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हैलो दोस्तो, मैं मानस.. मैं दिखता भी ठीक-ठाक हूँ.. मेरी कई दोस्त मुझे शाहरुख कहती हैं। इंदौर से अपनी पहली कहानी लेकर आया हूँ।
बात उस समय की है.. मेरी उम्र 23 वर्ष की थी.. जब मैं एक डाक्टर के यहाँ काम करता था। उनके यहाँ गुप्त रोग के लिए बहुत सी
महिलाएं आती थीं। मैं उनसे बीमारी की जानकारी लेकर सर को देता था और सर उन्हें चैक करके दवाई देते थे.. पर ज़्यादातर तो पुरुष
मरीज ही आते थे.. महिलाएँ कम संख्या में आती थीं। महिलाओं को देखने का समय अलग से था, कई बार कोई महिला अपने रोग के बारे में बहुत खुल कर बोलती थी। मुझे इस तरह के अपने काम के दौरान महिलाओं की बातें सुनने में बहुत मजा आता था।
एक दिन एक महिला आई उसका नाम नेहा था.. वो बहुत ही सुंदर काले रंग की साड़ी पहने हुए थी.. वो खुद भी बहुत खूबसूरत दिखती
थी.. उसके मस्त नैन-नक्श थे। क्लीनिक में आते ही उसने मुझे देख कर बोला- सर से मिलना है। मैंने कहा- आप पहले फॉर्म भर दीजिए। फॉर्म भरते हुए वो पूछने लगी- क्या सच में यहाँ गुप्त रोगों का इलाज होता है? तो मैंने बोला- जी हाँ बिल्कुल! तो नेहा बोली- आपको बहुत विश्वास है? मैं बोला- जी हाँ.. 100%
बात करते-करते उसकी नज़र मुझ पर थी.. मैं भी उन्हें देख कर मजे ले रहा था। जब दस मिनट बाद उनका नंबर आया.. वो अन्दर आई.. फॉर्म दिखा कर फिर से अपनी समस्या बताई.. डाक्टर ने दवा दे दी। फिर वो बाहर आकर मुझसे बोली- डाक्टर ने दवा दी है.. देखती हूँ मेरा ‘काम’ होता है कि नहीं। मैं बोला- जी हाँ.. बिल्कुल.. आप निश्चिंत रहिएगा।
उसने जाते-जाते मेरा नंबर माँगा तो मैंने लैंड-लाइन वाला नंबर दे दिया। फिर मैं अपने काम में लग गया।
रात को मुझे नेहा की बड़ी याद आई.. पता नहीं क्यों.. अगले दिन नेहा ने कॉल किया.. बोली- मेरे पति ने दवाई नहीं ली है। उसने मुझसे मदद माँगते हुए मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर माँगा। मैंने अपना मोबाइल नंबर दे दिया.. रात को उनका फोन आया तो बातों-बातों में उन्होंने बताया- मेरे पति को सेक्स में रूचि नहीं है..
इसलिए मैंने उन्हें दवाई दी.. पर वो दवा नहीं ले रहे हैं।
मुझे उनकी बात पर बहुत दु:ख हुआ.. मैंने कहा- नेहाजी आप चिंता मत करो.. सब ठीक हो जाएगा। मैंने उन्हें बहुत दिलासा दिया.. पर वो रोने लगी.. तो मैंने कहा- कल आप अस्पताल आना.. बैठ कर बात करते हैं। वो जरा चहक कर बोली- आपका ही जब मन हो.. आप ही आ जाओ न मेरे घर पर.. मैंने कहा- ठीक है.. कल फ्री होकर आता हूँ।
मैं दूसरे दिन अस्पताल से फ्री होकर उनके घर गया.. उनका घर अस्पताल से थोड़ी दूर ही था.. उनके पति देर रात को आते थे। मैं जैसे ही उनके घर गया.. दस्तक दी.. उन्होंने गेट खोला- अल्लाह कसम.. क्या नज़ारा था.. वो लाल और काले रंग के दुरंगे सूट में
थी। मैंने कहा- अरे वाह.. आज तो आप बहुत सुंदर लग रही हैं। उसने ‘थैंक्स’ कहा। मैंने कहा- काला रंग तो मुझे बहुत ही पसंद है। वो खुश हुई.. मुझे अन्दर बुलाया.. उस समय शाम के लगभग 7 बजे थे।
अभी हम बैठ कर बात कर ही रहे थे कि उनके पति का कॉल आया.. वे बोले- आज नहीं आ रहा हूँ.. कुछ काम है। मैंने नेहा से कहा- आपको अकेले बुरा नहीं लगता? नेहा ने दुखी होते हुए ऊपर से हंस कर कहा- मैं तो रोज अकेले ही हूँ.. उनका होना भी कोई होना है.. शादी को 2 साल हो गए.. पर
आज तक अकेलापन ही तो मुझे खाए जा रहा है। मैं उन्हें सांत्वना देने के लिए उनके पास गया और प्यार से उनके सर पर हाथ फेरा तो वो खुश हो गई.. बोली- समय.. आप कितने
अच्छे हो।
मैं मुस्कुरा दिया.. फिर नेहा मेरे लिए चाय बनाने जाने लगी.. सच में नेहा एक माल थी.. उसकी क्या कमर थी.. दोस्तों.. मेरी पैन्ट फूल
कर कुप्पा हो गई। मैं रसोई में उसके पीछे से चला गया और धीरे से सर उठा कर चाय के पैन की ओर देखने लगा.. तो नेहा बोली-
आपको चाय बनाना आती है?
मैंने कहा- नहीं.. सीख रहा हूँ।
मैं अब धीरे से नेहा के पीछे हो लिया.. तो उसके मुड़ने के कारण मेरा लण्ड नेहा की मस्त गान्ड से टकरा गया। ऐसा दो बार हुआ.. वो दोनों बार जानबूझ कर इधर-उधर कुछ देखने लगी.. उसे मजा आ रहा था। अबकी बार मैंने जानबूझ कर उसकी गान्ड पर हाथ रख कर कहा- क्या हुआ?
बोली- कप ढूँढ रही हूँ.. अभी तो यहीं थे। मैंने अपने हाथ पर ज़ोर दिया और आगे को आया.. उसकी गान्ड की दरार में हाथ दिया और कहा- ये तो हैं। नेहा सामने की ओर आगे को हो गई। अब दोनों हंस दिए.. फिर हम दोनों आगे वाले कमरे में आए.. चाय पी।
मैंने नेहा से कहा- आप जितनी सुंदर हैं उतनी ही प्यारी चाय बनती हैं.. आप चिंता मत करना.. आपके पति ठीक हो जाएँगे। मेरे हाथ सुलबुला रहे थे.. तो मैंने नेहा के गले में हाथ डाला और उसे धीरे से सहलाने लगा। नेहा मेरे और पास को हो गई.. बोली- आप कितने अच्छे हैं। फिर अचानक से बोली- चलो बाजार से कुछ खाने को लाते हैं। मैंने कहा- चलो।
हम जाने लगे तो उसके पति की मारुति आल्टो बाहर खड़ी थी, मैंने कहा- इससे चलें? बोली- मुझे चलानी नहीं आती। मैंने कहा- मैं सिखा देता हूँ।
उसे बात जंच गई.. मैं कार को सुनसान जगह में ले आया.. उधर दूर-दूर तक कोई नहीं था। अब मैं सीट पर बैठकर बताने लगा कि ऐसे चलाया जाता है। नेहा पास में बैठी थी.. बोली- मुझे यहाँ से कैसे समझ आएगा? मैंने कहा- फिर? तो बोली- मैं आपके आगे बैठ जाती हूँ..
मैं खुश हो गया.. अब नेहा मेरे आगे या यूँ कहूँ कि मेरी गोद में बैठ गई थी। मैंने उनके हाथ पे हाथ रख दिया.. गेयर को कैसे लगाते हैं.. ये बताने लगा। मेरा लण्ड खड़ा होकर.. उँचा हो गया।
नेहा बोली- कुछ गड़ रहा है। अब उसने धीरे से नीचे को हाथ किया.. और मेरे लण्ड को पकड़ कर अलग किया। मैंने नेहा के पेट पर हाथ रखा और ज़ोर से पकड़ लिया।
अब नेहा धीरे-धीरे गाड़ी चलाने लगी.. तो मेरा हाथ उसके मम्मों पर आ गया। मुझे बहुत मजा आ रहा था.. तभी आगे कोई आया.. तो मैंने हाथ नीचे कर लिए।
अब नेहा बोली- मुझे बीच में छोड़ना मत। मैं समझ गया कि आज इसको मेरा लवड़ा चाहिए है। मैंने ज़ोर से नेहा के मम्मे पकड़ लिए.. उसे मजा आ रहा था। मैंने अब धीरे से उसकी सलवार की गाँठ खोल दी और उसकी चूत पर हाथ फेरा.. तो मुझे उधर पानी सा लगा.. मैं समझ गया कि नेहा
चुदासी हो उठी है। मैंने गाड़ी रुकवाई और उसकी सलवार चड्डी को सरका कर अपनी पैन्ट और चड्डी नीचे की ओर कर दी। अब मैंने अपने लौड़े को थूक
से गीला करके उसकी गान्ड में रख दिया.. और रगड़ने लगा।
नेहा मस्त हो उठी उसने गाड़ी में चुदाई ठीक नहीं समझी और गाड़ी को घर ले आई। घर में आकर मैंने उसे गोद में उठाया और उसके
बेडरूम में ले गया। मैंने जल्दी से नेहा का सूट उतार दिया उसकी काली ब्रा और पैन्टी को भी उतार फेंका और उसे वहीं लेटा दिया। टेबल पर पास में एक
शहद की शीशी रखी थी.. मैंने उसे अपने लण्ड पर लगाया।
नेहा ने झट से मेरा हथियार पकड़ लिया और बहुत देर तक उसे लॉलीपॉप की तरह मुँह में ले कर चूसने लगी.. कुछ ही पलों में उसने
मेरा पानी निकाल दिया और पूरा लण्ड-रस पी गई। अब मैंने उसके दूध पर शहद लगाया और पूरा मस्त शरीर चाटने लगा।
कुछ ही देर बाद उसकी चुदास पूरी तरह भड़क उठी.. मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर लगाया और एक बार में ही अपना 8 इंच का
लवड़ा चूत के अन्दर घुस जाने दिया। नेहा एक दर्द भरी ‘आह’ के साथ बोली- आह्ह.. ऐसा ही लौड़ा तो चाहिए था.. फिर धकापेल चुदाई हुई.. झड़ने के बाद नेहा और हम एक
घंटे तक लस्त पड़े रहे। नेहा इस चुदाई से बहुत खुश हो गई थी। फिर हमने फ्रेश होकर नाश्ता किया और मैं अपने घर आ गया। अब जब जी करता.. मौका मिलते ही हम मिल लेते हैं और मस्त चुदाई करते हैं।
मित्रो, मेरी यह सत्य घटना आपको कैसी लगी.. ज़रूर बताएँ.. ईमेल जरूर कीजिएगा।
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