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दोस्तो, मेरा नाम कृष्णकांत है, मैं 24 साल का हूँ, सुंदर हूँ, सेहतमंद हूँ, आज मैं आपको दो साल पहले की एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
बात तब की है जब मैं 22 साल का था और तब तक मैं अपनी ज़िंदगी में कभी सेक्स नहीं किया था। कभी कभी हाथ से कर लेता था मगर असली फ़ुद्दी चोदने के सुख से अंजान था। ब्लू फिल्मों में देखा था मगर असली तजुरबा नहीं था और मुझे लगता है कि हिंदुस्तान के ज़्यादातर नौजवानों की यही कहानी है।
मैं भी अक्सर सोचा करता था कि काश कोई मेरी भी गर्लफ्रेंड हो और मैं उसको चूसूँ, चोदूँ, मगर ऐसा नहीं हो सका।
खैर एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था कि तभी हमारी कामवाली बाई झाड़ू लेकर मेरे कमरे में आई, कोई 50-55 साल की बूढ़ी सी औरत, थोड़ी मोटी सी मगर ऐसी कोई बात नहीं के मैं उस पर रीझ जाऊँ, वैसे भी मैं उसे आंटी ही कहता था। सके आने पे मैं अक्सर कमरे से बाहर चला जाता था के वो आराम से कमरे की सफाई कर ले, उस दिन मैं न जाने क्यों नहीं गया। मैं बैठा तो किताब आगे करके था, मगर मैं वैसे ही अपना लण्ड सहला रहा था।
जब आंटी आई तो मैं बैठा रहा, वो अपना काम करने लगी, उसका ध्यान मेरी तरफ नहीं था मगर मेरा पूरा ध्यान उसकी तरफ था। जब वो झुक कर झाड़ू लगा रही थी तो मेरी नज़र उसकी झूलती छातियों पर पड़ी, थोड़ी थोड़ी झुर्रियां सी लग रही थी, मगर थी काफी बड़ी बड़ी। मेरी हरकतों ने बेखबर वो अपना काम कर रही थी।
झाड़ू लगाने के बाद वो पोंछा लगाने लगी। जब वो घुटनों के बल बैठी तो उसका पल्लू सरकने के वजह से उसकी छतियों के भरपूर दर्शन हुये। क्या गोल और मोटे मोटे बोबे थे उसके… मैं तो बेकाबू हुआ जा रहा था।
जब वो मेरे पास आई तो न जाने क्या हुआ और मैंने उसके बोबे को दबा दिया। वो एकदम से मुझसे ऐसे दूर हुई जैसे उसे कोई बिजली का झटका लगा हो, वो अपना काम वहीं छोड़ कर चली गई।
मेरी तो फटी पड़ी थी, मैं अपने पड़ोस के ही एक भैया थे उनके पास गया, उनसे मैं खुल कर हर बात कर लेता था, मैंने उन्हें सारी बात बताई। पहले तो वो बात को मज़ाक में ले गए मगर फिर गंभीर होकर बोले- अगर लस्सी पिलाएगा तो तेरी चिंता दूर कर सकता हूँ।
मुझे क्या दिक्कत थी, हम दुकान पे गए और लस्सी पीने लगे, तब भैया ने बताया- यह तुम्हारी जो काम वाली है न लीला, अपने टाइम में 100 रुपल्ली में चलती थी, अब बूढ़ी हो गई है तो घरों में काम करती है और अगर तेरे जैसी कोई परेशान आत्मा मिल जाये तो ना ये आज भी नहीं करती। इसकी बहू भी चलती है और इसकी बेटी भी। पर पहले तो इसको काबू कर, डर मत, कल को फिर पकड़ ले, और अपना लण्ड इसके हाथ, मुँह या चूत में कहीं भी डाल दे बस, फिर यह ना नहीं कहेगी और बाद में 100-50 रुपए दे देना, तेरा पानी निकलता हो जाएगा।
भैया की सीख ले कर मैं घर आ गया। अगले दिन तक कोई बात नहीं हुई, मतलब उसने मम्मी पापा को कुछ नहीं बताया था।
मैं अब और आश्वस्त हो गया, अगले दिन मैं बाहर बैठ कर पढ़ रहा था, जब वो काम पे आई तो मैं बाहर ही रहा। उसने झाड़ू लगाया और उसके बाद जब वो पोंछा लगाने लगी तो मैं कमरे में चला गया और उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया।
वो नाटक सा करती हुई बोली- काकाजी, ये क्या करते हो? मैंने कहा- आंटी, अब सब्र नहीं होता, प्लीज़ मेरा एक बार कर दो प्लीज़! वो बोली- पीछे हटो…
मैं उसे छोड़ कर खड़ा हो गया, वो फिर बोली- एक बार क्या कर दूँ, जानते हो मैं तुमसे कितनी बड़ी हूँ।
‘जानता हूँ आंटी पर अब सब्र नहीं होता, बस एक बार…’ कह कर मैंने अपना बरमूडा नीचे किया और अपना तना हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया।
आंटी ने अपनी साड़ी दोनों तरफ से पकड़ी और पीछे हटी। यह बात मुझे बाद में उसने बोली कि साड़ी उसने ऊपर उठाने के लिए ही पकड़ी थी, अगर मैं कहता तो वो साड़ी ऊपर उठा कर मुझे चोदने का मौका देती मगर मैंने कहा ही नहीं।
अब मुझ में यह हिम्मत नहीं हो रही थी कि उससे कहूँ कि आंटी एक बार चोदने दो। फिर भी मैंने हिम्मत करके कहा- आंटी, बस मेरी मूठ ही मार दो।
आंटी ने मेरी तरफ देखा और बोली- मैं ये काम नहीं करती। मैं आगे बढ़ा और अपना लण्ड आंटी के हाथ में पकड़ा दिया- प्लीज आंटी बस एक बार। ‘चल तू कहता है तो बस एक बार कर देती हूँ, मगर दोबारा मुझे इस काम के लिए मत कहना!’ उसने कहा।
मैं तो खुश हो गया, वो मेरी मूठ मरने लगी और मैं उसके मोटे मोटे मगर लटक रहे बोबों से खेलने लगा। उस दिन मैं पहली बार किसी और से अपनी मुट्ठ मरवाई और किसी औरत के बोबे उसके ब्लाउज़ से बाहर निकाल कर दबाये और चूसे। वो मेरी मुट्ठ मारती रही और मैं उसके बोबों से खेलता रहा और और करीब 4-5 मिनट बाद मैं झड़ गया। मेरा पानी छूटने के बाद वो चली गई।
अगले दिन जब वो आई तो मैं फिर उसे पकड़ लिया और खुद ही उसकी साड़ी ऊपर उठाई और अपना लण्ड उसकी चूत पे रख दिया मगर अंदर नहीं जा रहा था सो वो बोली- एक मिनट रुक! और उसने बेड पे लेट कर अपनी टाँगें पूरी तरह से खोल कर मुझे अपनी बूढ़ी चूत के दर्शन करवाए। मैं तो पहले ही मरा जा रहा था सो झट से अपना लोअर और अंडर वीअर उतार कर उसके ऊपर जा चढ़ा। उसने खुद मेरा लण्ड अपनी चूत पे रखा और मैंने अंदर धकेल दिया।
यह मेरी ज़िंदगी का पहला सेक्स था, मैं तो जैसे बदहवास हो गया था, मैं तो उसके होंठ भी चूस गया जिसे शायद मैं कभी न चूसता। मैंने उसे जम कर चोदा और उसकी चूत में ही अपना पानी छुड़वाया, मैं तृप्त हो कर गिर गया और वो उठा कर चली गई। उसके जाने के बाद तो मूठ भी मारी उसके नाम की। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
कहानी का अगला भाग : मेरी तो लॉटरी लग गई-2
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