तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-11

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Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-11

तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-10

दादा जी बोले- आगे तो तू कुँवारी रह गई.. टियूशन पढ़ाने वाला सर से आगे क्यूँ नहीं डलवाया?

मैंने कहा- मुझे नहीं पता.. वो आगे मेरी चूत चूसा करते थे.. बस.. मेरा भी बहुत मन हो जाता था.. आगे घुसवाने का.. पर वो हमेशा कॉन्डोम न होने का बहाना करके पीछे से अपना लौड़ा घुसड़ते थे.. मेरी गाण्ड के छेद में.. वहीं मुझे हमेशा चोदते थे…

‘और किसी से लण्ड नहीं घुसवाया है?’

निकी- मैंने कहा नहीं.. बस सर ही थे…

‘उसने कितनी बार तेरी गाण्ड को चोदा होगा.. तेरी गाण्ड को मारा होगा?’

मैंने कहा- कई बार.. जब भी घर में मम्मी-पापा ना हों या कहीं अकेले मिल जाऊँ.. तो वो मेरी गाण्ड में पीछे डालके चोदने लगते थे…

‘फिर भी कितनी बार?’

मैंने कहा- करीब 25 बार से ज्यादा पेला होगा…

‘वही तो.. मैं सोचूँ.. तेरी गाण्ड में तो लण्ड खूब गए हैं… चल फिर भी आज चोदेंगे तेरी गाण्ड को.. निकी तुझे मज़ा आता था.. पीछे से चुदवाने में?’

मैंने कहा- हाँ दादा जी.. बहुत.. तभी तो में उससे खूब करवाने लगी थी.. ओह्ह..

‘तू साली.. बहुत सेक्सी माल है…’

तभी जॉन्सन अंकल बोले दूसरे अंकल को- तुम मम्मों से हटके अब जरा इसके मुँह में अपना लण्ड डालो.. अब इसकी धकापेल चुदाई का टाइम हो गया.. चलो जरा जम के घुसाओ और निकालो… निकी को जमके चोदना है।

‘ओह्ह.. आहह उंह..’ मैं लगातार सीत्कार कर रही थी.. तभी उन्होंने मेरे मम्मों के बीच से लण्ड निकाल कर मेरे मुँह में अपने लौड़े को फिट कर दिया। उसके लण्ड का लाल सुपारा बहुत मस्त था.. जैसे ही वो मेरे मुँह में गया.. मैं दम से उसे चाटने लगी.. उसका बहुत बड़ा लौड़ा था….

अब उधर मेरी गाण्ड में दादाजी का पूरा लण्ड घुसा हुआ था और सामने चूत में जॉन्सन अंकल का घुसा था। मैं लगातार अपनी कमर को हिला रही थी.. तभी दादाजी ने अपने हलब्बी को ज़ोर से निकाल कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में अन्दर जड़ तक पेल दिया और फिर अन्दर से निकाल कर.. फिर मेरी गाण्ड में घुसड़ेने-निकालने लगे।

अब मैं बेहाल सी होने लगी.. इधर जॉन्सन अंकल ने भी मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। उनका लण्ड तो जानवरों जैसा था.. बिल्कुल घोड़े जैसा था.. बहुत बड़ा.. वो जब भी अन्दर घुसड़ते-निकालते तो हर बार दर्द होता और मैं कांप जाती।

‘अहह…’

अब वो सब पूरे जोश में आ चुके थे.. इतनी गंदी गालियाँ देने लगे कि कोई सोच भी नहीं सकता।

‘हट माँ की लौड़ी.. मादरचोदी.. और ले रंडी.. निकी साली.. और चुदवाएगी बोल.. और चोदूँ.. कितना डालूँ.. और.. पूरा लण्ड..ले…’

मेरी चूत से ‘फच फ़च’ की आवाज़ आने लगी।

तभी जॉन्सन अंकल ने मेरे दोनों दूध पकड़ लिए और मेरी चूत में धक्का लगा कर बोले- बोल कुतिया.. रण्डी.. ओह निक्की.. साली तू कितनी चुदासी है रे..

मेरे मुँह में दूसरे वाले अंकल ने ज़ोर-ज़ोर से अपना लवड़ा डालना शुरू कर दिया था। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तीन-तीन लण्ड मुझे एक साथ चोद रहे थे, कमरे में ‘अहह.. उन्न्नह..’ गूँजने की आवाज़ आने लगी.. मैं भी अपनी कमर और गाण्ड उछाल-उछाल कर उन तीनों का साथ दे रही थी।

तभी मैं जॉन्सन अंकल को हाथ के नाख़ून से काटने लगी और उनसे अपनी चूत को चिपकाने लगी।

मेरे मुँह में लण्ड होने के कारण मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।

बस ‘फॅक.. फट’ की आवाज़ गूँज रही थी। तभी मेरे मुँह में जिन अंकल का लण्ड था.. वो एकदम अकड़ कर बोले- ले साली.. मेरा रस आ गया.. ओह्ह.. साली गण्ड मरी निकी.. ले.. उहह चूस.. पूरा पी जा.. और चुदवा ले.. और घुसेड़ता हूँ.. क्या माल है तू साली निकी.. ओह्ह.. मेरी डार्लिंग.. उफफफफफ्फ़…

उन्होंने यही सब कहते हुए अपना पूरा लवड़ा मेरे गले तक घुसा दिया और मेरे मुँह में लण्ड-रस को भर दिया।

मैं ‘ओह आअहह ओईईए..’ करने लगी.. मेरा मुँह सूख गया था इतने में अंकल का माल मेरे गले में नमकीन शहद सा लगा और मैं उसे बेहिचक पूरा पी गई.. मुझे उनका रस बहुत टेस्टी लगा।

मेरे गले में उनके गरम रस की धार बड़ी मस्ती से सर्राई थी…

उन अंकल ने अपना रस मुझे पिलाने के बाद अपना लौड़ा मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। अब मेरा मुँह खुल गया तो मैं भी सब बकने लगी।

वो दोनों अभी मेरी गाण्ड और चूत में लगे हुए थे।

‘अहह चोदो मुझे रंडुओ.. अपनी इस निकी को आज पूरी छिनाल बना दो.. मादरचोदो.. फाड़ दो मेरी चूत को और जम के डालो रे.. कुत्तों.. मैं बहुत चुदासी हूँ.. मेरी गाण्ड में पेल दो लण्ड.. मेरे राजा… आअहह.. मम्मी.. फाड़ दो ओह्ह…’

मैं अपने होंठों से होंठ काटने लगी… तभी जॉन्सन ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी।

‘आअहह.. चोद हरामी.. मेरी चूत को.. और चोद और चोदो…’

तभी जॉन्सन मेरी जीभ चाटने लगा मेरे मम्मों को दबा कर ज़ोर से काटने लगा- आह.. मेरी रानी.. निक्की.. चुदवा ले.. और ले… वो भचाभच चोट मार रहा था।

‘आह्ह.. निक्की तू बहुत चुदासी है साली.. कितनी मस्त माल है तू निकी.. तू मेरी बीवी बन जा कुतिया.. रोज ऐसे ही चोदूँगा…’

मैं भी अब ज़्यादा जवाब देने लगी.. बोली- ले बन गई तेरी बीवी.. तेरे साथ ही रहूँगी अब.. बस अपना ये लण्ड मेरी चूत में डाले ही रहना.. पर मैं अकेले एक से नहीं चुदवाऊँगी.. ऐसे ही 3-4 मर्द एक साथ मुझे चोदना.. बता मेरे गांडू राजा…

जॉन्सन बोला- हाँ निकी डार्लिंग.. रोज अलग-अलग मर्दों से चुदवाना.. बस तू तो मेरी रानी बन जा.. ओह्ह…

ये कहते हुए उसने और रफ्तार बढ़ा दी उसका पूरा लण्ड मेरी बच्चेदानी तक जाकर टकरा रहा था.. साले का बहुत बड़ा था.. जितना अन्दर जाता था.. उतना ही मुझे मज़ा आ रहा था। अब मैं किस दुनिया में हूँ.. मुझे पता ही नहीं था।

इतने में अब फिर से बहुत अकड़न सी होने लगी और मैं जॉन्सन अंकल की जीभ को अपनी जीभ से खूब चाटने लगी।

‘आह उंह.. और घुसा.. पूरा घुसा जम कर चोद हरामी.. ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार मेरे राजा.. हाँ.. अहह मेरे राजा.. चोद…

मैं अपने नाख़ून जॉन्सन की पूरी पीठ में गड़ा दिए.. तभी एकदम से फट कर मेरी चूत में से रस निकल पड़ा.. और मैं निढाल हो गई। ‘अहह.. उन्न्ह आहह.. मेरे राजा.. आई लव यू.. डार्लिंग..’ मैं मस्ती में बोलने लगी। इतने में अंकल भी अकड़ कर गाली बकते हुए ज़ोर-ज़ोर से लण्ड को धक्का मारने और लपक कर मेरे मम्मों काटने लगे।

उन्होंने बोला- ओह सेक्सी निकी डार्लिंग.. आहह.. ले पूरा लण्ड डाल दिया.. तू बहुत मस्त माल है…

यह कहते हुए उसके लण्ड का पूरा माल मेरी चूत में गिरने लगा.. तो मुझे बहुत मज़ा आया.. मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.. कब से प्यासी थी मेरी चूत.. आज प्यास बुझी…

इतने में पीछे से दादा जी ने भी मेरी गाण्ड में ज़ोर-ज़ोर से लण्ड को घुसा कर.. पूरा बाहर निकाल कर.. बार बार धकापेल चोद रहे थे।

वे बोले- निकी तू मेरी रखैल है रे.. बहुत मस्त गाण्ड है तेरी.. आज तक मैंने ऐसी गाण्ड नहीं मारी…

मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.. मैं बोली- तू मेरा आशिक़ है.. तेरे साथ रोज सोऊँगी.. ऐसे ही मेरी गाण्ड मारना और डालो दादाजी.. जमके चोदिए मेरी गाण्ड को…

वो पीछे से मेरे मम्मों को दबा-दबा के और चिल्लाने लगे- आहह.. निकी ले तेरी गाण्ड की प्यास भी बुझा देता हूँ…’

तभी दादाजी के लण्ड की पिचकारी भी मेरी गाण्ड में छूट कर भर गई.. उनका पूरा रस मेरी चुलबुली गाण्ड में भर गया था।

‘अहह डार्लिंग.. ओह बहुत मस्त चोदा मेरी गाण्ड को.. दादा जी…’

दोनों दादा जी और जॉन्सन अंकल एक आगे.. एक पीछे ऐसे ही लण्ड डाले शांत हो कर मुझसे चिपक गए।

मैं भी ठंडी हो गई.. दोनों चूमते हुए मुझसे बोले- तू बहुत मस्त है निकी.. इतनी हॉट.. सेक्सी लड़की.. जीवन में नहीं देखी…. अब तू हमारी है.. और हम तेरे डार्लिंग हैं हमारी उम्र से कुछ नहीं होता… आई लव यू निकी… तीनों यही सब बोलने लगे थे।

मैंने भी तीनों को लम्बे चुम्बन दिए और बोली- आप लोग बहुत अच्छे हो.. मेरी प्यास को बुझाने के लिए आप सब का धन्यवाद..

यह कहते हुए अब मैं उठी तो मुझसे उठा ही नहीं जा रहा था। मेरे मुँह में दर्द था और पीछे भी.. और चूत में तो देखा ही नहीं जा रहा था पूरी खून से लथपथ थी। पूरा चादर खून से रंगा हुआ था।

यह देख कर मैं घबराई.. अब क्या होगा..?

तो दादा जी ने जल्दी से चादर समेटा और बोला- मैं इसे ले जाता हूँ.. जला दूँगा.. तू अब नहा ले निकी.. सब ठीक है…

मैंने अपनी चूत से खून पौंछा.. पर चलने में अभी भी दिक्कत हो रही थी।

वे तीनों मुझे चोद-फाड़ कर चले गए थे।

बाद में घर में पापा-मम्मी के पूछने पर मैंने कह दिया- मैं फिसल गई थी।’

अगले 4-5 दिन तक ठीक से चल नहीं पाई.. पर वो लम्हा अभी भी जब भी याद आता है तो मैं गरम होकर किसी मर्द की चाह में खो जाती हूँ कि कोई आए और मिल जाए।

मुझे इस चुदाई से इतना नशा और मज़ा मिला था कि मैं आपको बता नहीं सकती।

ये मेरे साथ हुआ है.. बिल्कुल सच है.. मैंने एक-एक शब्द सच लिखा है।

आप पढ़ कर मुझे बताइए कि मुझसे कुछ ग़लत तो नहीं हुआ.. और आगे अपनी इस तरह की चाहत को अब कैसे कंट्रोल करूँ..? मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा।

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