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मैं सुदर्शन इस बार अपने जीवन के काले और शर्मनाक राज ले आया हूँ। उम्मीद है इससे आपको शिक्षा मिलेगी। मेरे घर में एक किराएदार रहते थे.. जिनका नाम संजय था। वो 35 साल के थे। उनकी दो बार शादी हो चुकी थी पहली बीवी से एक बेटा और दूसरी से दो बेटियाँ थीं। पहली बीवी मर चुकी थी और दूसरी बीवी गाँव में रहती थी।
एक दिन मैं उनके साथ सो रहा था। रात में मेरी नींद खुली.. तो उनका पाँव मेरे ऊपर था और उनका लण्ड जो उत्तेजित अवस्था में था.. और मेरी टाँग से सटा हुआ था। मैंने उनके लंगोट पर हाथ रखा.. मुझे उनका खड़ा लण्ड छू कर बड़ा मजा आया। मैंने लंगोट को थोड़ा सा खिसका कर लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगा। उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.. थोड़ी देर बाद उनका वीर्य स्खलन हो गया।
अब रोज उनके सो जाने के बाद उनके लण्ड से खेलना मेरा शगल हो गया। एक दिन मेरी नींद खुली तो मैंने अपने आपको संजय के बाहुपाश में जकड़े हुए पाया। मेरी चड्डी मेरे घुटनों तक सरकी हुई थी और उनका मोटा.. पर छोटा सा लण्ड मेरे गुदा-द्वार में घुसने का प्रयास कर रहा था।
मैंने छूटने का प्रयत्न किया.. परंतु मैं उसकी पकड़ से छूट ना सका और मेरे गाण्ड में वो तब तक अपने लण्ड से धक्का मारता रहा.. जब तक उसका लौड़ा झड़ नहीं गया। हालांकि उसका मोटा लण्ड मेरी छोटी सी गाण्ड के छिद्र में प्रवेश नहीं कर सका था फिर भी 4 दिन शौच करने में बहुत तकलीफ हुई। अब मैं उसके पास नहीं सोता था। फिर कुछ दिनों बाद उन्हें कंपनी की तरफ से कॉलोनी में घर मिल गया.. जहाँ उनकी बीवी भी साथ रहने लगी।
एक दिन संजय के जीजाजी आए.. बातों-बातों में उन्होंने बताया- मैं संजय की बीवी को चोदता हूँ.. क्योंकि संजय गाँव में कम रहता है.. इसलिए उसकी बीवी की चुदास मैं ही मिटाता था। मैंने कहा- मेरा भी जुगाड़ लगवा दो। संजय के जीजाजी बोले- अरे वो तो पूरी छिनाल है.. तुमसे तो हँस कर चुदवा लेगी। वे मुझे अपने साथ संजय की बीवी के पास ले गए।
वो कुछ ही पलों में चुदवाने को राजी हो गई। वास्तव में वो बहुत ही चुदासी औरत निकली.. उसने अपनी साड़ी उठाकर चूत के दर्शन कराए और इशारे में चूत चाटने को कहा। मैं आगे बढ़ा और उसकी चूत चाटने लगा। उसने पेटीकोट से मुझे ढक लिया.. मैं अन्दर अंधेरे में उसकी बुर चूसता रहा। फिर मुझे बाहर निकाल कर बोली- अपना हथियार तो दिखाओ। मैंने अपना लण्ड खोला.. वो बोली- लंबा तो संजय से अधिक है.. पर जरा मोटा कम है.. चलो एक-दो महीने में मेरी चूत का पानी पी-पी कर मोटा हो जाएगा..
फिर उन्होंने अपनी झांट युक्त बुर को फैलाया… जो लसलसाहट से भर गई थी। मैंने लवड़ा चूत पर सैट करके धक्का मारा तो दो धक्के में ही पूरा लण्ड अन्दर घुस गया। आखिर उसने दो पुत्रियों को इसी भोसड़े से तो पैदा किया था.. चूत ढीली होना स्वाभाविक था। अब मेरा लण्ड संजय की बीवी की बुर में बहुत आसानी से अन्दर आ-जा रहा था।
मुझे बहुत संतोष मिला की मेरी गाण्ड मारने की असफल कोशिश करने वाले की बीवी की चूत को मैंने कूट-कूट कर चोदा। जब तक लण्ड ने मेरा साथ नहीं छोड़ा.. तब तक मैं उसकी चूत को चोदता रहा.. वो भी झड़ चुकी थी.. फिर मैं भी झड़ गया।
वैसे दोस्तों बुर कितनी भी ढीली हो हस्तमैथुन से कई गुना ज्यादा मजा देती है।
संजय की बीवी को मेरी चुदाई पसंद आई.. वो बोली- नंदोई जी.. आप तो कभी-कभी आते हैं गाँव में तो आप रोज ही चोदते थे.. संजय के जीजाजी बोले- इसी लिए तो तुम्हारी चुदास को शान्त करने के लिए ये लौड़ा ढूँढा है.. अब खूब मजे से चुदवाना। संजय की बीवी मुझसे बोली- जब संजय डयूटी चले जाएं.. तो तुम मुझे रोज चोदना.. मैं उस छिनाल को 5 साल तक चोदता रहा।
चूंकि उस जमाने में गाँव में चुदाई के नाम पर औरतें टाँगें फैलाकर लेट जाती थीं और चुदाई शुरू हो जाती थी। मैंने भाभी को चुदाई के नए आसन भी सिखा दिए।
कुछ दिनों बाद उनकी दो खुद की लड़कियाँ चमेली और सुमन और एक सौतेला लड़का अतुल शहर पढ़ने आ गए। अतुल बड़ा था उसकी मम्मी के मरने के बाद संजय ने दूसरी शादी की थी। तो इन बच्चों के आ जाने से अब उन्हें मुझसे चुदवाने का मौका कम मिलता था।
एक दिन संजय के पुत्र अतुल ने हम दोनों को चुदाई करते देख लिया। फिर बाद में अतुल मेरा राजदार बन गया था। आगे की कहानी आप अतुल की जुबानी ही सुनिए।
एक दिन कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गई। मैं घर आया और दूसरी चाभी से दरवाजा खोला और अन्दर पहुँचने पर मम्मी के कमरे से मुझे किसी मर्द जैसी आवाज सुनाई दी.. मैंने सोचा पापा तो रात में आते हैं अभी कौन है।
मैंने स्टूल लगाकर रोशनदान से झाँका तो मम्मी सुदर्शन चाचा के नीचे नंगी लेटी थीं और वो धकापेल धक्के मार रहे थे, मम्मी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर सुदर्शन को खींच रही थीं। यह देख कर मेरे लण्ड में तनाव आने लगा। मुझे मम्मी की चिकनी बुर साफ दिखाई दे रही थी। मैं अपना लण्ड पकड़ कर हिलाने लगा। कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। मैं नीचे उतर कर अपने कमरे में चला गया।
माँ के प्रति आदर-सम्मान सब उनकी चुदाई देखकर खत्म हो गया था। मैं सोचने लगा.. मम्मी जब सुदर्शन से चूत रौंदवा रही हैं.. तो मुझे मौका क्यों नहीं देतीं।
मैं अपने कमरे में जा कर लेट गया.. मेरा मन अपनी बहन चमेली को पेलने को होने लगा। तभी मम्मी मेरे कमरे में आईं.. उन्होंने मुझे हिलाया.. मैं जानबूझ कर नहीं उठा।
फिर कुछ सोच कर मम्मी ने मेरी लुंगी हटाकर मेरे लण्ड पर हाथ रखा.. मेरा पूरा शरीर गनगना गया। वे मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर मसलने लगीं। मैं पहली बार किसी औरत के स्पर्श को बर्दाश्त नहीं कर पाया और हिल गया। मम्मी ने मेरा हिलना देखा तो वे कमरे से बाहर निकल गईं। मैं पछताने लगा कि काश मैं हिला ना होता।
दूसरे दिन रात में मम्मी फिर आईं। मम्मी ने अपने पूरे वस्त्र निकाल फेंके। उसके बाद मम्मी ने मेरी खटिया पर बैठकर मेरी लुंगी को खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाने लगीं, मैं चुपचाप आंख बंद किए मजे ले रहा था।
जब उन्हें यकीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ.. तब मेरे लण्ड को मुँह में भरकर अन्दर-बाहर करने लगीं। जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उठ कर मम्मी को पकड़ कर चूमने लगा, उन्होंने ने मेरा एक हाथ चूत पर दूसरा चूची पर रख दिया। मेरी ऊँगलियाँ उनकी बुर की दरार में चलने लगीं, मैं तेजी से ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा। मम्मी मुझसे बुरी तरह चिपकने लगीं और बोलीं- बेटा.. अब अपना लण्ड मेरी बुर में डाल दो..
मैं मम्मी की टाँगों के बीच बैठ कर लण्ड को बुर के अन्दर धकेलने लगा। दो-तीन धक्के में ही उनकी गीली बुर में मेरा पूरा लण्ड समा गया। पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाजों से गूंज रहा था। मैंने उन्हें बाँहों में भींचते हुए अपना पूरा पानी उनकी बुर में छोड़ दिया।
अब मैं सुदर्शन अंकल के साथ मिलकर भी अपनी सौतेली मम्मी को खूब चोदता था.. पर अब मुझे अपनी छोटी बहन सुमन की फूटती जवानी भोगने का मन करता था।
एक दिन मम्मी नानी की बीमारी के कारण उनकी सेवा करने नानी के घर चली गईं। मैं रात में सुमन के कमरे में गया.. वो सो रही थी। उसकी नाईटी ऊपर को उठी हुई थी और उसकी कच्छी बाहर से दिखाई पड़ रही थी। मैं उसकी जाँघों को सहलाने लगा.. जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो.. मैंने अपना हाथ उसकी अनचुदी बुर पर रख दिया। मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने बुर को सहलाते हुए उसकी बुर में ऊँगली को अन्दर डाल दिया।
सुमन थोड़ी हिली.. पर मैं रूका नहीं.. मैं समझ गया कि यह साली सोने का नाटक कर रही है। सुमन की सांसें भी तेज हो गई थीं, उसकी चूची ऊपर-नीचे होने लगी थीं, मैं उसकी चूचियों को मींजने लगा। उसने एकदम से उठ कर मेरे होंठ चूसना चालू कर दिए।
फिर क्या था.. सब कुछ खुलम्म-खुल्ला हो गया था.. कुछ ही पलों में हम दोनों नंगे हो चुके थे, मैं अपने मुँह से उसकी बुर को चूसने लगा.. सुमन नीचे से चूतड़ हिलाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके बुर के छेद में सरका दिया। फिर उसकी चुदास बढ़ गई उसने अपनी टाँगें फैला दीं और बोली- अब पेल दो.. मैं उसकी बुर पर लण्ड सैट करके धक्का मारा.. लण्ड के आगे का भाग चूत के अन्दर घुस गया और धीरे-धीरे और अन्दर ठेलने लगा। सुमन अब दर्द से ऐंठने लगी और एक हाथ से मुझे पीछे धक्का देने लगी। लेकिन मैंने उसको जकड़ कर पूरा मार्ग तय किया। फिर धीरे-धीरे लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
जब सुमन का दर्द कम हुआ तो वो भी सहयोग करने लगी। मैं भी गति बढ़ाकर चोदने लगा। सुमन जब झड़ने लगी तो बुरी तरह मुझसे चिपक गई, फिर मैं भी जोर से चोदते हुए ढेर हो गया।
सुमन बोली- मैं और दीदी दोनों ने तुम्हारी और मम्मी की चुदाई देखी है। मैं मुस्कुराया तो सुमन बोली- अब चमेली दीदी को भी चोद दो। मैं चमेली दीदी के कमरे में गया। वो स्कर्ट पहने लेटी थी, जब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे तो उसका पूरा बदन काँप रहा था। मैं सारे रिश्ते तो दो महीने पहले ही भूल चुका था, अब चमेली दीदी मुझे चोदने लायक ‘माल’ लग रही थीं।
मैंने उसकी स्कर्ट को उतार कर फेंक दिया… और एक ही झटके में उसकी कच्छी नीचे उतार दी, फिर उसके बुर में अपना लौड़ा पेल कर उसका कौमार्य भी भंग कर दिया।
मम्मी के आने पर जब उनको हम भाई-बहनों के खेल का पता चला तो.. मम्मी बोलीं- ठीक है.. पर इस खेल में सुदर्शन को भी शामिल करना पड़ेगा। फिर सुमन, चमेली, मम्मी, मैं.. और सुदर्शन सब एक साथ चुदाई करते।
अब सुदर्शन की शादी हो गई। फिर मेरी दोनों बहनों की भी शादी हो गई। अब मेरी भी शादी हो गई। लेकिन मम्मी फूफा जी से अब भी संबंध बनाती हैं। मैं पत्नी आने के बाद मम्मी को नहीं चोदना चाहता हूँ.. पर जब भी उनको एकांत मिलता है.. तो वे मुझसे संबध बना लेती हैं।
सुदर्शन- तो देखा मित्रों.. किस तरह मैंने अपनी गाण्ड मारने की असफल कोशिश करने वाले के पूरे परिवार को ‘चूतजाल’ में फंसाकर चोदू बना दिया। आप कभी बिना सहमति के किसी की गाण्ड मत मारना। अपने विचार मेरी ईमेल आईडी पर जरूर भेजिएगा।
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