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हेलो दोस्तो, मैं पानीपत का रहने वाला हूँ, मेरी उमर 27 साल है, मेरा लिंग आम लिंग की तरह है। मुझे शुरु से ही सेक्स के बारे में काफ़ी रुचि रही है, मुझे लड़कियों की मोटी-2 चूचियों को चूसने का काफ़ी मन करता था। लेकिन मैं बहुत सन्कोची स्वभाव का था इसलिये किसी से इस बारे में बात नहीं करता था।
मेरी एक चचेरी बहन थी जिसका नाम मैं यहाँ बदल कर ज़ोया लिख रहा हूँ। ज़ोया और मेरी काफ़ी पटती थी। हम एक दूसरे से सभी बातें कर लिया करते थे, अक्सर हम दोनों ही खेला करते थे।
हमारा घर पुराने तरीके का बना हुआ है, पुराने घरों में अक्सर तहखाने बने होते हैं। हमारे घर में भी एक तहखाना था। इस तहखाने में हमेशा अन्धेरा रहता था। अन्धेरा रहने की वजह से इस तरफ़ कोई नहीं जाता था लेकिन मैं और ज़ोया हमेशा यहीं खेला करते थे और जब मौका मिलता, एक दूसरे को चूम लिया करते थे।
बात कई साल पुरानी है, जब ज़ोया के बड़े भाई की शादी थी। शादी से एक दिन पहले घर की छत पर टेंट लगा हुआ था, सभी लोग खाना खा कर सो चुके थे। मैं दो कुर्सियाँ जोड़ कर सोया हुआ था।
रात को एक बजे के करीब ज़ोया मेरे पास आई। ज़ोया ने मुझे जगाया और मुझे टेन्ट के पीछे आने के लिये कहा।
मुझे समझ नहीं आया कि ज़ोया इतनी रात को मुझे टेन्ट के पीछे क्यूँ बुला रही है। खैर में उसके पीछे चल पड़ा।
टेन्ट के पीछे जाते ही ज़ोया मुझसे लिपट पड़ी। अब मेरी समझ में सारा माजरा आ चुका था इसलिये मैं भी उससे लिपट गया। हमने आज तक सेक्स नहीं किया था इसलिये मुझे यह नहीं पता था कि लन्ड को चूत में भी घुसाया जाता है।
कुछ देर लिपटे रहने के बाद ज़ोया ने मेरी पेन्ट का हुक खोला और लन्ड को हाथ से सहलाने लगी। मेरे साथ एसा पहले कभी नहीं हुआ था इसलिये मुझे मजा आ रहा था।
थोड़ी देर सहलाने के बाद ज़ोया ने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया, मुझे और भी मज़ा आने लगा। करीब पन्द्रह मिनट में मैं झड़ गया, ज़ोया मेरा सारा वीर्य पी गई। अब ज़ोया ने मेरा लन्ड मुँह से निकाला और फिर से सहलाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! पाँच मिनट में मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया, अब तक ज़ोया इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गई थी।
मैंने ज़ोया की सलवार का नाड़ा खोल दिया, ज़ोया जमीन पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा। मैं ज़ोया के ऊपर लेट गया। ज़ोया ने मेरा लन्ड पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर मेरा लिन्ग मुन्ड लगा कर बोली- अब हल्का सा धक्का मारो। मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो लिन्गमुन्ड ज़ोया की चूत में घुस गया। ज़ोया की चूत इस कदर गीली हो चुकी थी कि मेरे तीन धक्कों में ही पूरा लन्ड अन्दर घुस गया। ज़ोयाइतने जोश में थी कि उसे लन्ड घुसाते हुए जरा भी तकलीफ़ नहीं हुई।
जब मुझे चूत में गर्म गर्म लगा तो मैंने ज़ोया से पूछा कि क्या उसे बुखार है। ज़ोया ने कहा- नहीं तो? तुम ये क्यों पूछ रहे हो?
मैंने कहा- तुम्हारी चूत अन्दर से गर्म हो रही है। इस पर ज़ोया मुस्कुराते हुए बोली- मेरे राजा, यह बुखार नहीं, मेरी चूत की गर्मी है।
अब मुझे मज़ा आने लगा था, मेरे लन्ड की गति अपने आप बढ़ने लगी। कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया। अब मेरा वीर्य छूटने वाला था इसलिये मैंने ज़ोया से पूछा तो ज़ोया ने चूत में वीर्य छोड़ने को कहा। मैंने ज़ोया की चूत में ही पिचकारी छोड़ दी।
कुछ देर इसी तरह लेटे रहने के बाद लन्ड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया।
अब हम बातें करने लगे, कुछ देर बातें करने के बाद हमारा फिर सेक्स का मन करने लगा। मैंने ज़ोया से पूछा तो उसने हाँ कर दी। अब मैं एक कुर्सी पर बैठ गया और ज़ोया को अपने लन्ड पर बैठने का इशारा किया। ज़ोया ने अपनी टांगें चौड़ी की और अपनी चूत मेरे लन्ड पर दबाने लगी। चूत गीली होने की वजह से लन्ड एकदम से पूरा घप्प से अन्दर घुस गया। अब सवारी करने की बारी ज़ोया की थी इसलिये ज़ोया ऊपर-नीचे होने लगी।
इस तरह अब मुझे और भी ज्यादा मज़ा आने लगा। हम दोनों दो बार झड़ चुके थे इसलिये अबकी बार हमें झड़ने में ज्यादा वक्त लगना था।
ज़ोया को भी बहुत मजा आ रहा था। कोई पच्चीस मिनट के बाद ज़ोया ने धक्के तेज़ कर दिये और मुझसे बोली- मैं झड़ने वाली हूँ, तुम भी तेज़-तेज़ करो ताकि हम दोनों साथ-साथ वीर्य छोड़ सकें।
अब मैं भी नीचे से गान्ड उठा-उठा कर धक्के लगाने लगा। पाँच मिनट हम दोनों ने मिलकर तेज़-तेज़ धक्के लगाये और एक साथ झड़ गये।
ज़ोया की चूत से गर्म गर्म पानी मेरे ऊपर गिरने लगा। हम कुछ देर एसे ही पड़े रहे। अब तक चार बज चुके थे और अब कोई भी उठ सकता था इसलिये हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किये और जोया अपने बिस्तर पर, मैं अपनी कुर्सियों पर सोने चले गया।
अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम एक दूसरे की सेक्स की प्यास बुझाते।
तो दोस्तो, आपको मेरी पहली कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बतायें। [email protected]
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