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हैलो दोस्तो, मेरा नाम परवीन राजपूत है और मैं गाज़ियाबाद से हूँ। मेरी अभी एक साल पहले ही शादी हुई है। मैं काफी समय से अन्तर्वासना पर आप सभी की लिखी हुई कहानियां पढ़ रहा हूँ।
आज मैं भी आपको अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ.. जो अभी कुछ समय पहले ही मेरे साथ घटी है।
बात तब की है.. जब मेरे छोटे साले की शादी थी तो मैं और मेरी पत्नी दो दिन पहले ही मेरी सुसराल गाज़ियाबाद पहुँच गए। वहाँ पर सबसे पहले मेरी साली ने हमारा स्वागत किया। फिर मैं अन्दर गया और सबसे मिलने के बाद मुझे एक कमरे में बैठा दिया गया।
तभी एक लड़की मुझे नमस्ते करते हुए मेरे लिए पानी लेकर आई। मैं तो उसे देखता ही रह गया.. वो इतनी मस्त और सुन्दर थी कि मैं तो क्या.. उसे देखकर तो किसी का भी सोया हुआ लंड अपने आप खड़ा हो जाए।
तभी मैंने उससे कहा- सॉरी.. मैंने आपको पहचाना नहीं?
तभी वो बोली- मैं पिंकी.. आपकी दूर की साली हूँ।
मैंने कहा- साली तो कभी भी दूर की नहीं होती है.. वो तो हमेशा दिलों में होती है।
वो हँस कर बोली- अच्छा जी.. साली से अभी तो ठीक से मिले भी नहीं हैं और आपने हमें दिल में भी रख लिया है।
मैंने कहा- इतनी सुंदर साली को तो दिल और दिमाग़ दोनों में रखना ज़रूरी है।
वो बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- मतलब भी समझ जाओगी..
उसके वो बड़ी-बड़ी चूचियाँ.. क्या तनी हुई थीं.. मैं तो बस उन्हें ही देख रहा था।
तभी वो मेरे पास आकर बैठ गई और नशीली आवाज में बोली- जीजा जी.. ऐसे क्या देख रहे हो?
तभी मैंने उसकी चुदास को समझते हुए कहा- कुछ है.. जो बहुत ही अच्छा लगा है.. इसलिए नज़र नहीं हट रही है।
तभी उसने और भी चुदासी होते हुए कहा- अच्छा जी.. मुझे भी तो बताओ कि मुझ में आपको ऐसा क्या पसंद आ गया?
तो मैंने बिंदास होकर कहा- तुम इतनी सुंदर और सेक्सी हो कि तुम्हें देखकर तो किसी का भी मूड खराब हो जाए।
तो उसने कहा- क्या सच में… इतनी सुन्दर हूँ?
तो मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया। जब उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी थोड़ी और हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और सहलाने लगा। मैं अपने एक हाथ से उसकी जाँघ को मसल रहा था और वो भी गर्म हो रही थी।
उसने भी मुँह से भी.. “ओ.. आह.. उई..” जैसी आवाजें करते हुए मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया।
तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई.. और वो एकदम से उठ कर चली गई।
मैं कुछ उदास हो गया..
फिर कुछ समय बाद रात हो चली थी.. तो मैंने खाना खाया और उसके बाद सब अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।
ससुराल का घर बड़ा था.. तो सब अलग-अलग कमरों में थे। मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी.. रात के 12 बज चुके थे।
तभी मैंने हिम्मत करके पिंकी का कमरा खोजा और उसके कमरे में चला गया।
वो उधर अकेली लेटी हुई थी और उसने उसने मैक्सी पहनी हुई थी.. तो मैं अन्दर जाकर उसके बिस्तर पर बैठ गया और धीरे-धीरे से उसकी मैक्सी को ऊपर करके उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
उसकी गोरी-गोरी जाँघों को देखकर मेरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड तन गया।
मैंने दरवाजे की कुण्डी लगाई और अपना लोवर उतार कर उसके बगल में लेट गया। फिर मैं अपना लंड उसकी जाँघों की दरार में रगड़ने लगा, उसका कोई भी प्रतिकार न होते देख कर मैं अपने हाथों से उसके कठोर चूचों को दबाने लगा।
वो एकदम से कसमसा कर मेरी तरफ घूम कर मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा और एक हाथ से उसकी कोमल नरम चूत को रगड़ने लगा। मैं ऊपर से ही उसकी चूत में ऊँगली करने लगा।
वो बहुत गरम हो चुकी थी और सिसकारियां भरने लगी।
फिर मैंने उसकी मैक्सी और पैन्टी दोनों उतार कर फेंक दीं।
मैं तो बस उसकी चूत को देखता ही रह गया। इतनी चिकनी और गोरी चूत जिस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने उसे सीधा लेटा कर 69 की अवस्था में आ गया, मैं उसकी चूत को और वो साली मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
साली मेरे लंड को इतनी मस्ती से चूस रही थी कि मेरे मुँह से भी ‘ओह.. आह..’ की आवाजें निकलने लगीं।
मुझे और भी ज्यादा जोश चढ़ गया.. मैं भी अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में डालकर चूसने लगा। मैं कभी-कभी उसके दाने को दाँत से काट भी लेता.. तो वो एकदम से उछल जाती।
वो मेरे लंड को तो इस तरह चूस रही थी कि मेरी तो जान ही निकली जा रही थी। मैंने भी जोर-जोर से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
वो सिसकारियां भरने लगी और उसने अचानक अपने हाथों से पूरा ज़ोर लगा कर मेरे सिर को अपनी चूत में दबाते हुए अपना पानी छोड़ दिया.. मैंने उसका सारा रस पी लिया। फिर चूत को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
वो निढाल हो गई.. तभी मैं खड़ा हुआ और उसके बालों को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा। दस मिनट चोदने के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में ही छोड़ दिया.. वो उसे जूस की तरह गट-गट करके पी गई और उसने मेरा लवड़ा चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब हम दोनों निढाल हो कर एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए और आराम करने लगे। वो मेरे होंठों को चूसने लगी और मैं भी उसके मम्मों को मसलता रहा।
इसके बाद जब हम दोनों फिर से गरम हो गए तो मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपना सुपारा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया.. उसकी चूत गीली थी और वो भी चुदासी थी.. सो उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत में ले लिया।
उसकी एक हल्की सी ‘आह’ निकली और फिर एक-दो धक्कों में ही लवड़ा चूत की गहराइयों में गोता लगाने लगा।
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद उसने अपना रज छोड़ दिया और मुझसे लिपट गई उसके माल की गर्मी से मेरा माल भी उसकी चूत में ही टपक गया।
हम दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भींचे हुए जीजा-साली की चुदाई की कथा बांच रहे थे।
दोस्तो, आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर करना।
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