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‘मां के लंड.. तेरा मक्खन तो यार मस्त, ज़ायकेदार है… क्या खाता है बहन के लौड़े तू… यार मज़ा आ गया मलाई पी के… अच्छा अब तू बता कमीने तुझे मज़ा आया या नहीं? कभी यूं लौड़ा फिराया था चूचों में? सच सच बोलना…मेरी चूत की कसम खा के बोल?’ अंजू रानी लंड की मलाई चाटते हुए चटखारे लेकर बोली।
मैंने सिर हिला कर हामी भरी कि हाँ वाकई में मज़ा बेहद आया।
अंजू रानी ने कहा- चल मेरे हरामी राजा अब तू मेरी चूत को चूस कर और मज़ा ले… साले माँ के लंड ने तीन तीन बार झाड़ दिया… अब तुझे चूत चूसने को दूंगी और स्वर्ण अमृत पिलाती हूँ…ले बहन के लंड अब तू फुल ऐश कर कमीने…
अंजू रानी टांगें चौड़ी कर के बैठ गई और बोली- चल आजा राजा मेरी टांगों के बीच में… स्वर्ग है यहाँ…कमीने गांडू की औलाद… अब सोमरस पी मेरी बुर का…आ जल्दी से आजा बहन चोद…
मैं फटाफट उसकी रेशमी, चिकनी और मुलायम लातों के बीच बैठ गया, अपना मुंह उसकी चूत से सटा दिया और जीभ उस रसरसाती हुई चूत में घुसा दी।
‘हाय कुत्ते… पी…मेरा रस पी… भोसड़ी के… ले… ले… ले…’ इतना कहते हुए अंजू रानी ने स्वर्ण रस की एक तेज़ धार मेरे मुख में छोड़ी।
मैं जल्दी जल्दी उस गर्म गर्म सुनहरे अमृत को पीने लगा, वास्तव में बहुत ही ज़्यादा स्वाद आ रहा था, अंजू रानी सुर्र सुर्र करके धार मारे जा रही थी और मैं एक पिल्ले की तरह पिये जा रहा था।
शायद बहुत देर से रोक कर रखा हुआ था, इसलिये अंजू रानी धारा को धीमे नहीं कर पा रही थी लेकिन फिर भी मैं तेज़ तेज़ घूँट भर के पिए जा रहा था, मेरी चेष्टा यही थी कि एक भी बूंद नीचे गिर के बर्बाद न हो।
अंजू रानी सीत्कार भरते हुए अपना पेट खाली कर रही थी और चुदास से बौरा कर दनादन गालियाँ दिये जा रही थी।
उसके श्याम सुन्दर मुखड़े पर छाई तमतमाहट, माथे पर पसीने की बूंदें और प्यारे से मुंह से निकलती हुई मस्त गालियाँ मेरी ठरक को फिर से चढ़ा रहे थे… उस पर उसकी रसीली चूत से निकलती हुई अमृत की धार! यार क्या बताऊँ!! बस यूं समझ लो कि इतने ज़ोर से झाड़ने के बाद भी लंड दुबारा से अकड़ चुका था और तुनक तुनक कर अपनी बेसब्री दिखा रहा था।
खैर कुछ देर में अंजू रानी का स्वर्ण अमृत खाली हो गया, उसने पांच सात बार लपलप करके बची हुई बूंदें भी मेरे मुंह में जाने दीं।
सच में अमृत ही था… पीकर इतना आनन्द मिला कि वर्णन करना दूभर।
ज्यों ही स्वर्ण रस आना बंद हुआ मैंने जीभ पूरी चूत में दे दी और लगा अंदर घुमाने। अंजू रानी मज़े में बिलबिला उठी और चूत में लबालब भरे हुए चूतरस के मदमस्त स्वाद से मैं भी चिहुँक गया।
ज़ोर ज़ोर से जीभ पूरी चूत में डालकर मैं मधु पीने लगा। मैं जितना रस पीता जाता था, चूत में उस से कहीं अधिक रस फफक फफक के निकले जाता था। सो चूत पूरी की पूरी रस से भरी ही रहती थी। कभी मैं अंजू रानी के बुर में जितनी जीभ जा सकती है उतनी घुसा के चूत का रसपान करता तो कभी मैं योनि के होंठों को चूसता और बीच बीच में अंजू रानी की झांटों के गलीचे जैसे जंगल में नाक रगड़ रगड़ कर मज़ा लूटता। कई बार मैंने उसके स्वर्णरस के छेद में जीभ की नोक से रगड़ा।
अंजू रानी तेज़ी से बढ़ती हुई उत्तेजना से बौरा सी गई थी, उसने अपनी जाँघें कस कर भींच कर मेरा सिर जकड़ लिया।
मैं भी चूतरस के मस्त स्वाद से बेहाल होने लगा था। अंजू रानी के मुंह से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी थीं, चूत से अमृत बहुत तेज़ बहाने लगा था, वो कभी टांगें भींचती तो कभी खोलती, कभी वो मेरे बाल खींचती और कभी ज़ोर से मुक्के मारती।
मेरा लंड पूरे ज़ोर से अकड़ गया था और बेताब हो चला था, मैंने अपना मुंह अंजू रानी की चूत से अलग किया और खड़ा होकर उसे गोद में उठा लिया, मैं बोला- सुन हरामज़ादी… अब बेडरूम में चलते हैं… आगे का खेल उसी पलंग पर जहाँ मैं जूसी रानी को रोज़ चोदता हूँ… अब आयेगा ना असली मज़ा!
अंजू रानी खुशी से फूल कर बोली- हाँ हाँ राजा… तेरी बीवी के बेड पर चुदाई करेंगे… राम… मेरी तो सोच सोच के ही चूत आनन्दमयी हो गई… तू साले है बड़ा कमीना… अच्छा एक बात मेरी मानेगा बहनचोद?
मैंने अंजू रानी के होंठ चूमकर पूछा- बोल रानी क्या कहती है….आज तो तू जो मांगेगी मिलेगा।
‘ठीक है चूत के पिस्सू… चूत में लंड घुसा के फोन करना अपनी बीवी को… तू उससे कैसे बात करता है मैं सुनना चाहती हूँ… बोल माँ के लौड़े करेगा ना?’
‘कमीनी कुतिया…करूंगा करूंगा…साली रंडी!’ इतना कह के मैंने उसके होंठों से अपने होंठ चिपका लिये और उन्हें चूसता हुआ अंजू रानी को गोदी में लिये लिये अपने बेडरूम की ओर चल दिया।
अंजू रानी ने अपने हाथ कस के मेरी गर्दन से लिपटा लिये थे और वो खूब मज़े से अपने होंठ चूसवा रही थी।
बेडरूम में मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और एक वहशी की तरह उस पर टूट पड़ा, उसके चूचे भम्भोड़ता हुआ मैं बोला- अब तू हरामज़ादी नाच नाच के चुदवायेगी… बहन चोद आज तेरे बदन का कचूमर निकाल के छोडूंगा… साली सड़कछाप रांड चार दिन तक चल नहीं पायेगी।
‘हाँ कुत्ते तोड़ दे मुझे… मां चोद के रख दे साले मेरी… और ज़ोर से निचोड़ इन मादरचोद कुचों को…’ अंजू रानी मस्ती में सिर इधर उधर हिला रही थी।
मैंने पूरी ताक़त से उसके मम्मे दबाने और निचोड़ने शुरू किये, मैं जितना ज़ोर से कुचलता था अंजू रानी उतनी ही मस्त हुए जा रही थी। दिख रहा था कि अब वो चुदने को व्याकुल हो रही है।
मैंने लंड को उसकी रसरसाती हुई बुर के मुंह पर जमाया और एक ही शॉट में पूरा लंड घुसेड़ दिया, चूत काफी टाइट थी और खूब गरम भी हो रही थी, लौड़े को यूं लगा कि किसी गरम रस से भरी हुई, बेहद संकरी व नरम नरम ग़ुफा म़ें चला गया हो।
ज्यों ही लंड चूत म़ें घुसा, अंजू रानी ने एक ज़ोर की सीत्कार भरी जबकि मैंने दुबारा से उसके कुचमर्दन का काम शुरू कर दिया। कहानी जारी रहेगी। अंजू की चूत, गाण्ड और झांटों की सुगन्ध-2
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