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मेरा नाम सिद्धार्थ है, भोपाल का रहने वाला हूँ और मैं एक मसाज पार्लर चलाता हूँ.. जिसमें मैं होम-सर्विस भी देता हूँ। मेरी उम्र 21 वर्ष है.. मेरा बदन हष्ट-पुष्ट है.. कद 5’-8” है और रंग गोरा है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और पिछले 2 साल से इस साईट की सभी कहानियों को पढ़ रहा हूँ। यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है इसलिए जो भी गलती हो.. उसके लिए माफ़ी चाहूँगा।
बात कुछ दिनों पहले की है.. मुझे मेरे काम के सिलसिले में एक ईमेल आया जो किसी रीना नाम की लड़की का था। उसने मेल में मेरी होम-सर्विस के बारे में जानकारी मांगी थी.. जो मैंने उसे दे दी। अगले दिन उसका फिर एक मेल आया था। जिसमें उसने लिखा था कि उसे अपने घर में बॉडी-स्पा करानी है.. और उसने मुझे अपना एड्रेस भी दिया था।
मुझे दो दिन बाद आने को बोला गया था, मैं तय समय पर वहाँ पहुँचा और गेट पर पहुँच कर उसे कॉल किया और बोला- मैं आ चुका हूँ। तो उसने बोला- आप जरा रुकिए.. मैं आपको लेने अभी बाहर आती हूँ।
दो मिनट बाद वह बाहर आई.. मेरी नज़र जैसे ही उस पर पड़ी.. मैं उसे देखता ही रह गया। ऊपर से ले कर नीचे तक.. एकदम तराशा हुआ बदन.. बड़ी-बड़ी आँखें.. गुलाबी होंठ.. उभरे हुए स्तन.. जिन्हें एक गहरे गले वाले लो-कट वाले ब्लाउज में छुपाया गया था.. जो बमुश्किल ही उन्हें छुपा पा रहा था। इस खूबसूरती पर चार चाँद लगाता हुआ एक छोटा सा तिल.. जो ठीक उसके बाएं स्तन के ऊपरी हिस्से में था।
नाभि से नीचे पहनी हुई आसमानी रंग की साड़ी.. उसे और भी ज्यादा मदमस्त और सेक्सी बना रही थी.. जिसे देख किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाए। वैसे मैंने भी इतनी सुन्दर और एकदम फिट शरीर की लड़की को पहली बार देखा था.. सो मैं कुछ ज्यादा ही उसमें खो गया।
उसने मुझे 2 बार ‘हैलो’ बोला.. लेकिन मैंने जैसे सुना ही ना हो.. मैं होश में तब आया.. जब उसने मुझे हाथ में थोड़ा जोर से मारा और हँसते हुए पूछा- कहाँ खो गए हो.. अन्दर आने का मन नहीं हो रहा है क्या? मैं कुछ नहीं बोला.. बस मैं खिसिया कर हँस दिया।
फिर हम अन्दर आए, उसका घर भी बहुत अच्छे से सजा था। उसने मुझे बैठने को कहा और वह मेरे लिए पानी लाने चली गई.. सो इसी बहाने उसकी खूबसूरती को एक बार फिर निहारने का मौका मिल गया।
वह पानी लेकर आई और पास में ही बैठ गई और मेरे बारे में पूछने लगी। फिर उसने अपने बारे में बताया उसकी 2 साल पहले ही शादी हुई थी.. उसके पति किसी कंपनी में मैनेजर हैं। तो इस तरह मेरी और उसकी बातें एक घंटे तक होती रही.. जो होना लाज़मी भी थीं क्योंकि एकदम से किसी अनजान के सामने कोई मसाज के लिए अपने कपड़े कैसे अलग कर सकता था।
फिर उसने बोला- मुझे अपने जिस्म को स्पा और बैक मसाज करवानी है। तो मैं बोला- ठीक है.. आप तैयार हो जाईएगा।
वह उठ कर दूसरे कमरे में चली गई और थोड़ी देर बाद उसने मुझे आवाज़ दी- सुनिए.. आप यहीं आ जाएँ! मैं वहाँ गया.. उसने लाल रंग का गाउन पहना हुआ था जो कि एकदम उसके जिस्म से चिपका हुआ था। जिसे देख कर तो कोई भी दूर से उसके शरीर का नाप बता दे।
मैंने उसे गाउन उतारने को कहा तो वह थोड़ा शर्मा गई और हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई.. मैंने उसकी हिचकिचाहट दूर करने के लिए बोला- मुझे अपना दोस्त ही समझिए.. तब कहीं उसने अपना गाउन उतारा।
अभी तक तो मैं उस परी को देख कर कण्ट्रोल में था.. लेकिन उसे काली ब्रा पैंटी में देख कर लगा कि उसे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लूँ।
मैंने उससे लेटने को कहा और उसकी ब्रा और पैंटी के ऊपर एक-एक तौलिया डाली और उससे बोला- मैं उसके अंडर गारमेंट्स उतारने वाला हूँ। तो उसने अपनी सहमति दी और मैंने धीरे से उसकी ब्रा के स्ट्रिप को उसके दोनों बाजुओं के नीचे सरकाए और पीछे हाथ डाल कर हुक खोल दिए।
इस स्थिति में मेरा चेहरा उसके स्तन के काफी करीब था.. फिर मैंने उसकी पैंटी को नीचे सरकाया और उसके जिस्म से अलग कर दिया। अब मैंने स्पा के लिए क्रीम उसके जिस्म में लगाना शुरू किया और उसे उल्टा लेटने को बोला.. ताकि मैं पिछले हिस्से से शुरूआत कर सकूँ क्योंकि ऐसा करने से उसकी शरमाहट और हिचकिचाहट दोनों ही कम हो जातीं।
वो पलट गई.. मैंने उसके पैरों में क्रीम लगाना शुरू किया.. मुझे भी उसके मुलायम और कोमल जिस्म में हाथ फिराना बहुत अच्छा लग रहा था..
अब मेरा लण्ड मेरे काबू में नहीं था। मैंने अपना काम ज़ारी रखा और अच्छे से उसके पैरों की मसाज करने लगा और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया।
अब मैंने उसकी जाँघों की मसाज की जिसमें बार-बार मेरा हाथ उसके नितम्ब को छू रहे थे.. जिससे तौलिया खिसक कर बिस्तर में गिर गया। यहाँ मसाज करते-करते मेरे हाथ बार-बार उसकी चूत के पास जा रहे थे.. जिस कारण वह थोड़ा गर्म होने लगी और हल्की सिसकारियाँ लेने लगी थी।
करीब 20 मिनट तक मसाज करने के बाद मैंने उसकी पीठ की मसाज की और फिर उसके बाजुओं की मालिश भी की.. जिससे उसे काफी अच्छा महसूस हो रहा था।
फिर मैंने उसके नितम्ब की मसाज करनी आरम्भ की.. जिसमें मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आया और उससे भी.. ज्यादा मजा उसे आ रहा था। मसाज के बाद उसके नितम्ब और भी ज्यादा चिकने और कोमल हो गए थे। फिर मैंने माहौल को थोड़ा और अच्छा बनाने के लिए उससे कुछ बातें करने को कहा.. तो वह अपनी शादी के पहले की जिन्दगी के बारे में बताने लगी.. जिससे मालूम चला कि वह एकदम खुले स्वभाव की लड़की है।
फिर मैंने उसे सीधा किया और सामने से उसकी मसाज शुरू की और उसे आँखें बंद करने को कहा।
फिर मैंने उसके स्तन से तौलिया हटाया और दोनों स्तनों पर खूब सारी क्रीम लगाई और गोल-गोल मलते हुए स्तनों की मसाज करने लगा.. जिससे वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गई और जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी और अपने पैरों को आपस में बाँधने लगी।
फिर मैंने उसके निप्पल को बारी-बारी से क्रीम लगा कर उन्हें उसे बाहर की तरफ हल्के हाथों से खींचा। मेरे 2-3 बार ऐसा करने से उसकी ‘आहें’ और ज्यादा तेज हो गईं और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मैंने उसके पेट की मसाज की और अब मुझे उसके सब से खूबसूरत अंग के दर्शन होने वाले थे। मैंने उसकी चूत से तौलिया हटाया और नाभि से नीचे के हिस्से में मसाज करना शुरू किया। उसने दोनों पैर एकदम सटा कर रखे थे.. जिससे उसकी चूत ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी।
फिर मेरे मसाज करने के दौरान वह एक बार फिर उत्तेजित हो गई और अब उसने अपने दोनों पैर खोल दिए.. जिससे उसकी चूत अब एकदम साफ़ दिखाई देने लगी। चूत के बगल की दीवारें एकदम पतली सी.. या यों कहें कि गुलाबी होंठ एकदम क्लीन शेव थे.. जिन्हें देख कर ऐसा लगा कि इसे अभी तक किसी ने छुआ ही न हो।
तभी मैंने देखा कि चूत के नीचे की जगह चादर गीली हो गई है.. मतलब वह एक बार चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी।
अब मैंने हल्के हाथों से उसकी चूत की तरफ बढ़ना शुरू किया और धीरे-धीरे उसके जी-स्पॉट को रगड़ना शुरू किया.. जिससे वह बहुत जोर-जोर से ‘आहें’ भरने लगी। वह अपना सिर बार-बार इधर-उधर कर रही थी। मैंने 5 मिनट तक वहाँ उसे बहुत रफ़्तार से रगड़ा और जैसे ही उसे आगे चूत के छेद के पास पहुँचा.. तब तक वो फिर से ‘आह..उह्हह आह्ह’ करते हुए पुनः स्खलित हो गई।
अब वह मुझसे बोली- सिड.. मेरे पति मेरी ज़रूरतें पूरी करने लायक नहीं हैं.. मैं पिछले 2 साल से तड़प रही हूँ.. वो इस काबिल नहीं हैं कि मुझे एक मर्द का एहसास दे पायें.. प्लीज़ मेरी मदद करो.. मैं बहुत दिनों से किसी ऐसे को ढूँढ रही हूँ.. जिस पर विश्वास कर सकूँ.. जो मुझे संतुष्ट कर सके.. तुमने अभी तक मुझे सिर्फ अपने हाथों से ही मुझे तीन बार स्खलित कर दिया है.. प्लीज़ मेरी मदद करो..
यह सब सुन मुझे थोड़ा बुरा भी लगा कि इतनी सुन्दर लड़की जिसे काम की देवी कि तरह बनाया गया हो.. उसे ही यह सुख नहीं मिल रहा है। मैंने उससे बोला- मैं यह कैसे कर सकता हूँ.. यह गलत होगा। तो उसने जवाब दिया- गलत हो या सही.. मैंने सोच लिया है.. बस तुम मेरी मदद करो..
इतना कह कर वह उठ कर बैठ गई.. मेरे पास आ गई और मुझ से लिपट गई। उसकी आँखों में आंसू थे.. जिसे मैं नहीं देख सकता था और उसे जो चाहिए था.. वो देने को तैयार हो गया।
अब रीना की मसाज के साथ ही उसकी चूत की मसाज भी होने वाली थी.. मित्रों आप सभी उसकी इस मदमस्त सील टूटने की कहानी को अगले भाग में पढ़ पायेंगे.. तब तक के लिए इन्तजार कीजिए और मुझे अपने मेल अवश्य कीजिए।
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