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मैं समझ गया कि सासूजी क्या कहना चाहती हैं.. वो मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थीं और मुझसे विधि के नाम पर चुदवाना चाहती हैं।
लेकिन मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं.. इसलिए मैंने कुछ देर सोचने का नाटक किया और बोला- सासूजी विधि तो है.. लेकिन बहुत कठिन है.. शायद आपसे नहीं हो पाएगा..
तब सासूजी बोलीं- कितनी भी ‘कठिन’ विधि क्यों ना हो… मैं ‘करवाने’ के लिए तैयार हूँ.. आप बताइए तो सही..
तब मैंने सासूजी को कहा- ये विधि सिर्फ़ पति-पत्नी या औरत-मर्द साथ में मिलकर ही कर सकते हैं।
तब वो बोलीं- यह तो सचमुच कठिन है क्योंकि ज्योति के पापा तो नहीं रहे और आप तो जानते हैं कि मेरा कोई देवर भी नहीं है.. जिनके साथ मिलकर विधि की जाए.. वो अपना चुदास भरा चेहरा गंभीर बनाने का नाटक करते हुए कुछ सोचने लगीं।
तब मुझे लगा कि शायद मेरा प्लान फेल हो जाएगा.. तभी वो अचानक बोलीं- दामाद जी.. आपने कहा ना कि औरत-मर्द साथ मिलकर भी विधि कर सकते हैं?
मैंने सर को ‘हाँ’ में हिलाया।
तो वे अपने चेहरे पर शर्म के भाव लाते हुए बोलीं- क्या आप और मैं मिलकर ये विधि नहीं कर सकते?
तब मैं भी शरमाने का नाटक करते हुए बोला- सासूजी जानती हैं.. आप क्या कह रही हो? इस काम के लिए हम दोनों को पति-पत्नी बनना होगा और अगर आप ये विधि करने का अपने मन में जब से संकल्प करती हो.. तब से लेकर विधि पूर्ण होने के 24 घंटे बाद तक आपको उन नियमों का पालन करना पड़ेगा। हम दोनों को पति-पत्नी की तरह बात करनी होगी और हर वो काम करना होगा.. जो एक पति-पत्नी करते हैं।
तब सासूजी बोलीं- मैं समझ सकती हूँ लेकिन.. ज्योति के लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूँ ना.. और क्या आप मेरा साथ नहीं दे सकते हैं..? आप भी जानते हैं कि मैं आपके सिवा और किसी का ‘साथ’ नहीं ले सकती हूँ।
अब तो सासूजी भी मुझसे खुलकर बातें कर रही थीं।
मैंने कहा- ठीक है.. कल मैं सब सामान ले आऊँगा और कल विधि करेंगे। वे खुश सी दिखीं। फिर मैंने बोला- आपके पास आपकी शादी की साड़ी और चाचा जी के कपड़े तो होंगे ना? तब वो बोलीं- क्यों?
मैंने कहा- पहले हमें शादी बनानी होगी.. तब हम विधि पूर्वक पति-पत्नी बनेंगे।
उन्होंने कहा- हाँ सब कुछ पड़ा है.. लेकिन आपके चाचा के कपड़े नहीं हैं।
तब मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं किराए से शेरवानी आदि ले आऊँगा।
‘हाँ.. ये ठीक रहेगा..’
मैंने सासूजी की चुदास को भांप लिया और कहा- अभी खाना खाने के बाद ही सब सामान ले आता हूँ।
सासूजी ने कहा- हाँ ठीक है.. जैसा आपको ठीक लगे.. और हँसते-हँसते बोलीं- कल शादी है.. तो क्या कल आप छुट्टी नहीं ले सकते?
मैंने कहा- आपका हुक्म सर आँखों पर.. कल सुबह फोन करके बोल दूँगा।
फिर वो खाना बनाने रसोई में गईं और मैं सामान लेने बाज़ार गया। करीब एक घंटे बाद मैं सामान लेकर आ गया और साथ में सासूजी के लिए एक नई लाल रंग की ब्रा और पैन्टी का सैट भी ले आया।
तब तक खाना बन चुका था और सासूजी सामान अन्दर रखने के लिए गईं और मुझे आवाज़ दी- अजी सुनते हो? मैंने चौंक कर उनकी ओर देखा तो सासूजी ने ब्रा और पैन्टी वाला पैकेट मुझे बताते हुए पूछा- ये किसके लिए है?
मैंने कहा- ये मेरी होने वाली पत्नी यानि कि आपके लिए है..
सासूजी खुश हुईं और बोलीं- राज मुझे लगता है कि आपने अभी तक मन से मुझे अपनी पत्नी बनाने का संकल्प नहीं किया है।
मैंने कहा- अगर ऐसा होता तो मैं आपके लिए ब्रा और पैन्टी का सैट क्यों लाता और आपको क्यों ऐसा लगा कि मैंने संकल्प नहीं किया है।
तब सासूजी बोलीं- मुझे इसलिए लगा कि आप ही कहते हो कि जब से मन में संकल्प करें.. तब से हमें पति-पत्नी जैसा ही बर्ताव करना है और आप ही ऐसा नहीं कर रहे हैं.. फिर हँसते हुए बोलीं- क्या आप रेशमा को ‘आप’ कह कर बुलाते हो?
मैंने कहा- नहीं..
तब सासूजी बोलीं- तो आप मुझे ‘आप-आप’ कह कर क्यों बुलाते हो.. इसलिए मुझे लगा कि आपने संकल्प नहीं किया होगा। मैंने कहा- ऊऊओह.. तो ये बात है.. सॉरी यार.. वो मेरे मुँह से ‘यार’ शब्द सुनकर खिल उठीं।
फिर हमने साथ मिलकर खाना खाया और सासूजी बर्तन धोने लगीं। हम दोनों सोच रहे थे कि कैसे एक-दूसरे से बात करें।
मेरी नज़रें सासूजी की मटकती गाण्ड पर टिकी थीं.. तभी अचानक सासूजी ने मेरी ओर देखा.. तो मैंने नजरें हटा लीं। लेकिन सासूजी ने मुझे देख लिया था..
इसलिए वो बोलीं- ऐसे क्या देख रहे थे मेरे होने वाले सैया? उनके मुँह से ये सुनकर मेरा लण्ड पजामे में फड़फड़ाने लगा था।
तब सासूजी ने वापिस पूछा.. तब मैं उठ कर सासूजी के पीछे खड़ा रहा और अपने खड़े हुए लण्ड को उनकी गाण्ड से सटा कर हल्के से धक्का मारते हुए बोला- आपका होने वाला पति ये देख रहा था..
मैं ये कह कर थोड़ा सा पीछे हो गया..
तब सासूजी भी कहाँ हार मानने वाली थीं।
उन्होंने भी अपनी गाण्ड से मेरे तने हुए लण्ड को दबाया और हँसते-हँसते बोलीं- इनका कुछ नाम भी होगा ना?
मैं समझ गया कि सासूजी मेरे मुँह से खुलम्म-खुल्ला सेक्सी बातें सुनना चाहती हैं।
इसलिए मैंने भी शर्म छोड़ कर उनकी गाण्ड से मेरा लण्ड पूरी तरह से चिपका कर बोला- आपका…
तभी वो मेरी बात को काट कर बोलीं- आपने फिर से ‘आपका…’ कहा..
तब मैं सेक्सी अंदाज़ में बोला- सॉरी.. तुम्हारा होने वाला पति अपनी होने वाली पत्नी की मुलायम गाण्ड के दर्शन कर रहा था।
तब मैंने नोटिस किया कि सासूजी की साँसें थोड़ी तेज हो गई थीं और थोड़ा वो काँपते हुए बोलीं- क्या.. आपको अपनी होने वाली पत्नी की गाण्ड अच्छी लगती है?
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तब मैंने अपने लण्ड को और थोड़ा सासूजी की गाण्ड से दबाया और बोला- हाँ.. मेरी प्रिया रानी.. मुझे तेरी गाण्ड बहुत पसंद है..
सासूजी ने कहा- क्क्य्या.. आअपप उसे छूना नहीं चाहोगे?
तब मैं घुटनों के बल बैठा और सासूजी की दोनों जाँघों को पकड़ कर उनकी गाण्ड पर एक लंबी सी चुम्मी की।
तब सासूजी की साँसें और भी तेज हो गईं और उनके चेहरे के भाव यही बयान कर रहे थे कि राज प्लीज़.. मुझे अभी के अभी चोद कर मेरी चूत की खुजली मिटा दो।
लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और खड़ा होकर वापिस बाहर के कमरे में चला गया। जैसे-तैसे करके रात और आधा दिन कट गया और शाम के 4 बज गए।
मैंने सासूजी को कहा- मैं होटल जाकर रात के लिए खाना ले आता हूँ क्योंकि खाना पकाने का वक्त नहीं रहेगा।
मैं गया और आधे घंटे के बाद खाना लेकर आ गया और मैंने सासूजी से कहा- प्रिया डार्लिंग.. तुम रेडी हो जाओ.. और मैं भी हो जाता हूँ।
अब मैं सासूजी को उनके नाम से और तुम कह कर बुलाने लगा था।
तब वो बोलीं- ठीक है राज डियर..
फिर हम दोनों अपने-अपने कमरों में तैयार होने चले गए और आधे घंटे के बाद मैं तैयार होकर बाहर आ गया।
मैं विधि की सब तैयारियां करके सासूजी का इन्तजार करने लगा।
करीब एक घंटे के बाद सासूजी कमरे से बाहर आईं.. तो मैं उन्हें देखता ही रह गया।
उन्होंने लाल रंग की साड़ी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था।
इस उम्र में भी वो इतनी सेक्सी और हॉट लग रही थीं कि एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं उन्हें अपनी बाँहों में ले लूँ.. लेकिन फिर ख्याल आया कि आज तो उनके साथ शादी है.. फिर सुहागरात भी मनानी है।
तो मैंने अपने आपको संभाला और उसे देखता रहा।
वो आकर बोलीं- राज.. मैं तैयार हूँ और शर्मा कर बोलीं- राज डार्लिंग.. मैं कैसी लग रही हूँ?
तब मैं बोला- तुम इतनी सुंदर लगती हो कि तुम्हें अपनी बाँहों में समाने को जी चाहता है।
तब वो बोलीं- थोड़ी देर और धीरज रखो मेरे होने वाले पति.. कुछ ही पल बाकी हैं, एक बार हमारी शादी हो जाए.. फिर मैं ऊपर से नीचे तक आपकी ही हूँ.. तब आप जो चाहे कर लेना।
मैंने कहा- ओके मेरी प्रिया डार्लिंग.. तब वो मुस्कुराने लगी।
शादी की सारी विधि मैंने अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर ली थी।
फिर मैंने अग्नि जलाई और मोबाइल चालू करके विधिपूर्वक हम दोनों ने शादी की। मैंने सासूजी की सूनी माँग में सिंदूर भरा और उसे मंगलसूत्र पहनाया। तब वो भी एक नई दुल्हन की तरह मेरे पैर छूने को नीचे झुकी.. मैंने उनके कन्धों को पकड़ कर उन्हें खड़ा किया और अपनी बाँहों में भर लिया।
मैंने बोला- प्रिया.. तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं.. मेरे दिल में है। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया।
सासूजी ने भी मुझे कस कर जकड़ा.. करीब दस मिनट तक हम एक-दूसरे के आलिंगन में बंधे रहे।
अब तक रात के 8 बज चुके थे.. फिर हमने साथ मिल कर खाना खाया और घर का सारा काम निपटाने में और 1 घंटा चला गया।
रात के 9 बज चुके थे.. मैंने सासूजी को फूलों की थैली दी और सासूजी हमारी सुहाग की सेज सजाने अन्दर चली गईं।
थोड़ी देर बाद सासूजी ने आवाज़ दी- सुनते हो जी.. बिस्तर लग चुका है..
मैंने बाहर के कमरे की लाइट और टीवी ऑफ किया और सासूजी के साथ सुहागरात मानने उस कमरे में चला गया जिधर सुहाग की सेज तैयार थी। सासूजी भी मेरा बेसब्री से इंतज़ार कर रही थीं।
मैंने सासूजी को खड़ा किया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और मैंने उनके गालों पर.. कान पर.. चुम्बन किया और फिर सासूजी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मैं करीब 10 मिनट तक उन्हें चुम्बन करता रहा और करीब आधे घंटे तक हम दोनों एक-दूसरे के शरीर को चूमते रहे।
वो कह रही थी- राज.. आपने मुझे बहुत तड़फाया है।
मैं भी उन्हें सेक्सी अंदाज़ में जवाब दे रहा था- प्रिया.. तूने भी मुझे बहुत तड़फाया है.. जबसे मैंने तुम्हें देखा है तब से कोई दिन ऐसा नहीं गया होगा कि मैंने तुम्हें ख्बावों में ना चोदा हो..
मेरे मुँह से ये सुनकर वो भी अपने चेहरे पर कामुकता लाकर बोलीं- राज.. मैं भी कब से आपके पास चुदवाना चाहती थी.. लेकिन बदनामी से डर रही थी। ये भगवान की मर्ज़ी ही है कि मेरी चूत और आपके लण्ड को.. ज्योति की वजह से एक-दूसरे को मिलने का मौका मिला है और यह मौका मैं गंवाना नहीं चाहती हूँ।
आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ। आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ। मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।
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