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मेरी ज़िंदगी के खट्टे-मीठे अनुभवों के क़द्रदान, मेरे प्यारे मित्रों और सहेलियो, यानि पाठक-पाठिकाओं, आप को मेरे लंड का प्यार भरा सलाम!
आप के अनगिनत ईमेल मैसेज से मुझे पता चला कि मेरी पिछली कहानी ‘एक अनोखा संयोग‘ को आप लोगों ने कितना पसंद किया और सराहा। आप सभी का उसको पढ़ने और सराहने के लिए मैं बहुत बहुत आभारी हूँ।
इसी विश्वास को बनाए रखने के लिए फिर से एक नया अनुभव साझा कर रहा हूँ, इस उम्मीद के सहारे कि इसे भी आप पहले से अधिक प्यार देंगे तथा, पहले कि तरह ही अपने ईमेल से, पसंद/नापसन्द, और सुझावों से अनुगृहीत करेंगे। कहानी पढ़ें और आनन्द लें पर प्लीज़ मिलने की बात मत कीजिएगा, यह उचित नहीं है।
नई कहानी को समझने के लिए, अगर थोड़ा सा बैकग्राउंड/परिवेश का जिक्र नहीं करूंगा तो न तो आप को मज़ा आएगा और न ही मुझे संतुष्टि मिलेगी अत: थोड़ा सा मेरे साथ सहयोग कीजिएगा, बहुत मजा आएगा।
मैं 11वीं पास करके 12वीं में आया था। साल भर से गाँव के अखाड़े/जिम में कसरत करके मेरी मेरा बदन सॉलिड है। कई सालों से कहीं भी घूमने नहीं गया था, बस मैं खाता था, पढ़ता था और सोता था, सोच रहा था कि मा-बाबूजी से आज कहूँगा जरूर !
शाम को पता चला कि कलकत्ते से मामा जी आए हैं और चाहते हैं कि मैं कुछ दिन के लिए उनके पास रहूँ। मेरी 2 महीने की छुट्टी हो गई थीं, मेरी तो मुराद पूरी हो रही थी पर मैंने कोई हामी नहीं भरी, तो मुझे कहा गया कि अगले दिन हवाई जहाज से कल्कत्ते घूम आओ और कुछ दिन रह भी लेना।
अगले दिन 1 घंटे की फ्लाइट के बाद हम शाम को कलकत्ता पहुँच गए।
मामा का घर अलीपुर के शानदार 26 मंज़िला बिल्डिंग में सबसे ऊपर वाले माले पर था, बल्कि पूरा फ्लोर ही कब्जा किए हुए थे। एक हिस्सा आफिस, गेस्ट हाउस और आने वालों के लिए था और दूसरा हिस्सा, जिसमें 3 फ़्लैट 3-BHK वाले थे, नानी, मामी और मामा के रहने के लिए घर के लिए था। सभी अपने-अपने फ्लैट में सोते थे। कुल 4 लिफ्ट थीं, 2 घर और 2 आफिस वाले पोर्शन में। कुल मिला कर मैंने अपनी तब तक की ज़िंदगी में ऐसा नहीं देखा था।
घर पहुँच कर मामा ने मुझे सबसे परिचित करवाया, मेरी नानी जी ने जींस-टाप और मामी जी ने लंबी वाली पिंक स्कर्ट और झीना सा (यानि see-through) ब्लैक टाप पहना हुआ था। मामा ने मामी को मेरी ज़िम्मेदारी सौंप दी।
मामा-मामी ने मुझे जब सोने के लिए एक बड़ा सा कमरा नानी के कमरे के साथ दिया तो वहाँ की शांति का अनुभव करके मैं घबरा गया और मैंने वहाँ सोने से मना कर दिया। तब मामी जी ने कहा कि अगर ठीक लगे तो मैं उनके कमरे में सो सकता हूँ।
फिर मामा-मामी ने मुझे मामी के हिस्से में ले जाकर मामी का पोर्शन दिखाया जिसमें बड़ा सा ड्राइंग रूम, 20 लोगों के बैठने के लिए बहुत बढ़िया डिजाइनर सोफ़े, टेबल्स, उसी के साथ दूसरा कमरा जिसमें 2 तरफ काँच की बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ, डबल बेड, डबल बेड के साइज से बड़ा बाथरूम था। शायद मेरे चेहरे की खुशी देख कर उन्होंने मुझे उसी कमरे में रहने कि इजाजत दे दी क्योंकि इन खिड़कियों से पूरा शहर पैरों के नीच लगता था जैसे कोई फिल्मी सीन हो। ड्राइंग रूम के अंदर लेकिन दूसरी तरफ मामी का बेडरूम था।
उस घर में 3 प्राणी थे और तीनों ही घर के तीन हिस्सों में, यानि अलग-अलग सोते थे। अगर कुछ हो जाए तो शायद एक दूसरे की आवाज भी न सुन सकें या बुला सकें। एक दूसरे से, अगर पास में नहीं हैं तो बात-चीत भी मोबाइल पर ही करते थे। बस नौकरों के सहारे घर चलता था। मामा भी शायद निश्चिंत थे कि उनकी माँ और बीवी मिल कर सब संभाले हुए हैं।
मामी जी भी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं थी, दिन में कई बार एक से एक फैशनेबल ड्रेस चेंज करती थीं। बहुत अँग्रेजी बोलती थीं, खुद ही कार भी चलती थीं। रात में खाना खाने के बाद वो हमें आइस क्रीम खिलाने ले कर गई और फिर नदी का किनारा भी दिखाया और एक बात कही कि उन्हें सिगरेट पीने की एक गंदी आदत है और अब साथ में रहना है तो मैं इसको माइंड न करूँ, अगर कोई प्राबलम हो तो जरूर बता दूँ।
मुझे क्या एतराज हो सकता था, बल्कि कुछ नया ही अनुभव हो रहा था, बुरा मानने का कोई सवाल ही नहीं था।
घर लौटने के बाद भी हम लोग बहुत रात तक कुछ देर सबके बारे में फिर आपस में एक दूसरे के बारे में बातें करते रहे। हालांकि उम्र में मुझसे दुगनी थी पर सच, मामी जी से बात करके लगा कि वो मामी कम दोस्त ज्यादा हैं।
मैंने सुना कि मामा जब 6 साल के थे तो उनके पिता जी चल बसे, फिर 17 साल के थे तब उनके चाचा चल बसे। घर में नानी, मेरी माँ और मामा 3 लोग थे। जब नानी ने अपने देवर के मरने के बाद बिज़नेस संभाला और हर चीज़ का कंट्रोल अपने हाथ में लिया। समय से माँ की शादी पटना के व्यापारी खानदान में कर दी और बाद में मामा ने खुद पसन्द से शादी कर ली।
खैर, मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब सो गया। सुबह की नींद 1 बजे दोपहर में खुली, तो देख कि मामी ट्रे में नाश्ता लाकर उठाने के लिए आवाज लगा रही थी। मेरी नींद खुली तो लगा कि मेरी पेशाब वाली छुनिया छतरी की तरह तनी थी और मामी उसको हिला रही थीं। जैसे ही उन्हें लगा कि अब मैं आँख खोलने वाला हूँ, उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेर कर मुझे उठाया, मुझसे पूछा कि क्या मैं इतनी देर तक सोता रहता हूँ?
सॉरी बोलते हुए मैंने उन्हे अपना घर वाला रूटीन बताया और कहा कि पता ही नहीं चला कब सोया और क्यों समय से नहीं उठ सका। एक्सर्साइज भी नहीं कर पाऊँगा। तो वो मुझे एक अलग कमरे में ले गई जहाँ बहुत से एक्सर्साइज मशीन रखी हुई थीं। पता चला कि घर में सभी लोग एक्सर्साइज करके अपने को फिट रखते हैं और अब से मैं भी रोज़ वहीं एक्सर्साइज करूँ।
कुछ देर बाद ड्रेस-अप होकर नानी, मामी और हमने खाना खाया, फिर नानी के साथ गपशप होती रही। 5 बजे मामी ने आकर नानी से पूछा कि क्या वो मुझे कहीं घूमा लाएँ। नानी की इजाजत मिलने के बाद उन्होंने ने मुझे फौरन तैयार होकर पार्किंग में पहुँचने के लिए कहा और नीचे चली गई। नानी ने भी इशारा किया कि मैं जाऊँ। मामी ने खुले बटन वाली आसमानी रंग की शर्ट और काली शार्ट हाफ-पेंट पहनी थी और सिगरेट के कॅश लेते हुए मेरा इंतज़ार कर रही थीं।
घर से निकलने के 10 मिनट पश्चात एक जगह कर रोक कर 2 महिलाओं को बैठाया जिसकी वजह से मुझे एक के साथ पीछे की सीट शेयर करनी पड़ी और फिर लॉन्ग ड्राइव पर किसी वाटर-पार्क के लिए चल दिए। मामी और उनकी हमउम्र सहेली एनी ने आगे व मेरी उम्र से कुछ बड़ी लड़की शालू ने पीछे सिगरेट सुलगाई।
जब उन्होने देखा कि मैंने नहीं ली तो मुझसे जिद करने लगी कि लो सिगरेट सुलगाओ!
मेरे व मामी के मना करने पर बोली कि हर काम कभी न कभी तो शुरू ही किया जाता है तो आज ही सही। मामी ने भी कहा कि कोई बात नहीं, आज ले लो, मैं भी किसी को नहीं बताऊँगी। बहरहाल शालू ने अपनी जूठी सिगरेट मेरे मुँह में लगा दी।
पता नहीं यह उनका प्लान था या अचानक हुआ, पर इससे और इसके बाद की हंसी-मज़ाक से हम चारों काफी करीब आ गए। डेढ़ घन्टे की ड्राइव के बाद हम वाटर- पार्क पहुँच गए, मैंने पहली बार वाटर पार्क देखा और जब अन्दर सभी को हाफ पेंट या ब्रा-चड्डी में नहाते देखा तो मैं तो दंग रह गया, मेरी चड्डी में अंदर कुछ अजीब सी सिहरन हो रही थी, घबराहट भी हो रही थी।
वो तीनों लोग भी ड्रेस चेंज करने चली गईं और मैं आंखे फाड़-फाड़ कर पानी में स्त्री-पुरुषों की छेड़-छाड़ देख रहा था। मैंने ऐसा सिर्फ अंग्रेज़ी सिनेमा में देखा था। मामी और उनकी सहेलियाँ मेरी हर हरकत को ध्यान से देख रही थीं और एंजॉय कर रही थीं। तभी शालू ने कहा कि जाओ ड्रेस चेंज करके आओ और एक अंडरवियर मुझे पकड़ा दिया। मैंने कभी महिलाओं के सामने कपड़े नहीं उतारे थे पर अब कोई रास्ता भी नहीं था।
शालू ने वन पीस स्विम-सूट पहना था, मामी और एनी सिर्फ ब्रा और चड्डी में थी।
उसके बाद शालू मेरा हाथ पकड़ के पानी में ले गई। मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मामी को इस तरह से देख पाऊँगा। अब तो लग रहा था कि किसी तरह से इन तीनों को चोद दूँ। जब उन्हें ही कोई परहेज नहीं है तो मैं क्यों शरम करूँ। पर मैंने सिर्फ मस्तराम की किताबें ही पढ़ी थीं, मुट्ठ मारने के अलावा कुछ करने का कोई मौका ही नहीं मिला।
मामी और एनी आगे-आगे, शालू और हम कुछ देर बाद पीछे-पीछे पानी में उतरे। उन दोनों ने तो तैरना शुरू कर दिया पर मैं खड़ा रहा, इस पर शालू ने मुझे धक्का दे दिया। मैंने भी उसे छकाने की सोच रखी थी इसलिए ऐसा पोज किया जैसे मुझे तैरना नहीं आता है और सांस रोक कर डूबने उतराने लगा। शालू ने घबरा कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैंने भी उसको खूब ज़ोर से जकड़ लिया और एक हाथ से उसकी चूची पकड़ ली। उसने मुझे बचाने के चक्कर में चूची से मेरा हाथ नहीं हटाया बल्कि मुझे किनारे की तरफ लाने लगी। अब मैंने चुची से हाथ हटा कर उसकी झांटों के पास अपनी उँगलियाँ डाल दीं तब तक किनारा आ गया और मैंने उंगली निकाल ली। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि उसको यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया कि यह एक्सीडेंटल था या प्रीप्लांड!
मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो बोली- तुम डूबने लगे थे और मैं बचाने की कोशिश कर रही थी।
फिर मैंने उसे बताया- मैं तो तैरना जानता हूँ, डूबूँगा कैसे, शायद फिसल गया होऊँगा!
इस पर वह बदतमीज कह कर चुप हो गई, फिर हम दोनों भी दूसरे जोड़ों की तरह खिलवाड़ करने लगे।
मैंने पूछा कि वो दोनों किधर हैं तो उसने मुझे अपने साथ तैर कर उनके पास चलने के लिए कहा और हम वहाँ पहुँच गए जहाँ वे दोनों कुछ जादा ही नटखट जोड़ों की सेक्सी हरकतें देख रही थीं और नाश्ता-पानी की बोटलें आदि पास में रखी थीं।
मुझे प्यास लग रही थी, मैंने फौरन बोतल उठा कर पानी के 2 बड़े-बड़े घूँट लिए, पानी का टेस्ट बड़ा अजीब सा लगा। इस पर वो तीनों मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगीं।
मैंने कहा- बड़ा अजब सा स्वाद है इस पानी का? तो मामी ने पूछा- अच्छा है या खराब है? मुझे खराब तो नहीं लगा पर नशीला सा जरूर महसूस होने लगा तो मैंने कहा- कुछ डिफरेंट है पर खराब तो नहीं है। और है क्या यह मामी? उन्होंने शालू को इशारा कर के और लाने के लिए भेज दिया और मुझसे बोलीं- मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती हूँ इसीलिए यहाँ अपनी खास दोस्तों के बीच लेकर आई हूँ। तुम मेरे दोस्तों के सामने या अकेले में मुझे मामी मत बुलाया करो, बल्कि मामा की तरह तुम भी मोना डार्लिंग कहा करो… ठीक है या नहीं? क्यों एनी?
तो एनी बोली- अब तो बच्चे भी मा-बाप को नाम से ही बुलाते हैं और यह भी तो बच्चा ही है अपना। अगर साथ में एंजॉय कर रहा है तो कोई सबको बताता थोड़ी फिरेगा कि उसने, मामी या आंटी के साथ क्या-क्या एंजवाय किया है। क्यों बेटा, कहोगे सबसे क्या ऐसा?
मैंने कहा- ये भी कोई बताने की बातें हैं।
तब तक बैग में मटन टिक्के, 2 पानी की व्हिस्की मिली बोतल लेकर शालू भी आ गई जिसके बाद करीब 2 घंटे तक हमारी खाने-पीने और तैरने की पार्टी चली। मुझे ज्यादा पीने नहीं दिया गया क्योंकि मेरा पहला मौका था और पीने के बाद पता चला कि यह शराब है।
मैंने मामी के तो नहीं पर एनी और शालू के बूब्स पानी में खूब दबाए और किस भी किया, उन्होंने भी मेरे लंड को खूब प्यार दिया और दोनों ने ही जम कर चूसा। और शायद दोनों ने ही मेरे लंड़ का पानी भी पिया क्योंकि मेरे तो वैसे भी बर्दाश्त के बाहर था तो कुछ समझ ही नहीं पाया। बहरहाल, करीब रात 10.30 के लगभग हम लोगों ने वापसी यात्रा शुरू की। कहानी जारी रहेगी…
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