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नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम उदय (बदला हुआ नाम) है.. मैं छत्तीसगढ़ जगदलपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 26 साल है, हाइट 5’4″ है और वजन 48 जिससे मैं अपनी उम्र से काफ़ी छोटा लगता हूँ।
बात 2007 की है जब मैं 12वीं की परीक्षा देकर अपने चाचा के घर गया था। मुझे चाचा के घर पहुँचते पहुँचते काफ़ी रात हो गई थी। जिस वक़्त मैं उनके घर पहुँचा तब रात के साढ़े बारह बज रहे थे.. मैंने उनके घर की डोर बेल बजाई तो दीदी ने दरवाजा खोला और पूछा- इतना लेट कैसे हो गया?
मैं- अरे वो दोस्तों के साथ पार्टी कर रहा था तो जगदलपुर से ही लेट से निकला। दी- सब सो गये हैं चल खाना खा ले…
और फिर हम दोनों किचन में चले गये.. दरअसल दी मेरे चाचा की बड़ी बेटी है नाम पूजा (बदला हुआ) उम्र उस समय उसकी उम्र बीस की रही होगी और मेरी उम्र 18 साल की थी। दी का फिगर बहुत जबरदस्त था, कोई भी देखे तो शायद अपने आप पर काबू ना रख सके।
लेकिन तब दी के लिए मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं आया था। दी ने खाना निकाला और खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए बेडरूम मे आ गये, वहाँ पर सिर्फ़ एक पलंग था जिसमें हमारी भतीजी जो एक छोटी बच्ची थी सो रही थी।
पलंग डबल बेड था तो दी ने कहा कि मैं गुड़िया के एक तरफ सो जाऊँ.. और दूसरी तरफ दी सो जाएँगी..
दिनभर की थकान थी तो मैं एक तरफ लेट गया.. कुछ देर में मैं सो गया लेकिन रात के लगभग तीन बजे मेरी आँख खुल गई और मैंने देखा कि दी के पैर के तलुए से मेरे पैर की उंगलियाँ टकरा रही हैं।
अब पता नही क्यूँ मुझे नींद नहीं आई, मेरे अंदर एक उत्तेजना सी भर गई थी। मैंने अपने पैर के अंगूठे से धीरे धीरे उनके तलुए को सहलाना शुरू किया और थोड़ी ही देर मे मुझे रिप्लाई भी मिल गया.. दी ने भी धीरे से मेरे अंगूठे को अपने पैर की उंगलियों से धीरे से दबा दिया.. मुझे लगा कि ग्रीन सिग्नल मिल गया है.. लेकिन हो सकता था कि दी नींद में हो तो मैंने कन्फर्म करने के लिए अपना एक हाथ उनकी कमर पर रख दिया..
अभी भी वो गुड़िया हम दोनों के बीच ही थी लेकिन छोटी होने के कारण मेरा हाथ आसानी से दी के कमर पर चला गया।
अब मैंने धीरे से अपना हाथ दी के बूब्स की तरफ बढ़ाना शुरू किया। दी हमारी तरफ पीठ करके लेटी थी तो मैंने धीरे से उनके राइट साइड के बूब को धीरे से छुआ.. उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैंने धीरे से उनके बूब को सहलाना शुरू किया और फिर दी धीरे से सीधी होकर लेट गई।
मेरी हिम्मत बढ़ गई.. मैंने हमारे बीच लेटी गुड़िया को धीरे से दूसरे तरफ कर दिया.. अब मैं दी के बिल्कुल बाजू में था.. अब मैंने धीरे से अपना एक हाथ दी के उरोजों पर रख दिया और धीरे धीरे से उन्हें सहलाना-दबाना शुरू कर दिया।
अब दी पर इसका असर देखने को मिलने लगा.. दी की साँसें गहरी होने लग गई और वो धीरे धीरे से अंगड़ाई जैसे लेने लग गई.. मेरा यह फर्स्ट टाइम था जब मैं किसी लड़की के साथ सेक्स करने जा रहा था.. वो भी दी के साथ.. मेरी धड़कन बहुत तेज़ हो गई थी और साँसें भी ज़ोर ज़ोर से चलने लगी थी..
मैंने अपने हाथ अब दी के टॉप के अंदर घुसा दिया था और उनके बूब्स को कभी दबाता कभी सहलाता, कभी मसलता, लेकिन थोड़ी ही देर मे मैं कंट्रोल से बाहर हो गया और मैंने टॉप के नीचे से उनका बरमूडा और और पैंटी उतार दिया.. अब मैं उनकी योनि देखना चाहता था लेकिन कमरे मे अंधेरा होने के कारण मैं उनकी योनि के दर्शन नहीं कर सका.. लेकिन मैं अपने हाथ से उनकी योनि को सहलाने लग गया.. सहलाते सहलाते जब मैं एक उंगली योनि के अंदर डालना चाह रहा था तो उन्होंने ज़ोर से मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया.. मैंने अब उनका टॉप ऊपर की तरफ कर दिया और उनके बूब्स पर चुम्बन करते हुए उनकी चूची चूसने लग गया..
दूसरी तरफ दी मुझे अपने पैर फैला कर बीच में खींचने लग गई।
मैंने खुद पर कंट्रोल करते हुए उनके बूब्स से किस करते हुए उनकी नाभि तक आ गया और अपनी जीभ से उनकी नाभि को सहलाते हुए बाएँ हाथ से उनके एक बूब को और दाएँ हाथ से उनकी योनि की भगनासा को सहलाने मसलने लग गया।
ऐसा मैं करीब दस मिनट तक करता रहा।
फिर दी अपनी कमर को धीरे से अकड़ते हुए ऊपर उठाने लग गई और मेरे बाल खींच कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लण्ड को अपने हाथ मे लेकर योनि से छुआ दिया।
मैंने धीरे से कमर को आगे की तरफ धकेला लेकिन दी ने मेरे कमर को पकड़ लिया जिस कारण अब मैं उनकी योनि में अपना लण्ड नहीं घुसा सकता था। फिर मैंने उनके हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उनकी योनि को उंगलियों से फैला कर अपने लण्ड को उनकी योनि पर रख करके एक ज़ोरदार झटका दे दिया। दी के मुख से ‘उन्ह ऊ ऊ माँ’ की आवाज़ निकली.. मैंने अपने होंठ दी के होंठों पर रख दिए, दी मेरे नीचे दबकर कसमसाती रह गई मगर मैंने ना तो उनके हाथ छोड़े और ना ही अपना लण्ड बाहर निकाला..
थोड़ी देर ऐसे ही रहकर मैंने महसूस किया किया कि मेरा लण्ड तीन इन्च के करीब दी की योनि में गया था.. मेरा शेष लण्ड दी की योनि में जाने को बेताब हो रहा था तो मैंने एक और बहुत ज़ोर से झटका दी की योनि में दे दिया और इस बार ऐसा लगा कि दी के योनि के अंदर कुछ खट से टूट गया है.. लेकिन अब दी की हालत बहुत खराब हो रही थी.. दी बहुत छटपटा रही थी, मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मुझ पर तो सेक्स करने का भूत सवार हो गया था.. मैंने ऐसे ही दी को तड़पते हुए भी नहीं छोड़ा.. मैं धीरे धीरे अपना लण्ड दी की योनि मे अंदर बाहर करने लगा।
दी और भी ज़्यादा कसमसाने लग गई.. वो जितना ज़्यादा तड़प रही थी मुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.. और उनकी योनि की कसावट भी बढ़ जाती थी जब वो कमर को दर्द के कारण इधर उधर सरकाने की कोशिश करती थी..
इस बीच दी ने मेरे होंठों को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और उनकी दर्द भारी कराहट अब आनन्द से भाई सिसकारियों में बदलने लग गई.. वो कभी मेरे होंठों को चूम रही थी कभी गालों को अपने हाथों से वो मेरा पूरा बदन सहला रही थी और मैं जैसे ही ज़ोर से धक्के देने लगता था तो वो अपने नाख़ून मेरे पीठ में गाड़ कर मुझे कस कर पकड़ लेती थी.. कसम से वो अहसास मैं कभी नहीं भूलूंगा.. उनकी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरा लण्ड जब उनकी योनि मे अंदर बाहर हो रहा था तब उस गीलेपन के कारण एक गुदगुदी सी मेरे लण्ड में होने लगी थी..
मैं धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा तो दी ने मुझे अब और भी ज़ोर से कस कर पकड़ लिया और खुद भी कमर को ऊपर उछालने लग गई। दी के हेल्प के कारण मैंने और भी स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में मैंने दी को ज़ोर से अपनी बाहों मे कस लिया.. मैंने इतनी ज़ोर से दी को अपनी बाहों में खींचा था कि दी के मुँह से ‘उम्म्म्म’ की आवाज़ निकल गई थी।
मैंने महसूस किया कि मेरे लण्ड से कुछ गर्म गर्म निकल रहा है और दी अब धीरे धीरे ढीली पड़ रही हैं.. लगभग 5 मिनट ऐसे ही दी को कसकर पकड़े रहने के बाद मैं दी को ऐसे ही छोड़कर उठ गया.. दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है.. इसी दिन मेरा उद्घाटन हुआ था और दी की दूसरी बार चुदाई करने के बाद मुझे पता चला कि दी की भी पहली बार चुदाई हुई थी जिस कारण उन्हें इतनी तकलीफ़ हुई थी.. ओके दोस्तो, फिर मिलेंगे एक और सच्ची कहानी के साथ.. बाय…
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