सुरभि ने तनु को चुदवाया

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मेरा नाम सनी है और मैं हैदराबाद में रहता हूँ। ये बात उन दिनों की है.. जब मैं कोटा में रह कर इंजीनियरिंग की परीक्षा की तैयारी कर रहा था। कोटा में दशहरा का मेला बड़ा प्रसिद्ध है.. मैं भी एक दिन दोस्तों के साथ मेला घूमने गया।

मैं नया-नया स्कूल से आया था और बाहर का माहौल देख कर मैं बहुत खुश था.. उस दिन मेले में मुझे मेरी क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की दिखी.. जिसका नाम सुरभि था। सुरभि और मैं क्लास में एक पास बैठते थे, अनजान होते हुए भी बस एक-दूसरे को देख कर स्माइल कर देते थे। बस ऐसे ही हम दोनों एक-दूसरे को जानते थे।

मैंने जब उसे मेले में देखा.. तो मैं उससे बात करने चला गया। सुरभि अपनी एक दोस्त तनु के साथ आई थी। फिर उसने मेरी जान-पहचान तनु से कराई।

मैंने सुरभि से तनु के बारे में पूछा.. तो उसने बताया- जिस घर में मैं रहती हूँ.. तनु उस घर के मकान-मालिक की लड़की है और मैं उसे मेला घुमाने लाई हूँ।

मैंने उसे ‘हैलो’ किया.. तो उसने भी मुझे देख कर स्माइल की.. पर उसके स्माइल करने का अंदाज़ बड़ा रहस्यमयी था। मैंने उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे देखे.. उससे आँख मिलाने की.. मेरी हिम्मत नहीं हुई।

फिर मैं अपने घर आ गया.. अगले दिन क्लास में सुरभि ने मुझसे बात करनी शुरू कर दी और क्लास के बाद मेरे नोट्स मांग लिए। उसने कहा- सनी तुम अपने नोट्स मुझे दे दो.. शाम को घर आ कर ले जाना।

मैंने उस दिन पहली बार उसके घर का पता पूछा.. तो उसने बताया कि वो जवाहर नगर में रहती है। मैंने कहा- ठीक है..

मैं घर चला आया.. खा-पी कर मैं सो गया और शाम को सुरभि के घर की तरफ चला गया।

सुरभि को मैंने कॉल लगाई और उसे पूछा- तेरा घर कहाँ है?

तो उसने एक गली बताई.. और मैं उसी गली में चला गया.. दरवाजे पर पहुँच कर मैंने घन्टी बजाई.. सुरभि ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर आने को कहा।

मैं थोड़ा शर्मा रहा था.. तो उसने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया। घर के अन्दर जाने पर देखा कि सुरभि का कमरा बहुत साफ़-सुथरा था और बिस्तर कायदे से बिछा हुआ था।

उसके कमरे के साथ में एक वाशरूम भी था.. इतनी देर में तनु पानी का गिलास लेकर आ गई।

मैंने उसकी आँखों में शरारत देखी.. उसके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान थी। मैंने सुरभि से पूछा- अंकल और आंटी कहाँ हैं?

इस पर तनु ने बोला- पापा-मम्मी दुकान पर ही रहते हैं। तनु ने सुरभि को आँखों ही आँखों में इशारा किया.. जो मैं समझ नहीं पाया.. हाँ.. पर मैंने देख लिया था।

सफाई देते हुए तनु ने मुझसे बोला- मैंने उसे इसलिए इशारा किया है.. क्योंकि वो दुकान पर जा कर कोल्ड ड्रिंक ले आएगी। इतने सुनते ही सुरभि भी जल्दी से दरवाज़ा बंद कर के निकल गई।

अब मैं और तनु कमरे में अकेले बैठे हुए थे। तनु ने एक पटियाला सलवार और कुर्ती पहन रखी थी। मैं उससे बात करने लग गया। वो मेरे करीब आकर बैठ गई और अपने हाथ को मेरे कंधे पर रख दिया।

मैंने बस इसे दोस्ती समझा.. पर उसके स्पर्श में एक मदहोशी भरा जादू सा था। उसके छूने भर से मेरा लंड खड़ा हो गया।

बातों-बातों में उसने अपना हाथ मेरे सीने पर रख दिया.. मैं अब समझ गया था कि सुरभि बाहर क्यों गई है।

मैंने अपनी उंगलियां उसके होंठों पर फिराईं.. तो उसकी सांस भारी होने लगी.. मैं उसके दिल की धड़कन सुन सकता था। उसकी आँखें बंद होने लगीं.. तो मैंने उसे अपने पास खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।

मैंने कभी सेक्स तो नहीं किया था.. पर स्कूल में दोस्तों से सुन रखा था।

मैंने अपने हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और उसकी योनि की तरफ बढ़ाने लगा। उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और मेरे निचले होंठ को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी उसे चुम्बन करने में सहयोग किया।

इसी चूमा-चाटी के साथ अब मेरा एक हाथ उसके स्तनों पर आ गया था और दूसरा हाथ उसकी मरमरी जांघों पर घूम रहा था। हम दोनों ने अभी भी कपड़े पहन रखे थे.. मैंने उसे खुद से अलग किया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर देखने लगा।

उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और मेरे आँखों से नजर मिलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया। उसकी इस अदा ने मुझे तो पागल ही कर दिया.. मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी गुलाबी रंग की पैंटी को देखा..

मेरे लिए ये पहली बार था और मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। मेरे शरीर में मानो कोई ज्वार सा आ गया था.. जो बाहर निकलने को बेताब था। मेरा 7 इंच का लंड उत्तेजना से ८ इंच का हो गया था.. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और तनु को पैंटी में ही.. सुरभि के बिस्तर पर लिटा दिया।

अब मैंने उसकी कल्पना से खेलना शुरू किया.. मैंने उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्बन लिया और फिर धीमे-धीमे नीचे की ओर बढ़ता गया। उसके होंठ लगभग 10 मिनट तक चूसने के बाद.. मैंने उसके कान की लौ अपने मुँह में ले ली.. और एक चुम्बन कान के पीछे किया.. उसे तो जैसे कोई करंट लग गया हो.. वो एकदम से सिहर गई..

मैंने फिर उसके स्तन को हाथ में भर कर दबाना शुरू किया और एक स्तन मुँह में लेकर चूसने लगा। तनु का बुरा हाल था.. वह चुदास से तड़प रही थी.. पर मुझे उसे तड़पता हुआ देख कर और मज़ा आ रहा था।

मैंने फिर उसकी नाभि और उसके पेट के आस-पास चुम्बन किए और नीचे जाने की बजाय मैं वापस उसके होंठ चूसने लगा।

तनु ने मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी योनि के पास रख दिया और मेरी एक ऊँगली पकड़ कर अपनी योनि में घुसाने का प्रयास करने लगी।

मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी योनि में डाल दी.. जो कि पहले से ही बहुत गीली हो चुकी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरे होंठ.. उसके होंठ से जुड़े हुए थे.. मेरा एक हाथ उसके स्तन पर था और दूसरे हाथ से मैं उसकी योनि में ऊँगली कर रहा था। थोड़े समय बाद वो थरथराने लगी और उसकी योनि से बहुत सारा काम रस निकल पड़ा। मैंने उसके रस में भिगोई ऊँगली को पहले अपने मुँह में डाला और उसे लार से गीला करके उसके मुँह में डाल दिया।

वह मुझसे लिपट सी गई और ताज्जुब की बात ये है कि सिर्फ हमारी आँखें बात कर रही थीं.. इतनी देर में मेरे और उसके बीच में कोई बात नहीं हुई थी.. उसने अभी भी पैन्टी पहनी हुई थी।

मैंने अपने दांतों से उसकी पैन्टी उतारी और उसके रोम विहीन योनि को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। उसने इशारा किया कि उसे मेरा लंड चूसना है..

अब हम दोनों 69 में आ गए और ओरल करने लगे.. जब मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगा.. तो मैंने उसे खुद से अलग किया और उसे पीठ के बल लिटा दिया।

मैं उसके घुटनों के बीच में आकर बैठ गया और उसकी आँखों में आँखें डाल कर अपने लंड को उसके योनि के मुहाने पर रख दिया।

मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए एक हल्का सा दबाव बनाया.. उसकी योनि काफी कसी हुई थी। जिससे मेरे औजार को कुछ दिक्कत हो रही थी.. मैं बिस्तर से उठा और सुरभि की कोल्ड क्रीम की डिब्बी से थोड़ा सा क्रीम निकाल कर मैंने अपने लंड पर लगाया और फिर लौड़े को उसकी चूत में डालने की कोशिश की।

इस बार लंड उसकी चूत में आधा घुस गया.. मैंने हल्के-हल्के जोर लगा कर लौड़े को पूरा अन्दर घुसा दिया। वो इस दौरान हल्की-हल्की दर्द मिश्रित सीत्कार करती रही..

अब मेरा लंड जड़ तक उसकी योनि में बैठ गया.. तनु के दोनों हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और तनु की सिस्कारियां भी तेज़ हो गई थीं।

मैंने उसके मुँह में अपना अंडरवियर डाल दिया था.. नहीं तो उसका शोर काफी बाहर तक जा सकता था।

तनु अब हिंसक होती जा रही थी.. उसने अपने नाखून से मेरे शरीर पर कई जगह खरोंच दिया था.. पर मैं उत्तेजना के सागर में डूबा हुआ था और एक अजीब सा नशा छा रहा था।

मुझे अब लगने लगा था कि मैं झड़ जाऊँगा.. मेरा शरीर अकड़ने लगा था। तभी मैंने महसूस किया कि तनु भी अब अकड़ रही है.. मैंने उससे पूछा- कहाँ?

वो होंठ काटते हुए बोली- जब अब तक कुछ नहीं पूछा.. तो अब क्यों पूछ रहे हो?

मैंने भी अपना सारा माल उसके योनि में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

सब कुछ हो चुकने के बाद बिस्तर से उठने से पहले हमने एक ज़बरदस्त चुम्बन किया और फिर हमने एक-दूसरे को वाशरूम में साफ़ किया।

मैंने देखा कि सुरभि दरवाज़े पर ही थी और वो सिर्फ हमें देख रही थी।

तनु ने अपने कपड़े पहने और सुरभि के गालों पर एक चुम्मी लेकर उसे ‘थैंक्स’ बोला और चली गई।

मैं सुरभि के सामने अपराध भाव लिए खड़ा था.. मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था।

वो मेरे पास आई और बोली- सनी तुम गलत महसूस मत करो.. यह मेरा और तनु का मिला-जुला आईडिया था।

मैंने भी सुरभि को आलिंगन किया.. ‘थैंक्स’ बोला और कहा- आज से मैं तेरा ग़ुलाम.. तेरा ये एहसान मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा… उसकी आँखें नम हो गईं और उसने अपने हाथों से मेरा मुँह बंद किया और बोली- लव यू..

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेरी मेल आईडी पर बताईएगा। [email protected]

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