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दोस्तो मेरा नाम चूत रेशू है.. मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मैं कॉलेज की स्टूडेंट हूँ.. ग्रेजुयेशन कर रही हूँ.. मेरी उम्र 21 साल है। मैं दिखने में काफ़ी सेक्सी हूँ.. मेरी क्लास का हर एक लड़का मुझे चोदने के लिए बेताब रहता है।
क्या करूँ.. मैं हूँ ही इतनी चुदक्कड़.. मैंने किशोरावस्था में ही अपनी चूत अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड से फड़वा ली थी। उसके बाद तो बहुत से ब्वॉय-फ्रेण्ड बने और सबसे चुदाई का सिलसिला चलता रहा। जो ब्वॉय-फ्रेण्ड मुझे चोदता.. उसे मेरे जिस्म को चोदने की लत लग जाती और उसका दिल मुझे बार-बार चोदने का करता।
मेरी चूचियाँ 38 इंच की हैं.. उन पर बड़े-बड़े भूरे निप्पल हैं। पतली कमर और 36 इंच की उठी हुई गाण्ड.. उस पर छोटे-छोटे कपड़े पहनना मुझे अच्छा लगता है.. क्योंकि उसमें मेरा फिगर साफ़ नज़र आता है।
मेरे पापा एक व्यवसायी हैं। हमारी एक फैक्ट्री है.. मेरी मॉम एक हाउसवाइफ हैं। मैं मेरे घर की एकलौती लड़की हूँ तो मुझे पूरी आज़ादी है।
अब मैं कहानी पर आती हूँ। एक दिन की बात है.. मैं कॉलेज से घर आई.. आकर मैं डाइनिंग टेबल के पास बैठ गई। वहाँ मैंने देखा कि किसी की शादी का कार्ड पड़ा हुआ है, मैंने मॉम से पूछा- ये कार्ड किसकी शादी का है?
मॉम ने कहा- बेटी.. तेरे चाचा जी की लड़की की शादी है.. उसी का कार्ड है.. कल हम सब गाँव जा रहे हैं।
मैं खुशी से उत्तेजित हुई और मॉम को कहा- मैं बाजार जा रही हूँ.. शॉपिंग करने..
मैंने मॉम से पैसे लिए और बाजार चली गई। मैं सबसे पहले पार्लर गई.. वहाँ जाकर मैंने अपनी हाथों और टाँगों पर वैक्स करवाई और एकदम चिकनी हो गई। अपना हेयर स्टाइल बनवाया अपने बाल सीधे करवाए और फेशियल करवाया। फिर मैं कुछ कपड़े खरीद कर घर आ गई। मॉम ने भी जाने की सब तैयारियाँ कर ली थीं।
हम सब शादी से एक हफ़्ता पहले जा रहे थे ताकि शादी में हाथ बंटा सकें और हमने सामान पैक कर लिया।
ऐसी ही तैयारियों में रात हो गई.. पापा भी आ गए और हम सब रात को डिनर करके सो गए।
अगली सुबह मैं 8 बजे उठी और तैयार होने लगी क्योंकि हम 9 बजे घर से निकलने वाले थे।
मैं 8:30 बजे नहा-धोकर तैयार हो गई थी। मैंने कट स्लीव की पीले रंग की टी-शर्ट डाली हुई थी.. जिसमें से मेरे मम्मे रॉकेट की तरह बाहर की तरफ खड़े हुए थे और नीचे मैंने कैपरी डाली.. जो मेरे घुटनों के ऊपर तक थी। कैपरी पूरी तरह चुस्त थी.. जिसमें मेरी गोल गाण्ड बाहर की तरफ निकली हुई थी। मैं एकदम पटाखे की तरह माल लग रही थी।
फिर मॉम और पापा भी तैयार हो गए थे और हम सब अपनी कार से गाँव के लिए रवाना हो गए। हमारा गाँव शहर से काफ़ी दूर है.. जिसमें लगभग 4 घंटे का रास्ता है। मैं बहुत बोर हो रही थी.. सो मुझे पता नहीं कब नींद आ गई और मैं सो गई।
जब मेरी नींद खुली तो मैंने पापा से पूछा- पापा हम कहाँ तक पहुँच गए हैं?
तो पापा ने जवाब दिया- बस.. हम पहुँच चुके हैं।
मैं ये सुनकर खुश हो गई.. 10 मिनट बाद हम अपने गाँव वाले घर पहुँच गए। उस घर में मेरे चाचाजी (उम्र 40 साल) और ताऊजी (उम्र 50 साल) रहते थे और शादी मेरे चाचा जी की लड़की थी। गाँव वाला घर बहुत ही बड़ा था.. बिल्कुल किसी हवेली की तरह।
हम घर के अन्दर आए तो देखा कि ताऊजी और चाचाजी हमारा स्वागत करने के किए खड़े थे। मॉम और पापा पहले चाचाजी से मिले.. फिर चाचा जी की नज़र मुझ पर गई।
मैंने उन्हें देखा.. और मुस्कराहट बिखेरते हुए उन्हें नमस्ते की।
चाचाजी ने हैरान होते हुए कहा- अरे रॉक्सी.. तुम तो बहुत ही बड़ी हो गई हो और सुन्दर भी..
वो मुझसे बड़े प्यार से गले मिले.. जब वो मेरे गले मिले तो मेरी चूचियाँ उनकी छाती पर टच हुईं.. मुझे लगा कि अंजाने में हुई होंगी। मैंने नजरअंदाज कर दिया।
फिर मैं ताऊजी से मिली.. वो भी मुझे देख कर बोले- इतनी सी थी.. जब तू यहाँ से गई थी.. और आज इतनी बड़ी हो गई है हमारी रॉक्सी.. फिर वे पापा को देखते हुए बोले- बहुत सुन्दर है तेरी बेटी..
पापा ने गर्व से कहा- तो फिर बेटी किसकी है..
सब हँसने लगे। फिर हम बाकी के रिश्तेदारों से मिले और ऐसे ही रात हो गई। हम सब काफ़ी थके हुए थे तो हमें नींद आ रही थी और हम रात का डिनर करके सो गए।
अगली सुबह मे 9 बजे उठी देखा कि सब तैयारियों में लगे हुए हैं।
फिर मैं नहाने चली गई। मैं बाथरूम में गई.. वहाँ जाकर कपड़े उतारे और नंगी हो कर नहाने लगी। मैंने साबुन को अपने मम्मों पर लगाना शुरू किया और फिर बाकी सब जगह पर लगाते हुए.. धीरे-धीरे मैं नीचे की तरफ आई। जब मैंने साबुन को चूत पर लगाया तो मेरी चूत में खुजली होने लगी और उसमें आग लगने लगी, जैसे मेरी चूत मुझसे कह रही हो- रॉक्सी डाल इसमें कुछ.. शांत कर मुझे..
मैं गरम होने लगी थी.. मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर मसलना शुरू कर दिया और वासना की दुनिया में खो गई… चूत में बहुत झाग उठ रहा था और मुझे बहुत मज़ा रहा था।
फिर मुझसे रहा नहीं गया और में ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत में ऊँगलियां करने लगी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को मसलने लगी.. लंबी-लंबी साँसें लेने लगी जिससे.. ‘आअहह..उह्ह..’ की मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने अपनी आँखें बंद की हुई थीं.. मैं ये सोच रही थी कि ये ऊँगली नहीं.. किसी का लंड है और कोई मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा है। दस मिनट के बाद मैंने अपना पानी छोड़ दिया और शांत हो गई।
फिर मैं नहा कर अपने कपड़े पहनकर बाथरूम से बाहर आ गई। मैंने ग्रे रंग की स्कर्ट डाली और ऊपर टी-शर्ट डाली थी। मेरे चूतड़ बहुत ही बाहर की तरफ दिखाई दे रहे थे।
फिर मैं मॉम के पास जाकर फूलों की माला बनाने लगी।
तकरीबन 45 मिनट बाद मुझे याद आया कि मेरी गीली पैन्टी बाथरूम में ही रह गई है.. जो नहा कर उतारी थी। मैं झट से उठी और बाथरूम में अपनी पैन्टी लेने गई। मैंने जैसे ही अपनी पैन्टी को हाथ में लिया तो मैं शॉक्ड हो गई.. ऊहह माय गॉड.. मेरी पूरी पैन्टी वीर्य (लंड का पानी) से भीगी हुई थी और वीर्य मेरे हाथों में चिप-चिप करने लगा था।
मैं सोचने लगी कि यह किसका काम हो सकता है.. कौन है जो मेरी चूत मारना चाहता है.. मैं कन्फ्यूज़्ड थी कि ऐसा काम कौन कर सकता है। मैंने फिर अपनी पैन्टी को धोया और साफ़ की.. फिर बाहर आई।
जब मैं बाथरूम के बाहर आई तो बाहर चाची खड़ी थीं।
मैंने चाची से पूछा- चाची मेरे नहाने के बाद बाथरूम में कौन आया था?
चाची ने कहा- पता नहीं बेटी.. क्यों क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही पूछ रही हूँ।
तभी चाची की लड़की आई.. जिसकी शादी थी.. वो बोली- अभी-अभी मैं गई थी.. और मुझसे पहले पापा गए थे।
मैंने कहा- ओके..
फिर मैं सोचने लगी कि शायद ये काम चाचा ने किया हो.. लेकिन मैं हैरान थी कि चाचा ऐसा क्यों करेंगे.. कुछ भी पक्का नहीं था.. फिर मैं वहाँ से चली गई।
अब मेरी निगाहें चाचा को ढूँढ रही थीं लेकिन वो कहीं नज़र नहीं आ रहे थे। फिर मैं वापिस मॉम के पास चली गई और काम करने लगी।
घर के काम करवाते-करवाते पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गई।
उन दिनों बहुत गर्मियाँ थीं.. तो काम करते हुए पसीना आ रहा था और मुझे तो कुछ ज़्यादा ही आता था.. क्योंकि मेरे जिस्म में आग बहुत थी। मेरी पूरी टी-शर्ट पसीने से मेरे जिस्म के साथ चिपक गई थी और टी-शर्ट के बाहर से ब्रा की शेप साफ़ नज़र आ रही थी। वहाँ सब मर्दो की नज़र मेरे पसीने से भरे बदन पर थी।
रात के 8 बज चुके थे और गर्मी भी बहुत थी.. तो मॉम ने मेरी हालत देखते हुए कहा- जाओ एक बार दुबारा नहा आओ तुम्हें बहुत पसीना आ रहा है।
मैं भी मान गई और बाथरूम में चली गई.. वहाँ मैं दुबारा नहाई.. लेकिन इस बार मैंने अपनी ब्रा बाथरूम में ही टांग दी और सिर्फ़ टी-शर्ट और स्कर्ट डाल कर बाथरूम के बाहर आ गई.. क्योंकि मैं देखना चाहती थी कि मेरे बाद बाथरूम में अब कौन जाएगा। इसलिए मैं पास वाली सीढ़ियों के पीछे छिप गई और देखने लगी।
दस मिनट बाद चाचा जी बाथरूम में गए और 20 मिनट बाद बाहर आए और चले गए।
मैं भाग कर बाथरूम में गई.. जब मैंने जाकर अपनी ब्रा को देखा तो मैं समझ गई कि ये काम चाचा जी का ही है।
मेरी ब्रा पूरी तरह से वीर्य से भीगी हुई थी और ब्रा में से बहुत तेज महक आ रही थी।
जब मैंने अपनी ब्रा को सूंघा.. तो वीर्य की महक मेरे दिमाग़ में चढ़ने लगी और मैं गरम होने लगी। मैं ब्रा में वीर्य की महक को महसूस करने लगी और मुझमें चुदास चढ़ने लगी।
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और उस वीर्य से भरी ब्रा को पहन लिया.. जब गीली-गीली ब्रा मेरे सूखे चूचों पर लगी.. तो मेरी सिसकारी निकल गई। फिर मैंने वो ब्रा उतारी और जो वीर्य मेरे चूचों पर लग गया था.. उसे मैंने मल लिया.. और मैंने ब्रा को सूंघा और उसे चाटने लगी। वीर्य का टेस्ट बहुत ही नमकीन था.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अब मैंने अपनी पैन्टी को नीचे किया और अपना हाथ स्कर्ट में डाल कर अपनी चूत में तीन ऊँगलियां करनी शुरू कर दीं और अपनी चूत को चोदने लगी। दस मिनट बाद मेरा पानी निकल गया.. जो मैंने अपनी ब्रा से पौंछ दिया और शांत हो गई।
मैंने सोचा अगर चाचा जी का वीर्य इतना मस्त है तो चाचा जी का लंड भी बड़ा मस्त होगा और चाचा जी भी मुझे चोदना चाहते हैं तो क्यों ना उनके साथ चुदाई करके खूब आनन्द ले लिया जाए।
बस अब एक इशारा बाकी था.. जो मुझे चाचा को देना था.. फिर मैं अपनी ब्रा को धोकर बाथरूम के बाहर आ गई।
सीढ़ियों के पास चाचा खड़े मोबाइल पर किसी के साथ बात कर रहे थे.. और मैं उनके पास से गुजर रही थी।
जब मैं गुजर रही थी तो मैंने चाचा को तिरछी नज़रों से देखा और ब्रा की तरफ इशारा करके मुस्करा दी।
मित्रो, मेरी चूत में फिर से पानी आ गया है.. अब मैं चाचा से चुदने की सोचने लगी थी। आप मेरी कहानी के अगले भाग में पढ़िएगा कि क्या चाचा जी मुझे चोदा या वे रिश्तों की डोर में मुझे नहीं चोद पाए। आप ईमेल जरूर कीजिएगा। कहानी जारी है।
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