो.. उसी तरह मेरे होंठ रजनी के होंठ को हल्के से चूस रहे थे। रजनी पूरी तरह मेरे आगोश में थी। मैं रजनी के कन्धों से गाउन को धीरे-धीरे नीचे करने लगा.. जब उसका गाउन उसके पेट पर रुक गया.. तब रजनी मेरे सामने सुर्ख लाल जालीदार ब्रा में थी.. जो कि आधी खुली हुई थी।
उस वक्त रजनी बहुत खुबसूरत लग रही थी.. मैं रजनी के मम्मों को दबाकर उनके सख्त होने का मजा ले रहा था। अब मैंने उसकी ब्रा हटा दी.. इस वक्त रजनी मेरे सामने टॉपलेस हो चुकी थी। वो मारे शर्म के मेरे गले लग गई और मैंने रजनी को गले लगाए हुए ही खड़ा किया और उसकी पीठ.. चूतड़ों और मम्मों को सहलाते हुए गाउन को नीचे गिरा दिया।
रजनी अब सिर्फ पैन्टी में बची थी। मैं पूरी तरह से रजनी के गदराए हुए जिस्म के नशे में मदहोश हो रहा था। उसके होंठ चूसते हुए मैं उसके कान के पास.. गले पर और उसके नग्न कंधे को चूम रहा था। उस वक्त मुझे उसके जिस्म का इतना नशा हो गया था कि मैं उसके हर अंग की खूबसूरती को पी जाना चाहता था। मेरा लंड एकदम कड़क हो उठा था। रजनी की चूत भी पानी छोड़ने लगी थी।
मैंने रजनी को बिस्तर पर गिराया और उसकी पैन्टी को उसकी टाँगों से अलग कर दिया और उसकी चूत की खुशबू को महसूस करने लगा। रजनी पूरी तरह गर्म हो गई थी.. उसने मुझे बिस्तर के दूसरी तरफ गिराया और एकदम से मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसके लंड चूसने का तरीका इतना जबरदस्त था.. जैसे मानो कोई बच्चा लॉलीपॉप चूस रहा हो। करीब 15 मिनट की चुसाई के बाद वो खड़ी हुई और बिस्तर पर लेट गई। अब मैं उठा और रजनी की चूत में अपना लंड डालने लगा।
रजनी की पहली बार चुदाई हो रही थी.. सो उससे बहुत दर्द होने लगा। मैंने थोड़ा जबरदस्ती करने की कोशिश की.. मैंने एक जोरदार झटका दिया.. जिससे रजनी के मुँह से चीख निकल गई। मेरा लंड रजनी की चूत में समा चुका था। अब मैं धीरे-धीरे रजनी की चुदाई करने लगा। लेकिन रजनी मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.. शायद उसे बहुत दर्द हो रहा था.. पर उस वक्त तो मुझे उसके जिस्म के सिवाए कुछ नहीं दिख रहा था।
उसने मुझे जोर से धक्का दिया और उठ कर बैठ गई। तब मुझे होश आया.. रजनी की आँखों में दर्द के कारण आंसू थे। मैंने उससे इस तरह जबरदस्ती करने के लिए माफ़ी मांगी और कुछ दवाई दी जिससे उससे दर्द कम हो गया। मैं कपड़े पहन कर नीचे आ गया। मैं रजनी को अधूरा ही चोद पाया था।
तक़रीबन 20-25 मिनट के बाद वो नीचे आई और माँ को ये कह कर कि वो थक गई है.. अब घर जा रही है.. वो चली गई।
दो-तीन दिन तो मेरे दिमाग में रजनी का ख्याल ही आता रहा। लेकिन तीन दिन तक रजनी मुझे कहीं मिली नहीं.. चौथे रोज भी मायूसी भरा ही रहा.. पांचवे दिन रजनी की माँ मेरे घर मिठाई लेकर आई।
उन्होंने बम सा फोड़ा कि रजनी की शादी की डेट पक्की हो चुकी है।
उसके बाद मैंने रजनी को सिर्फ आखिरी बार देखा.. वो भी शादी के लाल जोड़े में। इसके बाद वो मुझे कभी नहीं मिली।
आप सभी के पत्रों का इन्तजार रहेगा। [email protected]
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