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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.. मेरा नाम आदित्य है.. मैं पूना का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 29 साल है अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते आज मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपनी पहली चुदाई का राज अन्तर्वासना के पाठकों के साथ साझा करूँ..
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.. इस पटल पर यह मेरी पहली कहानी है। बात उन दिनों की है.. जब मैं पूना में ही एक प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था। मैं दिखने में बहुत हैण्डसम और स्टाइलिश भी था.. इधर पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती भी खूब करता था।
हमारी क्लास में बहुत सारी लड़कियाँ भी पढ़ती थीं.. वैसे तो सभी लड़कियां मस्त होती हैं.. लेकिन मुझे कंप्यूटर साइन्स की एक लड़की बहुत पसंद थी.. उसका नाम अंजलि था। मैं अक्सर अंजलि से बात करने के बहाने ढूँढा करता था.. बाद में मुझे पता चला कि वो तो मेरे रूममेट की मिलने वाली है। मानो मेरी तो मुराद ही पूरी हो गई हो।
मैंने अपने रूममेट से कहा- मुझे अंजलि बहुत पसंद है तो अपनी फ्रेंड से बोल कर मेरी उससे दोस्ती करवा दो न..
वो उस पर राज़ी हो गया। दो-तीन दिन बाद मुझे पता चला कि अंजलि ने भी ‘हाँ’ कर दी है और मुझसे मिलने को भी राज़ी हो गई है। मुझे तो उस रात तो मारे खुशी के रात भर नींद ही नहीं आई।
दोस्तो, माफ़ करना.. मैं अंजलि के बारे में बताना ही भूल गया.. वो एकदम हूर की परी लगती थी.. कॉलेज के सारे लड़के उसको लाइन मारते थे। क्या मस्त फिगर था उसका.. 36-26-36 और उसकी हाइट 5 फिट 4 इन्च थी.. वो एकदम कयामत थी.. उसे देख कर लगता था कि ऊपर वाले ने उसे बड़ी फ़ुर्सत से बनाया है।
एकदम मस्त गदराई जवानी थी उसकी.. उस पर वो जब जीन्स-कुर्ता पहनती थी.. तो उसके उठे हुए मम्मे कयामत ढा देते थे। उसकी याद में सारी रात करवटों में ही गुज़र गई।
वो रविवार का दिन था.. मैं अंजलि से मिलने के लिए अपने रूममेट के साथ निकला। उधर वो अपनी रूममेट के साथ आ गई। जब वो मेरे सामने बैठी थी.. तो मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वो मेरे सामने बैठी है।
हम लोग बातें करने लगे और जल्द ही घुल-मिल गए। हमने अपने मोबाइल नम्बर भी साझा किए और बहुत देर तक बातें कीं।
उसके बाद तो मोबाइल पर बातचीत का यह सिलसिला महीनों चला और उस दिन से हम लोग साथ ही कॉलेज जाया करते थे। दोस्तो, मैं कॉलेज अपनी नई पल्सर बाइक से जाया करता था। हम लोगों का मिलने का यह सिलसिला और भी बढ़ गया। अक्सर अब हम रविवार को बाहर मॉल आदि में घूमने जाया करते थे।
एक दिन शाम का वक़्त था.. जब मैंने उसे प्रपोज़ किया.. तब उसने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे लगा कि शायद सब कुछ ख़त्म हो गया.. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
शाम को उसका फोन आया और फोन पिक करते ही उसने ‘लव यू टू’ बोला।
मेरी खुशी का ठिकाना ही ना था.. कुछ देर तक मीठी-मीठी बातों के बाद मैंने उससे कहा- कल मिलते हैं।
यह कहकर हम दोनों ने फोन रख दिया लेकिन मेरा मन नहीं मन रहा था।
मैंने अंजलि को रात करीब दस बजे फोन किया और कहा- मेरा रूममेट शशांक तीन-चार दिनों के लिए गणेश महोस्तव मनाने घर जा रहा है। क्या तुम मेरे कमरे पर कल आओगी?
थोड़ी ना-नुकुर करने के बाद उसने ‘हाँ’ कर दी.. ऐसा लगा कि मानो मेरी चुदाई की मुराद पूरी हो गई हो।
कॉलेज में भी 5 दिन की छुट्टियाँ थीं।
सुबह के 7 बज रहे थे.. मैं अभी सो कर उठा ही नहीं था कि मेरे कमरे की डोर-बेल बजी..। मैंने जाकर दरवाजा खोला तो मेरी नींद ही उड़ गई.. अंजलि सामने खड़ी थी।
वो बला की खूबसूरत लग रही थी.. उसके हाथ में एक बैग था.. वो मेरे कमरे में आ गई। मैंने दरवाजा बंद कर दिया.. मैं रात को केवल अंडरवियर ही पहन कर सोता हूँ। इस समय मैं केवल तौलिया लपेट कर दरवाज़ा खोलने चला गया था।
अन्दर आने के बाद वो हंसते हुए बोली- नंगे होकर क्या कर रहे थे.. केवल तौलिया ही पहना है.. कि उसके अन्दर भी कुछ है?
मैंने भी शरारती अंदाज़ में कहा- तुम खुद ही देख लो.. तो उसने कहा- अभी नहीं.. उसके अंदाज से मानो लग रहा था.. कि वो भी आज सेक्स करने ही आई है।
मैंने उसे अपनी बाँहों में कस कर भींच लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया.. फिर क्या.. मुझे भी ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर चूसने लगा।
अंजलि भी मेरा साथ देने लगी.. वो धीरे-धीरे गरम हो रही थी। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था। वैसे भी मैंने एक अंडरवियर के अलावा कुछ नहीं पहना हुआ था।
मैं धीरे-धीरे उसके मस्त-मस्त मम्मों को दबाने लगा.. वो मादक सिसकियाँ लेने लगी। अब मैंने उसका कुर्ता उतार दिया। उसके सफेद दूध जैसे उरोज़.. ब्रा के अन्दर गोल गेंद की तरह दिख रहे थे। मैं उनको सहला रहा था और अंजलि सिसकारियां ले रही थी।
मैंने देरी ना करते हुए उसकी ब्रा को भी निकाल दिया। उसके मस्त-मस्त मम्मे अब मेरे सामने संतरे की तरह उछल रहे थे।
एकदम गोरे मम्मों पर भूरे अंगूर जैसे निप्पल.. क्या मस्त लग रहे थे.. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने फ़ौरन उसके निप्पलों को चूसना चालू कर दिया।
वो मादकता भरे स्वर में कह रही थी- धीरे धीरे.. मैं तुम्हारी ही हूँ.. और कहीं जाने वाली नहीं हूँ.. जब तक शशांक नहीं आ जाता है.. मैं पूरे तीन-चार दिन तक यहीं रुकूँगी.. जब भी चाहो.. इन्हें चूस लेना.. मगर इन्हें प्यार से चूसो..
फिर क्या था.. मैं कभी एक.. और कभी दूसरा दूध.. पीने लगा.. वो भी पूरा सहयोग करने लगी और अपने मम्मों पर मेरा सर पकड़ कर ज़ोर से दबाने लगी। ऐसा लग रहा था कि चुदाने के लिए ज़न्मों की भूखी है।
अब मैंने उसकी जीन्स को भी उतार दिया.. गोरी-गोरी टाँगों पर काली पैंटी मुझे और उकसा रही थी। मैंने देर ना करते हुए उसकी पैंटी भी उतार दी। अब उसकी गुलाबी चूत अब मेरे सामने खुली हुई थी.. मुझसे रहा नहीं गया.. मैं उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगा।
अंजलि ऐसे फड़फड़ाने लगी.. जैसे कि मछली बिना पानी के फड़फड़ाती है..
मैंने उसकी चूत को जमकर चाटा.. इतना चूसा कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
अंजलि बोले जा रही थी- आह्ह.. और कस के चूसो.. और चूस लो.. उसकी मदमस्त चुदासी आवाजें मेरे कमरे में चारों ओर गूँज रही थीं..
फिर मैंने देरी ना करते हुए अपनी चड्डी उतार कर अपने 7 इंच के लंड को जब उसके सामने निकाला.. तो वो हैरत से बोली- कितना बड़ा है तुम्हारा.. मुझे तुम्हारा लंड चूसना है.. इतना कहते ही वो मेरा लण्ड ऐसे चूसने लगी थी कि मानो कोई छोटा बच्चा आइसक्रीम को चूसता है।
उसने मेरा लंड चूस-चूस कर इतना सख्त कर दिया था कि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
फिर मैंने देरी ना करते हुए उसको सीधा लिटाया और अंजलि से कहा- मुझे तुम्हारी चूत को चोदना है.. उसने कहा- मैं तुम्हारी हूँ.. जैसे चाहूँ.. मुझे वैसे चोद लो..
मैंने अपना 7 इंच का बेकाबू लंड जब उसकी चूत पर रखा.. मुझे ऐसा करेंट लगा कि क्या बयान करूँ.. मैंने धीरे-धीरे अपना आधा लंड उसकी चूत में अन्दर पेल दिया। उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.. वो पहली बार चुद रही थी.. चूत कसी हुई होने की वजह से लंड धीरे-धीरे अन्दर जा रहा था।
मैंने उत्तेजना में आकर एक ज़ोर का झटका मार दिया और अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत में ठोक दिया। अंजलि कसमसा सी गई और चूत कसी होनी की वजह से दर्द से तड़पने लगी। वो जैसे ही चिल्लाने को हुई.. मैंने भी उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
जब मुझे लगा कि अब वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर झटका मार रही है.. तब मैंने भी धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया।
मैं बहुत आराम से चुदाई कर रहा था.. मैं कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था लेकिन अंजलि जोश में आ गई थी.. वो अपनी कमर को उठा कर धक्के मार रही थी और बोले जा रही थी- फक.. फक मी.. ज़ोर से.. और ज़ोर से चोदो.. आदी फाड़ दो मेरी चूत को..
मैंने अभी अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने लगा।
लगभग दस मिनट की धकापेल चुदाई में अंजलि दो बार झड़ चुकी थी.. उसकी चूत ने दो बार पानी छोड़ दिया था.. लेकिन वो इस कसमसाती हुई हालत में चुदाई का मज़ा लेती रही।
मैंने उसको जमकर चोदा.. 25-30 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उससे कहा- मेरा झड़ने वाला है.. कहाँ निकालूँ? तो उसने कहा- मेरी चूत को अपने पानी से सींच दो..
मैंने भी ऐसा ही किया.. उसकी चूत मेरे पानी से भर गई.. और मेरा सारा वीर्य उसकी चूत से बाहर बह कर आने लगा।
इसके बाद हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।
अंजलि मुझसे कह रही थी- आज तूने मुझे वो सुखद अहसास दिया है.. जो कि बहुत नसीब वालों को मिलता है.. मैं 3 दिन तक यहाँ हूँ.. मुझे जैसा चाहो.. वैसे चोदना।
मैं बस उसे चूम ही रहा था।
इसी दौरान उसने मुझसे कहा- मेरे हॉस्टल की बहुत सी लड़कियाँ अपनी चूत की चुदाई करवाना चाहती हैं लेकिन अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड से नहीं.. किसी अंजान से चुदवाना चाहती हैं.. ताकि उनको भविष्य में कोई दिक्कत ना हो।
यह सुनते ही मैंने कहा- अगर तुम्हारी फ्रेण्ड को मैं चोदूँ.. तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा? उसने कहा- इसमें बुरा कैसे लगेगा.. बल्कि मज़ा ही आएगा। हम तीन एक साथ चुदाई करेंगे। मैंने कहा- फिर ठीक है.. कब बुला रही हो? तो तपाक से बोली- पहले जी भर कर मेरी तो चुदाई कर लो.. जब मुझे लगेगा.. तब बता दूँगी।
दोस्तो, उसके बाद हमने एक राउंड और चुदाई की। अगले दो दिनों में मैंने अंजलि की करीब दस बार चुदाई की। मैंने कैसे उसकी हॉस्टल की फ्रेंड्स और अंजलि के एक साथ कैसे चुदाई की.. ये आगे की कहानी में लिखूंगा। कैसे लगी मेरी कहानी.. अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर व्यक्त करें। [email protected]
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