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भाभी बोली- चलो, थोड़ी देर हम सब अराम करते हैं, शरद भी थक गया है, एक घंटे के बाद उठ कर इसके लौड़े से अपनी-अपनी बुर की खुजली मिटाएँगे, फिर सो जाया जायेगा।
मैंने तुरन्त ही उन दोनों के आफर को ठुकरा दिया- भाभी, आज नहीं कल प्लीज, क्योंकि मैं काफी थक गया हूँ।
नीलम भी बोली- हाँ भाभी मैं भी काफी थक गयी हूँ।
‘ओके बाबा, ठीक है, चलो कल घूम कर जल्दी लौट कर आ जायेंगे और फिर मस्ती करेंगे। और हाँ शरद अपना वादा न भूलना जो तुम मुझे और नीलम को सेक्सी ब्रा-पैंटी गिफ्ट करोगे।’
‘अरे भाभी, ब्रा-पैंटी क्या मैं तो तुम दोनों के लिये पूरा ही गिफ्ट हो चुका हूँ।’
इतना कहकर हम लोग अपने-अपने कमरे में सोने के लिये चल दिये, दोनों ने मुझे नाइट किस दी। सुबह हम लोग फ्रेश होकर घूमने के लिये चल दिये, वास्तव में उस दिन को नहीं भूल सकता, क्योंकि दो-दो हसीनाएँ मेरे साथ चल रही थी। हम लोग दिन भर घूमते रहे और शाम को लौटते समय मेरे वादे के अनुसार मैं एक गारमेन्टस की दुकान पर गया और वहाँ से दो बहुत ही सेक्सी लाल रंग की ब्रा-पैंटी ली और दो काली रंग की फुल पारदर्शी ब्रा-पैंटी ली और होटल के कमरे में आ गये।
चूँकि हम लोग काफी थक चुके थे तो आराम करना चाहते थे और अपने-अपने कमरे में जाने वाले ही थे कि भईया का फोन आ गया, उनको एमरजेंसी में गुजरात जाना था, भाभी उनसे नाराजगी जताने लगी, बोली- हम लोग टूर पर एन्जाय करने आये थे और तुम अपना वादा तोड़ रहे हो, मेरे बदन की गरमी को कौन बुझायेगा, तुम कल सुबह आने वाले थे, तो तुम्हारे को अपना सेक्सी बदन दिखाने के लिये यहाँ से सेक्सी ब्रा-पैंटी खरीदी थी, सोचा था कि तुम आओगे तो तुम्हें पहन कर दिखाऊँगी और मुझे देखकर तुम मुझ पर टूट पड़ोगे, अपने लंड से मेरी चूत की ऐसी धुनाई करोगे कि मेरी बुर का भोसड़ा बना दोगे, पर तुम दूसरी जगह बिजी हो, मैं क्या करूँ, अपनी गर्मी कहाँ निकालूँ?
दूसरी तरफ से भईया कुछ बोले जिसमें भाभी सहमति दे रही थी। बात करने के बाद भाभी ने मोबाईल को डिसकनेक्ट किया और हम लोगों की तरफ पल्टी और बोली- तुम्हारे भईया 2-3 दिन तक और नहीं आ पायेंगे, लेकिन यह कहा है कि हम लोग एक डबल बेड के कमरे को रोककर बाकी रूम को छोड़ सकते हैं। तो शरद तुम और नीलम तुम अपना-अपना सामान लेकर मेरे कमरे में आ जाओ, मैं दोनों कमरे का बिल निपटा कर आती हूँ, उसके बाद हमें थोड़ी देर सोना है, और फिर पूरी रात मस्ती!!!
भाभी इतना कहकर दो कमरों का बिल किल्यर कराने रिसेप्शन पर गई और हम लोग अपना सामान भाभी के कमरे में शिफ्ट करने लगे। शिफ्ट करने के बाद मैं मूतने गया, तभी नीलम मेरे पीछे आई और मेरे लौड़े को पकड़ कर बोली- तुम मर्द लोग मूतते समय अपना लौड़ा ज्यादा हिलाते हो।
मैंने कहा- डार्लिंग जिसके पास जो होगा वही तो हिलायेगा, तुम अपनी चूची हिलाती हो, मैं अपना लौड़ा हिलाता हूँ।
‘अरे हट! मुझे भी मूतास लगी है, हट तो मैं भी मूत लूँ।’ ‘तो इसमें हटने की क्या जरूरत है। यहीं खड़े-खड़े तुम भी मूत लो। नीलम ने अपनी जींस और पैंटी को नीचे किया और मेरे साथ खड़े होकर मूतने लगी।
बिल क्लीयर कराकर भाभी भी कमरे में आ गई, पीछे-पीछे होटल का वेटर तीन कप चाय और कुछ खाने के लिए लेकर आ गया, भाभी ने उसे रखने का इशारा किया और बोली- अब हम लोग थक गये हैं, थोड़ी देर तक सोना चाहते हैं। तुम नौ बजे तक जगा देना। और फिर उसे जाने के लिये बोला।
चाय पीने के बाद मैंने कमरे के पर्दे को अच्छी तरीके से फैलाया ताकि बाहर से कोई अन्दर कमरे में न देख सके। और फिर हम तीनों ने अपने पूरे कपड़े उतारे और नंगे एक-दूसरे से चिपक कर सो गये।
रात के नौ बजे तक वेटर आया और दरवाजा खटखटाने लगा, मैंने तुरन्त अपने कपड़े पहने और एक चादर दोनों नंगी लड़कियों पर डाल दी ताकि वेटर अन्दर गलती से झांकने की कोशिश करे तो उसको इन बातों का पता न लग सके।
फिर जाकर मैंने दरवाजा खोला, वेटर को तीन कप चाय लाने के लिये बोलकर उसको रवाना किया और आकर भाभी और नीलम को जगाया। थोड़ी देर में वेटर तीन चाय देकर और खाना का आर्डर लेकर चला गया, वेटर के जाते ही भाभी मुझसे तीन बियर खरीद कर लाने के लिये बोली। मैं बियर लाने चला गया, बीयर पीकर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद भाभी ने मेरे आँख पर पट्टी बाँधी और चुपचाप सोफे पर बैठे रहने के लिये कहा।
करीब आधे घण्टे के बाद भाभी ने मुझे आँखों से पट्टी हटाने को बोली, जब मैंने अपने आँखों से पट्टी हटाई और दोनों को देखा तो देखता ही रह गया। क्या मस्त लग रहीं थी दोनों… दोनों ने वही ब्रा-पैण्टी पहनी थी जो मैं खरीद कर लाया था… दोनों बहुत ही सेक्सी लग रही थीं, उनको देख कर मेरा लौड़ा लोअर के अन्दर खड़ा होने लगा। दोनों ने होंठो पर उसी लाल रंग की लिपिस्टक लगा रखी थी, बालों का जूड़ा कर रखा था और दोनों एक-दूसरे से चिपकी हुई खड़ी थी। दोनों के एक-एक पैर मुड़े हुए थे और एक हाथ एक-दूसरे की चूची पर था और एक हाथ एक-दूसरे के कूल्हों को सहला रहे थे और एक दूसरे से अपना गाल चिपका कर मेरी तरफ मेरा मुँह चूसने की मुद्रा में थे।
उनकी यह मुद्रा देख कर तो xxx फिल्म की याद आ गई, मुझे लगा कि मैं पहले उन दोनों को पकड़ कर चोद दूँ क्योंकि उनके इस रूप को देखकर मैं अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रहा था।
तभी भाभी नीलम के होंठों को चूसने लगी और उसकी चूची जोर-जोर से मसलने लगी, भाभी के ऐसा करने से नीलम की घुटी घुटी सी आवाज आ रही थी, मैं उठ कर उनकी ओर जाने लगा तो भाभी ने मुझे इशारे से मेरी जगह बैठने के लिये कहा।
फिर भाभी ने नीलम के होंठों को चूसना छोड़ कर उसके कान को अपने दाँतों से चबाते हुए नीलम के कान में कुछ कहा। उसके बाद दोनों अलग होकर मटकती हुई मेरे पास आई और अपनी-अपनी एक टाँग सोफे के हत्थे पर चढ़ा कर एक उँगली से बुर को ढके हुए पैण्टी को एक तरफ किया और अपनी उँगली को बुर के अन्दर डाल कर मेरे होठों से अपनी उँगली लगा दी जिसे मैंने चाट कर साफ कर दिया। दो तीन बार दोनों ने ऐसा किया और उसके बाद मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा किया, मेरी गांड की तरफ भाभी घुटनों के बल पर और नीलम मेरे लौड़े की तरफ घुटने के बल पर बैठ कर मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, और मेरे अण्डों को अपने हाथ से सहला रही थी, उधर भाभी मेरी गांड की दरार को फैला कर वहाँ पर अपनी जीभ से मेरी गांड को गीला कर रही थी।
उनकी इस हरकत से मेरी गांड सुरसुरा रही थी और मुझे मजा आ रहा था, भाभी आसानी से मेरी गांड चाट सके इसलिये मैं थोड़ा सा झुक गया जिससे दरार और खुल जाए।
भाभी मेरी गांड चाट रही थी और नीलम मेरा लौड़ा चूस रही थी और मेरे हथेली नीलम की चूची को मसल रही थी, क्या सीन चल रहा था, इसके आगे xxx फिल्म भी फीकी पड़ जाये।
जब मेरा लौड़ा कड़क हो गया तो मैंने नीलम और भाभी को अपने से अलग करके दोनों को बिस्तर पर उनकी टांगें नीचे लटका दी और दोनों की पीठ के नीचे तकिया लगा दिया ताकि उनके बुर और मेरा लौड़ा समान ऊँचाई पर आ सके।
सबसे पहले मैंने भाभी के बुर को अपना निशाना बनाया क्योंकि मेरा सपना था कि भाभी को चोदूँ। और एक झटके से मैंने एक ही बार में पूरा लौड़ा उनके बुर के समुन्द्र में पहुँचा दिया। दूसरी तरफ मेरी उँगली नीलम के बुर के अन्दर टहल रही थी।
दो-चार धक्के लगाने के बाद मैंने अपनी पोजीशन बदली और नीलम के बुर का निशाना साधा। इस तरह 10 मिनट तक दोनों को बदल-बदल कर चोदता रहा और दोनों के मुँह से एक ही आवाज आ रही थी- मेरे राजा ऐसे ही चोदो… तुम्हारे पूरे टूर का मजा हमाती फ़ुद्दी में है।
दोनों का बदन अब अकड़ रहा था, ऐसा लगा कि उनका छूटने वाला है, दो मिनट बाद दोनों शान्त पड़ गई और उधर आठ-दस धक्के के बाद मैं भी खलास हो गया और मैंने जानबूझ कर अपना वीर्य भाभी के अन्दर डाल दिया।
भाभी ने जब मेरे माल को अपने अन्दर महसूस किया तो बोली- यह तुमने क्या किया? चलो कोई बात नहीं मैं गोली ले लूँगी।
मैंने कहा- नहीं भाभी, आप गोली मत लेना, मुझे आप से यही तोहफा चाहिये!
मेरे लण्ड में सिकुड़न आ गई थी, मैं पलंग पर लेट गया, मेरे एक तरफ भाभी और एक तरफ नीलम ने अपने टांग मेरी टांग के ऊपर रख दी और थोड़ी देर के बाद दोनों औरते अपने दाँतों से मेरे निप्पल को चूसने लगी या यह कह लो दोस्तो कि मेरे निप्पल को काटने लगी जिससे मेरी उत्तेजना में विस्तार होता जा रहा था। एक हाथ से एक मेरे लौड़े को सहला रही थी और दूसरा मेरे आण्डों को सहलाती और मेरी गांड को कुदेरती थी। इस तरह दोनों मेरा बाजा बजाने में लगी हुई थी।
उनकी इन हरकतों से मेरे लण्ड में फिर से रक्त संचार होने लगा था और तनने लगा था, मेरे लंड के तनने का अहसास दोनों को हो चला था, लेकिन इस बार बाजी नीलम के हाथ में आई, जैसे उसे मेरे लंड के तनने का अहसास हुआ वो तुरन्त ही उठी और 69 की अवस्था में मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को लॉलीपोप समझ कर उसको चूसे जा रही थी।
इधर भाभी भाभी भी कुछ नया करने को तैयार थी, वो उठी और मेरे पैरों के पास आकर अपनी बुर को मेरे अंगूठे से रगड़ने लगी और बड़बड़ाने लगी- मेरे राजा, तेरा अँगूठा भी तेरे लौड़े से कम नहीं है, यह भी बहुत मजा दे रहा है, अगर यह नीलम नहीं होती तो आज मैं तुझे ही अपनी बुर में घुसेड़ लेती किसी और के साथ तेरे को शेयर नहीं करती!
भाभी एक तरफ मेरे अंगूठे से अपने बुर की खुजली मिटा रही थी और मैं नीलम के बुर की खुजली अपने मुँह से मिटा रहा था, कुछ देर बाद मेरा अंगूठा गीला होता सा लगा, मुझे समझ में आ गया कि भाभी खलास हो चुकी है, उसने तुरन्त नीलम को चाटने के लिये बोला और भाभी ने नीलम की बुर को चूसने लगी।
जब नीलम का छुटने लगा तो भाभी ने उसको चाट कर पूरा साफ कर दिया।
अब मैं नीलम और भाभी को घोड़ी स्टाइल से बारी बारी चोद रहा था और उनके चूतड़ों को चपत मार कर बजा रहा था।
दोस्तो, उस रात तीन बार हम लोगों ने चुदाई का मजा लिया और हर बार मैं अपना माल भाभी के बुर के हवाले कर देता था।
जब रात को थक कर सोने लगे तो भाभी ने मेरे कान में धीरे से बोली- शरद, आज चुदाई तो इतनी हुई कि हम सब थक गये लेकिन मन नहीं भरा, इलाहाबाद में तुम और मैं सिर्फ अकेले चुदाई का मजा लेंगे और वो दिन जल्दी आयेगा। बस जब मैं बोलूँ और जहाँ बोलूँ चले आना…
तो दोस्तो, अगली बार भाभी के साथ क्या हुआ… जानने के लिये इंतजार कीजिए मेरी नई कहानी का ‘भाभी के मायके में’ मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे नीचे दिये ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें। [email protected]
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