This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
उस रात मैंने काफी देर तक हेमा के बारे में सोचा और बहुत दु:खी हुआ। ऊपर वाला भी क्या खेल खेलता है? इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर कोई पति किसी और की बाँहों में कोई कैसे सो सकता है?
मैंने आज तक हेमा के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था.. पर उस रात पता नहीं मुझे क्या हुआ था.. मेरे मन में उसके लिए गलत विचार आ रहे थे। उसका चेहरा नजरों के सामने से जाने के लिए तैयार ही नहीं था.. उसका सेक्सी जिस्म मुझे सोने नहीं दे रहा था, उसी को सोच-सोच कर मैं अपने लंड को सहला रहा था। फिर मुझे रहा नहीं गया और हेमा के नाम की मुठ मार कर मैं सो गया।
हेमा का अब मुझे हर आधे घंटे में मुझे फ़ोन आने लगा.. ‘नाश्ता हुआ क्या?’ ‘खाना खाया क्या?’ ‘पुणे में तुम नए हो.. तुम्हें यहाँ के रास्ते पता नहीं हैं.. मैं तुम्हें अपनी कार से छोड़ देती हूँ।’
पर मैं हमेशा उसे मना करता और उससे कहता- यह मेरे संघर्ष का समय है, मुझे खुद मैनेज करने दो।
वो मेरा सम्मान करती थी और मेरे उसूलों को तोड़ना नहीं चाहती थी, वो हमेशा मेरा साथ देती थी।
एक शनिवार को स्नेहा ने मुझे कॉल किया और घर आने के लिए जिद करने लगी। मैंने उससे कहा- मुझे आज बहुत काम है.. मैं आज नहीं आ सकता। यह सुन कर वो रोने लगी और उसने फ़ोन पटक दिया। उसे रोता देख.. मुझे बहुत बुरा लग रहा था और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था।
फिर मुझे हेमा का कॉल आया और उसने कहा- स्नेहा को उसके पापा की बहुत याद आ रही है.. इसीलिए मैंने ही उससे कहा कि अपने बेस्ट-फ्रेंड से बात कर लो.. तुम प्लीज आ जाओ.. वरना वो दिन भर रोती रहेगी.. उसने सुबह से कुछ भी नहीं खाया है।
मैंने कहा- ठीक है.. उसको मैंने रुलाया है तो हँसाना भी मुझे ही पड़ेगा..
यह सुन कर हेमा हँसने लगी और कहा- जल्दी आ जाओ.. लंच भी साथ में करेंगे।
मैं पहली बार उसके घर जा रहा था सो उसने अपना एड्रेस मुझे मैसेज किया। इससे पहले मैं वहाँ कभी नहीं गया था। आज तक हम जब भी मिले.. बाहर ही मिले.. कभी गार्डन में.. मॉल में… या होटल में.. और जब भी मिले.. तो सारा खर्चा हेमा ने ही किया था।
वो कहती- तुम्हारे ऊपर बहुत जिम्मेदारियां हैं। उसे मेरा खर्चा करना अच्छा नहीं लगता था। जब भी हम मिलते.. वो मेरे लिए कुछ न कुछ गिफ्ट्स वगैरह लेकर आती थी। वो अब तक मेरे लिए जीन्स.. शर्ट्स.. शूज.. स्मार्ट फ़ोन और भी बहुत कुछ ला चुकी थी।
मैंने सोचा.. आज अच्छा मौका है.. मैं भी उन दोनों के लिए कुछ गिफ्ट्स लेकर जाऊँ, मैंने स्नेहा की मनपसंद चॉकलेट्स और केक लिया।
हेमा के लिए भी एक पीले रंग की साड़ी ले ली।
मैं उसके फ्लैट पर गया और जैसे ही दरवाजे की घंटी बजाने को हुआ.. वैसे ही हेमा ने दरवाजा खोला और कहा- हाय राज।
मैं तो हैरान हो गया और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। क्या कमाल लग रही थी वो.. उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बड़े गले वाला ब्लाउज.. बाल खुले छोड़ दिए थे.. सिर्फ एक छोटी हेयर क्लिप लगाई हुई थी। उसे पता था मुझे वो खुले बालों में बहुत अच्छी लगती थी।
मैं उसे हवस की नजर से देखने लगा। उसने एक कातिल सी मुस्कान बिखेरी और कहा- क्या देख रहे हो..? जो भी देखना है.. बाद में देखना.. फिलहाल स्नेहा को संभालो।
ऐसा कह कर उसने मुझे अन्दर खींच लिया.. मैं एकदम से होश में सा आया।
हेमा मुझे स्नेहा के कमरे में ले गई। वो वहाँ बिस्तर पर पड़ी रो रही थी.. जैसे ही उसने मुझे देखा तो मुझसे चिपक कर जोर-जोर से पापा-पापा कह कर रोने लगी।
स्नेहा के ‘पापा-पापा’ कहने से हेमा को भी रोना आ गया और वो भी रोते-रोते कमरे में चली गई।
मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी को समझाऊँ या बेटी की माँ को? मैंने स्नेहा को मेरी मीठी-मीठी बातों से हँसाया और उसकी मनपसंद चॉकलेट का डिब्बा उसको दिया और कहा- तुम ये खाओ.. मैं अभी आता हूँ।
फिर मैं हेमा को ढूँढने लगा, एक कमरे से मुझे उसके रोने की आवाज सुनाई दी और मैं वहाँ चला गया। वो रोये जा रही थी..मैंने उससे पूछा- तुम क्यों रो रही हो.. तुम्हें क्या हुआ? हेमा खड़ी हो गई और वो मुझे अपने गले से लगा कर रोने लगी, फिर उसने कहा- स्नेहा को उसके पापा की कमी इतनी महसूस होती है.. तो सोचो मुझ जैसी जवान अकेली औरत को उनकी कमी कितनी महसूस होती होगी?
मैं हेमा का इशारा समझ चुका था.. उसका मुझे गले से लगाना.. मुझे बहुत अलग फीलिंग दे रहा था। उसने बहुत बार मुझे गले लगाया था.. पर इस बार कुछ अलग सा इशारा था। उसके तन-मन की आग मुझे महसूस हो रही थी। वो मुझे क्या बताना चाहती थी.. वो मैं अच्छी तरह से समझ रहा था.. पर मैं जानबूझ कर नासमझ बनने की कोशिश कर रहा था। मैंने कहा- ये तुम क्या कह रही हो? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
हेमा ने कहा- राज.. प्लीज नादान न बनो.. तुम सब जानते हो.. एक औरत को क्या चाहिए और मुझे क्या चाहिए.. ये तुमसे बेहतर कौन जानता है? मैंने सजना-संवरना छोड़ दिया था.. पर तुम मेरी जिन्दगी में आए और मुझे फिर सजने का मन करने लगा। तुम्हारी प्यारी-प्यारी.. मीठी-मीठी बातों ने मुझे फिर से जीने के लिए मजबूर कर दिया।
मैंने कहा- नहीं.. ये सब गलत है.. हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं.. मैंने तुम्हें इस नजर से कभी नहीं देखा। ‘तो बाहर दरवाजे पर मुझे किस नजर से देख रहे थे?’ उसके इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था।
दोस्तों एक बात बता दूँ, आप औरत से कोई भी बात नहीं छुपा सकते.. वो तुम्हारी चोरी कहीं न कहीं पकड़ ही लेती है।
हेमा तो मानने के लिए तैयार ही नहीं थी.. वो मुझे चिपकी हुई थी, उसके स्तन मेरी छाती को रगड़ रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि आज वो अपनी चूत की भूख मिटा कर ही रहेगी.. और मुझ जैसे जवान लड़के को जिन्दगी की पहली चुदाई का अवसर देगी।
आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
हेमा ने कहा- राज मेरी तरफ देखो.. क्या मैं तुम्हें खूबसूरत नहीं लगती?
मैंने हेमा की तरफ देखा.. वो हर रोज से ज्यादा हसीन लग रही थी।
मैं उसे दोस्त मानता था.. पर उसकी बातों से मेरे अन्दर का शैतान जाग रहा था।
हेमा भी मेरे उस शैतान को जगाने पर लगी हुई थी। हेमा ने हल्का सा मेकअप किया था। उसकी आँखों में काजल बहुत अच्छा लग रहा था.. उसके होंठ आज कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे।
उसकी आँखों में मैं डूबता जा रहा था। ना चाहते हुए मैं उसकी तरफ खिंचा चला जा रहा था.. आखिरकार मेरे सब्र का बांध टूट गया, मैंने हेमा को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब मैं धीरे-धीरे उसके होंठों का रसपान करने लगा। उसकी सांसों की खुश्बू को मैं महसूस कर रहा था.. उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था।
वो तो जैसे पागल हो रही थी.. पागलों की तरह मुझे चूमे जा रही थी। यह मेरी जिन्दगी का पहला चुम्बन था।
हेमा बिल्कुल गरम हो चुकी थी.. हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान कर रहे थे। उसकी स्ट्रॉबेरी लिपस्टिक का स्वाद मुझे और पागल बना रहा था।
उसकी साँसें और मेरी साँसें एक हो गई थीं। उसने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी। वो कभी मेरी जीभ चूसती तो कभी होंठ.. तो कभी मेरे गालों को चूमती.. तो कभी मेरे गले को चूमती।
मैं तो जैसे जन्नत में विचर रहा था। जिन्दगी में पहली बार किसी के साथ चूमा-चाटी कर रहा था। वो पूरी गरम होकर जोश में चूम रही थी और मैं तो इसे अब भी सपना समझ रहा था।
तभी कुछ गिरने की आवाज आई और हम दोनों डर कर अलग हो गए.. देखा तो स्नेहा ने फूलदान तोड़ दी थी।
आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ। आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ। मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000