गाण्ड मालिश के साथ चूत चुदाई

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अपने सभी पाठकों को मेरा सादर नमस्कार। मैं इधर काफी व्यस्त था.. जिसके कारण अपनी नई घटना को कलम नहीं दे पाया। मैं आपको नई घटना सुनाता हूँ। यह इसी वर्ष मार्च माह की है। उम्मीद है आप सब लोगों को पसंद भी आएगी और आप मुझे जरूर पसंद करेंगे।

यह घटना लखनऊ की है, मेरे एक मित्र हैं.. जिनको पिछले 2 वर्ष से मैं अपनी सेवा दे रहा हूँ.. उनको मालिश देने का काम माह में एक बार जरूर देता हूँ। एक दिन चैट के दौरान उन्होंने मुझसे कहा- वह अपनी पत्नी को भी मालिश दिलवाना चाहते हैं.. लेकिन साथ में सम्भोग भी करना होगा। इस पर मैं उनसे पूछ बैठा- क्या आपकी पत्नी इसके लिए राज़ी हैं? तो वह बोल उठे- हाँ.. और जब मुझे कोई दिक्कत नहीं.. तो फिर क्या परेशानी है? इस पर मैं बोला- नहीं.. आप बोलें या न बोलें.. जब तक आपकी पत्नी नहीं कहेंगी.. मैं काम नहीं करूंगा।

इस पर उन्होंने फ़ोन लगाया और कहा- लो बात कर लो। मैं बोला- शाम को कैम पर बात कर लूँगा.. साथ मैं आपको रहना होगा। वह तैयार हो गए।

शाम को उनका फ़ोन आया.. बोले- आलोक कैम पर आ जाओ.. प्रीति भी साथ में है.. बात आराम से हो जाएगी। मैंने अपना सिस्टम ऑन किया और 5 मिनट में सिस्टम खोल कर कैम पर बात करने लगा। उनका याहू मैसेंजर ठीक से काम नहीं कर रहा था.. तो मैंने कहा कि आप स्काइप पर आ जाओ। उन्होंने वैसा ही किया और स्काइप पर बात होने लगी।

मैंने प्रीति से पूछा- मैडम.. आपको क्या इरोटिक मसाज लेने की इच्छा है.. या सर कह रहे हैं.. इसलिए तो नहीं कह रही हैं? बोली- नहीं.. मेरा मन है.. और इन्होंने भी इस बारे में मुझसे कहा था.. तभी से मेरे मन में तुमसे मालिश करवाने का आकर्षण पैदा हो गया था।

मैंने आगे पूछा- सर कह रहे थे कि आपको सेक्स भी करना होगा.. क्या आप इसके लिए मन से तैयार हैं? प्रीति बोली- हाँ.. ‘तो क्या उस वक्त आपके पति मतलब सर वहीं होंगे या आप अकेले रहेगीं?’ उसने कहा- नहीं.. मैं अकेली रहूँगी.. सर से कोई मतलब नहीं।

इतना बात साफ़ होने के बाद मैंने सर को बोला- सर जी.. आपकी क्या राय है.. अगर मैं आपकी गैर हाजिरी में मैडम को मालिश और सेक्स देता हूँ.. वे बोले- आलोक मुझे कोई दिक्कत नहीं है.. हाँ.. इतना जरूर याद रखना कि यह बात केवल हम तीनों के बीच ही रहे। मैंने बोला- क्या आज तक मैंने आपको धोखा दिया है? बोले- नहीं.. इसलिए तो तुमको बोला है। आगे उन्होंने कहा- पैसे के बारे में मैडम से नहीं बोलना है.. जैसे तुमको मैं देता आया हूँ.. इसका भी एडवांस में दे दूँगा। मैं तैयार हो गया। कुछ दिनों के बाद प्रीती का फ़ोन आया कि मैं उसको मालिश देने आ जाऊँ।

मैं उसके बताए दिन और समय पर उसके घर आ गया। वह तैयार थी.. सर जी घर पर नहीं थे। उसने पूछा- पैसे का मामला ठीक हो गया है न.. मैं बोला- जी.. सर ने रुपये मेरे अकाउंट में डाल दिए हैं। वह मुझे अपने कमरे में ले गई।

वहाँ उसने कहा- आप आज मालिश जिस तरह से करना चाहते हो.. करो और मुझे संतुष्ट करो। मैं समझ गया कि सर जी के पास मैडम को चोदने के लिए टाइम नहीं है.. इसलिए उन्होंने मुझे बुला लिया है। मैंने कहा- चलो.. ठीक है।

कमरे में पहुँच कर मैंने नीचे जमीन पर गद्दा डाल दिया और उस पर.. उनसे एक मुलायम प्लास्टिक का मेज़पोश मांग कर बिछा दिया। मैंने गद्दा इस तरह से लगाया कि किनारा ऊँचा हो और हम लोग बीच में हों। हाँ.. एक गड्ढे में न हो। उधर जगह की कोई कमी नहीं थी और कोई जल्दी भी नहीं थी।

मैंने सब कुछ आराम से सैट करने के बाद प्रीती से बोला- आप यहाँ पर लेट जाओ। उसके लेटने के बाद मैंने उसको पेट के बल कर दिया.. उसने केवल चड्डी पहनी हुई थी। मैंने पूछा- अगर चड्डी में तेल लग कर ख़राब हो जाए.. तो कोई दिक्कत तो नहीं.. या फिर आप उसको निकाल दें। उसने कहा- नहीं.. ख़राब होने से कोई दिक्कत नहीं.. तुम अपने मन से जो ठीक हो.. कर लो।

मैं भी क्यों हटाता.. मैंने उसके पैर मैं मालिश करना शुरू कर दी.. उसकी जाँघ तक हाथ फेर कर मालिश करने लगा। फिर धीरे-धीरे उसको कन्धों से लेकर कमर तक अच्छे से तेल की मालिश की। मैंने इतना अधिक तेल डाला था कि उसके पेट के नीचे और उसके ऊपर तेल अच्छे से लग गया था और सूख नहीं पा रहा था, मेरा हाथ भी अच्छा चल रहा था।

उसकी चड्डी तेल से गीली हो गई थी तो अब मैंने उसको खींच कर निकाल दी। उसने अपनी बुर के बाल साफ़ कर लिए थे इसलिए मुझे वहाँ पर ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

मैंने उसको वैसे ही लेटा रहने देने के बाद जाँघ से उसकी चूत तक.. और उसके चूतड़ों तक मालिश करने लगा। उसके प्लास्टिक के कवर के नीचे मैंने एक मोटी मसनद लगा दी थी ताकि उसकी कमर को थोड़ा ऊपर कर लूँ। इससे उसको भी आराम हो गया था। अब मैंने उसकी गांड में तेल उठा कर डाल देता और वह अपनी गांड फैला कर सारा तेल अन्दर लेने लगी।

मैंने पूछा- क्या ‘इसके’ अन्दर भी आप करवाएँगी? उसने कहा- हाँ.. मुझे सब होना है। मैंने उसकी गांड में तेल डाल-डाल कर चिकना बना दिया था। मैं खुद केवल चड्डी में था.. चड्डी तेल से गीली हो गई थी। मैंने उसकी गांड के अन्दर ऊँगली डाल दी.. उसने आराम से डलवा ली। एक तो इतना तेल से गीला था कि मेरी ऊँगली अन्दर तक एकदम से सरक गई और उसने भी बेहिचक ले भी ली।

फिर तो मेरी ऊँगली अच्छे से उसकी गांड को मसलने लगी। उसको शायद अच्छा लग रहा था.. इसलिए वह चुपचाप मजा लिए जा रही थी।

कुछ देर करने के बाद मैंने उसको बोला- अब आप सीधा लेट जाओ। मैंने उसके नीचे की मसनद निकाल दी.. और सीधा लिटा दिया।

उसकी फूली बुर ऊपर की तरफ चमचमा रही थी। उसकी बुर का रंग गहरा काला था और चिकना होने की वजह से उसके फलक बाहर की तरफ खुल रहे थे.. जो कि गुलाबी-गुलाबी से दिख रहे थे। उसके पेट से लेकर उसकी चूत तक.. मैं मालिश देने लगा.. उसको मजा आने लगा था।

अब तेल भी सूखने लगा था। मैं उसकी बुर की ऊपरी बिंदी को धीरे से मालिश देने लगा जिसकी सिरहन उसको नीचे तक गुदगुदा गई। वह सिसकारने लगी। अभी कुछ ही देर उसको रगड़ा था कि उसका दाना फूल गया और वह मजे लेकर अपने दाने पर और जोर दिलवाने लगी। लेकिन मुझे उसको और कुछ भी देना था नहीं तो चुदाई कैसे करवाती।

मैंने उसके दाने को छोड़ दिया और उसके फलक को मालिश देने लगा, उसके फलक उसके द्वारा छोड़े गए पानी से तर थे और तेल अलग लगा था। मुझे सूती रूमाल से उसको पोंछ कर मालिश करना पड़ा.. लेकिन अतिउत्तेजना से उसका पानी झड़ना शुरू हो जाता.. जिससे वहाँ तेल और पानी का मिश्रण जैसा पदार्थ बन जाता.. और मुझे फिर पोंछना पड़ता।

अब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली प्रवेश कराने की तैयारी की.. तो मैंने देखा उसका हाथ मेरे चड्डी को छू रहा है। उसने मेरी चड्डी उतरवा दी और मेरे लण्ड को देख कर बोली- इसे मेरे मुँह में दे दो और मालिश जारी रखो।

अब मैं उसके पेट पर था और उसका पैर बाहर की तरफ करवा कर.. उसकी बुर के अन्दर ऊँगली डाल कर.. मालिश करने लगा। उधर उसने मेरे सोए लण्ड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया था। फिर मैं उसके ऊपर से उतरा और फिर उसकी चूत पर गया.. वहाँ से मैंने कपड़े से तेल पोंछ कर साफ़ किया और चूत को चाटने लगा।

मुझे लगा कि उसकी बुर को चाटने से वह जबरदस्त चुदासी और पागल सी हो गई है कि उसने अपने पैर किसी चुदासी रण्डी के जैसे फैला कर अपनी लपलपाती बुर को और खोल दिया है। अब मेरी जीभ अन्दर तक जाकर उसकी चूत को चाट रही थी, उसने अपना पानी तेज़ी के साथ गिरा दिया।

अब उसको मैंने फिर पेट के बल लिटा दिया.. पेट के नीचे मसनद लगा कर उसकी चूत को खोला और फिर हाथ में थोड़ा तेल लेकर उसकी चूत में ऊँगली से डाल दिया और चूत मसलने लगा। तकरीबन मेरी पूरी उंगली उसकी बुर में घुसी जा रही थी, उसका भगनासा आराम से रगड़ रहा था।

उसको मजा इतना आ रहा था कि बोल उठी- आह्ह.. और तेज़ करो। अब मैं जान गया कि मुझे क्या करना है.. मैंने तुरंत उससे पूछा और उसको उठा कर बिस्तर पर डाल दिया।

फिर मैंने देरी न करते हुए उसकी बुर में अपना लण्ड घुसा दिया। वो एक ‘आह्ह..’ के साथ मेरा लवड़ा निगल गई.. और अब वह उछल-उछल कर मेरा लण्ड अपनी चुदासी चूत में लेने लगी। अभी 5 मिनट ही बीते थे कि उसने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए.. और बोली- ओह.. मैं जा रही हूँ.. और तेज.. जल्दी चोदो.. अपना पानी गिराओ.. मुझे लेना है।

मैं जोर-जोर से उसको चोदने लगा। उसने निढाल होते हुए कहा- आलोक मैं गिर गई.. अब अपना भी गिराओ.. मैंने उसको पलटा दिया और पीछे से लण्ड डाल कर चोदने लगा।

वह बहुत तेज हाँफ रही थी.. कुछ ही देर उसको तेज चोदने से उसका पानी फिर से गिरने लगा। उसने कहा- अब नहीं.. मैं थक गई हूँ.. अब अपना माल गिरा दो.. मैं भी झड़ गया.. उसकी पीठ से चिपक गया गिरने के बाद लण्ड सिकुड़ने लगा।

मैं उसके ऊपर से हट गया.. उसकी बुर से मेरा वीर्य और उसका पानी मिलकर निकल रहा था। वह थक कर चित्त लेट गई.. मैं भी थक गया था.. मैं वहीं पर लेट गया। थकान के कारण हम दोनों कुछ सो से गए।

एक घंटे के बाद मैंने जाग कर उसको जगाया। वो बोली- आलोक.. सच में आज मजा गया..

मैं हँस दिया और नहा कर तैयार हो कर निकलने लगा तो प्रीति बोली- मैं पहले भी दूसरे लड़कों से ले चुकीं हूँ.. लेकिन वह केवल चुदाई करके निकल जाते थे। मुझे मजा नहीं आता था.. दूसरी बात.. उनसे कंडोम लगवा कर करवाना होता था.. तुम्हारे साथ यह दिक्कत नहीं है।

मेरी और प्रीति दोनों की मेडिकल रिपोर्ट बन गई थी.. इसलिए बिना कन्डोम के चुदाई में कोई दिक्कत नहीं आई.. उसने मुझे तय रकम से अलग से कुछ रुपए दिए और मुस्कुरा कर अपनी चूत सहलाते हुए कहा- अब इसकी खातिर आते रहना.. मैं हामी भर कर वापस चल दिया।

मित्रो, मेरी कहानियों में आपको झूठ नहीं मिलेगा और जहाँ तक गोपनीयता की बात का मुद्दा है.. तो मेरी कहानियों में नाम और स्थान बदले हुए होते हैं। मुझे आप सभी की मेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]

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