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प्रिय पाठको! अब तक की मेरी सभी कहानियों को पढ़ने और सराहने के लिए आप सभी का आशिक राहुल की तरफ से शुक्रिया! आपके उत्साहवर्धक ईमेल के लिए धन्यवाद और अन्तर्वासना के जरिये जो सच्ची दोस्तियाँ हुई है उसके लिए सभी का शुक्रिया।
दोस्तो, आज की कहानी मेरे जीवन के उस दौर की है जब मैंने बी ए प्रथम वर्ष में दाखिला लिया था। मैं हमेशा से हर कक्षा में प्रथम आता था तो कॉलेज में भी पहले ही दिन सभी अध्यापकगण और सह्पाठी भी मुझसे काफी प्रभावित थे।
हमारे कक्षा में एक बहुत ही सुंदर अप्सरा सी लड़की थी जिसका स्नेहा था। स्नेहा 5’6″ की लम्बाई वाली एक बहुत ही कामुक लड़की थी, क्लास का हर लड़का उस पर मरता था किन्तु मैं शुरू से ही केवल अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान देता था इसलिए मैंने उसकी तरफ कोई गौर नहीं किया पर कक्षा में मेरी रोज होती तारीफ और मेरे शालीन व्यवहार ने इसे मेरी तरफ बहुत आकर्षित कर दिया।
मैं बचपन से बहुत ज्यादा शर्मीला था इसलिए उसकी तरफ देख भी नहीं पाता था किन्तु अब वो क्लास में मेरी ही तरफ देखती रहती थी। उसने एक दो बार मुझसे बात करने की कोशिश भी की किन्तु मैं चाहकर भी बात नहीं कर पाता था पर अब मैं भी चोरी छुपे उसे देखने की कोशिश करता था, इस दौरान कभी कभी हमारी निगाहें टकरा जाती थी तो स्नेहा मुस्करा देती थी और उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ जाती थी।
उसे इस कदर मुस्कराते देखते हुए मेरा दिल भी बेचैन हो जाता था, अब मेरे दिल में भी कुछ कुछ होने लगा था।
कई दिन ऐसे हो बीत गये, फिर एक दिन स्नेहा मेरी एक नोटबुक मांग कर ले गई, उसे मेरे नोट्स देखने थे।
अगले दिन जब वो नोटबुक लौटाने आई तो उसकी आँखों में एक अजीब चमक और चेहरे पर बेकरारी सी साफ़ झलकती नज़र आ रही थी, उसने नोटबुक थमाते वक़्त मेरे हाथ को छुआ और तेज़ी से दौड़ते हुए अपनी सहेलियों के पास चली गई।
मैंने अपने नोटस लिए और अपने बेंच पर आकर बैठ गया, वो अभी भी मेरी तरफ ही देखे जा रही थी तो मुझे कुछ शक हुआ।
मैंने अपने नोट्स चेक किये तो उसमें एक लैटर था। जब मैंने खोल कर देखा तो वो लव लैटर था। मैं उस लैटर को छुपाकर बाहर लॉन के एक कोने में चला गया और उसे पढ़ने लगा। उसमें स्नेहा ने मुझे I Love You लिखा और कहा कि वो पहले दिन से ही मुझे पसंद करती है और अंत में लिखा कि मैं अपना जवाब उसे आज पाँचवें खाली पीरियड के दौरान ऊपर के खाली रूम में दूँ।
कॉलेज की वो लड़की जिसके पीछे कितने लड़के दीवाने थे, वो मुझे प्यार करती है यह जान कर मैं भी बहुत खुश था, हम दोनों ही आज पाँचवें पीरियड का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
आखिर वो पीरियड भी आ गया, मैं सबसे छुपता छुपाता अकेला ऊपर रूम में चला गया। कुछ पलों के बाद स्नेहा अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ आई लेकिन उसकी बेस्ट फ्रेंड बाहर ही रुक गई।
स्नेहा शर्माती हुई मेरे करीब आई, उसकी आँखों मे अपने प्यार का जवाब जानने की उत्सुकता थी। उसे अपने इतना करीब देखकर मेरा भी बुरा हाल था। मैंने सहसा उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और उसे I love You बोला और उसे गले लगा लिया।
दोस्तो, उस पल मैं कितना उत्तेजित महसूस कर रहा था बता नहीं सकता… पहली बार किसी लड़की को इस कदर अपनी बाहों में ले रखा था, खुद पर नियत्रण रख पाना मुश्किल था। और फिर मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो भी बहुत उत्तेजित लग रही थी।
मुझे उस पल न जाने क्या हुआ मैंने स्नेहा के लबों को अपने लबों में ले लिया। मेरे जीवन की वो पहली चुम्मी थी दोस्तों !
हम दोनों की आँखें बंद हो गई और हम एक दूसरे के अधरों का रसपान करने लगे। स्नेहा के कोमल गुलाबी अधरों में इतना रस भरा है यह मुझे उस वक़्त मालूम हुआ।
करीब 5 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही एक दूजे में खोये रहे। फिर बाहर से उसकी बेस्ट फ्रेंड के कदमों की आहट ने हमें अलग किया। उस पल पहली बार किसी लड़की को अपने इतने करीब महसूस किया मैंने।
तब हमने एक दूजे का मोबाइल नम्बर लिया, अब रोज देर तक हमारी बातें होने लगी और धीरे धीरे हम फ़ोन पर सेक्स चैट करने लगे। अब रोजाना हम कभी खाली रूम में कभी कैंटीन में तो कभी लाइब्रेरी में चूमाचाटी करते। कभी कभी मैं उसके 32 साइज़ के उठे हुए गोरे गोर उभारों को दबा देता, कभी उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी चिकनी 34″ के गोल चूतड़ों पर हाथ फिराता, उन्हें सहलाता।
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अब हम दोनों पूरी तरह से एक दूजे में समाना चाहते थे किन्तु इसके लिए एक सुरक्षित जगह की आवश्यकता थी।
स्नेहा की बेस्ट फ्रेंड मोनिका को हमारे प्रेम प्रसंग के बारे में स्नेहा ने सब कुछ बता रखा था। एक दिन स्नेहा और मैंने कॉलेज में ही यौन क्रीड़ा का आनन्द उठाने का प्लान किया। छठे पीरियड के बाद हम फ्री हो जाते थे और कॉलेज के अधिकांश छात्र अपने घर चले जाते थे तो कॉलेज के काफी कमरे खाली हो जाते थे। हमने अपने इस मिलन के लिए कॉलेज के एक सबसे सुरक्षित कमरे को चुना। हम दोनों उस कमरे में चले गये और मोनिका ने कमरे को बाहर से बंद कर दिया। अब रूम में सिर्फ स्नेहा और मैं थे।
उस दिन स्नेहा ने मेरे पसंदीदा गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था। स्नेहा उस दिन कितनी कातिल लग रही थी मैं शब्दों से ब्यान नहीं कर सकता। 32 28 34 का उसका फिगर ऊफ़्फ़ जान ले रहा था मेरी…
क्यूंकि हमें डर भी था कि कहीं कोई आ न जाए इसलिए जल्दबाजी भी थी। मैंने स्नेहा को कस के अपनी बांहों में भरा और उसके गुलाब की कोमल पंखुड़ियों के समान गुलाबी अधरों का रसपान करने लगा, पहले उसके निचले होंठ को चूसा फिर ऊपर वाले को, कभी दोनों को एकसाथ चूमा, उसकी रसभरी जीभ को चूसा।
मेरे हाथ उसके मम्मों को सहला रहे थे। फिर मैंने उसका कमीज निकलवाया। उसने अन्दर सफ़ेद ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसके कसे हुए मम्मे बाहर आने को बेताब थे तो मैंने उन्हें भी आज़ाद कर दिया।
बारी बारी से उसके दोनों मम्मों को खूब चूसा, उन्हें सहलाया उनके साथ खेला। पहली बार इस तरह की क्रीड़ा करके बहुत मज़ा आ रहा था, फिर उसकी सलवार को खोलते हुए निकाल दिया। स्नेहा की पैंटी भी सफ़ेद रंग की ही थी, जल्दी से उसे भी निकाला।
उसने अपनी अनछुई चूत को छुपाने की कोशिश की। पर बड़े प्यार से उसके दोनों पैरों को दूर करते हुए पहली बार मैंने चूत के दर्शन प्राप्त किये।
चूत की ऐसी मनोरम छटा देख कर मंत्रमुग्ध सा हो गया था। पहले उसकी चूत को अपने हाथ से प्यार से सहलाया और फिर खुद को रोक न सका उसकी चूत को चूमने से चूसने से।
जब मैं उसकी चूत को चूस रहा था तो उसके मुख से सी सी सी सिस्स की आवाजें आने लगी। वक़्त भी कम था और सब कुछ करने की चाहत भी तो जल्दी से मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मेरा काला रंग का 7 इंच का लंड स्नेहा के सामने था, वो मेरे लंड को घूर रही थी तो मैंने उसे लंड चूसने के लिए बोला।
कुछ आनाकानी के बाद उसने लंड चुसना शुरू किया, अपने लंड पर उसके होंठों का स्पर्श पाकर जो अनुभूति हुई वो लिखी नहीं जा सकती।
फिर मैंने उसे बड़ी वाली मेज़ पर लिटाया और उसके ऊपर लेट कर अपना लंड उसकी चूत के पास लगाया। हमने फ़ोन सेक्स कई बार किया था तो उसने अपनी चूत को उंगलियों से कई बार सहलाया था लेकिन आज हम असल में लंड और चूत का मिलन करवाने जा रहे थे।
पहले तेज़ झटके में ही लंड का अग्रभाग स्नेहा की चूत में प्रवेश कर गया और उसके मुख से एक तेज़ चीख निकली। मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर उसे चूमना शुरू किया। कुछ पल रुककर फिर से तीन चार तेज़ झटकों से पूरा लंड चूत की गहराइयों में समा गया।
फिर मैंने स्नेहा के बूब्स को पीना शुरू किया और साथ में तेज़ी से लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया। स्नेहा की चूत से लंड के घर्षण से बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।
हम दोनों पूरी तरह से उत्तेजित थे, दस मिनट में हम दोनों ने अपना कामरस छोड़ दिया। कुछ पल हम ऐसे ही एक दूजे से चिपक कर लेटे रहे, फिर स्नेहा के फोन पर मोनिका की रिंग बजने लगी जो हमें बाहर बुलाने का इशारा था।
हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और फिर से एक दूजे को कस के के बाहों में लेकर चुम्बन किया और बाहर निकल आये। मोनिका ने हम दोनों को उपर से नीचे तक निहारा और स्नेहा को लेकर चली गई।
दोस्तो, यह दास्ताँ थी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड स्नेहा की… आशा है आपको कहानी पढ़कर मजा आया होगा। आपके ईमेल का इंतजार रहेगा दोस्तो।
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