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दोस्तो, मेरा नाम सागर है, मैं पुणे का रहने वाला हूँ.. अंतर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। मैं इस साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं अभी 20 साल का हूँ.. मेरा कद 5’7” है.. मेरा रंग खुलता हुआ गोरा.. और जरा सा सांवला है.. मैं दिखने में भी आकर्षक हूँ।
यह बात अभी एक महीना पहले की है.. हमारे पड़ोस में एक आन्टी रहती हैं.. मैं बचपन से ही उसका दीवाना था। क्योंकि वो दिखने में बहुत सुंदर थी। उसका कटीला फिगर.. चेहरा दिलकश.. कुल मिला कर वो बहुत ही खूबसूरत हैं।
उसकी उमर अब 34 साल है.. फिर भी 27-28 की लगती हैं। मैं बचपन से उसकी हर बात मानता हूँ.. इसलिए मेरा उसके घर आना-जाना लगा रहता है।
अभी महीने भर पहले ही उसका गैस का सिलेंडर खत्म हो गया था.. तो उसने मुझे आवाज लगाई.. उस वक्त रात के 9.30 बज चुके थे.. फिर भी मैं गया.. तो उसने बताया- सिलेंडर खत्म हो गया है.. चलो पड़ोस से माँग लाते हैं।
फिर मैं सिलेंडर उठा कर लाया और मैंने उनकी रसोई में सिलेंडर लगा दिया और उन्हें चैक करने को बोला।
मैं जरा पीछे हो गया.. फिर वो सिलेंडर चैक करने के लिए झुकी.. तो उसकी गाण्ड बिल्कुल मेरे लंड के सामने आ गई और मेरा लवड़ा खड़ा हो गया।
उस वक्त मैंने नाईट पैन्ट पहनी हुई थी। जब वो चैक करके पीछे मुड़ी.. तो उसने मेरे पैन्ट के ऊपर लंड का उभार देख लिया। मैं थोड़ा डर गया.. पर वो कुछ नहीं बोली।
फिर अगले दिन शाम को जब वो किसी काम से आई.. तब मैं बाहर ही खड़ा था, तो उसने मुझे आवाज लगाई.. तो मैं उसके घर चला गया। उसने कहा- टीवी के आधे चैनेल ही दिख रहे हैं.. जरा देखो न.. क्या हुआ? तो मैंने सैटिंग में जाकर रेस्टोर फैक्ट्री से उसे ठीक कर दिया। उसने पूछा- क्या हुआ था?
मैंने प्रोब्लम बता दी.. तो उसने कहा- मुझे भी सिखाओ.. कैसे ठीक करते हैं? मैंने उसके हाथ में रिमोट दिया और उस पर मेरा हाथ रखा और उसे बताने लगा।
अब मैं उसके बिल्कुल पास.. उससे चिपक कर बैठा हुआ था.. मेरा एक हाथ रिमोट पर.. यानि उसके हाथ के ऊपर था और दूसरा हाथ मैंने उसके पीछे रखा.. जो कि उसकी गाण्ड वाले हिस्से को छू रहा था।
वो इतना सब पर भी मुझको कुछ नहीं बोल रही थी.. मेरा लंड खड़ा हो गया था।
मेरे दिमाग में एक आईडिया आया.. मैंने पीछे वाला हाथ पूरा उसकी गाण्ड पर रखा और आगे का हाथ उसके मम्मों के पास ले गया और उसे समझाने का नाटक कर रहा था।
वो भी चूतिया नहीं थी.. उसे भी सब समझ आ रहा था.. फिर भी वो कुछ नहीं कह रही थी।
फिर मैंने थोड़ा इंतजार करके उसका एक मम्मा हल्के से दबा दिया.. वो कुछ नहीं बोली। अब मुझे समझ में आ गया कि इसको भी कुछ चाहिए है.. तो मैंने पीछे के हाथ से उसकी गाण्ड दबाई.. तो उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया।
अब हम दोनों खुल चुके थे। तो मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और चुम्बन करना चालू किया.. तो वो भी पागलों की तरह मुझे चूमने लगी थी। कुछ ही देर में मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा निकाल कर उसके मम्मों को चूसने लगा.. उसने भी मेरी पैन्ट निकाल दी और मेरी अंडरपैन्ट के ऊपर से ही मेरे लवड़े को चुम्बन करने लगी.. और मुझे ऊपर से भी पूरा नंगा कर दिया।
मैंने भी उसकी साड़ी निकाल फेंकी और पेटीकोट भी निकाल कर फेंक दिया। अब वो पैन्टी में और मैं अंडरपैन्ट में रह गया था।
मैंने उसे चूम कर उसकी पैन्टी भी उतार फेंकी.. तो उसने भी मेरी अंडरपैन्ट उतार फेंकी। वो मेरा लंड देखकर बोली- हाय.. इतना बड़ा है तुम्हारा? तो मैंने कहा- हाँ आंटी.. तुम्हारे लिए ही तो इतना बड़ा बनाया है.. रोज तुम्हारा नाम लेकर हिलाता हूँ.. तभी तो इतना बड़ा हुआ है।
तो वो उसे चुम्बन करने लगी.. फिर मुँह में भर कर मेरे लौड़े को अपने गले की जड़ तक उतार लिया। मैंने एक ‘आह्ह..’ और मेरा तो उसी क्षण पानी निकल गया.. उसने मेरा सारा पी लिया।
फिर उसने मेरे लवड़े को चूस कर फिर से खड़ा कर दिया और उसने चुदासी हो कर कहा- अब जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत के अन्दर डाल दो.. बहुत दिनों से तड़प रही हूँ।
तो मैंने उसके दोनों पैर ऊपर कर दिए.. और मेरा लंड उसकी चूत पर सैट करके एक जोर का झटका दिया.. तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। वो एकदम से सहन नहीं कर पाई और जोरों से चिल्लाने लगी।
तो मैंने उसको चुम्बन करना चालू किया जिससे वो कुछ सामान्य सी हुई और उसका दर्द थोड़ा कम होने लगा.. तो मैंने एक और झटका लगा दिया। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक चला गया.. वो सीत्कारने लगी.. मुझे कहने लगी- मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज.. अपना लंड बाहर निकालो।
फिर मैं थोड़ा रुका और चुम्बन करना चालू किया.. जब उसका दर्द कम हुआ तो मैं फिर से लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब वो भी मेरा साथ देने लगी- और जोर से डालो.. वो मजे से ये कहने लगी.. तो मैंने भी फुल स्पीड में अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया.. तो वो अकड़ गई और झड़ गई जिससे मेरा पानी भी निकलने को हो गया.. मैंने उसे ये बता दिया।
तो उसने कहा- अन्दर ही डाल दो.. मैंने उसके अन्दर ही पानी डाल दिया.. फिर दोबारा उसे उलटा करके डॉगी स्टाइल में उसकी चूत मारी।
मेरा मन अभी भरा नहीं था तो मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है। तो वो डर गई और उसने ‘ना’ कहा.. पर फिर भी मेरे ज्यादा जोर देने पर वो मान गई।
अब मैंने रसोई से खाने वाला तेल लाकर उसे मेरे लंड और उसकी गाण्ड पर लगाया और धीरे से सुपारा उसके छेद में फंसा कर लौड़े को अन्दर डाल दिया।
उसे बहुत दर्द हो रहा था.. पर उसने मेरी खातिर पूरा लंड अन्दर ले लिया। फिर मैंने खूब उसकी गाण्ड मारी.. और कुछ देर बाद मैं झड़ गया। थोडी देर बाद अपने कपड़े पहन कर फ्रेश होकर मैं बाहर आ गया।
अब आंटी मेरी पक्की जुगाड़ बन चुकी थी.. कई बार उनके दोनों छेदों को बजाया। यह मेरी सच्ची कहानी है.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर अपनी राय दीजिएगा। [email protected]
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