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कहानी शुरू करने के पहले मैं अपने बारे में पहले बता दूँ.. कि मैं एक बिज़नेस मैन हूँ.. तथा अपने परिवार के साथ दिल्ली के मयूर विहार फेज 2 एरिया में तीसरी मंजिल पर पिछले चार साल से रहता हूँ। मेरा कद पाँच फिट छह इंच का है.. मेरा लंड छह इंच का थोड़ा मोटा और आकर्षक है। मेरा सेक्स में रूचि थोड़ी ज्यादा है.. क्योंकि मैं नॉनवेज नहीं खाता हूँ.. इसलिए मुझे लगता है कि जैसे ऊपर वाले ने मुझमें जिन्दा नॉनवेज खाने के लिए मुझे बनाया है, इसीलिए मैं जौहरी की तरह चोदने लायक माल को जल्द पहचान भी लेता हूँ और उसे पा भी लेता हूँ।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। मेरे फ्लैट के नीचे वाले फ्लैट में एक जोड़ा रहता है.. जिसमें पति की उम्र चौंतीस-पैंतीस के करीब तथा पत्नी की उम्र तीस-बत्तीस के आस-पास होगी। दोनों मियां-बीवी जॉब करते हैं, बीवी तो दिखने में परी जैसी दिखती है, उसका फिगर तो इतना गजब का है कि जी करता है कि कैसे भी उसे पकड़कर चोद दूँ.. यानि उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
मैं मन ही मन अपनी पड़ोसन को चोदने का प्रोग्राम बनाने लगा। उन्हें कोई अब तक संतान नहीं है। मैं अपने बालकनी से उन्हें रोज सुबह ऑफिस जाते हुए देखता था.. वो अपने कंधे पर पर्स लटकाकर और एक हाथ में एक थैला लेकर घर से निकलती थी.. तो उसे कमर मटका-मटका कर चलते देख कर.. मेरा लंड खड़ा हो जाता था, मेरी नज़र केवल उसके ठुमकते चूतड़ों पर होती थी।
उसका नाभि दर्शना साड़ी पहनने का तरीका भी गजब का होता था। जीने पर आते-जाते कभी-कभार उनका पति.. या कभी वो मिल जाती थी.. तो केवल दुआ-सलाम हो जाती थी।
वो अच्छी तरह मुझे तथा मेरी पत्नी को जानती थी तो मेरे बेटे का जन्मदिन था और वह इत्तफाक से रविवार को था तो मैंने अपनी वाइफ से उन्हें भी बुलाने को कहा।
तब से पहले मैं उन्हें नहीं बुलाता था.. क्योंकि उन्हें कोई संतान नहीं है और मैं सोचता था कि वो आकर अच्छा महससू नहीं करेगी। लेकिन इस बार बुलाने का मकसद मेरा कुछ और था। मेरी पत्नी ने कहा- आप खुद ही जाकर बोल देना..
मेरे लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता था। मैं उन्हें बुलावा देने के लिए उनके घर जाकर दरवाजे की घन्टी बजाई। दरवाजा उसी ने खोला.. वो अपने सिंपल से मेकअप तथा नीले सूट में गजब ढा रही थी। मुझे देख कर मुस्करा कर बोली- नमस्कार भाई साब.. मैंने भी जवाब दिया और आने के लिए निमंत्रण दिया.. वो बोली- ठीक है.. मैं आ जाऊँगी.. आप मुझे केक काटने के समय मोबाइल पर घन्टी मार दीजिएगा। मैंने बोला- आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए।
उसने मुस्कुरा कर नम्बर दे दिया.. मैंने अपने मोबाइल में फीड करने के बाद उनसे उनका नाम भी पूछ लिया। उसने अपना नाम माधुरी बताया। अब मैं जो उससे चाहता था.. वो मुझे मिल गया था।
कुछ दिनों के बाद मेरी गाड़ी सर्विस के लिए गई थी और कुछ जरुरी काम से मुझे बस से आई टी ओ जाना था.. मैं बस में मयूर विहार फेज दो से बस में जाकर बैठ गया। कुछ देर बाद माधुरी भी उसी बस में चढ़ गई। मैं उसे देख कर बहुत खुश हुआ। मेरे बगल वाली सीट खाली थी.. मैंने उन्हें मेरे बगल वाली सीट पर बैठने को कहा.. वो बैठ गई।
मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हुआ कि आज मेरी किस्मत खुलने वाली है। दुआ-सलाम समाचार के बाद मैंने ही पहल की- आपकी शादी को कितने दिन हो गए और आपको कोई संतान अभी तक क्यों नहीं है। मैं आपकी कुछ मदद करना चाहता हूँ। उसने पूछा- कैसे भाई साब?
मैंने कहा- इस बस में बात करना ठीक नहीं रहेगा.. आप चाहो तो मैं आपके ऑफिस आ जाऊँ या आप मेरे ऑफिस आ जाइएगा.. या कहीं और.. वो चुप हो गई.. थोड़ी देर बाद वो बोली- ठीक है.. आप मेरे आफिस में दो बजे के बाद आ जाइएगा.. उस वक्त मेरे केबिन में कोई नहीं होता।
मुझे तो इसी समय का इंतजार था.. मैं दूसरे दिन माधुरी के आफिस में पहुँच गया। बातों का सिलसिला शुरू होने के बाद मैंने पूछा- आपकी शादी के कितने साल हो गए? उसने बोला- सात साल.. मैंने कहा- कुछ इलाज किया? उसने बोला- हाँ भाईसाब.. दो लाख लगा चुके.. सब कहते हैं पति में हार्मोन की कमी है। हमने बहुत इलाज करवाया.. लेकिन पैसा भी चला जाता है और कुछ फायदा भी नहीं होता।
‘हाँ.. यही मैं आपसे कहना चाहता था कि मैंने जब-जब आपके पति को देखा है.. मुझे लगा कि उनके चेहरे पर दाड़ी-मूँछ बहुत कम मात्रा में है.. इसका मतलब हार्मोन की कमी है।’
वो अपलक मेरी तरफ देख रही थी। मैंने फिर कहा- क्या मैं आपसे एक पर्सनल बात पूछ सकता हूँ? क्या कभी आपको ताना सुनने को मिलता है।
माधुरी की आँखों में आँसू आ गए.. मैंने अपना रूमाल निकाला और उसके गालों को पोंछने लगा। मैंने दूसरा सवाल दागते हुए कहा- क्या आपने कभी अपने पति के सिवा किसी और से सेक्स किया है? वो कुछ नहीं बोली.. मैंने कहा- आपके ससुराल वाले आपसे संतान चाहते हैं.. किससे हुआ.. उसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है.. हाँ अगर तुम पतिव्रता नारी हो तो मैं कुछ मदद नहीं कर सकता।
वो चुप हो गई और मैंने बोलना जारी रखा- मैं आपको अपने बारे में बता दूँ.. मेरे दो लड़के व एक लड़की है.. तथा कम से कम नौ बार अपनी वाइफ का गर्भपात भी करा चुका हूँ.. तथा कितनी ही बार माहवारी आने के लिए दवा का इस्तेमाल करना पड़ा..
मेरे बहुत समझाने पर वो बोली- किसी को पता चलेगा तो क्या होगा? मैंने कहा- कौन बता देगा..? मैं तो आपको खुश देखना चाहता हूँ।
बहुत देर चुप रहने के बाद माधुरी ने मना कर दिया.. बोली- किसी को पता चलेगा तो जीना मुश्किल हो जाएगा। मैंने कहा- देख लो.. आपको तो मैंने एक रास्ता बताया है। आप सोच लेना.. मैं चलता हूँ.. अगर समझो आपके हित में है तो माहवारी आने के दस बारह दिन बाद प्रोग्राम किसी होटल में रखना पड़ेगा और होटल का खर्च भी आपको देना पड़ेगा। मैं तो केवल आपके लिए रिस्क लेने को तैयार हूँ क्योंकि मैं आपको खुश देखना चाहता हूँ।
दस दिन बाद माधुरी का उसके ऑफिस से फोन आया.. उसने करोलबाग में मुझे दूसरे दिन बारह बजे तक आने को कहा। अब तो मुझे ख़ुशी से रात भर नींद नहीं आई, सुबह उठ कर मैंने झांटें साफ कीं तथा तैयार होकर टाइम पर करोल बाग़ पहुँच गया। तय जगह पर वो थ्री व्हीलर से आई.. आज वो अपनी लाल ड्रेस में सुंदर सी परी दिख रही थी.. मैं तो उसे देखता ही रह गया। वो मेरे पास आकर मुस्कराते हुए अपना पर्स खोलकर पाँच हजार रुपए मुझे देते हुए बोली- आपको जो करना हो कीजिए।
मैंने एक होटल में कमरा बुक किया और हम दोनों कमरे में एक साथ ही पहुँचे। कमरे का दरवाजा मैंने ही बंद किया और आकर पलंग पर बैठने के लिए माधुरी को इशारा किया।
उसने बोला- संतोष जी.. मुझे तो बहुत डर लग रहा है.. मेरी इज्जत अब आपके हाथ है। मैंने कहा- आप बिलकुल चिंता मत कीजिए।
मैंने यह कह कर उसके गालों को हल्का सा स्पर्श किया। उसने कुछ नहीं कहा.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने अब सीधे उसकी ब्रा पर हाथ डाल दिया।
उसने कहा- संतोष जी.. कपड़ों पर सिलवटें आ जाएँगी.. पहले इन्हें उतार लेते हैं.. फिर कुछ कीजिए। मैं माधुरी को कपड़ा उतारने में मदद करने लगा.. तो उसने बोला- आप भी तो उतारो। अब माधुरी के जिस्म पर केवल ब्रा और पैंटी थी और मेरे तन पर केवल चड्डी बची थी।
अब मुझे इस रूप में माधुरी को देख कर मेरी तमन्ना पूरी होने वाली थी.. मैंने माधुरी को अपनी बाँहों में लेकर उसकी ब्रा को पीछे से खोल दिया। अब उसकी गुलाबी-गुलाबी चूचियाँ आजाद हो चुकी थीं। उसके मम्मों को देखा कर ऐसा लगता था.. कभी उनको मसला ही नहीं गया हो। मैंने माधुरी को तुरंत पकड़कर बिस्तर पर लेटा दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी.. उसने भी मेरे कड़क लंड को हाथ से पकड़ कर महसूस किया और मेरी चड्डी को खींच कर उतार दिया। अब मेरा लौड़ा आजाद हो चुका था.. वो कामातुर होकर मेरा लंड हाथ में लेकर खेलने लगी। वह मुस्कराते हुए बोली- आपका तो बहुत ही बड़ा है।
मैं कुछ कहता उससे पहले ही वो लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने अब अपने मंजिल की ओर कदम बढ़ाते हुए उसकी पैंटी को उतार दिया और मेरी मंजिल सामने थी।
माधुरी की बुर बहुत ही प्यारी थी.. उसको देख कर ऐसा लगता था जैसे किसी कुँवारी लड़की की चूत हो। उसने भी अपनी चूत को साफ कर रखा था।
अब मेरा लंड तन कर बहुत सख्त हो गया था। मैं अब माधुरी को चोदने की तैयारी करने लगा, मैंने उसको चित्त लिटा कर टाँगें फैलाईं और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर सही निशाने पर रखा।
उसकी तरफ एक बार मुस्कुरा कर देखा और अचानक एक जोरदार धक्का मारा ताकि मेरा लंड एक बार में ही उसकी बच्चेदानी तक पहुँच जाए।
‘आह्ह.. मर गई…!’ माधुरी की एक तेज चीख निकल गई.. उसने कहा- आह्ह.. इसे निकालो.. प्लीज.. दर्द हो रहा है.. आपका तो मेरे पति से बहुत बड़ा है।
मैंने लण्ड नहीं निकाला और उसकी चूत में हिलाता रहा। थोड़ी देर बाद वो सामान्य हो गई और नीचे से धक्के लगाने लगी। उसने कहा- ओह्ह.. संतोष जी.. और जोर से.. मुझे बहुत मजा आ रहा है.. इतना मजा मेरे पति से कभी नहीं आया.. आह.. और..जोर से..
अब मैंने थोड़े तेज धक्के लगाना शुरू किए.. फिर मैंने उसे बैठने के लिए बोला और उसे ऊपर आकर चुदने के लिए बोला। मैंने अपना लंड फिर से उसके मुँह में दे दिया.. वो सना हुआ लण्ड चूसने लगी और मेरे लंड को चूस कर साफ किया।
फिर मैंने उसे अपने ऊपर लेकर उछाल-उछाल कर चोदने लगा तथा उसके मम्मों को कभी मुँह में लेकर.. कभी दोनों हाथों से मसलता रहा।
वो भी पूरे दिल से साथ दे रही थी.. दस मिनट में ही अचानक उसकी साँसें तेज़ हो गईं और वो मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी। मैं नीचे से धक्के पर धक्का.. अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर देता रहा।
कुछ ही देर में उसने मेरे लंड के ऊपर अपना गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया और वो मेरे ऊपर निढाल हो गई।
मैंने थोड़ी देर के बाद उसे नीचे लेटा दिया और मैं ऊपर से आ गया.. क्योंकि मेरा लंड अभी तना हुआ था.. मेरा वीर्य अभी नहीं निकला था। अब मैंने उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ा और जोर का झटका लगाना शुरू किया.. मैं अपने सारे अरमान अपनी सुंदर पड़ोसन को चोद कर ठंडा कर लेना चाहता था। वो भी अब फिर से नीचे से साथ देने लग गई। मैं अपने हाथों से कभी उसके चूचुक.. कभी उसके होंठ.. कभी उसके गालों पर हाथ फेर-फेर कर चुदाई के आनन्द में चार चाँद लगा रहा था।
मेरा लंड पूरे शवाब पर था.. चिकनी चूत जो मेरे लंड के हिसाब से बहुत ही कसी हुई थी.. उसकी चुदाई में आनन्द आ रहा था। वास्तव में बहुत दिनों के बाद ऐसा आनन्द आ रहा था।
तभी उसने कहा- ओह्ह.. जल्दी कीजिए.. मैं फिर से गई.. मैंने कहा- मेरा लंड तुम्हारे बच्चे का बाप बनेगा.. तो इसे तरह-तरह से बना कर चोदना भी तो पड़ेगा.. आह.. मजा आ गया। बहुत देर तक यह सिलसिला चलता रहा। अब मुझे अपना वीर्य माधुरी के गर्भ में छोड़ना था.. ताकि वो मेरी संतान पैदा कर सके।
मैं भी अब झड़ने वाला था.. नीचे से वो साथ चूतड़ उठा-उठा कर धक्के देने में लग गई और मैंने अपना वीर्य माधुरी की चूत में छोड़ दिया। मैंने वीर्य गिराते समय अपने लंड को पूरा चूत के अन्दर डालकर माधुरी को अपने सीने से चिपकाकर रखा ताकि वीर्य सीधा उसके गर्भ में जाए। पूरा वीर्यदान करने के बाद अब मैं भी उसके बगल में निढाल हो गया।
मैं माधुरी से बोला- तुम पाँच मिनट तक इसी तरह लेटी रहना.. ताकि तुम्हारे गर्भ में मेरा वीर्य ठीक से समा जाए और तुम मेरे बच्चे की माँ बन सको। उसने ठीक उसी तरह किया।
अब मैं आपको बता दूँ कि इस घटना को तीन साल हो गए.. वो मेरे दो बच्चों की माँ है.. एक लड़का और एक लड़की। वो बहुत खुश है। मैं अब तक उसके साथ कई कई बार चुदाई कर चुका हूँ। अब वो गुड़गांव में रहती है.. लेकिन हमेशा वो अपना जन्म दिन मेरे साथ चुदाई करके ही मनाती है।
यह केवल कहानी नहीं है एक सत्य घटना है.. आप सभी से अपने विचार व्यक्त करने का निवेदन कर रहा हूँ।
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